चिकनगुनिया से होने वाले जोड़ों के दर्द का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक उपचारों से किया जा सकता हैं। चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है जो मच्छरों द्वारा फैलती है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द, मतली और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। इसकी महामारी कई जगह पर फैली हुई है, यह आम तौर पर घातक नहीं है लेकिन इससे हमारे शरीर के जोड़ों में बहुत अधिक दर्द होता है। यदि चिकनगुनिया का इलाज समय पर नहीं हुआ तो चिकनगुनिया का दर्द आपके शरीर को कमजोर बना सकता है। आइये चिकनगुनिया जोड़ों के दर्द घरेलू उपचार को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
चिकनगुनिया एक तरह के वायरस द्वारा होने वाला एक वायरल संक्रमण हैं, जो आमतौर पर एडीज एल्बोपिक्टस और एडीज एजिप्टी मच्छरों द्वारा फैलता है। चिकनगुनिया का कोई इलाज नहीं है पर सही इलाज खोजने के लिए शोध जारी है। डॉक्टर आमतौर पर चिकनगुनिया के लक्षणों के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार के नॉन स्टेरिओडल एंटी इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) (NSAIDs) और बुखार को कम करने वाली दवाओं की सलाह देते हैं।
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चिकनगुनिया के लक्षण मच्छर के काटने के 3-7 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। आप निम्न लक्षणों में से कुछ या सभी लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं-
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चिकनगुनिया का कोई इलाज नहीं है और इसके प्रभाव बेहद तकलीफदेह हो सकते हैं। आप चिकनगुनिया जोड़ों के दर्द के घरेलू उपचार के लिए निम्न उपाय को अपना सकते है जो आपको चिकनगुनिया के लक्षण से काफी राहत देंगे।
चिकनगुनिया और डेंगू जैसे संक्रमणों में रक्त प्लेटलेट्स (blood platelet) संख्या अत्यधिक प्रभावित होती है। पपीते के पत्ते का सेवन रक्त प्लेटलेट्स संख्याओं को बढ़ाने में मदद करता है, इस प्रकार शरीर को संक्रमण से बचाने में सहायता प्रदान करता है। पपीते की पत्ती का अर्क चिकनगुनिया का कारण बनने वाले मच्छरों के लार्वा के खिलाफ लार्विसाइडल (larvicidal) गुण भी रखता है। इसका उपयोग करने के लिए आप 7-8 ताजे पपीते के पत्ते लें और इसके बीचे के शिरा को हटा कर पत्तों को धो लें। अब इन पत्तों का पेस्ट बनाये और इसे पतला करने के लिए इसमें थोड़ा पानी मिला लें। अब इस पेस्ट को छान कर लुगदी को हटा दें। शेष बचे रस को आप हर तीन घंटे में दो बड़े चम्मच पिएं। इसे 2-3 दिन तक पीते रहें।
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लहसुन का इस्तेमाल अक्सर जोड़ों के दर्द से राहत के लिए किया जाता है। जब बाहरी रूप से लगाया जाता है, तो यह दर्द और सूजन को कम करता है और रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है। चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द का उपचार करने के लिए 10-12 लहसुन लौंग को लें और लहसुन को छीलकर काट लें। अब पेस्ट बनाने के लिए इसे पानी के साथ पीस लें। चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए इस पेस्ट को प्रभावित जोड़ों पर लगाएं और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। आप दिन में दो बार लहसुन का पेस्ट लगाएं।
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हल्दी कई प्रकार के रोगों के लिए प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक हैं। हल्दी भारत में भी एक लोकप्रिय मसाला है। हल्दी में कर्क्यूमिन (curcumin) होता है जो एक मजबूत एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों को प्रदर्शित करता है। इसलिए चिकनगुनिया के लक्षणों को ठीक करने के लिए हल्दी को एक प्रभावी घरेलू उपचार माना जाता है। चिकनगुनिया से होने वाले जोड़ों के दर्द का इलाज के लिए आप आधा चम्मच हल्दी पाउडर ले और उसको एक गिलास हल्के गर्म दूध में अच्छी तरह से मिला लें। अब आप एक-एक गिलास इस दूध को सुबह और रात में सोने से पहले पियें।
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गिलोय का वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora cordifolia) है और इसे आमतौर पर ‘गुडुची (Guduchi)’ के रूप में जाना जाता है। इस पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक और हर्बल दवाओं में अनेक प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। गिलोय के एंटी इन्फ्लामेट्री, एंटी आर्थराइटिस
