chickenpox in hindi चिकनपॉक्स जिसे छोटी माता भी कहा जाता है एक वायरल इन्फेक्शन है, जिसमें पूरे शरीर पर लाल फफोले उभर आते हैं और उसमें खुजली एवं जलन होती है। चिकन पॉक्स को वैरिसेला (varicella) भी कहते हैं। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों में होने वाली एक सामान्य वायरल संक्रामक बीमारी है। लेकिन इस बीमारी की चपेट में आने से बैक्टीरियल निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा भी बना रहता है। इस आर्टिकल में हम आपको चिकनपॉक्स (छोटी माता रोग) क्या है, इसके कारण, लक्षण, चिकनपॉक्स से बचाव, और इलाज के विषय में बताएंगे।
चिकनपॉक्स, जिसे छोटी माता या वैरीसेला (varicella) भी कहा जाता है, यह रोग पूरे शरीर में खुजली वाले लाल फफोले उत्पन्न होने का कारण बनता है। यह समस्या सामान्य रूप से 1 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों को होती है। छोटी माता बीमारी का प्रमुख कारण वैरिकाला जोस्टर वायरस (varicella zoster virus) को माना जाता है, जो कि बेहद संक्रामक होता है। हालांकि इस रोग के लक्षण सामान्य रूप से 1 से 2 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।
जो व्यक्ति एक बार चिकन पॉक्स से ग्रसित हो चुके होते हैं उन्हें जीवन में दोबारा चिकनपॉक्स होने की संभावना कम होती है। हालांकि एक बार संक्रमण होने के पश्चात चिकनपॉक्स का वायरस शरीर में निष्क्रिय रूप में रहता है, जो कभी-कभी सक्रिय भी हो जाता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को दाद या चर्मरोग हो जाता है। वर्ष 1990 से देश में चिकनपॉक्स की वैक्सीन लोगों को इस इंफेक्शन से बचने के लिए दी जाती है।
(और पढ़ें: वायरल इन्फेक्शन के प्रकार, लक्षण, इलाज और बचाव…)
छोटी माता रोग या चिकनपॉक्स का इंफेक्शन वैरीसेला-जोस्टर वायरस (VZV) के कारण होता है। यह बीमारी छींकने से, कफ के माध्यम से, लार से, बीमार व्यक्ति के बिस्तर कपड़े का इस्तेमाल करने या इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। वायरस के संपर्क में आने के 10 से 21 दिनों के बाद इस बीमारी के लक्षण व्यक्ति के शरीर में दिखने लगते हैं। शरीर पर चकत्ते आने के एक या दो दिन पहले से ही यह बीमारी सबसे ज्यादा संक्रामक होती है और जब तक चकत्ते (फफोले) पूरी तरह से सूखकर ठीक नहीं हो जाते, तब तक इस बीमारी के वायरस का इंफेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है।
(और पढ़ें – छोटी माता या चिकन पॉक्स के घरेलू उपाय…)
यदि इस बीमारी के लक्षणों की बात की जाए तो चिकनपॉक्स आमतौर पर गर्दन, चेहरे और पीठ पर होता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों पर लाल फफोले दिखना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इस बीमारी में करीब सात से 10 दिन तक बॉडी पर छोटे लाल दाने और फफोले बने रहते हैं और उसमें द्रव या पानी भरा रहता है जो देखने में छाले की तरह लगता है। ये लाल दाने मुंह, सिर की त्वचा, आंखों और जननांगों के आसपास के क्षेत्र में अगर होते हैं, तो अधिक पीड़ादायक होते हैं।
इसे पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है क्योंकि जैसे ही पुराने दाने ठीक होते हैं तो नए दाने उभर आते हैं, यह चक्र करीब दो हफ्तों तक चलता रहता है। यह बीमारी पूरी तरह से संक्रामक होती है और जब तक शरीर के पूरे दाने ठीक न हो जाएं, इसके वायरस दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी फैलने का खतरा रहता है।
चिकनपॉक्स के लक्षण में शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना चिकनपॉक्स का सामान्य लक्षण है। चिकनपॉक्स वायरस का इंफेक्शन शरीर पर लाल चकत्ते आने के सात से 21 दिन पहले ही हो जाता है और आपके शरीर पर लाल चकत्ते और दाने उभरने के 48 घंटे पहले ही आपके शरीर से इसका संक्रमण दूसरे व्यक्ति में फैलने लगता है।
शरीर पर फफोले आने से पहले पीड़ित व्यक्ति निम्न लक्षणों को महसूस कर सकता है:
चिकनपॉक्स के संक्रमण से जब चकत्ते (फफोले) निकलने शुरू हो जाते हैं तो शरीर पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:
चिकनपॉक्स की बीमारी में शरीर पर पड़ने वाले चकत्ते पूरे शरीर पर एक जैसे नहीं होते हैं। संक्रमण के कारण नए चकत्ते लगातार उभरते रहते हैं और इनमें खुजली और जलन महसूस होती है।
