चिकित्सा के क्षेत्र में कोलाइटिस या बृहदांत्रशोथ शब्द का उपयोग बृहदान्त्र की सूजन का वर्णन करने के लिए किया जाता है। कोलाइटिस के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं, संक्रमण (E. coli, Salmonella), खराब ब्लड सर्कुलेशन और ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं इत्यादि। कोलाइटिस की स्थिति में दस्त, कब्ज, मल में रक्त की उपस्थिति तथा पेट में दर्द और ऐंठन, इत्यादि लक्षण प्रगट हो सकते हैं। कोलाइटिस के लिए उपचार, इसके प्रकार और उनके कारणों पर निर्भर करता है। कोलाइटिस की स्थिति हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है तथा अनेक प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। अतः जल्द से जल्द इसके लक्षणों की पहचान कर व्यक्तियों को इलाज प्राप्त करना चाहिए। यह लेख कोलाइटिस के बारे में है। इस आर्टिकल में कोलाइटिस के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और बचाव के बारे में जान सकते हैं।
कोलाइटिस की बीमारी बृहदान्त्र (colon) की सूजन की स्थिति है। बृहदान्त्र (colon) को बड़ी आंत (large intestine) के रूप में भी जाना जाता है। कोलाइटिस की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति लंबे समय तक हल्के से लेकर गंभीर पेट दर्द और असुविधा को महसूस कर सकता है। कोलाइटिस के लक्षण गंभीर और अचानक प्रकट हो सकते हैं। संक्रमण, खराब रक्त संचरण (इस्किमिया (ischemia)), और ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं सहित अनेक कारण कोलाइटिस को जन्म दे सकते हैं। कोलाइटिस अनेक प्रकार का होता है, और उपचार इसके प्रकार पर निर्भर करता है।
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कोलाइटिस के अनेक प्रकार हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
अल्सरेटिव कोलाइटिस की बीमारी, बड़ी आंत की आंतरिक परत के भीतर सूजन और अल्सर से रक्तस्राव की स्थिति का कारण बनती है। यह कोलाइटिस का सबसे सामान्य और व्यक्तियों को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला प्रकार है। अल्सरेटिव कोलाइटिस की समस्या आमतौर पर मलाशय (rectum) में शुरू होती है और बृहदान्त्र (colon) तक फैल जाती है। बैक्टीरिया संक्रमण अल्सरेटिव कोलाइटिस का प्रमुख कारण बनता है।
इस्केमिक कोलाइटिस (IC) की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब बृहदान्त्र में रक्त का प्रवाह अचानक कम हो जाता है या रुक जाता है। रक्त के थक्के और एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) की समस्या इस रुकावट का कारण बन सकती हैं। इस्केमिक कोलाइटिस अनेक अंतर्निहित स्थितियों के परिणामस्वरुप उत्पन्न होता है, जिनमें शामिल हैं:
कुछ दवाओं का साइड इफेक्ट, इत्यादि।
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माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस, बड़ी आंत की सूजन है, जो लगातार पानी के समान दस्त का कारण बनती है। इसके अन्य सामान्य लक्षणों में क्रॉनिक वाटर डायरिया, पेट फूलना और पेट दर्द शामिल हैं। इसका निदान माइक्रोस्कोप की सहायता से ऊतक की जांच कर किया जाता है, इसलिए इसे माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस कहा जाता है। माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस के सामान्य कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
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एलर्जी कोलाइटिस (Allergic colitis) एक ऐसी स्थिति है जो शिशुओं को, आमतौर पर जन्म के बाद पहले दो महीनों के भीतर प्रभावित कर सकती है। यह स्थिति शिशुओं के मल में रक्त का बहाव, अत्यधिक उलटी होना, घबराहट और अन्य लक्षणों के प्रगट होने का कारण बन सकती है।
हालांकि एलर्जी कोलाइटिस का सही कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययन के अनुसार, स्तन दूध में उपस्थित कुछ घटकों के कारण शिशुओं में एलर्जी या हाइपरसेंसिटिव प्रतिक्रिया (hypersensitive reaction), एलर्जी कोलाइटिस का कारण बनती है।
