Chandra Namaskar In Hindi सूर्य नमस्कार योग की तरह ही चन्द्र नमस्कार भी बहुत महत्वपूर्ण योग हैं। चन्द्र नमस्कार हमारे शरीर को शीतल रखने वाला एक योग हैं। योग अभ्यास हमारे जीवन में संतुलन बनाने के लिए, विरोधियों की शक्ति का निरीक्षण करने में सहायक होता है। कई पारंपरिक संस्कृतियां चन्द्रमा को प्रकृति में दैवीय स्त्री बल की अभिव्यक्ति के रूप में प्रकट करती हैं। हट योग के अनुसार यह बल हमारे अन्दर ही रहता हैं। सौर ऊर्जा गर्म, सक्रिय और बाहरी रूप से उन्मुख हैं, जबकि चन्द्र ऊर्जा शांत, ग्रहणशील और आतंरिक रूप से केन्द्रित हैं। चंद्रमा सौंदर्य और आकर्षण का प्रतीक है। आकर्षण किसी बच्चे, एक खूबसूरत लड़की या फूलों में हो सकता है, और सौंदर्य हमेशा मनुष्य को आकर्षित करता है। यह महिलाओं की प्रतिकृति है जिसमें प्रेम, उत्तेजना, मुलायम आकर्षण सबकुछ शामिल है। सौंदर्य सम्मोहन का आधार है। आइये जानते हैं चंद्र नमस्कार के फायदे और करने का तरीका के बारे में।
विषय सूची
1. चंद्र नमस्कार क्या हैं – What is Chandra namaskar in Hindi
2. चंद्र नमस्कार करने का सही समय – Right time to do Chandra namaskar in Hindi
3. चंद्र नमस्कर करने के तरीके – Steps to do Chandra namaskar in Hindi
4. चंद्र नमस्कार के लाभ – Benefits Of Chandra Namaskar in Hindi
चन्द्र नमस्कार का अभ्यास सूर्य नमस्कार का ही एक प्रतिबिम्ब हैं। चंद्रमा के पास स्वयं का प्रकाश नहीं है बल्कि सूर्य की रोशनी को दर्शाता है। यह अभ्यास सूर्य नमस्कार का से विपरीत हैं सूर्य नमस्कार से हमारे शरीर को गर्मी मिलती हैं जबकि चन्द्र नमस्कार से शीतलता प्राप्त होती हैं। सूर्य नमस्कार का एक सुखद धर्मभगिनी अनुक्रम है जिसे चंद्र नमस्कार या चंद्रमा अभिवादन के नाम से जाना जाता है। चन्द्र नमस्कार एक शांत अभ्यास हैं, यह पुरषों और महिलाओं दोनों के लिए लाभदायक हैं। यह थकान को कम करने का एक अच्छा योग अभ्यास हैं। आइये चन्द्र नमस्कार को करने की तरीके और इससे होने वाले लाभ को विस्तार से जानते हैं।
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रात में चंद्र नमस्कार का सबसे अच्छा अभ्यास किया जाता है, खासकर जब चंद्रमा दिखाई देता है। रात में अभ्यास करते समय, सुनिश्चित करें कि पेट खाली है।
चंद्र नमस्कर की 12 मुद्रा होती हैं पर कही कही इसे 14 भी माना जाता हैं। चंद्र नमस्कार के अभ्यास के लिए आपको इसकी सभी मुद्राओं का अभ्यास करना आवश्यक होता हैं। आइये इस अभ्यास को करने के लिए हम सभी मुद्रओं को विस्तार से जानते हैं।
प्रणामासन करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछाकर उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास में रखने और गर्दन को सीधा रखें। अब आगे की ओर देखें और अपने दोनों हाथों को जोड़ें। हथेलियों को अपनी छाती पर केंद्र में लाएं और प्रार्थना की मुद्रा बनाएं। अपने शरीर को आराम की स्थिति में रखें। ध्यान दें अगर आपकी जांघ आपस में रगड़ रही हैं तो अपने पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनायें। यह आसन पीठ के नीचे के दर्द को कम करने में मदद करता हैं।
