Carbohydrate In Hindi कार्बोहाइड्रेट या सैकेराइड, जैविक अणु (biomolecules) होते हैं। जैविक अणु (biomolecules) प्रमुख रूप से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लियोटाइड और लिपिड होते हैं, जिनमें से कार्बोहाइड्रेट सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। वे पौधों और कीटों के संरचनात्मक घटक हैं। कार्बोहाइड्रेट के व्युत्पन्न मुख्य रूप से प्रजनन, प्रतिरक्षा प्रणाली, बीमारी के विकास और रक्त के थक्के में अहिम भूमिका निभाते हैं। आज के इस लेख में आप जानेंगे कि कार्बोहाइड्रेट क्या है, इसके कार्य क्या हैं, कार्बोहाइड्रेट की कमी के कारण, लक्षण क्या हैं तथा इसके लाभ और नुकसान के बारे में।
एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट में लगभग 4 किलोकैलोरी (kilocalories) होती हैं। कैंसर की रोकथाम और स्वस्थ पाचन प्रणाली के लिए फाइबर हमारे कार्बोहाइड्रेट आहार का एक आवश्यक घटक है। अतः कार्बोहाइड्रेट की पूर्ति के लिए स्टार्च और फाइबर युक्त आहार का सेवन लाभकारी होता है। शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी ऊर्जा स्त्रोतों में कमी का कारण बनती है जिसके फलस्वरूप अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है। इसलिए कार्बोहाइड्रेट की कमी को होने से रोकने के लिए आवश्यक कार्बोहाइड्रेट आहार का सेवन निश्चित मात्रा में करना चाहिए।
विषय सूची
1. कार्बोहाइड्रेट क्या है – What is carbohydrate in hindi
2. कार्बोहाइड्रेट के प्रकार – types of carbohydrate in hindi
3. कार्बोहाइड्रेट के कार्य – Carbohydrate function in hindi
4. कार्बोहाइड्रेट की कमी – carbohydrate deficiency in hindi
5. कार्बोहाइड्रेट की कमी के लक्षण – carbohydrate deficiency Symptoms in hindi
6. कार्बोहाइड्रेट की कमी से होने वाली बीमारियाँ – carbohydrate deficiency diseases in hindi
7. कार्बोहाइड्रेट आहार – Carbohydrate diet in hindi
8. कार्बोहाइड्रेट की कितनी मात्रा खानी चाहिए – how many carbs should i eat in hindi
9. कार्बोहाइड्रेट के फायदे – Carbohydrate benefits in hindi
10. कार्बोहाइड्रेट के नुकसान – Carbohydrate side effect in hindi
कार्बोहाइड्रेट प्रकृति में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाला कार्बनिक पदार्थ हैं, और सभी जीवित वस्तुओं का एक आवश्यक घटक हैं। कार्बोहाइड्रेट, जिसे सैकेराइड्स या कार्ब्स के रूप में भी जाना जाता है, शर्करा या स्टार्च होते हैं। हरे पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है। कार्बोहाइड्रेट सभी जीवों और आवश्यक ऊर्जा स्रोतों के संरचनात्मक घटकों के रूप में कार्य करते हैं, इसके अलावा आनुवंशिक जानकारी युक्त न्यूक्लिक एसिड की संरचना का मुख्य भाग भी कार्बोहाइड्रेट होते हैं। कार्बोहाइड्रेट या सैकेराइड का सामान्य सूत्र Cx (H2O)y होता है।
किसी व्यक्ति के द्वारा उपभोग किए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट आहार का एंजाइमों द्वारा पाचन होने पर कार्बोहाइड्रेट, मोनोसैकराइड्स (ग्लूकोज, फ्रुक्टोज आदि) में टूट जाते हैं और आंत द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। रक्त में उपस्थित ग्लूकोज का उपयोग ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाता है। इसके बाद अतिरिक्त ग्लूकोज को लीवर के माध्यम से भंडारण के लिए ग्लाइकोजन में बदल दिया जाता है। अतः भविष्य में जब कभी ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ग्लाइकोजन टूटकर ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है। कार्बोहाइड्रेट के उच्च खाद्य पदार्थों में रोटी, पास्ता, फलियां, आलू, चावल और अनाज आदि शामिल हैं।
कार्बोहाइड्रेट को मुख्य रूप से 3 भागों में बांटा गया है। इनमें मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड और पॉलीसैकेराइड शामिल हैं।
