मानव शरीर में विभिन्न प्रकार के फंगस (fungus) पाए जाते हैं, जिनमें से कैंडिडा (Candida) भी फंगस (fungus) का ही एक प्रकार है। यह एक प्रकार का यीस्ट (yeast) है जो सामान्यता पेट, मुंह और त्वचा पर बहुत कम मात्रा में पाया जाता है, यह शरीर पर किसी भी प्रकार की समस्या पैदा नहीं करता हैं। जब पर्यावरणीय परिस्थितियां इनके अनुकूल होती हैं, तो यीस्ट बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाता है, जिससे यह त्वचा, योनि और मुहँ को प्रभावित करता है। अतः इस तरह होने वाले संक्रमण को कैंडिडिआसिस (Candidiasis) कहा जाता है।
यह लगातार फैलने वाले फंगस होते है अतः इनका समय पर इलाज किया जाना आवश्यक है। आज इस लेख में आप जानेंगे कि कैंडिडिआसिस क्या है यह किन कारणों से होता है तथा इसके लक्षण, प्रकार, निदान, उपचार और रोकथाम के घरेलू उपाय क्या हैं।
1. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) क्या है – What is Candidiasis in hindi
2. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) के लक्षण – Candidiasis Symptoms in Hindi
3. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) के कारण – Candidiasis Causes in Hindi
4. कैंडिडिआसिस के प्रकार – Candidiasis Types in Hindi
5. कैंडिडिआसिस की जटिलताएं – Candidiasis Complication and risk factor in Hindi
6. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) का निदान – Candidiasis Diagnosing in Hindi
7. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) का उपचार – Candidiasis Treatment in Hindi
8. कैंडिडिआसिस (कैंडिडा) की रोकथाम – Candidiasis Prevention in Hindi
9. कैंडिडा (कैंडिडिआसिस) के घरेलू उपचार – Candidiasis home remedies in Hindi
Candidiasis कैंडिडिआसिस एक फंगल संक्रमण (fungal infection) है, जो कैंडिडा जाति से संबंधित यीस्ट के कारण होता है। कैंडिडा प्रकार के यीस्ट में 20 से अधिक प्रजातियों को शामिल किया गया है। ये प्रजातियां मनुष्यों में संक्रमण का कारण बन सकती हैं। इनमें से सबसे सामान्य प्रजाति कैंडिडा अल्बिकन्स (Candida albicans) है। कैंडिडा यीस्ट आमतौर श्लेष्मा झिल्ली (mucous membranes) और त्वचा पर बिना किसी संक्रमण के पाया जाता है। इन यीस्ट की शरीर में बढ़ने वाली मात्रा कैंडिडिआसिस संक्रमण का कारण बनती है। कैंडिडिआसिस के लक्षण संक्रमित शरीर के अंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं।
कैंडिडा अल्बिकन्स (Candida albicans) मुंह, आंतों में और योनि में होने वाले यीस्ट संक्रमण का सबसे सामान्य प्रकार है।
जब कैंडिडिआसिस (Candidiasis) संक्रमण योनि को प्रभावित करता है, तो इसे “यीस्ट इन्फेक्शन” के रूप में जाना जाता है। जब कैंडिडा प्रजातियां रक्त प्रवाह में प्रवेश करती हैं तब यह पूरे शरीर को संक्रमित करती हैं, जिससे गंभीर कैंडिडिआसिस जन्म लेता है। अगर प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक तरह से काम नहीं करती है, तो कैंडिडिआसिस संक्रमण शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है।
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प्रभावित शारीरिक अंगों के आधार पर कैंडिडिआसिस के लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं, कुछ सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं-
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कैंडिडिआसिस (Candidiasis) त्वचा संक्रमण, शरीर के लगभग किसी भी क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। लेकिन यह ज्यादातर उन क्षेत्रों में होता है, जहां दो त्वचा क्षेत्र एक दूसरे को छूते हैं या रगड़ते हैं। इस तरह के क्षेत्रों में कांख, ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का भाग) और त्वचा की परतें , साथ ही साथ आपकी उंगलियों और पैर की उंगलियों के बीच का क्षेत्र शामिल है। फंगस गर्म, नम और पसीने की स्थिति में तेजी से वृद्धि करती है।
अतः यह त्वचा संक्रमण निम्न कारणों से फैलता है –
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कैंडिडिआसिस संक्रमण के कई अलग-अलग प्रकार होते हैं। इन सभी प्रकार में से ज्यादातर यीस्ट संक्रमण को आसानी से दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है।
कैंडिडा यीस्ट मुंह और गले में फैलकर थ्रश नामक संक्रमण का कारण बनता है। यह संक्रमण नवजात बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
जीभ, होंठ, मसूड़ों और भीतरी गाल पर सफेद या पीले रंग के धब्बे, मुंह और गले में लाली या दर्द, भोजन निगलने पर दर्द ये सभी इसके प्रमुख लक्षण हैं।
