Cesarean Delivery in Hindi सिजेरियन डिलीवरी (जिसे सिजेरियन सेक्शन या सी-सेक्शन डिलीवरी भी कहा जाता है) में मां के एब्डोमेन (पेट) और गर्भाशय (गर्भ) के माध्यम से चीरा लगा कर बच्चे की सर्जिकल डिलीवरी करायी जाती है। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब यह सुनिशिचित हो जाये की माँ और बच्चे दोनों के लिए योनि प्रसव से अधिक सुरक्षित तरीका सिजेरियन डिलीवरी का है। सिजेरियन डिलीवरी में, माँ के पेट के निचले हिस्से में त्वचा पर और एक चीरा (कट) गर्भाशय में लगाया जाता है। परन्तु सिजेरियन डिलीवरी का तरीका तभी अपनाया जाता है जब माँ को बच्चा पैदा करने में कुछ जटिलताएं हो रही हो या माँ और बच्चे में से किसी की जान को जोखिम हो।
लेकिन आजकल भारत में सिजेरियन डिलीवरी करवाना आम बात हो गयी है कई महिलाएं नार्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द से बचने के लिए भी सिजेरियन डिलीवरी का रास्ता अपनाती है, परन्तु ऐसा करना भविष्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। आज इस लेख में हम जानेंगे की सिजेरियन डिलीवरी क्या है, सी-सेक्शन डिलीवरी करने के क्या कारण होते है, इसके जोखिम क्या है, सिजेरियन डिलीवरी कैसे की जाती है और इसकी रिकवरी में कितना समय लगता है।
विषय सूची
ऑपरेशन से प्रसव या सिजेरियन डिलीवरी (जिसे सी-सेक्शन या सिजेरियन सेक्शन के रूप में भी जाना जाता है) एक तरह की सर्जिकल डिलीवरी है जिसमे मां के पेट और गर्भाशय में चीरा लगा कर बच्चे को पैदा किया जाता है। सिजेरियन डिलीवरी (सी-सेक्शन) आमतौर पर गर्भावस्था के 39 सप्ताह से पहले होती है ताकि बच्चे को गर्भ में विकसित होने का उचित समय मिल पाए है। हालांकि कभी-कभी, जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं और 39 सप्ताह से पहले ही सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ती है।
कुछ महिलाएं ऐच्छिक रूप से भी सी-सेक्शन, या मातृ-अनुरोध (CDMR) सी-सेक्शन का चयन करती है। हालांकि, अधिकांश सी-सेक्शन तब होते हैं जब योनि प्रसव से मां या बच्चे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचने की संभावना होती है।
(और पढ़ें – सिजेरियन डिलीवरी के बाद जल्दी ठीक होने के बेहतर तरीके)
सिजेरियन डिलीवरी (सी सेक्शन) की आवश्यकता कुछ चिकित्सकीय कारणों की वजह से पड़ती है, जिनमे शामिल है-
कई महिलाएं अपनी इच्छा से भी सिजेरियन डिलीवरी का तरीका चुनती है जिसे CDMR कहा जाता है, जिसके मुख्य कारण होते है-
सिजेरियन प्रसव (सी सेक्शन) वैसे तो दुनिया भर में एक सामान्य डिलीवरी प्रकार बन गयी है, लेकिन यह एक ऐसी प्रमुख सर्जरी है जिसमे माँ और बच्चे दोनों के लिए जोखिम पैदा हो सकते है। इसलिए प्राकृतिक प्रसव ही सबसे कम जोखिम और जटिलताओं के लिए पसंदीदा तरीका है। सिजेरियन डिलीवरी के जोखिमों में शामिल हैं-
(और पढ़ें – जानबूझकर सिजेरियन डिलीवरी कराने से पहले इन 3 बातों को जान लें)
सिजेरियन डिलीवरी (सी सेक्शन) से तीन चार दिन पहले आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है।
सर्जरी से पहले, आपका पेट साफ किया जाता है और आपके हाथ में अंतःशिरा (IV) तरल पदार्थ (intravenous (IV) fluids) देने की तैयारी की जाती है। इससे डॉक्टरों को तरल पदार्थ और किसी भी प्रकार की दवाईयां देने में आसानी होती है। सर्जरी के दौरान अपने मूत्राशय को खाली रखने के लिए आपके पास एक कैथेटर रखा जाता है।
गर्भवती महिलाओं को सिजेरियन प्रसव कराने के लिए तीन प्रकार के एनेस्थीसिया दिए जाते हैं-
रीढ़ की हड्डी का ब्लॉक (