मोनोसैकेराइड (Monosaccharides) – मोनोसैकेराइड केवल एक पॉलीहाइड्रोक्सी एल्डिहाइडिक (polyhydroxy aldehydeidic) या पॉलीहाइड्रोक्सी कीटोनिक (polyhydroxy ketonic) यूनिट द्वारा बने होते है। ग्लूकोज, गैलेक्टोज (galactose) या फ्रुक्टोज प्रमुख मोनोसैकेराइड हैं। सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाला मोनोसैकेराइड डी-ग्लूकोज है, जिसे डेक्सट्रोज (dextrose) भी कहा जाता है। ग्लूकोज कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। गैलेक्टोज, दूध और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है और फ्रुक्टोज, ज्यादातर सब्जियों और फलों में आसानी से उपलब्ध होता है।
डाइसैकेराइड (Disaccharides) – डाइसैकेराइड के एक अणु में दो मोनोसैकेराइड यूनिट पाई जाती हैं। लैक्टोज, माल्टोस और सुक्रोज प्रमुख डाइसैकेराइड के उदाहरण हैं। एक गैलेक्टोज और एक ग्लूकोज अणु आपस में जुड़कर लैक्टोज का उत्पादन करते हैं। लैक्टोज आमतौर पर दूध में पाया जाता है। सुक्रोज प्राकृतिक रूप से पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से उत्पन्न होता है।
पॉलीसैकेराइड (Polysaccharides) – पॉलीसैकेराइड के विभिन्न रूप पौधों और जानवरों में खाद्य भंडार (food stores) के रूप में कार्य करते हैं। पॉलीसैकेराइड, पादप कोशिका भित्ति और कीटों के बाहरी कंकाल की संरचनात्मक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। पॉलीसैकेराइड के एक अणु में सैकड़ों या हजारों मोनोसैकेराइड की श्रृंखला होती है। ग्लाइकोजन, स्टार्च, सेल्यूलोज आदि प्रमुख पॉलीसैकेराइड हैं।
ग्लाइकोजन (Glycogen) मुख्य रूप से मनुष्यों और जानवरों के लिवर और मांसपेशियों में संग्रहीत होता है। स्टार्च के समृद्ध स्रोतों में आलू, चावल और गेहूं को शामिल किया जाता हैं। स्टार्च पानी में घुलनशील नहीं हैं। मनुष्य और जानवरों में एमिलेस एंजाइमों (amylase enzymes) का उपयोग स्टार्च के पाचन में किया जाता है। सेल्यूलोज पौधों के संरचनात्मक घटकों का प्रमुख भाग है।
सरल और जटिल कार्बोहाइड्रेट (Simple and complex carbs) – मोनोसैकेराइड और डाइसैकेराइड सरल कार्बोहाइड्रेट हैं, जबकि पॉलीसैकेराइड जटिल कार्बोहाइड्रेट होते हैं।
सरल कार्बोहाइड्रेट शर्करा (sugars) हैं। यह तीव्रता के साथ तथा कम समय तक उर्जा प्रदान करते हैं।
जटिल कार्बोहाइड्रेट में शर्करा अणुओं की एक लंबी श्रृंखला होती है। साबुत अनाज में उपस्थित फाइबर एक जटिल कार्बोहाइड्रेट हैं।
कार्बोहाइड्रेट जीवों की एक संरचनात्मक इकाई के रूप में कार्य करता है। यह प्रत्येक जीव और पोधों के बेहद जरुरी पोषक तत्व है। इसके महत्वपूर्ण कार्यों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
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कार्बोहाइड्रेट की कमी मुख्य रूप से शरीर में उर्जा स्त्रोतों (ग्लूकोस, ग्लाइकोजन) की कमी से सम्बंधित है। भोजन में कार्बोहाइड्रेट की कमी से, रक्त शर्करा और संग्रहीत ग्लाइकोजन (glycogen) का क्षय होता रहता है। तथा ग्लूकोज की उपलब्धता के अभाव में ऊर्जा उत्पादन के लिए शरीर वसा और अमीनो एसिड (प्रोटीन के मूल घटक) का उपयोग करने लगता है। जिसके परिणामस्वरूप एसिडोसिस (acidosis), किटोसिस (ketosis) और सेलुलर प्रोटीन की हानि आदि से सम्बंधित स्थितियां उत्पन्न होती है। लंबे समय तक कार्बोहाइड्रेट आहार से वंचित रहने पर गंभीर कार्बोहाइड्रेट की कमी से सम्बंधित लक्षण और रोग उत्पन्न हो सकते हैं। वजन घटाने के लिए दैनिक आहार में कार्बोहाइड्रेट सेवन को अधिक समय के लिए सीमित या बंद करने पर कार्बोहाइड्रेट की कमी से सम्बंधित लक्षण प्रगट हो सकते हैं। जठरांत्र संबंधी सर्जरी (gastrointestinal surgery) और अन्य स्थितियां भी कार्बोहाइड्रेट की कमी में अपना योगदान दे सकती हैं।