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प्रणामासन करने के बाद हस्त उत्तानासन करने के लिए साँस को अन्दर की ओर लें और अपने दोनों हाथों धीरे-धीरे ऊपर की ओर लें। सिर के ऊपर अपने हाथों को जोड़े रखें। अब अपने हाथों के साथ पीछे की ओर झुकें। अगर पीछे झुकाते समय आपको हाथों को पीछे करने में कठिनाई होती हैं तो अपने हाथों को सीधा रख सकते हैं।
इस आसन को करने के लिए आप हस्त उत्तानासन से बाहर आयें और सीधे खड़े हो जाएं। अब उत्तानासन करने के लिए अपनी कमर के यहाँ से आगे की ओर झुकें, दोनों पैरों को सीधा रखें। अपने दोनों हाथों से जमीन को छूने का प्रयास करें और हथेलियों को जमीन पर रखें। अपने सिर को घुटनों से लगाएं। ध्यान रखें कि अगर आपके पीठ में समस्या हैं और नीचे जमीन पर हाथ को रखने में कठिनाई होती हैं तो आप उनको जमीन को छूने के एंगल्स में रखें।
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उत्तानासन से वापस आयें और सीधे खड़े हों जाएं, उसके बाद अपने बाएं पैर को आगे बढ़ाएं और घुटने के यहाँ से मोड़े फिर धीरे-धीरे जमीन पर बैठ जाएं, अपने दाएं पैर को पीछे की ओर रखें जिसमे आपका घुटना और पैर की उंगलियां फर्श को छुएं। अपने दोनों हाथों को सिर से ऊपर करें और दोनों को जोड़ लें। अब अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान रखें की अपने बाएं पैर के घुटने पर 90 डिग्री का कोण बनना चाहिए।
इस आसन को करने के लिए भी अर्ध चंद्रासन के जिसे ही करना हैं, बस इसमें थोड़ा फर्क हैं की इसमें आपके दोनों हाथ जमीन की ओर रहेंगे और केवल दोनों हाथों की उंगलियां जमीन को स्पर्स करेगी। और दायं पर पीछे की ओर जमीन पर सीधा रहेगा। अश्व संचालन आसन में आपकी स्थिति घोड़े के चलने जैसे दिखाई देती हैं।
पर्वतासन करने के लिए आप अश्व संचालन से वापस आयें और सीधे खड़े हो जायं। अब इसके बाद आगे की ओर झुके, अपने ऊपर के शरीर को सीधा रखनें और केवल अपनी कमर के यहाँ से मुड़ें। अपने दोनों हाथों के जमीन पर रखें। अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा पीछे करके एक पहाड़ की तरह स्थिति बनाए। ध्यान रखें की आपके दोनों पैर पूरी तरह से सीधे रहें और ऊपर का धड भी सीधा रखें। केवल शरीर को कमर के यहाँ से मोड़ें। अगर आपको इस आसन को करने में कोई कठिनाई होती हैं तो आप घुटनों को थोड़ा झुका सकते हैं।
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इस आसन को करने की लिए आप आपने घुटने टेक के बैठ जाएं, फिर आगे की ओर अपने दोनों हाथों को फर्श पर रखें और आगे की ओर झुकें। अपने सिर को सीधा करके फर्श पर रखें। अपने दोनों हाथों को कन्धों के पास जमीन पर रखें। अपने कूल्हों और पैर की पिंडली को ऊपर रखें। और अपनी छाती, घुटनों और पैरों की उंगलियों को जमीन पर रखें।
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इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले किसी आसन पर अपने पेट के बल लेट जाएं, अपने पैरों के सीधा रखें। अब अपने दोनों हाथों को कन्धों से थोड़े आगे की ओर फर्श पर रखें। अपने हाथों पर जोर डालते हुयें अपने शरीर के आगे के भाग को यानि छाती को ऊपर उठायें। ध्यान रखें की अपने कमर से नीचे का हिस्सा जमीन से ऊपर ना उठे।
