Chicken Pox Ayurvedic Treatment In Hindi छोटी माता एक संक्रामक बीमारी है, जो विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। इसलिए बच्चों के लिए छोटी माती का आयुर्वेदिक उपचार किया जाना चाहिए। इस बीमारी के चलते शरीर में बहुत अधिक खुजली और बुखार होती है। यह एक छुआछूत की बीमारी है जो रोगी के संपर्क में आने वाले लोगों में तेजी से फैलता है। छोटी माता का इलाज प्राकृतिक उपचार द्वारा आसानी से किया जा सकता है। इस आर्टिकल में आप छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानेगें। आइए जाने आप किस प्रकार इस संक्रमण से छुटकारा पा सकते हैं।
विषय सूची
1. छोटी माता रोग क्या है – What Is Chickenpox in Hindi
2. चिकन पॉक्स आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट – Chicken Pox Ayurvedic Treatment In Hindi
चिकनपॉक्स या छोटी माता जिसे वेरिसेला (varicella) भी कहा जाता है। यह समस्या सामान्य रूप से 1 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों को होती है। छोटी माता बीमारी का प्रमुख कारण वैरिकाला जोस्टर वायरस (varicella zoster virus) माना जाता है जो कि बेहद संक्रामक होता है। हालांकि इस रोग के लक्षण सामान्य रूप से 1 से 2 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में सबसे पहले चेहरे पर छोटे-छोटे फोड़े हो जाते हैं और फिर पूरे शरीर में दाने आ जाते हैं। हालांकि यह बीमारी जानलेवा नहीं होती है। लेकिन फिर भी यह मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत सी परेशानियों को जन्म दे सकती है। आइए जाने छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार क्या है।
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यहां कुछ बच्चों के अनुकूल उपचार दिए गए हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस से दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
प्राचीन समय में छोटी माता और माता बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक थी। क्योंकि उस समय छोटी माता के इलाज की अधिक जानकारी नहीं थी। लेकिन आज हम छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार एलोवेरा के माध्यम से कर सकते हैं। एलोवेरा जेल में छोटी माता के दौरान त्वचा मे आने वाली सूजन और खुजली को दूर करने की क्षमता होती है। एलोवेरा त्वचा को मॉइस्चराइज करता है साथ ही इसके एंटी-इंफ्लामेटरी गुण खुजली को शांत करने में मदद करते हैं। छोटे बच्चों में होने वाली छोटी माता का उपचार करने के लिए एलोवेरा एक अच्छा विकल्प है।
छोटी माता का इलाज करने के लिए आप ताजा एलोवेरा की पत्तियां लें और इसके अंदर मौजूद जैल को बाहर निकालें। इस जेल को किसी हवा बंद बोतल में बंद करके रख लें। इस जैल को त्वचा के चकतों पर लगाएं। आप इस जैल को फ्रिज में भी रख सकते हैं जिससे यह कुछ दिनों तक उपयोग किया जा सकता है। इस तरह से एलोवेरा का उपयोग छोटी माता के घरेलू उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
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एंटीवायरल गुणों की अच्छी मात्रा नीम के पत्तों में होती है। शायद इसलिए ही प्राचीन समय से ही छोटी माता के उपचार के लिए नीम की पत्तियों का उपयोग किया जा रहा है। नीम के जीवाणुरोधी छोटी माता के दौरान होने वाली खुजली को शांत करने में मदद करता है। इसका उपयोग करने से यह छोटी माता के घावों को सुखाने में मदद करता है। छोटी माता का उपचार करने के लिए आप 1 मठ्ठी नीम की पत्तियां लें और इन्हें पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आप अपने त्वचा घावों पर लगाएं और कुछ घंटों के लिए इसे छोड़ दें। आप नीम के पेस्ट को नहाने के पानी में भी मिला सकते हैं। नीम के पेस्ट का उपयोग दिन में 2 बार करने से आपको छोटी माता से जल्दी ही राहत मिल सकती है।
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कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए नींबू के रस का उपयोग किया जाता है। छोटी माता भी एक संक्रामक बीमारी है। नींबू के रस में विटामिन सी की अच्छी मात्रा होती है जो कि एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। नींबू के रस का उपयोग कर चिकन पॉक्स के निशान और चकतों आदि का इलाज किया सकता है। इसके लिए आपको 2 चम्मच नींबू का रस, 1 कप पानी और रूई की आवश्यकता होती है। आप नींबू के रस को पतला करने के लिए इसमें पानी मिलाएं और इस पानी को रूई की सहायता से छोटी माता के घावों में लगाएं। कुछ देर के बाद गीले कपड़े की मदद से घाव क्षेत्र को साफ करें। नियमित रूप से दिन में 2 बार इस उपचार विधि का उपयोग करने से छोटी माता के निशानों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