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कार्बोहाइड्रेट की कमी बहुत ही दुर्लभ है। यह अक्सर उन क्षेत्रों के व्यक्तियों को प्रभावित करती है जहाँ कार्बोहाइड्रेट आहार की कमी होती है। कार्बोहाइड्रेट की कमी अनेक प्रकार के लक्षणों को प्रगट करती है, जो कि निम्न हैं:
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कार्बोहाइड्रेट की कमी मानव शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याओं और रोगों का कारण बनती हैं, जो कि निम्न हैं:
एसिडोसिस (Acidosis) – कार्बोहाइड्रेट की कमी की स्थिति में, ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्लाइकोलिसिस (ग्लूकोज का टूटना) से लिपोलिसिस (lipolysis) और केटोजेनेसिस (ketogenesis) में परिवर्तन होता है। जिसके परिणामस्वरूप उत्पन्न कीटोएसिड उत्पादन के कारण रक्त और शरीर के अन्य ऊतकों में अम्लता बढ़ जाती है। जिससे अनियमित रूप से कोशिका में क्षति पहुँचती है।
केटोसिस (Ketosis) – लंबे समय तक कार्बोहाइड्रेट की कमी के कारण, यकृत में एसिटाइल कोएंजाइम A (acetyl coenzyme A) के द्वारा फैटी एसिड के टूटने और अमीनो एसिड के क्षरण से कीटोन बॉडी (ketone bodies) का उत्पादन होता है, जिससे कीटोसिस की स्थिति पैदा होती है।
हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycaemia) – कार्बोहाइड्रेट की गंभीर कमी के कारण ग्लूकोज की अनुपलब्धता से हाइपोग्लाइसीमिया होता है। इस स्थिति में रक्त शर्करा के स्तर में गिरावट आती है। रक्त शर्करा के 70 मिलीग्राम / डीएल से नीचे के स्तर विशिष्ट लक्षणों का कारण बनते हैं।
कब्ज (Constipation) – फाइबर, कार्बोहाइड्रेट भोजन का एक अनिवार्य घटक है, जो रेक्टो-कोलोन कैंसर (recto-colon cancer) को रोकने और पाचन सम्बंधित कार्यों में मदद करने के लिए अनिवार्य है। अतः आहार में फाइबर की अनुपस्थिति कब्ज का कारण बन सकती है
मूड स्विंग (Mood swing) – आहार में कार्बोहाइड्रेट की कमी व्यक्ति के मस्तिष्क को सेरोटोनिन हार्मोन (serotonin hormone) को विनियमित (regulate) करने से रोकता है। अतः सेरोटोनिन की कम आपूर्ति मूड स्विंग और अवसाद का कारण बनती है।
मनुष्यों सहित अधिकांश जीवों के लिए कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा का सबसे आम स्रोत है। कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ शरीर को विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं। अधिकांश कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों में स्टार्च और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। अतः आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों का प्रयोग कर सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट के उच्च स्त्रोत के रूप में कुछ सामान्य खाद्य पदार्थ निम्न हैं:
वयस्कों में कुल कैलोरी का लगभग 45 से 65 प्रतिशत भाग कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है। चूँकि कार्बोहाइड्रेट में प्रति ग्राम भाग में 4 कैलोरी होती है, अतः व्यक्ति को 2000 कैलोरी आहार का सेवन करने के लिए दैनिक आधार पर 225 से 325 ग्राम कार्बोहाइड्रेट का उपभोग करना चाहिए।
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कार्बोहाइड्रेट एक आवश्यक पोषक आहार है, जो प्रत्येक जीव के विकास और शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक होता है। कार्बोहाइड्रेट अनेक प्रकार से फायदेमंद हो सकता है, जो कि निम्न हैं:
कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार में दो प्रकार के फाइबर उपस्थित हो सकते हैं: घुलनशील और अघुलनशील। घुलनशील फाइबर जई (oats), फलियां और फलों और कुछ सब्जियों के आंतरिक भाग में पाया जाता है। अतः इस प्रकार के आहार का सेवन करने से चयापचय को बढ़ावा मिलता है। घुलनशील फाइबर युक्त आहार को कब्ज वाले व्यक्तियों में आंत्र आंदोलनों की आवृत्ति बढ़ाने के लिए सुरक्षित माना गया है। इसके अलावा, यह मल त्याग के सम्बंधित तनाव और दर्द को कम करने में भी मदद करता है। इसके अतिरिक्त अघुलनशील फाइबर कब्ज को कम करने और मल को पाचन तंत्र के माध्यम से थोड़ी तेजी से गुजारने में मदद करता है। अघुलनशील फाइबर साबुत अनाज और फलों और सब्जियों के छिलके और बीजों में पाया जाता है। अतः पर्याप्त अघुलनशील फाइबर का सेवन करने से पाचन तंत्र के रोगों से भी बचाव हो सकता है।
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कार्बोहाइड्रेट का प्रमुख कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में से अधिकांश कार्बोहाइड्रेट, ग्लूकोज में टूट जाते हैं। रक्त के माध्यम से ग्लूकोज शरीर की विभिन्न कोशिकाओं में ले जाया जाता है जहाँ ग्लूकोज का उपयोग ATP (adenosine triphosphate) के रूप में उर्जा उत्पादन करने में होता है। अतः कोशिकाएं इस ATP का उपयोग विभिन्न प्रकार के चयापचय कार्यों में कर सकती हैं। ATP अणु का उत्पादन कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) के माध्यम से होता है। अतः कार्बोहाइड्रेट भविष्य के उर्जा स्त्रोत (ग्लाइकोजन) के रूप में भी कार्य करता है तथा उर्जा को संग्रहीत करके रखता है।
ग्लूकोज तथा ग्लाइकोजन मांसपेशियों को संरक्षित करने में अहिम भूमिका निभाते हैं। जब कार्बोहाइड्रेट आहार में कमी आती है, तो रक्त ग्लूकोज के स्तर में भी कमी हो जाती है। कार्बोहाइड्रेट की कमी की स्थिति में मानव शरीर द्वारा ग्लूकोज या अन्य यौगिकों के रूप में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए मांसपेशियों को अमीनो एसिड विघटित किया जा सकता है। अतः इस स्थिति में मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुँचता है, जिससे स्वास्थ्य में गड़बड़ी और मृत्यु के जोखिम बढ़ जाते हैं।
अतः मांसपेशियों के द्रव्यमान में होने वाली इस कमी को रोकने के लिए कार्बोहाइड्रेट का उपभोग एक प्रभावी तरीका है। कार्बोहाइड्रेट मांसपेशियों के नुकसान को कम करे शरीर के लिए ऊर्जा के रूप में ग्लूकोज प्रदान करते हैं।
अधिक फाइबर युक्त कार्बोहाइड्रेट आहार का सेवन दिल और रक्त शर्करा के स्तर के लिए फायदेमंद हो सकता है। जब घुलनशील फाइबर छोटी आंत से गुजरता है, तो यह पित्त एसिड (bile acids) को बांधता है या अवशोषित करता है। इस स्थिति में अधिक पित्त एसिड का निर्माण करने के लिए, यकृत रक्त में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल का उपयोग करता है।
अध्ययनों से पता चला है कि प्रतिदिन घुलनशील फाइबर सप्लीमेंट का सेवन “खराब” LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को 7% तक कम कर सकता है। जिससे हृदय रोग का जोखिम कम हो जाता है। प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ की अपेक्षा अत्यधिक परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन हृदय रोग और मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता हैं। फाइबर एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है जो “खराब” LDL कोलेस्ट्रॉल के कम स्तर, हृदय रोग के कम जोखिम और ग्लाइसेमिक नियंत्रण (Glycemic control) को बढ़ाता है।
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कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए उर्जा का एक प्रमुख स्त्रोत है। इसका सीमित सेवन व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक होता है। लेकिन कार्बोहाइड्रेट का आवश्यकता से अधिक सेवन स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। कार्बोहाइड्रेट का अनियमित मात्रा में सेवन अनेक प्रकार के जोखिमों को उत्पन्न कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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