(और पढ़े – सिर दर्द दूर करने के घरेलू उपाय)
पूर्व में संक्रमण की स्थिति या टीकाकरण हो जाने से वायरस के संपर्क में आने का जोखिम कम हो जाता है। एक मां के शरीर से उसके नवजात शिशु में
इस वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा या एंटीबॉडी पारित की जा सकती है। यह प्रतिरक्षा जन्म से लगभग तीन महीने तक चिकनपॉक्स के वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है।यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में चिकन पॉक्स से संक्रमित नहीं हुआ है, तो उसे निम्न स्थितियों में इस वायरस से संक्रमित होने का उच्च जोखिम होता है:
चिकनपॉक्स की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को निम्न संभावित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:
यदि आपको अपनी त्वचा पर अस्पष्टीकृत दाने या लाल चकत्ते दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खासकर जब आपको सर्दी के लक्षण या बुखार के लक्षण साथ हो। यदि आप गर्भवती हैं और चिकनपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना अनिवार्य है।
लक्षणों को देखकर और शारीरिक जांच के आधार पर डॉक्टर चिकनपॉक्स का निदान करने में सक्षम होते हैं। इसके अलावा अन्य स्थिति में फफोले के कारण की पुष्टि करने के लिए प्रयोगशाला परीक्षण किया जा सकता है।
चिकन पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए यदि आपका बच्चा इस संक्रमण की चपेट में आ जाए, तो उसे घर से बाहर न निकलने दें। वयस्कों को भी यदि यह संक्रमण हो जाए, तो उन्हें घर में ही रहना चाहिए। चिकनपॉक्स के ज्यादातर मामलों में इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है, या यूं कहें कि बहुत ही कम स्थितियों में चिकनपॉक्स के लक्षणों को दूर करने के लिए इलाज की आवश्यकता होती है।
चिकनपॉक्स का इलाज करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर एंटीहिसटामाइन दवाएं या मलहम लगाने की सलाह देते हैं। ये दवाएं या मलहम चकत्तों की खुजली को दूर करने में मदद कर सकती हैं इससे लक्षणों को राहत पहुंचती है। इसके अलावा आप खुजली को शांत करने के लिए निम्न उपाय अपना सकते हैं:
यदि चिकनपॉक्स ज्यादा गंभीर रूप ले लेता है या इसका कोई विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं देते हैं। एंटीवायरल दवाएं चिकनपॉक्स को ठीक नहीं करती हैं बल्कि सिर्फ उसके लक्षणों को कम कर देती हैं। जिससे की शरीर का इम्यून सिस्टम धीरे-धीरे सुधरने लगता है।
(और पढ़ें – छोटी माता (चिकनपॉक्स) का आयुर्वेदिक उपचार)
चिकन पॉक्स की वैक्सीन लगवाने से 98 प्रतिशत लोग चिकनपॉक्स की चपेट में आने से बच जाते हैं। चिकनपॉक्स से बचाव के लिए वैक्सीन की दो खुराक लेने से इस बीमारी से पूरी तरह से बचा जा सकता है। 12 से 15 वर्ष के बच्चों में चिकनपॉक्स का वायरस तेजी से फैलता है, अतः इस उम्र में बच्चों को टीके का फर्स्ट शॉट लगाया जाता है। इसके बाद चार से छह वर्ष की उम्र में बच्चों को बूस्टर शॉट दिया जाता है।
चिकन पॉक्स वयस्कों में भी तेजी से फैलता है, इसलिए उन्हें भी चिकनपॉक्स के वायरस से बचने के लिए टीका लगवाना चाहिए। जो लोग किसी वजह से टीके नहीं लगवा पाते हैं, उन्हें चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों से बहुत दूर रहना चाहिए, अन्यथा वे भी इस बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं।
(और पढ़ें: स्किन इन्फेक्शन से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय…)
ऊपर आपने जाना चिकनपॉक्स क्या है, कारण और वैक्सीन की जानकारी, चिकनपॉक्स के लक्षण क्या हैं? चिकन पॉक्स कैसे होता हैं? चिकनपॉक्स का इलाज क्या है? चिकनपॉक्स से बचाव की जानकारी के बारें में। Chickenpox ka karan, lakshan, upchaar aur vaccine ki jaankari Hindi me
छोटी माता रोग (चिकनपॉक्स) के कारण, लक्षण, बचाव और इलाज (Chickenpox Causes Symptoms And Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
इसी तरह की अन्य जानकारी हिन्दी में पढ़ने के लिए हमारे एंड्रॉएड ऐप को डाउनलोड करने के लिए आप यहां क्लिक करें। आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…