बच्चो की देखभाल

जानिए, बच्चे को कौन सा टीका कब लगवाना चाहिए – Vaccines for Babies and Children in Hindi

Child tika list in Hindi हमारे देश में प्रत्येक साल बहुत से बच्चे जन्म के बाद विभिन्न बीमारियों की चपेट में आकर मर जाते हैं। इसका कारण यह है कि कई स्थानों पर शिशुओं के टीकाकरण की सुविधा मौजूद न होने की वजह से उन्हें समय पर टीके नहीं लग पाते हैं जिसके कारण बच्चा बहुत जल्द ही संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाता है और फिर उसकी जान चली जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको टीकारण क्या है, बच्चों को कौन सा टीका कब लगवाना चाहिए, टीकाकरण चार्ट और टीका क्यों लगवाना जरूरी है आदि विषयों के बारे में बताने जा रहे हैं।

विषय सूची

1. टीकाकरण क्या है? – What is Vaccination in Hindi
2. टीकाकरण के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा के लिए शीर्ष 8 कारण – Top 8 Reasons to Protect Children Through Vaccination in Hindi
3. शिशु को कौन कौन से टीके लगवाने चाहिए – shishu ko kaun se tike lagwana chahiye in hindi
4. एक साल तक के लिए शिशुओं के लिए टीकाकरण अनुसूची – first year vaccination schedule for baby in Hindi

6. शिशु टीकाकरण चार्ट – vaccine schedule for Babies and Children in Hindi

7. शिशु को टीके का साइड इफेक्ट – Side effects of vaccine in hindi
8. टीके का साइड इफेक्ट होने पर क्या करें – vaccine ka side effects hone par kya kare in hindi

टीकाकरण क्या है? – What is Vaccination in Hindi

टीकाकरण का अर्थ है सुरक्षा। वास्तव में जन्म के बाद शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर होती है जिसके कारण बच्चे को बहुत जल्दी संक्रमण हो जाता है। टीकाकरण कुछ संक्रमणों से लड़कर प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और कीटाणुओं के संपर्क में आने पर इनसे लड़ना सीखाता है। टीकाकरण को टीका, इंजेक्शन या शॉट (shots) के नाम से भी जाना जाता है। बच्चे को समय पर टीके लगवाने से घर के अन्य सदस्यों को भी बीमारियों से सुरक्षा होती है।

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टीकाकरण के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा के लिए टॉप 8 कारण – Top 8 Reasons to Protect Children Through Vaccination in Hindi

  • माता-पिता के रूप में, हम अपने बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने और रोगों से सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहते हैं। छोटे बच्चों को रोगों से सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा तरीका है।
  • टीकाकरण पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी है। सभी टीके वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और सरकार द्वारा कि यह सुनिश्चित करने के लिए की वे सुरक्षित हैं लंबी और विस्तृत समीक्षा से गुजरते हैं ।
  • भारतीय बाल रोग अकादमी और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र जैसे बाल चिकित्सा संगठन अनुशंसित टीकाकरण वाले बच्चों की रक्षा करने का दृढ़ता से समर्थन करते हैं।
  • टीकाकरण बच्चों को गंभीर बीमारी और जटिलताओं से बचाता है। टीकाकरण की अनुपस्थिति में, ये रोग अंगों के पक्षाघात, सुनाई ना देना, एक हाथ या पैर के विच्छेदन, मस्तिष्क क्षति या यहां तक कि मृत्यु जैसी स्थितियों को जन्म दे सकते हैं।
  • खसरा, कण्ठमाला और काली खांसी जैसी बीमारियां वैक्सीन-निवारक हैं लेकिन फिर भी वैश्विक स्तर पर इनका खतरा है। कई बच्चे हर साल उनसे संक्रमित हो जाते हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए टीकाकरण आवश्यक माना जाता है
  • हालांकि टीकाकरण से कई संक्रामक रोगों की घटनाओं में तेजी से गिरावट आई है, लेकिन उनमें से कुछ अभी भी अन्य देशों में काफी आम हैं। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों द्वारा उन्हें आपके देश में लाया जा सकता है। यदि बच्चों को टीका नहीं लगाया जाता है, तो वे यात्रियों में से किसी एक बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं।
  • यदि कई माता-पिता अपने बच्चों को टीकाकरण नहीं कराने का निर्णय लेते हैं, तो इससे बचाव योग्य बीमारियों का प्रकोप शुरू हो सकता है। इस तरह की महामारी बाल स्वास्थ्य के लिए विनाशकारी हो सकती है।
  • यदि बच्चों का टीकाकरण नहीं होता है, तो वे अन्य छोटे बच्चों, जिन बच्चों को टीका लगाया जाना अभी बाकी है, या कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों, जैसे कि कैंसर के रोगी, में बीमारियाँ फैल सकती हैं।