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इसके बाद ऊपर दिए योग को विपरीत क्रम में करके इस चन्द्र नमस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता हैं । आइये इसेक विपरीत क्रम को देखते हैं।
पर्वतासन करने के लिए आप सीधे खड़े हो जायं। अब इसके बाद आगे की ओर झुके, अपने ऊपर के शरीर को सीधा रखनें और केवल अपनी कमर के यहाँ से मुड़ें। अपने दोनों हाथों के जमीन पर रखें। अपने दोनों पैरों को थोड़ा सा पीछे करके एक पहाड़ की तरह स्थिति बनाए। ध्यान रखें की आपके दोनों पैर पूरी तरह से सीधे रहें और ऊपर का धड भी सीधा रखें। केवल शरीर को कमर के यहाँ से मोड़ें। अगर आपको इस आसन को करने में कोई कठिनाई होती हैं तो आप घुटनों को थोड़ा झुका सकते हैं।
इस आसन को करने के लिए अर्ध चंद्रासन के जिसे ही करना हैं, बस इसमें थोड़ा फर्क हैं की इसमें आपके दोनों हाथ जमीन की ओर रहेंगे और केवल दोनों हाथों की उंगलियां जमीन को स्पर्स करेगी। और दायं पर पीछे की ओर जमीन पर सीधा रहेगा। अश्व संचालन आसन में आपकी स्थिति घोड़े के चलने जैसे दिखाई देती हैं।
इसके लिए सीधे खड़े हों जाएं और उसके बाद अपने बाएं पैर को आगे बढ़ाएं और घुटने के यहाँ से मोड़े फिर धीरे-धीरे जमीन पर बैठ जाएं, अपने दाएं पैर को पीछे की ओर रखें जिसमे आपका घुटना और पैर की उंगलियां फर्श को छुएं। अपने दोनों हाथों को सिर से ऊपर करें और दोनों को जोड़ लें। अब अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान रखें की अपने बाएं पैर के घुटने पर 90 डिग्री का कोण बनना चाहिए।
इस आसन को करने के लिए आप सीधे खड़े हो जाएं। अब उत्तानासन करने के लिए अपनी कमर के यहाँ से आगे की ओर झुकें, दोनों पैरों को सीधा रखें। अपने दोनों हाथों से जमीन को छूने का प्रयास करें और हथेलियों को जमीन पर रखें। अपने सिर को घुटनों से लगाएं। ध्यान रखें कि अगर आपके पीठ में समस्या हैं और नीचे जमीन पर हाथ को रखने में कठिनाई होती हैं तो आप उनको जमीन को छूने के एंगल्स में रखें।
उत्तानासन करने के लिए साँस को अन्दर की ओर लें और अपने दोनों हाथों धीरे-धीरे ऊपर की ओर लें। सिर के ऊपर अपने हाथों को जोड़े रखें। अब अपने हाथों के साथ पीछे की ओर झुकें। अगर पीछे झुकाते समय आपको हाथों को पीछे करने में कठिनाई होती हैं तो अपने हाथों को सीधा रख सकते हैं।
प्रणामासन करने के लिए आप सबसे पहले एक चटाई को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास में रखने और गर्दन को सीधा रखें। अब आगे की ओर देखें और अपने दोनों हाथों को जोड़ें। हथेलियों को अपनी छाती पर केंद्र में लाएं और प्रार्थना की मुद्रा बनाएं। अपने शरीर को आराम की स्थिति में रखें। ध्यान दें अगर आपकी जांघ आपस में रगड़ रही हैं तो अपने पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनायें। यह आसन पीठ के नीचे के दर्द को कम करने में मदद करता हैं।
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