spinal block)- यह एनेस्थीसिया (anesthesia) आपकी रीढ़ की हड्डी को घेरी हुई थैली में सीधे इंजेक्ट किया जाता है, इस प्रकार आपके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाता है।एपिड्यूरल (epidural)- यह एनेस्थीसिया (anesthesia) योनि प्रसव और सिजेरियन प्रसव दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसको रीढ़ की हड्डी के थैली के बाहर आपकी पीठ के निचले हिस्से में इंजेक्ट किया जाता है।
सामान्य एनेस्थीसिया (general anesthesia)- इस एनेस्थीसिया से आपको दर्द रहित नींद आ जाती है, और आमतौर पर यह एनेस्थीसिया आपातकालीन स्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है।
जब आपको ठीक से दवा दे दी जाती है और सुन्न कर दिया जाता है, उसके बाद आपका डॉक्टर जघन हेयरलाइन (pubic hairline) के ठीक ऊपर एक चीरा लगा देता है। उसके बाद जब आपके पेट में चीरा लगाया जाता है और गर्भाशय दिखाई देने लगता है, तब आपका डॉक्टर गर्भाशय में एक चीरा लगा देता है। इस क्षेत्र को प्रक्रिया के दौरान कवर किया जाता है ताकि आप प्रक्रिया को देख न सकें।
दूसरा चीरा लगने के बाद आपका बच्चा आपके गर्भाशय से निकाल दिया जाता है। आपका डॉक्टर पहले आपके बच्चे की नाक साफ करता है और बच्चे के मुंह के अंदर के तरल पदार्थ को बाहर निकालते है उसके बाद क्लीम्पिंग करके गर्भनाल को काट देते है और फिर बच्चे का उपचार करते है। फिर आपके बच्चे को अस्पताल के कर्मचारियों को दिया जाता है और वे सुनिश्चित करते है की आपका बच्चा सामान्य रूप से सांस ले रहा है या नहीं और फिर आपके बच्चे को आपकी बाहों में रखने के लिए तैयार करते है।
और यदि आपने तय कर लिया है की आप और अधिक बच्चे नहीं चाहते हैं, और आपने सहमति फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, तो डॉक्टर उसी समय में आपकी ट्यूब (a tubal ligation) को बाँध देते हैं।
आपका डॉक्टर आपके गर्भाशय को घुलने वाले टांकों से बंद कर देगा और आपके पेट के चीरे को भी टांके लगा कर बंद कर देगा।
यदि सिजेरियन डिलीवरी (सी सेक्शन) के बाद आपको किसी प्रकार के संक्रामण या जटिलताओं के लक्षण दिखाई दे तो अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता (healthcare provider) से संपर्क करें।
सिजेरियन डिलीवरी के बाद के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं-
ऑपरेशन से डिलीवरी (सी सेक्शन) के बाद आपको भविष्य में कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जिनमे शामिल है-
सिजेरियन डिलीवरी के बाद विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन
सी-सेक्शन या ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद महिला और उसके शिशु को 2 से 4 दिनों तक अस्पताल में रहने की जरुरत होती है।
नई माँ को चीरा लगने वाली जगह पर दर्द, ऐंठन, और 4-6 सप्ताह तक थक्के के साथ या बिना थक्के के रक्तस्राव का अनुभव होने की संभावना रहती है। इन लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग महिलाओं के लिए अलग-अलग होती है, लेकिन समय बीतने के साथ ही इसमें काफी जल्दी सुधार होने लगता है। अगर ऑपरेशन के बाद के लक्षण उम्मीद से अधिक समय तक जारी रहें, तो डॉक्टर के पास जाएँ, डॉक्टर आपकी रिकवरी की जांच करेंगे।
हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स घर लौटने पर शारीरिक गतिविधि को प्रतिबंधित करने को कहेंगे। जब तक कोई डॉक्टर यह नहीं कहता है कि आप सामान्य गतिविधि फिर से शुरू कर सकती है तब तक ऐसा करना सुरक्षित नहीं होगा, क्योकि आमतौर पर सर्जरी के 4-6 सप्ताह बाद भी डॉक्टर आपको नियमित रूप से सलाह देते हैं कि आप किसी प्रकार का ज़ोरदार व्यायाम करने से बचें, भारी वस्तुओं को ना उठाएं, योनि में कुछ भी डालने या सेक्स करने से भी बचें।
ऑपरेशन से डिलीवरी के बाद रिकवरी अवधि के दौरान, महिलाएं कुछ निम्न उपाय अपना सकती है, जैसे-
(और पढ़ें – सी सेक्शन डिलीवरी के बाद जल्दी ठीक होने के बेहतर तरीके)
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