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शिशु को कौन कौन से टीके लगवाने चाहिए – Shishu ko kaun se tike lagwana chahiye in Hindi

डॉक्टरों का मानना है कि जन्म के बाद एक निर्धारित अवधि तक बच्चों का सभी आवश्यक टीके समय पर लगवा देना चाहिए। कुछ मुख्य टीके निम्न हैं।

  • हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B)
  • टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी
  • पोलियो का टीका
  • हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी (Haemophilus influenzae B)
  • निमोनिया (Pneumococcus) का टीका
  • रोटा वायरस (RV)
  • खसरा, गलसुआ, रुबेला और चेचक (Measles, Mumps, Rubella, Varicella)

एक साल तक के लिए शिशुओं के लिए टीकाकरण अनुसूची – First year vaccination schedule for baby in Hindi

शिशुओं के लिए बचपन में, टीके विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं – जब वे बीमारी की चपेट में आते हैं, तो शिशू को लगाये गए टीके उन्हें जानलेवा बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। आइये जानते हैं शिशुओं के लिए प्रथम वर्ष के टीकाकरण की जानकरी के बारे में।

शिशु के जन्म पर लगने वाले टीके – Vaccines given at birth in india in Hindi

शिशुओं को आमतौर पर जन्म के समय हेपेटाइटिस बी के टीके की पहली खुराक दी जाती है

2 महीने की उम्र में शिशु को लगने वाले टीके – Vaccines at 2 months old baby in Hindi

  • डिप्थीरिया, टेटनस, और पर्टुसिस या DTaP की पहली खुराक
  • पोलियो या आईपीवी की पहली खुराक
  • हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा या हिब (Hib) की पहली खुराक
  • न्यूमोकोकल वैक्सीन या पीसीवी की पहली खुराक
  • रोटावायरस की पहली खुराक
  • हेपेटाइटिस बी की दूसरी खुराक *

ध्यान रखें, आपके शिशुओं का टीकाकरण कार्यक्रम उनके पहले वर्ष से आगे भी जारी रहेगा। टीकाकरण की बारीकियों के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें

4 महीने की उम्र में शिशु को लगने वाले टीके – Vaccines at 4 months old baby in Hindi

  • हेपेटाइटिस बी की तीसरी खुराक *
  • दूसरी खुराक डिप्थीरिया, टेटनस, और पर्टुसिस या DTaP
  • पोलियो या आईपीवी की दूसरी खुराक
  • दूसरी खुराक हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी या हिब (Hib)
  • न्यूमोकोकल वैक्सीन या पीसीवी की दूसरी खुराक
  • रोटावायरस की दूसरी खुराक

6 महीने की उम्र में शिशु को लगने वाले टीके – Vaccines at 6 months old baby in Hindi

  • डिप्थीरिया, टेटनस, और पर्टुसिस या DTaP की तीसरी खुराक
  • पोलियो या आईपीवी की तीसरी खुराक
  • हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी या एचआईबी की तीसरी खुराक
  • न्यूमोकोकल वैक्सीन या पीसीवी की तीसरी खुराक
  • रोटावायरस की तीसरी खुराक
  • फ्लू का टीका। सीडीसी 6 महीने की उम्र के बच्चों की सिफारिश करता है और पुराने एक वार्षिक फ्लू टीकाकरण प्राप्त करता है। पहली बार वैक्सीन प्राप्त करने वाले बच्चों को दो-खुराक श्रृंखला दी जाती है, जिसमें प्रत्येक शॉट को एक महीने के लिए अलग किया जाता है।
  • हेपेटाइटिस बी की चौथी खुराक *।

* नोट: सीडीसी को केवल हेपेटाइटिस बी टीकाकरण की तीन खुराक की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर बच्चे के जीवन के पहले वर्ष के दौरान प्रशासित होती हैं। हालांकि, कई बाल रोग विशेषज्ञ एक नियमित संयोजन संयोजन के एक हिस्से के रूप में हेपेटाइटिस बी शॉट सहित जब चार खुराक लेते हैं।