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कोलाइटिस के सामान्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
कोलाइटिस रोग की स्थिति में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (gastrointestinal system) से सम्बंधित अन्य लक्षणों में गैस, ब्लोटिंग (bloating), अपच (indigestion), हार्टबर्न (heartburn), गैस्ट्रो एसोफैगल रिफ्लक्स डिजीज (gastro esophageal reflux disease), ऐंठन, आंत्र आग्रह (bowel urgency) और अन्य असुविधाजनक दर्द शामिल हो सकते हैं।
बृहदान्त्र की सूजन या कोलाइटिस की समस्या विभिन्न बीमारियों, रक्त संचरण की बाधा और बड़ी आंत में संक्रमण के कारण उत्पन्न हो सकती है। कोलाइटिस के सबसे आम कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
कोलाइटिस के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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यदि समय पर कोलाइटिस का इलाज नहीं किया गया, तो यह समस्या निम्न प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है, जिनमें शामिल हैं:
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यदि किसी व्यक्ति को समय-समय पर दस्त का अनुभव होता है, तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त निम्न लक्षण प्रगट होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है, जिनमें शामिल हैं:
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कोलाइटिस का निदान करने के लिए डॉक्टर रोगी के चिकित्सकीय इतिहास से सम्बंधित कुछ प्रश्न पूंछ सकता है, तथा शारीरिक परीक्षण, प्रयोगशाला परीक्षण और इमेजिंग परीक्षण की मदद ले सकता है। कोलाइटिस के सामान्य परीक्षणों में निम्न शामिल हैं:
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कोलाइटिस के कारणों के आधार पर उपचार प्रक्रिया को अपनाया जाता है। डॉक्टर उपचार प्रक्रिया में आंत्र (bowel) को आराम करने के लिए अंतःशिरा तरल पदार्थ (intravenous fluids) और दर्द को नियंत्रित करने के लिए दवाओं को शामिल कर सकता हैं।
बैक्टीरियल संक्रमण कोलाइटिस की स्थिति में डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की सिफारिश कर सकता है। जबकि वायरल संक्रमण की स्थिति में तरल पदार्थ के साथ उपचार करने की आवश्यकता होती है। साल्मोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया संक्रमण की स्थिति में एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है, शरीर अपने आप संक्रमण से छुटकारा पाने में सक्षम होता है।
कोलाइटिस का कारण बनने वाली इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease (IBD)) को नियंत्रित करने के लिए दवाओं जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory), का उपयोग किया जाता है।
कोलाइटिस की गंभीर स्थितियों में बृहदान्त्र (colon) और छोटी आंत को हटाने के लिए सर्जरी का भी उपयोग किया जा सकता है।
कोलाइटिस के प्राथमिक लक्षणों जैसे डायरिया और पेट दर्द की समस्या को दूर करने के लिए स्पष्ट तरल आहार और टाइलेनॉल (Tylenol) नामक दवा का उपयोग किया जा सकता है। कुछ रोगियों में निर्जलीकरण की समस्या को दूर करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट प्रतिस्थापन की आवश्यकता पड़ सकती है।
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कोलाइटिस की बीमारी से बचने के लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
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कोलाइटिस की स्थिति में निम्न आहार का सेवन लक्षणों को कम करने में सहायता कर सकता है, जिनमें शामिल है:
अनेक शोधों में पाया गया है कि, अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने से कोलाइटिस के लक्षण ट्रिगर होते हैं। अतः विशेषज्ञों द्वारा कोलाइटिस से पीड़ित व्यक्तिओं को इसके लक्षणों को ट्रिगर करने वाले पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती है, जिनमें शामिल हैं:
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