बड़ी आंत पाचनतंत्र का हिस्सा होती हैं, जिसमें कैंसर विकसित होना जीवन को खतरे में डाल सकता है। कोलन कैंसर (बड़ी आंत) और रेक्टल कैंसर दोनों एक साथ होता है इसलिए इसे कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer) कहते हैं। वर्तमान में कैंसर व्यक्तियों की मौत का प्रमुख कारण बन रहा है। हालांकि कैंसर का इलाज किया जा सकता है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि इसका जल्द से जल्द निदान किया जाए। आज इस लेख में आप कोलन कैंसर क्या है, इसके कारण लक्षण जांच के तरीके, इलाज और बचाव संबंधी उपाय के बारे में जानेगें।
कोलन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो बड़ी आंत (colon) में ट्यूमर के विकसित होने पर होता है। बड़ी आंत हमारे पाचन तंत्र का अंतिम भाग है। ज्यादातर बड़ी आंत का कैंसर, कोशिकाओं के छोटे-छोटे गुच्छे से उत्पन्न होता है जिसे एडिनोमेटस पॉलिप (adenomatous polyps) के नाम से जाना जाता है। समय के साथ ये पॉलिप्स बढ़कर कोलन कैंसर (colon cancer) के रूप में विकसित हो जाते हैं। पॉलिप्स छोटे होते हैं और कम संख्या में उत्पन्न होते हैं। कोलन कैंसर के लक्षण दिखने के बाद डॉक्टर इससे बचाव के लिए नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की सलाह देते हैं और टेस्ट में कोलन कैंसर का पता लगने पर पॉलिप्स को कैंसर का रूप लेने से पहले की निकाल देते हैं।
अधिकाँश स्थितियों में कोलन कैंसर के साथ-साथ रेक्टल (मलाशय) कैंसर भी विकसित होता है, इसलिए इसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। रेक्टल कैंसर मलाशय में होता है। कैंसर से होने वाली मौतों में यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है। समय पर कोलन कैंसर का निदान हो जाने पर स्क्रीनिंग और इलाज के जरिए मरीज के जीवन को बचाया जा सकता है।
कोलन कैंसर की स्टेज के आधार पर डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि कैंसर कितना विकसित है और कहा तक फैला चुका है। कैंसर किस स्टेज में है इस बात का निदान करने के बाद डॉक्टर सर्वोत्तम उपचार प्रक्रिया को अपनाकर इलाज करता है। स्टेज 0 कोलोरेक्टल कैंसर की सबसे प्रारंभिक स्थिति है और स्टेज 4 सबसे उन्नत और खतरनाक स्थिति है:
0 स्टेज – कैंसर की 0 स्टेज को कार्सिनोमा इन सीटू (carcinoma in situ) के रूप में भी जाना जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर की इस स्टेज में असामान्य कोशिकाएं या ट्यूमर कोशिकाएं केवल कोलन या मलाशय (rectum) की आंतरिक परत में मौजूद होती हैं।
1 स्टेज – स्टेज 1 में कैंसर बड़ी आंत या मलाशय के अस्तर या म्यूकोसा (mucosa) में प्रवेश कर चुका होता है और मांसपेशियों की परत (muscle layer) में विकसित हो सकता है। लेकिन अभी इस स्थित्ति में कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भागों में नहीं फैला होता है।
2 स्टेज – इस स्टेज में कैंसर बृहदान्त्र या मलाशय की दीवारों या दीवारों के माध्यम से आस-पास के ऊतकों में फैल चुका होता है, लेकिन इस स्टेज में कैंसर से लिम्फ नोड्स प्रभावित नहीं हुए हैं।
3 स्टेज – कोलन कैंसर की स्टेज 3 में कैंसर लिम्फ नोड्स में फैल चुका है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला होता है।
4 स्टेज – स्टेज 4 कैंसर की अंतिम स्टेज है जिसमें कैंसर शरीर के अन्य अंगों, जैसे- लिवर या फेफड़ों में फैल गया है।
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ज्यादातर मामलों में यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि कोलन कैंसर (colorectal cancer) होने का कारण क्या है। डॉक्टर बताते हैं कि कोलन कैंसर तब होता है जब कोलन में स्वस्थ कोशिकाओं के आनुवांशिक डीएनए (DNA) में म्यूटेशन या परिवर्तन होता है। शरीर की क्रियाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए स्वस्थ कोशिकाएं व्यवस्थित ढंग से विकसित एवं विभाजित होती हैं। लेकिन जब कोशिका का डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो यह कैंसर का रूप ले लेता है और नई कोशिका की आवश्यकता न होने पर भी ये कोशिकाएं लगातार विभाजित होने लगती हैं। जैसे-जैसे कोशिकाएं जमा होती जाती हैं, वे ट्यूमर बनाती जाती हैं।
समय के साथ कैंसर कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं और अपने आसपास की सामान्य कोशिकाओं को नष्ट करने लगती हैं। कैंसर की कोशिकाएं (cancer cells) शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में घूमती रहती हैं और जमा होती रहती हैं।