12 महीने पर शिशु को लगने वाले टीके – Vaccines at 12 months baby in hindi

  • पहली खुराक हेपेटाइटिस ए
  • खसरा (Measles), कण्ठमाला (mumps), और रूबेला या एमएमआर (MMR)
  • चिकनपॉक्स या वैरीसेला वैक्सीन

(और पढ़े – छोटी माता (चिकनपॉक्स) का आयुर्वेदिक उपचार…)

15 महीने पर शिशु को लगने वाले टीके – Vaccines at 15 months baby in hindi

  • हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib) की चौथी खुराक
  • न्यूमोकोकल वैक्सीन या पीसीवी की चौथी खुराक

शिशु टीकाकरण चार्ट – vaccine schedule for Babies and Children in Hindi

ज्यादातर माता पिता को यह तो मालूम होता है कि उन्हें अपने बच्चे को टीका लगवाना है, लेकिन वास्तव में कई लोगों को यह नहीं मालूम होता है कि शिशु को कौन सा टीका कब लगवाना है। आइये जानते हैं कि कौन सा टीका कब और क्यों लगवाना चाहिए।

हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) का टीका – Hepatitis B vaccine in hindi

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिशु को हेपेटाइटिस बी के तीन टीके लगाये जाते हैं। ये तीनों टीके लगवाने बहुत जरूरी होते हैं।

  • शिशु के जन्म के बाद अस्पताल या घर में उसे हेपेटाइटिस बी का पहला टीका लगाया जाता है।
  • हेपेटाइटिस बी का दूसरा टीका शिशु के जन्म के एक महीने बाद दिया जाता है।
  • जबकि हेपेटाइटिस बी का तीसरा टीका शिशु के जन्म के छठें महीने में लगाया जाता है।

हेपेटाइटिस बी का टीका क्यों लगाया जाता है – Hepatitis B ka tika kyo lagaya jata hai in hindi

शिशु को हेपेटाइटिस बी के टीके लीवर में संक्रमण से बचाने के लिए लगाया जाता है। वास्तव में शिशु को हेपेटाइटिस बी होने पर उसका लीवर खराब हो सकता है और उसे लीवर कैंसर हो सकता है। हेपेटाइटिस बी का टीका न लगवाने के कारण चार में से एक बच्चे की लीवर कैंसर से मौत हो जाती है। यही कारण है कि लीवर को संक्रमण से बचाने के लिए हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना जरूरी होता है।

(और पढ़े – हेपेटाइटिस बी के लक्षण, कारण, जांच, उपचार और रोकथाम…)

टिटनेस, डिप्थीरिया,काली खांसी का टीका – Tetanus, Diphtheria, Pertussis vaccine in Hindi

शिशु को टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी के पांच टीके लगाये जाते हैं। इन टीकों को समय पर लगवाना चाहिए ताकि शिशु किसी तरह की बीमारियों की चपेट में ना आये।

  • टिटनेस, डिप्थीरिया और काली खांसी का पहला टीका शिशु के जन्म के दूसरे महीने में लगाया जाता है।
  • जबकि दूसरा टीका जन्म के चार महीनों बाद, तीसरा टीका शिशु के जन्म के 6 महीने बाद, चौथा टीका शिशु के जन्म के 15 से 18 महीनों के बीच जबकि पांचवां और अंतिम टीका बच्चे को 4 से 6 वर्ष के बीच लगवाना चाहिए।

टिटनेस, डिप्थीरिया, काली खांसी का टीका क्यों लगवाना चाहिए – Tetanus, Diphtheria, Pertussis ka tika kyo lagaya jata hai in hindi

काली खांसी होने पर शिशु को निमोनिया, दौरा पड़ने की समस्या और यहां तक कि मस्तिष्क भी कमजोर हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित शिशु की तीन महीने के अंदर मौत हो जाती है। जबकि शिशु को टिटनेस होने पर  जबड़े में अकड़न, मुंह खोलने और निगलने में कठिनाई होती है। डिप्थीरिया होने पर बच्चे को सांस लेने में कठिनाई, लकवा और हृदयाघात होने की समस्या हो सकती है। शिशु को इन सभी रोगों से बचाने के लिए काली खांसी, टिटनेस और डिप्थीरिया के टीके लगाये जाते हैं।

(और पढ़े – काली खांसी क्या है इसके कारण, लक्षण, इलाज, और घरेलू उपचार…)

पोलियो का टीका – Polio vaccine in Hindi

बच्चे को पोलियो के कुल चार टीके लगाये जाते हैं। शुरुआत के कुछ टीकों को दो दो महीने के अंतराल पर लगाया जाता है। यह बच्चे को पोलियो होने से बचाने में मदद करता है।

