आज के समय में नार्मल डिलीवरी होना काफी कम होता जा रहा है इसके पीछे कई कारण हो सकते है पर क्या कभी आपने सोचा है सामान्य प्रसव के बाद योनि में होने वाले बदलाव के बारे में, नॉर्मल डिलीवरी के समय वजाइना के साथ बहुत कुछ बदलाव होता है, आप जानना चाहते हैं कि क्या उम्मीद है की आपके बच्चे के जन्म के बाद योनि में क्या बदलाव हो सकता है
जरा सोचिये एक छोटी सी जगह से बच्चें का बाहर निकलना कितना मुश्किल काम होता होगा, सोचिये उस समय के बारे में कैसा हाल होता होगा योनी का इस वक्त।
सामान्य प्रसव के समय योनि का द्वार खिचकर थोडा बड़ा हो जाता है जिससे कि बच्चें को बाहर निकालने की जगह बन जाती है। इस वक्त योनि के साथ बहुत कुछ बदलाव होते है, इसमे डरने और घबराने की कोई बात नहीं हैं। सब कुछ चीजें नॉर्मल ही होती है। चलिए जानते है कि नॉर्मल डिलीवरी के वक्त योनि (वजाइना) के साथ क्या-क्या होता है (और पढ़े: जानबूझकर सिजेरियन डिलीवरी कराने से पहले इन 3 बातों को जान लें)
योनी का आकार प्रसव के समय फैलकर इतना बड़ा हो जाता है कि एक शिशु उससे बाहर निकल सकता है। जैसे-जैसे डिलीवरी के प्रोसेस शुरू होता है सर्विक्स धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है। लेबर यानि प्रसव के समय सर्विक्स 10 सेमी तक खुल जाता है। उसके बाद डॉक्टर मां को अंदर से धक्का देने को कहते हैं। और वैजाइना भी सर्विक्स के साथ इतना फैल जाता है कि बेबी के थोडी सी ताकत के साथ बाहर निकल आता है।
शिशु के जन्म के समय एस्ट्रोजन का लेबल वजाइनल एरिया में इतना अधिक होता है कि वह आसानी से जितनी ज़रूरत होती है उतना फैल जाने की क्षमता रखता है। येही एस्ट्रोजन होर्मोन माँ को प्रसव पीड़ा सहने में मदद करता है
वजाइना कितना फैलेगा ये जीन्स, बेबी का आकार, कितनी बार डिलीवरी हुआ है ,पेल्विक मसल्स के मजबूती पर निर्भर करता है।
बेबी का सर बर्थ कैनल में जाकर वजाइना के दिवार को धक्का देता है जिसके कारण पेरिनियम फट जाता है। ये प्रक्रिया इसलिए होता है क्योंकि इस जगह से बेबी को निकलना होता है। अगर पेरिनियम फटा नहीं तो शिशु के जन्म के समय डॉक्टर को इसमें कट लगाना पड़ता है इसमें एनेस्थेसिया का सहारा भी लिया जा सकता है यह आपके डॉक्टर को निर्धारित करना होता है। जिसको एपीसीओटॉमी कहते हैं। यह थोड़ी जटिल प्रक्रिया होती है जो सामान्यतः सामान्य प्रसव के दुसरे चरण का हिस्सा होता है
जब तक बच्चा बर्थ कैनल से बाहर नहीं निकलता है तब तक वजाइना जितना हो सके फैलता है। जब बच्चा बाहर निकल जाता है तब वह प्लैसेन्टा को बाहर निकलने में भी मदद करता है। एक बार डिलीवरी हो जाने के बाद वजाइना रिलैक्स हो जाता है लेकिन उसमें सूजन और जलन के जैसा अनुभव होता है जो समय के साथ ठीक हो जाता है।
शिशु के जन्म के बाद योनि को ठीक होने में कुछ समय तो लगता है। यह लगभग छह हफ्ते या इससे भी जादा का समय हो सकता है जिसमे वजाइना की जलन और सूजन पूरी तरह को ठीक हो जाती है।
सामान्य प्रसव के बाद योनि में होने वाले बदलाव के लिए खुद को तैयार करना असंभव नहीं है पर यह एक जानीमानी जटिल अप्रत्यासित प्रक्रिया होती है अन्य माताओं के अनुभवों के बारे में सुनना, बच्चे के जन्म को कम रहस्मय बनाएगा| यदि आप सामान्य प्रसव की कोई योजना बनाती है तो आवश्यकता पड़ने पर अपना मन बदलने के लिए तैयार रहें| याद रखे कि आपका लक्ष्य एक सवस्थ बच्चे को जन्म देना है और सकारात्मक अनुभव प्राप्त करना है
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