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कुछ स्वास्थ्य संबंधी कारक कोलन कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, इन कारकों में शामिल हैं:
कोलन कैंसर बड़ी आंत (large intestine)को प्रभावित करता है और आमतौर पर यह छोटे-छोटे पॉलिप्स (polyps)से विकसित होता है। कोलन कैंसर के शुरूआती चरण में प्रायः इसके लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। लेकिन जब कैंसर बढ़ जाता है तब इसके लक्षण दिखायी देने लगते हैं।
कोलन कैंसर के मुख्य लक्षण निम्न हैं
यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं, तो कोलोरेक्टल कैंसर की जांच कराने के बारे अपने डॉक्टर में चर्चा करनी चाहिए।
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अगर कोलन कैंसर शरीर के किसी अन्य हिस्से में फैल जाता है, तो उस नए स्थान पर भी कोलन कैंसर के लक्षण दिखायी देना शुरू हो जाते हैं। विशेष रूप से कोलन कैंसर का असर लिवर पर ज्यादा पड़ता है। इस स्थिति में व्यक्ति अतिरिक्त लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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कोलोरेक्टल कैंसर का शीघ्र निदान डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य इतिहास के बारे में जानकारी लेगा और शारीरिक परीक्षण करेगा। डॉक्टर कोलन कैंसर का निदान करने के लिए एक या एक से अधिक परीक्षणों की मदद ले सकता हैं जिनमें शामिल हो सकते है:
कोलन कैंसर का इलाज मरीज में कैंसर की स्टेज, उसके समग्र स्वास्थ्य एवं उम्र पर निर्भर करता है। ज्यादातर मामलों में कोलन कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का सहारा लिया जाता है।
सर्जरी में कोलन के ज्यादातर हिस्सों को निकाल दिया जाता है जिसे कोलेक्टोमी (colectomy) कहा जाता है। सर्जन कैंसर से ग्रसित कोलन के आसपास के क्षेत्रों को भी हटा देते हैं। इसके अलावा कोलोरेक्टर कैंसर की सर्जरी के दौरान मरीज को कोलोस्टोमी (colostomy) की भी जरूरत पड़ सकती है।
कीमोथेरेपी में कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया को रोकने और प्रोटीन एवं डीएनए को टूटने से बचाने के लिए तथा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रसायन का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी तेजी से विभाजित हो रही कोशिकाओं के साथ ही स्वस्थ कोशिकाओं को भी लक्षित करता है। स्वस्थ कोशिकाएं आमतौर पर केमिकल के प्रभाव से क्षतिग्रस्त होने से बच जाती हैं लेकिन कैंसर कोशिकाएं नहीं बच पाती हैं। कीमोथेरेपी के तहत दी जाने वाली दवा शरीर के संपूर्ण हिस्से में प्रवेश कर जाती है, इसलिए कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। साइड इफेक्ट के रूप में कीमोथेरेपी के दौरान मरीज के बाल झड़ सकते हैं, उसे थकान या उल्टी महसूस हो सकती है।
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रेडिएशन के माध्यम से कोलन कैंसर के इलाज में उच्च ऊर्जा वाली गामा-किरणों (gamma-rays) का प्रयोग किया जाता है। रेडियोएक्टिव गामा रेडियम या उच्च ऊर्जा वाली एक्स-रे, मेटल से उत्सर्जित होती हैं। रेडियोथेरेपी ट्यूमर को सिकोड़ने और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए इलाज के रूप में उपयोग में लाई जाती है। ज्यादातर रेडिएशन ट्रीटमेंट को कोलन कैंसर की 3 स्टेज में उपयोग में लाया जाता है। रेडिएशन ट्रीटमेंट में मरीज को थकान, डायरिया, उल्टी के साथ उसकी त्वचा झुलस सकती है।
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कोलन कैंसर के उपचार के दौरान डॉक्टर टारगेटेड थेरेपी (Targeted therapies) और इम्मुनोथेरपी (immunotherapies) की भी सहायता ले सकता है। जिसके तहत कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज के लिए निम्न दवाओं को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
कोलन कैंसर से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए 50 वर्ष की उम्र के बाद नियमित रूप से स्क्रीनिंग करवाना चाहिए। लेकिन जिन लोगों के परिवार में किसी व्यक्ति को कोलन कैंसर रहा हो, उसे पहले से ही समय समय पर अपनी स्क्रीनिंग करवाते रहना चाहिए। कोलन कैंसर से बचने से लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
कोलोरेक्टल कैंसर (कोलन कैंसर) के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव (Colorectal Cancer (Colon Cancer) in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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