  • पोलियो का पहला टीका शिशु के जन्म के दो महीने बाद लगाया जाता है।
  • जबकि पोलियो का दूसरा टीका शिशु के जन्म के चार महीने बाद, तीसरा टीका शिशु के जन्म के 6 से 18 महीनों के बीच और चौथा टीका 4 से 6 वर्ष के बीच लगवाया जाता है।

शिशु को पोलियो का टीका लगवाना क्यों है जरूरी – Shishu ko polio tika lagana kyon hai jaruri in Hindi

शिशु को पोलियो होने पर उसके हाथ, पैर और भुजाओं में हमेशा के लिए लकवा मार सकता है। इसके अलावा कभी कभी बच्चे को सांस लेने में इतनी ज्यादा तकलीफ हो सकती है कि इसके कारण उसकी मौत भी हो सकती है। बच्चे को पोलियो की इस गंभीर समस्या से बचाने के लिए पोलियो का टीका लगवाया जाता है।

(और पढ़े – पोलियो (पोलियोमेलाइटिस) क्या है…)

हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी का टीका – Haemophilus influenzae B vaccine in Hindi

जन्म के बाद शिशु को हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी के तीन से चार टीके लगाए जाते हैं। इनमें से एक टीका शिशु के जन्म के छठें महीने में लगवाया जाता है जो बहुत ज्यादा जरूरी नहीं होता है।

  • हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी का पहला टीका शिशु के जन्म के दूसरे महीने में लगाया जाता है।
  • जबकि दूसरा टीका जन्म के चौथे महीने में, तीसरा टीका जन्म के छठें महीने में और चौथा टीका 12 से 15 महीने के बीच लगवाया जाता है।

हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी का टीका क्यों लगाया जाता है – Haemophilus influenzae B ka tika kyon lagaya jata hai in hindi

यह टीका शिशु को बैक्टीरियल मस्तिष्क ज्वर (bacterial meningitis) से बचाने के लिए लगाया जाता है। वास्तव में हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी के कारण शिशु के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में संक्रमण हो सकता है जिसके कारण उसे निमोनिया, कान में संक्रमण, साइनस (sinuses), बहरापन, गले में सूजन सहित अन्य कई समस्याएं हो सकती हैं। इन रोगों से शिशु की सुरक्षा करने के लिए हेमोफिलस इंफ्लूएंजा बी के टीके लगाये जाते हैं।

(और पढ़े – साइनस क्या होता है कैसे कर सकते हैं घर ही इस बीमारी का ईलाज…)

निमोनिया (Pneumococcus) का टीका – Pneumonia vaccine in Hindi

शिशु को निमोनिया के चार टीके लगाये जाते हैं।

  • निमोनिया का पहला टीका शिशु के जन्म के दूसरे महीने में लगाया जाता है।
  • जबकि निमोनिया का दूसरा टीका जन्म के चार महीने बाद, तीसरा टीका 6 महीने बाद और चौथा टीका 12 से 15 महीनों के बीच लगाया जाता है।

निमोनिया का टीका क्यों लगाया जाता है – Pneumonia ka tika kyon lagaya jata hai in Hindi

वास्तव में निमोनिया होने पर बच्चे को मस्तिष्क ज्वर, रीढ़ की हड्डी और कान में संक्रमण, साइनस, खून में संक्रमण और उसके शरीर पर लाल दाने आ सकते हैं। निमोनिया एक घातक रोग है जिसमें शिशु की मौत भी हो सकती है। इस समस्या से बचाने के लिए शिशु को निमोनिया का टीका लगवाना बेहद जरूरी है।

(और पढ़े – बच्चों में निमोनिया के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…)

रोटा वायरस (RV) का टीका – Rota virus vaccine in Hindi

शिशु को रोटा वायरस के तीन टीके लगाये जाते हैं।

  • पहला टीका शिशु के जन्म के दूसरे महीने में लगाया जाता है।
  • जबकि दूसरा टीका जन्म के चौथे महीने में और तीसरा टीका एक साल की उम्र में लगाया जाता है।

रोटा वायरस (RV) का टीका क्यों लगवाया जाता है – Rota virus ka tika kyon lagaya jata hai in Hindi

यह टीका शिशु को आंत्रशोथ और दस्त से बचाने के लिए लगाया जाता है।

(और पढ़े – बच्चों के दस्त (डायरिया) दूर करने के घरेलू उपाय…)

