Cervical Cancer in Hindi गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो सर्विक्स (ग्रीवा) को प्रभावित करता है। सर्विक्स महिलाओं के शरीर में उनके गर्भाशय और योनि के बीच का एक क्षेत्र होता है। जब सर्विक्स की कोशिकाएं बिल्कुल असामान्य हो जाती है और आसपास की कोशिकाओं को भी असामान्य बनाने लगती हैं तो सर्वाइकल कैंसर विकसित होने लगता है। अगर समय पर सर्वाइकल कैंसर का पता नहीं चल पाता है तो इस बीमारी से महिलाओं की जान भी चली जाती है। इस आर्टिकल में सर्वाइकल कैंसर क्या है इसके लक्षण, कारण, सर्वाइकल कैंसर का पता कैसे लगाएं, सर्वाइकल कैंसर का इलाज और बचाव के बारे में बताया गया है।
विषय सूची
सर्वाइकल कैंसर क्या होता है – What is cervical cancer in Hindi
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर तब होता है, जब गर्भाशय ग्रीवा (cervix) की कोशिकाएं असामान्य तरीके से वृद्धि करती हैं और शरीर के अन्य ऊतकों और अंगों को प्रभावित करती हैं। जब यह आक्रामक होता है, तो यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के गहरे ऊतकों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। यह धीरे-धीरे विकसित होता है, इसलिए इसकी प्रारंभिक पहचान करने और उपचार के माध्यम से इसकी रोकथाम करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। ज्यादातर महिलाओं को उनके गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर 30 से 40 साल की उम्र में होता है।
एक विशेष प्रकार के वायरस से सर्वाइकल कैंसर फैलता है और इस वायरस का नाम ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (human papillomavirus) है। यह वायरस विशेषरूप से सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। डॉक्टर इस वायरस से प्रभावित कोशिकाओं की जांच करके सर्वाइकल कैंसर का पता लगाते हैं। सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिसका वायरस तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे में भी फैल सकता है। सर्वाइकल कैंसर से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में महिलाएं प्रभावित होती हैं और इनमें के कई महिलाओं की इस बीमारी से मौत भी हो जाती है।
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सर्वाइकल कैंसर के लक्षण – Symptoms of cervical cancer in Hindi
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर जब अपने शुरूआती अवस्था में रहता है, तो महिलाओं में इसके लक्षणों का सही तरीके से पता नहीं चल पाता है। लेकिन समय बीतने के साथ जब कैंसर बढ़ने लगता है, तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षण आसानी से दिखने लगते हैं। कभी-कभी महिलायें सर्वाइकल कैंसर के लक्षण को अपने पीरियड चक्र, यीस्ट इंफेक्शन और यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से जोड़कर देखती हैं। सर्वाइकल कैंसर के लक्षण ये होते हैं-
- असामान्य रूप से खून आना जैसे कि मेनोपॉज होने के बाद महिला को ब्लीडिंग होना।
- सेक्स के बाद ब्लीडिंग होना, या मासिक धर्म खत्म होने के बाद उस महीने में फिर से ब्लीडिंग होना शुरू हो जाना।
- योनि से लगातार बदबूदार गाढ़ा एवं चिपचिपा तरल पदार्थ का निकलना।
- बार-बार पेशाब जाना, पेशाब करने में दर्द और जलन महसूस होना।
- पेडू में दर्द होना।
जब सर्वाइकल कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है, तो मरीज में अन्य लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं जैसे:
- पेडू में दर्द (Pelvic pain)
- पेशाब करने में परेशानी
- पैरों में सूजन आ जाना
- किडनी खराब
- हड्डियों में दर्द होना
- वजन कम हो जाना और भूख न लगना
- थकान महसूस होना।
इसलिए यदि किसी भी महिला को इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए।
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सर्वाइकल कैंसर के कारण – Causes of cervical cancer in Hindi
