एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome in Hindi) जिसे आम भाषा में चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। इन दिनों भारत के कुछ राज्यों में इस चमकी बुखार का कहर बरस रहा है और इससे बहुत सारे बच्चों की मौत भी हो चुकी है। जानें चमकी बुखार के लक्षण, इसके फैलने का कारण, लीची कनेक्शन और बीमारी से बचाव के बारे में सबकुछ। यह एक तरह का दिमागी बुखार होता है जो ज़्यादातर छोटे बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है। आजकल सब यही जानना चाह रहे है की आखिर ये चमकी बुखार होता क्या है इसके क्या लक्षण होते है और यह किस वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है जो छोटे छोटे बच्चों के लिए इतना जानलेवा साबित हो रहा है।
चलिए आज इस लेख में हम जानेंगे की आखिर ये चमकी बुखार यानि एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम क्या है और इसके क्या लक्षण और कारण होते है साथ ही जानते है इसकी जांच और इलाज के तरीके और इससे बचाव के उपाय के बारे में।
एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन कर उभर रहा है। यह बुखार की तीव्र शुरुआत होती और इसमें मानसिक स्थिति जैसे (मानसिक भ्रम, भटकाव या कोमा) की स्थिति उत्पन्न होती है और यह बीमारी किसी भी समय किसी भी उम्र के व्यक्ति में उत्पन्न हो सकती है। यह बीमारी बच्चों और युवा वयस्कों को सबसे अधिक प्रभावित करती है जो जानलेवा भी साबित हो सकती है।
एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) की बीमारी के मामलों में वायरस ही इसके मुख्य प्रेरक एजेंट होते हैं, हालांकि अन्य स्रोत जैसे बैक्टीरिया, फंगस, पैरासाइट, स्पाइरोकेट्स (spirochetes), रसायन, विषाक्त पदार्थ और गैर-संक्रामक एजेंट (noninfectious agents) भी इस बुखार की वजह निकल कर आई हैं।
(और पढ़े – ऐसे दूर रहें वायरल फीवर से…)
चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) ज्यादातर बच्चों और युवा वयस्कों में पाया जाता है। यह बुखार व्यक्ति के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) को प्रभावित करता है। यह समस्या तेज बुखार के साथ शुरू होती है, फिर मानसिक भटकाव (mental disorientation), जब्ती (seizure), भ्रम (confusion), प्रलाप (delirium) और कोमा के कारण न्यूरोलोजिकल कार्यों को बाधित करती है। भारत में इस बीमारी का प्रकोप आमतौर पर मानसून में (जून-अक्टूबर) के दौरान पाया जाता है। लेकिन भारत के बिहार में अप्रैल-जून के दौरान भी इस बीमारी की घटनाओं की सूचना पाई गयी है।
(और पढ़े – भूलने की बीमारी के लक्षण कारण जांच इलाज और उपचार…)
एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) एक बहुत ही जटिल बीमारी है। इसके कई कारण होते है जैसे वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ, फंगस और गैर-संक्रामक एजेंट भी हो सकते है। जबकि जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस (जेईवी) को भारत में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम का एक प्रमुख कारण माना गया है (इसके आंकड़े है 5-35% तक)। भारत में 2018 के दौरान, AES बुखार के 15% मामले जेईवी के कारण संक्रमित व्यक्ति में सकारात्मक पाए गए है। हालांकि कई मामलों में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम का कारण चिकित्सकीय रूप से अभी तक ज्ञात नहीं हो पाया है।
हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस, इन्फ्लुएंजा ए वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, मम्प्स, खसरा, डेंगू, परवोवायरस बी 4, एंटरोवायरस और स्क्रब टाइफस, एस.न्युमोनिया, भी भारत में थोड़ा बहुत बीमारी फैलाने के मामलों में AES के अन्य कारण हो सकते हैं। टिक-जनित एन्सेफलाइटिस वायरस टीबीईवी, जीका वायरस, निपाह वायरस भी एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के मामलों में सकारात्मक पाए गए हैं। भारत के मुजफ्फरपुर, बिहार और आसपास के लीची उत्पादक जिलों में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के ज्यादातर मामले अप्रैल से जून के दौरान देखे गए हैं, विशेषकर उन बच्चों में, जो लीची के बाग में या उसके आसपास के इलाकों में गए हों। 2014 में, नेशनल सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल, दिल्ली (सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल यूएस) ने ही भारत में बच्चों में तीव्र इन्सेफेलाइटिस का कारण लीची को बताया था।