, और इम्युनोमॉड्यूलेटरी (immunomodulatory) गुण चिकनगुनिया के लक्षणों से राहत देते हैं। इसमें रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं जो संक्रमण से जल्दी ठीक होने में सहायता करते हैं। चिकनगुनिया के दर्द से राहत पाने के लिए भोजन के बाद गिलोय के दो कैप्सूल का सेवन करें। इसकी प्रति दिन एक ग्राम की एक खुराक पर्याप्त है। गिलोय कैप्सूल को आप कुछ सप्ताह तक लेते रहें।सावधानी – गिलोय पांच साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। पांच साल से ऊपर के बच्चों के लिए खुराक प्रति दिन 250 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए। और वयस्कों के लिए दैनिक खुराक प्रति दिन 3 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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लाल मिर्च में कैप्सैसिन (capsaicin) पाया जाता हैं जो एक प्रभावी एंटी इन्फ्लामेट्री एजेंट है। कुछ अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि लाल मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सैसिन सूजन को कम करता है। यह मस्तिष्क को दर्द संकेत भेजने के लिए जिम्मेदार प्रमुख यौगिक को अवरुद्ध करके दर्द से राहत देता है। चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द कम करने के लिए आप तीन चम्मच लाल मिर्च का पाउडर लें और इसे पानी में 5-10 मिनट के लिए धीमी आंच में गर्म कर लें। अब आधा कप किसा हुआ मोम (beeswax) को लेकर इस गर्म पानी में मिलाएं और इसे लगातार हिलाएं जब तक कि यह पिघल न जाए।
अब इस मिश्रण में एक कप जैतून का तेल या जोजोबा तेल या बादाम का तेल मिलाकर इसको रेफ्रिजरेटर में 10 मिनट के लिए ठंडा होने दें। फिर मिश्रण को प्रभावित जोड़ों पर लगाएं। आप इस पेस्ट को 1-2 सप्ताह के लिए एक एयरटाइट कंटेनर में भर कर रख लें और आवश्यकता पड़ने पर इसका प्रयोग करें।
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चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द का आयुर्वेदिक उपचार में गाय का दूध और अंगूर बहुत ही लाभकारी होते हैं। अंगूर में फेनोलिक (phenolic) यौगिक में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं, जो चिकनगुनिया के गंभीर लक्षणों जैसे दर्द और बुखार से राहत देता है। चिकनगुनिया के लक्षण को कम करने के लिए आप कुछ अंगूर खाएं और साथ में गाय का दूध पियें। आप इसे दिन में एक या दो बार कर सकते हैं।
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बर्फ की सिकाई या कोल्ड कंप्रेस सूजन, दर्द और जोड़ों की चोट को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को धीमा करके दर्द को कम करता है। चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द का इलाज के लिए कुछ बर्फ के टुकड़े को लेकर एक छोटी तौलिया या किसी कपड़ें में लपेट लें। अब इस बर्फ से दर्द से प्रभावित क्षेत्र की सिकाई करें। इस घरेलू उपाय को दिन में दो तीन बार करें।
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चिकनगुनिया के इलाज के लिए नारियल पानी पीना सबसे अच्छा घरेलू उपचार है क्योंकि यह रोगियों के लिवर को डिटॉक्स करके तेजी से ठीक करने में मदद करता है। नारियल पानी में उपस्थित मैंगनीज जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है क्योंकि यह एक एंटी इन्फ्लामेट्री एजेंट के रूप में कार्य करता है। चिकनगुनिया में जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए दिन में 3-4 गिलास नारियल पानी पिएं। आप इस घरेलू उपचार को कुछ दिनों के लिए दोहराएं।
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चिकनगुनिया बुखार के इलाज के लिए तुलसी के पत्ते बहुत प्रभावी होते हैं। ये पत्ते बुखार को कम करते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। तुलसी के पत्ते रोगाणुरोधी गतिविधि की उनकी रिकवरी प्रक्रिया को तेज करेगी। चिकनगुनिया में दर्द को कम करने के लिए 10 तुलसी के पत्ते लेकर आधा लीटर पानी में उबालें। इसे तब तक उबाले जब तक एक काढ़ा ना बन जाएं। अब इस काढ़े को दिन में कई बार पियें।
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चिकनगुनिया वायरस के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए अरंडी के तेल में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लामेट्री गुण काम आते हैं। दालचीनी में भी सूजन-रोधी गुण होते हैं और यह जोड़ों के दर्द को कम करने में अरंडी के तेल की मदद करता है। इसके उपचार के लिए दो बड़े चम्मच अरंडी का तेल लेकर उसे हल्का गर्म कर लें और इसमें एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिला लें। अब इस तेल से कुछ मिनट के लिए प्रभावित जोड़ों की धीरे से मालिश करें। आप दिन में दो या तीन बार इस तेल को लगाएं।
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