आमतौर पर, इस प्रकार का कैंसर तब शुरू होता है जब स्वस्थ कोशिकाएं समय के साथ आनुवंशिक परिवर्तन करती हैं, जिसके कारण वे असामान्य कोशिकाओं में बदल जाती हैं। ज्यादातर सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण होता है, इस वायरस को एचपीवी के नाम से भी जानते हैं। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में यह वायरस पहले से ही उपस्थित हो तो उसके साथ शारीरिक संबंध रखने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी यह वायरस चला जाता है। इसके अलावा जब दो शरीर एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो भी यह वायरस फैल जाता है। एचपीवी वायरस आमतौर पर कई प्रकार के होते हैं लेकिन सभी तरह के एचपीवी से सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है। एचपीवी-16 और एचपीवी-18 ही आमतौर पर कैंसर का कारण बनते हैं। एचपीवी ही जननांगों मस्सों (genital warts) के उत्पन्न कारण बनता है।
आमतौर पर देखा जाता है कि ज्यादातर वयस्क कभी न कभी एचपीवी वायरस से संक्रमित जरूर होते हैं। लेकिन इसका ऐसा जरुरी नहीं है कि जो महिलाएं एचपीवी से संक्रमित हैं उन्हें सर्वाइकल कैंसर हो। सर्वाइकल कैंसर के केस में ज्यादातर जननांगों में मस्सा होना शामिल है। इसलिए महिलाओं को नियमित तौर पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए। कैंसर का रूप धारण करने से पहले सर्वाइकल कोशिकाओं में परिवर्तन होता है, उसी का पता लगाने के लिए पैप स्मीयर टेस्ट किया जाता है। सर्वाइकल कैंसर के कारण को जानकर इसको रोका जा सकता है।
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सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक – Cervical Cancer Risk Factors in Hindi
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से संक्रमण सर्वाइकल कैंसर के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसके अलावा कुछ अन्य कारक भी इस कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं उनमें शामिल हैं:
- धूम्रपान करना
- मोटापा से ग्रस्त होना
- गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का पारिवारिक इतिहास
- फलों और सब्जियों को कम मात्रा में अपने आहार में शामिल करना
- अधिक समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करना
- एक से अधिक यौन साथी होना
- 17 वर्ष से कम उम्र में पहली बार गर्भवती होना
- क्लैमाइडिया (chlamydia)
- कम उम्र में सेक्स करने से, इत्यादि।
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सर्वाइकल कैंसर की जांच – Cervical cancer diagnosis in Hindi
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए नियमित पेल्विक जांच कराना आवश्यक होता है, जिसके लिए पैप स्मीयर टेस्ट उपयोग में लाया जाता है। अगर पैप टेस्ट में यह पता चलता है कि गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की कोशिकाओं में कोई असामान्य परिवर्तन हुआ है ,तो डॉक्टर कैंसर से प्रभावित हो रही कोशिकाओं की जाँच करने के लिए अन्य परीक्षण की मदद ले सकता हैं जिनमें शामिल हैं:
एचपीवी टेस्ट (HPV typing test) – पैप परीक्षण के समान ही एचपीवी परीक्षण में गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं के एक छोटे नमूने को लेकर परीक्षण किया जाता है। डॉक्टर पैप परीक्षण के साथ ही एचपीवी परीक्षण कर सकते हैं। उच्च जोखिम वाले एचपीवी, जैसे कि एचपीवी16 और एचपीवी18, सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं अतः इनकी पुष्टि करने के लिए इस परीक्षण की मदद ली जाती है।
यदि एचपीवी परीक्षण का रिजल्ट “पॉजिटिव” प्राप्त होता है, तो इसका मतलब है कि सम्बंधित महिला में एचपीवी उपस्थिति है। चूँकि अनेक महिलाएं एचपीवी पॉजिटिव होती हैं, लेकिन उन्हें सर्वाइकल कैंसर नहीं होता है। इसलिए केवल एचपीवी परीक्षण की मदद से सर्वाइकल कैंसर का निदान नहीं किया जा सकता है।
कोल्पोस्कोपी (colposcopy) – गर्भाशय ग्रीवा के असामान्य क्षेत्रों की जांच करने के लिए डॉक्टर कोल्पोस्कोपी कर सकता है। इसके अलावा बायोप्सी के दौरान भी कोल्पोस्कोपी की मदद ली जा सकती है। कोल्पोस्कोपी के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा और योनि की कोशिकाओं और ऊतकों का बड़ा आवर्धित दृश्य दिखाई देता है। इस परीक्षण का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है।