(और पढ़े – जिका वायरस क्या होता है, कारण, लक्षण, इलाज और बचने के उपाय…)
नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) के अनुसार, 2018 में 17 राज्यों में 10,485 एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) के मामले सामने आये है जिनमें 632 लोगों की मौते हुई है। भारत में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की वजह से यह मृत्यु दर 6 प्रतिशत है, लेकिन बच्चों के बीच मृत्यु दर 25 प्रतिशत तक बढ़ी है। भारत में बिहार, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, तमिलनाडु, कर्नाटक और त्रिपुरा इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
यह रोग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (central nervous system) को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और गंभीर जटिलताओं, दौरे और यहां तक कि मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इस बीमारी का केस फैटलिटी रेट (Case Fatality Rate) (सीएफआर) बहुत अधिक है और जो पीड़ित इस बीमारी से बच जाते हैं वे विभिन्न तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। इस रोग से अनुमानित 25% प्रभावित बच्चों की मृत्यु हो जाती हैं, और जो जीवित रहते हैं, उनमें से लगभग 30- 40% पीड़ित शारीरिक और मानसिक हानि से पीड़ित हो जाते हैं।
(और पढ़े – मानसिक रोग के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव…)
भारत में नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम ने जापानी इन्सेफेलाइटिस (JEV) का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही सेंटिनल साइटों के माध्यम से एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की जांच के लिए देशव्यापी निगरानी की स्थापना की है। एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम और जेई का निदान lgM कैप्चर एलिसा टेस्ट द्वारा किया जाता है, और वायरस का आइसोलेशन राष्ट्रीय संदर्भ प्रयोगशाला (National Reference Laboratory) में किया जाता है।
अगर नीचे दिए गए किसी भी निम्न बिंदु आपके प्रयोगशाला परिणाम में मिलते है यह गंभीर हो सकता है, इसमें शामिल है-
(और पढ़े – कालाजार (काला ज्वर) होने के कारण, लक्षण, इलाज एवं बचाव…)
एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम का इलाज अनिवार्य रूप से इसके लक्षणों पर निर्भर है। चमकी बुखार का इलाज करने के लिए सबसे पहले प्रारंभिक चेतावनी संकेतों की पहचान करना बहुत जरुरी है और रोगी को उच्च स्वास्थ्य सुविधा के लिए सही डॉक्टर के पास भेजना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
निम्नलिखित में से किसी एक के साथ बुखार आना जैसे सुस्ती / बेहोशी / आक्षेप
(और पढ़े – बुखार कम करने के घरेलू उपाय…)
चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि वायरस के संपर्क से बचने के लिए सावधानी बरती जाए जो इस बीमारी का कारण बन सकती है, जैसे-
साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह से धोएं, खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले।
(और पढ़े – हाथ धोने का सही तरीका और फायदे…)
टेबलवेयर और पेय पदार्थों को साझा करने से बचें।
ध्यान दें की वह अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें और घर और स्कूल कहीं पर भी बर्तन साझा करने से बचें।
समय समय पर अपने और अपने बच्चों का टीकाकरण करवाएं। और जिस जगह यह बीमारी फैली हो उस जगह यात्रा करने से पहले, अपने डॉक्टर से विभिन्न जगहों के हिसाब से अनुशंसित (recommended) टीकाकरण के बारे में बात करें।
मच्छरों और टिक के खिलाफ अपने जोखिम को कम करने के लिए यह बचाव कर सकते है-
इन सभी उपायों को अपनाकर आप अपने और अपने परिवार का बचाव चमकी बुखार (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) जैसी गंभीर बीमारी से कर सकते है।
(और पढ़े – जानिए, बच्चे को कौन सा टीका कब लगवाना चाहिए…)
इसी तरह की अन्य जानकरी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। और आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…