स्वास्थ्य समाचार

बच्चे का बचपन में मोटापा बन सकता सेहत की प्रमुख समस्या – childhood obesity gives health problems in hindi

एक तरफ जहा बच्चे कुपोषण का सिकार हो रहे है बही दूसरी ओर बचपन में मोटापा और मोटे बच्चों के मामले में चीन के बाद भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है।

एक तजा रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 1 करोड़ 44 लाख बच्चों का वजन सामान्य से अधिक है। और विश्व स्तर पर लगभग 2 अरब बच्चे और वयस्क इस तरह की समस्याओं से पीड़ित हैं। इस बारे में इंडियन मेडिकल असोसिएशन का कहना है कि आजकल बचपन में मोटापा की वृद्धि दर वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक है। आंकड़ें बताते हैं कि मोटे बच्चों के मामले में चीन के बाद दुनिया में भारत का दूसरे नंबर पर है। बॉडी मास इंडेक्स BMI को मापकर बचपन में मोटापे की पहचान की जा सकती है। 85 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक BMI वाले बच्चे मोटापे से ग्रस्त माने जाते हैं। मोटापा कई स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण है मोटापे से ग्रस्त बच्चे कम उम्र में ही गैर-संचारी रोगों (NSD) जैसे मधुमेह और हृदय संबंधी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

(और पढ़े – बॉडी मास इंडैक्स (BMI) से कैसे जाने अपना मोटापा)

बड़े होकर करना पढ़ सकता है इन समस्याएं का सामना Can grow up to face these problems in hindi

इस बारे में बताते हुए IMA के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, ‘दुनियाभर के बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। बच्चों में अधिक वजन और मोटापे का प्रसार लगातार बढ़ रहा है। अस्वास्थ्यकर भोजन, वसा, चीनी, नमक, जंक फूड और संसाधित भोजन की अधिकता और टीवी, इंटरनेट, कंप्यूटर व मोबाइल गेम्स में अधिक लगे रहने से आउटडोर खेल उपेक्षित हुए हैं। बचपन में मोटापा से ग्रस्त बच्चों में बड़े होकर भी अनेक समस्याएं बनी रहती हैं। बचपन में मोटापा और अधिक वजन अन्य जीवनशैली विकारों जैसे कि टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप, डिस्लेपिडाइमिया, मेटाबॉलिक सिंड्रोम आदि को जन्म दे सकता है। इसलिए, बच्चों में मोटापे को रोकने और नियंत्रित करने की आवश्यकता है।’

(और पढ़े: क्या आपके बच्चे का वजन अधिक है ?आप वजन कम करने में बच्चे की मदद कर सकते हैं)

मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों में स्लीप ऐपनिया जैसे रोग और सामाजिक व मनोवैज्ञानिक समस्याएं अधिक हो सकती हैं, जिससे उन्हें आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ सकता है। डॉ अग्रवाल कहते हैं, ‘बच्चों में शुरूआत से ही अच्छे पोषण संबंधी आदतें पैदा करना महत्वपूर्ण है। सही उम्र से ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधि सुनिश्चित करना हर बच्चे के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लाइफस्टाइल रोगों की रोकथाम प्रारंभ करना चाहिए। स्कूल छात्रों के जीवन को आकार देने में मदद कर सकते हैं और बचपन के मोटापे के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बचपन में स्वस्थ आदतों का मतलब है एक स्वस्थ नागरिक का निर्माण।’

बचपन में मोटापा से बचने के लिए अस्वस्थ आदतों से ऐसे निपटें: To avoid obesity in childhood, deal with unhealthy habits in hindi

  • शुरूआत में ही स्वस्थ खाने की आदतों को प्रोत्साहित करें।
  • कैलरी युक्त खाद्य पदार्थ कम ही दें।
  • अधिक फैट, शुगर और नमक वाले नाश्ते की मात्रा सीमित रखें।
  • बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने का महत्व बताएं।
  • प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की तेज शारीरिक गतिविधि में बच्चों को भी शरीक करें।
  • बच्चों को अधिक समय तक एक स्थान पर बैठने से रोकें।
  • बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।

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