बायोप्सी – बायोप्सी की मदद से कैंसर के मौजूद होने का सटीक निदान किया जा सकता है। इसके अलावा बायोप्सी के दौरान कैंसर कोशिकाओं को हटाया भी जा सकता है। यदि सर्वाइकल कैंसर मौजूद होता है तो ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर के विस्तार का पता लगाने के लिए अतिरिक्त परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
इमेजिंग परीक्षण – एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई और पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (positron emission tomography)।
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सर्वाइकल कैंसर का इलाज – Treatment for cervical cancer in Hindi
सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आपका कैंसर किस चरण में पहुंच चुका है और जब सर्वाइकल कैंसर का पता चला था, तब यह किस स्टेज में था। सर्जरी के अलावा रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी आदि का उपयोग सामान्य रूप से सर्वाइकल कैंसर का इलाज करने के लिए किया जाता है।
सर्जरी (Surgery) – सर्जरी में कभी-कभी डॉक्टर केवल गर्भाशय ग्रीवा के उस क्षेत्र को हटा सकते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं। यदि कैंसर अधिक फ़ैल गया है तो सर्जरी के दौरान गर्भाशय ग्रीवा (cervix) और अन्य अंगों को भी निकाला जा सकता है। यदि सर्वाइकल कैंसर से किसी महिला को बचाने के लिए उसका गर्भाशय निकालना पड़े तो उसे भी निकाला जा सकता है। हालांकि गर्भाशय को निकालने की जरूरत हमेशा नहीं पड़ती है।
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विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy) – रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटॉन जैसे उच्च ऊर्जा बीम का उपयोग किया जाता है। इसे ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए या सर्जरी के बाद किसी भी कैंसर सेल को मारने के लिए या सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी के साथ इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। रेडिएशन थेरेपी निम्नलिखित तरीकों से दी जा सकती है:
- बाहरी रूप से शरीर के प्रभावित क्षेत्र पर विकिरण किरण को निर्देशित करने के माध्यम से।
- आंतरिक रूप से कुछ मिनटों के लिए एक महिला की योनि के अंदर रेडियोधर्मी सामग्री से भरा एक उपकरण रखकर।
कीमोथेरपी (Chemotherapy) – कीमोथेरेपी के तहत पूरे शरीर में कहीं भी उपस्थित कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। डॉक्टर इस इलाज साइकिल के रूप में जारी रखा जाता है। आपको कुछ समय के लिए कीमोथेरेपी दी जायेगी और फिर शरीर को ठीक होने का समय देने के लिए उपचार बंद कर दिया जाता है।
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सर्वाइकल कैंसर से बचाव – Cervical Cancer Prevention in Hindi
26 वर्ष के बाद महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एचपीवी वैक्सीन लेना चाहिए, जिससे आपके शरीर में एचपीवी नहीं फैलता है और आप सर्वाकल कैंसर के एचपीवी जोखिम से जीवनभर सुरक्षित रहेंगी। किसी व्यक्ति के यौन सक्रिय होने से पहले टीकाकरण किया जाना सबसे अधिक प्रभावी होता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर असुरक्षित यौन संबंध बनाने से फैलता है इसलिए सेक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए और अलग-अलग व्यक्तियों के साथ सेक्स करने से बचना चाहिए।
सर्वाइकल कैंसर से बचने का एक आसान उपाय पैप टेस्ट भी है। अगर आप नियमित रूप से अपना पैप टेस्ट करवाती हैं तो आप पूरी तरह से इस बीमारी से बच सकती हैं।
धूम्रपान न करें।
यदि आपके पास कोई चिंता या प्रश्न है, तो आप एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ से परामर्श कर सकतीं हैं और अपने सवालों के जवाब पा सकतीं हैं।
जानें सर्वाइकल कैंसर कैसे होता है, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव (Cervical Cancer in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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