खसरा, गलसुआ, रुबेला और चेचक के टीके – Measles, Mumps, Rubella, Varicella vaccine in Hindi

बच्चे को खसरा, गलसुआ, रुबेला और चेचक के दो टीके लगाये जाते हैं।

पहला टीका शिशु के जन्म के 12 से 15 महीने के बीच और दूसरा टीका 6 साल की उम्र में लगाया जाता है।

खसरा, गलसुआ, रुबेला और चेचक के टीके क्यों लगवाये जाते हैं – Measles, Mumps, Rubella, Varicella ka tika kyon lagaya jata hai in Hindi

जन्म के बाद बच्चों को बढ़ती उम्र की समस्याओं जैसे खसरा, रुबेला और चेचक से बचाने के लिए ये टीके लगवाये जाते हैं।

(और पढ़े – खसरा के कारण, लक्षण, इलाज एवं बचाव…)

हेपेटाइटिस ए का टीका – Hepatitis A (HepA) vaccine in Hindi

आपके बच्चे को हेपेटाइटिस ए के दो टीके लगाये जाते हैं।

पहली खुराक 1 साल की उम्र में दी जाती है और दूसरी पहले टीके के 6-12 महीने बाद।

इन्फ्लुएंजा (फ्लू) का टीका – Influenza (Flu) vaccine in Hindi

हर 6 महीने और उससे अधिक उम्र के बच्चे को इन्फ्लूएंजा (फ्लू) टीकाकरण हर सर्दियों में और अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए जरुरी होता है। 9 साल से कम उम्र के कुछ बच्चों को 2 खुराक की जरूरत होती है। यदि आपके बच्चे को 1dose से अधिक की जरूरत है, तो अपने बच्चे के स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से पूछें।

शिशु को टीके का साइड इफेक्ट – Side effects of vaccine in Hindi

शिशु को टीके लगवाने के बाद जब उसके शरीर में टीका अपना कार्य करना शुरू करता है तो उसका रिएक्शन भी साफ दिखायी देता है। इस दौरान जो लक्षण दिखायी देते हैं वह इस बात का संकेत होता है कि आपके बच्चे के शरीर में नया एंटीबॉडी बनना शुरू हो गया है। आइये जानते हैं कि टीके लगवाने के बाद क्या साइड इफेक्ट होता है।

  • हल्का बुखार
  • जिस जगह टीका लगाया गया हो वहां लालिमा या त्वचा कड़ा हो जाना
  • टीके वाली जगह पर सूजन होना
  • शिशु को नींद न आना
  • शिशु का अधिक रोना और मां का दूध न पीना

इसके अलावा निमोनिया और डीटीपी के टीके लगवाने पर निम्न तरह के साइड इफेक्ट होते हैं।

(और पढ़े – नवजात शिशु को उल्टी होना, कारण, लक्षण और घरेलू उपाय…)

टीके का साइड इफेक्ट होने पर क्या करें – Vaccine ka side effects hone par kya kare in Hindi

बच्चे को टीका लगवाने के बाद सामान्य सा साइड इफेक्ट होना आम बात है। आमतौर पर टीके का साइड इफेक्ट बहुत अधिक देर तक नहीं रहता है और कुछ ही घंटों या एक दो दिन में खत्म हो जाता है। लेकिन यदि इसके बाद भी बच्चे को काफी परेशानी महसूस हो रही हो तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

  • अगर बच्चा लगातार तीन घंटे से अधिक देर तक रोए तो उसे डॉक्टर को दिखाएं।
  • शिशु को टीका लगवाने के बाद उसे दोहरे परत के कपड़े या कंबल ना ओढ़ाएं।
  • अगर टीकाकरण के बाद बच्चे का बुखार दो दिन तक ठीक ना हो तो उसे अस्पताल लेकर जाएं।
  • अगर बच्चा बहुत ज्यादा उल्टी करता हो या फिर मां का दूध न पीता हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
  • टीकाकरण के बाद बच्चे की सुख सुविधा का विशेष ध्यान रखें और अगर बच्चा कुछ खाये पीए न तो जबरदस्ती न खिलाएं।

डॉक्टरों का मानना है कि टीके का साइड इफेक्ट बहुत गंभीर नहीं होता है और ना ही इससे बच्चे को कोई खतरा होता है। कुछ साइड इफेक्ट जरूर होते हैं जो धीरे धीरे ठीक हो जाते हैं इसलिए माता पिता को धैर्य रखना चाहिए।

(और पढ़े – बच्चे को दूध पिलाने (स्तनपान कराने) के तरीके और टिप्स…)

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