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एक सर्वे के अनुसार चार वयस्क महिलाओं में से लगभग तीन को सम्पूर्ण जीवनकाल के दौरान कभी ना कभी यीस्ट संक्रमण (Yeast Infection) का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार का कैंडिडिआसिस संक्रमण योनि में बहुत अधिक यीस्ट बढ़ने के कारण होता है। पुरषों में बहुत कम यौन यीस्ट संक्रमण होता है।
एक यीस्ट (खमीर) संक्रमण सामान्यता तब होता है जब योनि में यीस्ट का संतुलन बदलता है। यह स्थिति गर्भावस्था, मधुमेह, कुछ दवाओं, शुक्राणुनाशकों या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण प्रगट होती है।
योनि में अधिक खुजली, योनि सूजन और लालिमा, सेक्स के दौरान असुविधा आदि इसके प्रमुख लक्षण है।
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यह संक्रमण ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है। डायपर चकते आमतौर पर गीले या गंदे डायपर को बहुत लंबे समय तक पहने रहने से होते है।
यदि बच्चे का डायपर रश दूर नहीं हो रहे हो, यदि उसका तल लाल और संवेदनशील है और यदि घावों के चारों ओर एक लाल सीमा है, तो कैंडिडिआसिस के इलाज के लिए एक एंटीफंगल क्रीम का उपयोग किया जा सकता है।
डायपर रश और कैंडिडिआसिस को रोकने के लिए अपने बच्चे के निचले हिस्से को साफ और सूखा रखें।
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वयस्कों के स्वास्थ्य पर कैंडिडिआसिस का ज्यादा असर नहीं होता है तथा इसका आसानी से इलाज किया जा सकता है। परन्तु यह संक्रमण अधिक उम्र के वयस्कों और छोटे बच्चों के साथ-साथ कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में अधिक गंभीर हो सकता है। इससे शरीर के अन्य हिस्सों में भी संक्रमण फैल सकता है, खासतौर पर ओरल थ्रेश (oral thrush) में। अतः यह संक्रमण निम्न हिस्सों को प्रभावित कर सकता है:
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कैंडिडा संक्रमण या कैंडिडिआसिस का निदान प्रमुख रूप से प्रारम्भिक अवस्था और प्रभावित त्वचा पर निर्भर करता है। कैंडिडिआसिस का निदान शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जा सकता है।
कैंडिडा (Candida) अक्सर फैलने वाला संक्रमण है। हालांकि एक फार्मासिस्ट, प्रभावित अंग को देखकर और कुछ प्रश्न पूछकर इस समस्या का निदान कर लेता है।
यदि आपको इस प्रकार के संक्रमण का अनुभव होता हैं तो तत्काल ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। जिससे कि डॉक्टर को कैंडिडिआसिस के निदान में सुविधा हो सके, और इसका उपचार किया जा सके।
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कैंडिडा त्वचा संक्रमण का उपचार आमतौर पर आसन होता है। यदि प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक है और कैंडिडा फंगस रक्त में ना फैला हो, तो इसके इलाज के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः कैंडिडिआसिस के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीफंगल क्रीम, मलहम, या लोशन को संक्रमित त्वचा पर लागू करने की सलाह देता है। संक्रमण के उपचार में उपयोग की जाने वाली क्रीम में शामिल हैं:
डॉक्टर संक्रमित त्वचा को मॉइस्चराइजिंग क्रीम या मलहम के साथ धोने की सलाह दे सकता है, यह क्रीम, साबुन उत्पादों की तुलना में अधिक लाभकारी होती हैं। इस स्थिति में कुछ एमोलिएंट (emollients) साबुन उपयोग में लाई जा सकती हैं।
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संक्रमण के प्रकार और प्रभावित शरीर के हिस्से के आधार डॉक्टर विभिन्न प्रकार की दवाओं का उपयोग करने की सलाह दे सकते है। उदाहरण के लिए:
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कैंडिडा संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एवं उसकी रोकथाम के लिए कुछ आसान कदम उठाये जा सकते हैं, जो इस प्रकार हैं –
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कैंडिडा के इलाज के लिए सबसे अच्छा और सबसे प्रभावी उपचार एक एंटीफंगल दवा का उपयोग है। संक्रमण के फैल जाने के बाद, फंगल संक्रमण को ठीक करने के लिए वास्तव में कोई घरेलू उपचार नहीं है। लेकिन कुछ हद तक दही या टी ट्री आयल इसके उपचार में सहायक सिद्ध हो सकता है। परन्तु यह उपचार योनि यीस्ट संक्रमण के इलाज के लिए उपयोगी नहीं है, साथ ही साथ इसका उपयोग योनि के लिए खतरनाक हो सकता है। फंगल संक्रमण को रोकने के लिए सबसे अच्छा उपाय एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली निर्मित करना है। स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं। जैसे-
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