लेकिन नींबू के रस का उपयोग करते समय सावधानी रखें। क्योंकि कुछ लोगों की त्वचा नींबू रस के प्रति अतिसंवेदनशील होती है। यदि नींबू रस का उपयोग करने पर आपको किसी प्रकार की समस्या हो तो तुरंत ही इसे सादे पानी से धो लेना चाहिए।
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प्राकृतिक रूप से त्वचा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शहद का उपयोग किया जाता है। शहद का उपयोग त्वचा घावों और खुजली आदि को शांत करने के लिए भी किया जा सकता है। क्योंकि शहद में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। साथ ही यह त्वचा को मॉइस्चराइज रखता है जिससे त्वचा में संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है। आप एक कटोरी में थोड़ा सा प्राकृतिक शहद लें और प्रभावित क्षेत्र में शहद को लगाएं। लगभग 20 मिनिट का इंतेजार करने के बाद आप इसे पानी से धो लें या गीले कपड़े से साफ कर लें। छोटी माता के लक्षणों को कम करने के लिए आप इसे दिन में दो बार उपयोग कर सकते हैं। छोटी माता के प्रभावी उपचार के लिए शहद बहुत ही फायदेमंद होता है।
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औषधीय गुणों से भरपूर अदरक मसाले के साथ ही जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है। अदरक में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इस कारण ही अदरक का उपयोग करने से छोटी माता के घावों और निशानों को कम करने में मदद मिलती है। छोटी माता का उपचार करने के लिए आप अदरक पाउडर का उपयोग किया जा सकता है। आप 2 से 3 चम्मच अदरक पाउडर लें और इसे अपने नहाने के पानी में मिलाएं। कुछ देर के बाद रोगी को इस पानी से स्नान करना चाहिए। यह छोटी माता के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
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दलिया स्नान चिकनपॉक्स के लिए सुखदायक और खुजली से राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है। दलिया से स्नान करने से चिकनपॉक्स आपकी त्वचा के एक क्षेत्र से दूसरे तक फैल नहीं पाएगा।
आप निम्न चरणों का उपयोग करके अपना खुद दलिया स्नान कर सकते हैं:
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आयुर्वेद के अनुसार चिकन पॉक्स के लक्ष्णों को प्रभावी रूप से कम करने के लिए हरे मटर का उपयोग फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हरी मटर में विटामिन बी6, विटामिन सी और फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा होती है। ये सभी पोषक तत्व सूजन और खुजली को कम करने में मदद करते हैं। छोटी माता का उपचार करने के लिए आप 200 ग्राम हरी मटर लें और इन्हें पानी में उबाल लें। उबली हुई मटर को अच्छी तरह से पीस लें और इसे छोटी माता के घावों में अच्छी तरह से लगाएं। लगभग 1 घंटे के बाद आप इस पेस्ट को गर्म पानी से धो लें या गर्म पानी से स्नान करें। छोटी माता होने पर आप 1 या 2 दिन तक दिन में 1 बार इस उपाय का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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जो लोग छोटी माता की समस्या से ग्रसित हैं उनके लिए बेकिंग सोडा का उपयोग बहुत ही लाभकारी हो सकता है। क्योंकि बेकिंग सोडा को नहाने के पानी में मिलाने से खुजली और सूजन आदि से छुटकारा पाया जा सकता है। आप 1 कप बेकिंग सोडा लें और नहाने के गर्म पानी में इसे मिलाएं। इस पानी में प्रभावित अंग को 15 से 20 मिनिट तक भिगोएं या फिर इस पानी से नहाएं। यदि इस पानी से स्नान करने पर आपके बच्चे को राहत मिलती है तो दिन में तीन बार इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।
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सामान्य रूप से लगभग सभी रसोई घर में कैमोमाइल चाय उपलब्ध रहती है। कैमोमाइल चाय का उपयोग छोटी माता के प्रभावी इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है। कैमोमाइल में एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। आप कैमोमाइल चाय का उपयोग करने के बाद इसके टी बैग को न फेकें बल्कि इस टी बैग का उपयोग छोटी माता के फोड़ों के ऊपर करें। यह त्वचा की समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद करता है।
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