Commercial surrogacy banned in India in Hindi: कमर्शियल सरोगेसी (किराए की कोख) से जुड़ा एक विधेयक लोकसभा में पास कर दिया गया है। जो देश में सरोगेसी के वाणिज्यिक रूपों पर प्रतिबंध लगाता है। जिसके तहत कमर्शियल सरोगेसी (Commercial Surrogacy) पर बैन लगा दिया है। यह कदम, महिलाओं को लाभ पहुंचाने और प्रक्रिया को वैध बनाने के लिए उठाया गया है, यह कानून अब लोगों को किराए की कोख से बच्चे पैदा करना थोड़ा और अधिक कठिन बना देगा।
भारत अब वैश्विक मानचित्र पर बहुत से देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने कमर्शियल सरोगेसी (किराए की कोख) पर प्रतिबंध लगा दिया है। हाल के वर्षों में, सरोगेसी एक उच्च लागत वाली चिकित्सा प्रक्रिया बन गई है, जिसमे भारत विश्व स्तर पर एक बड़ा “कमर्शियल सरोगेसी हब” बन गया है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया कि मोटे अनुमान के अनुसार, भारत में अवैध रूप से 2,000-3000 सरोगेसी क्लीनिक चल रहे हैं इन सरोगेसी सेंटर में हज़ारों विदेशी जोड़े बच्चे पैदा करने की चाह में भारत आते हैं और सरोगेसी से बच्चे पैदा करवाते हैं और ये पूरी प्रक्रिया अनियमित है। अनैतिक प्रथाओं, सरोगेसी से पैदा हुए बच्चों को छोड़ने और सरोगेट माताओं के शोषण के बारे में यह रिपोर्टें सामने आई हैं।
विषय सूची
- अब कौन ले सकेगा सरोगेसी का सहारा
- क्या होगा सरोगेसी नियमन विधेयक, 2019 का असर
- सरोगेसी क्या है?
- अब कौन नहीं ले सकेगा सरोगेसी का सहारा
- फैशन बनता जा रहा है सरोगेसी से बच्चे पैदा करना
अब कौन ले सकेगा सरोगेसी का सहारा
नए कानूनों के अनुसार, केवल विवाहित भारतीय जोड़े, जो कम से कम पांच साल से एक साथ हैं और जब एक चिकित्सक द्वारा महिला को गर्भ धारण करने के लिए चिकित्सकीय रूप से अनफिट समझा जाता है, तो उन्हें सरोगेट मदर पर निर्भर रहने की अनुमति दी जाएगी। यह कदम अब लोगों के लिए सरोगेसी को ‘किराए की कोख ‘ व्यवसाय के रूप में चलाने और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं का शोषण करने के लिए कठिन बना देता है, जिन्हें अक्सर अपने अधिकारों के बारे में अंधेरे में रखा जाता है।
यह कहा जा रहा है, सरोगेसी चुनने का विकल्प समलैंगिक जोड़ों (homosexual couples) और माता-पिता बनने के इच्छुक एकल लोगों के लिए भी अविश्वसनीय रूप से कठिन होगा। नए कानून के तहत, विदेशी और अनिवासी भारतीयों (foreigners and NRIs) को सरोगेसी की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कुछ के अनुसार, नए बिल से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में भी मदद मिलेगी। विवाहित जोड़े जिनके बच्चे हैं, उन्हें सरोगेसी का विकल्प चुनने की अनुमति नहीं होगी। बांझ दंपतियों के लिए परोपकारी सरोगेसी (Altruistic surrogacy) की अनुमति अब केवल “करीबी रिश्तेदार” (close relative) से ही दी जाएगी।
विधेयक का उद्देश्य क्रमशः 23-50 और 26-55 वर्ष की आयु के भीतर महिलाओं और पुरुषों के लिए बांझ (infertile) भारतीय विवाहित जोड़ों के लिए नैतिक परोपकारी सरोगेसी (ethical altruistic surrogacy) की अनुमति देना है। एक महिला को केवल एक बार सरोगेट मां बनने की अनुमति दी जानी चाहिए, बिल के अनुसार एक विवाहित महिला होने के अलावा, कपल के करीबी रिश्तेदार की आयु 25-35 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यह बिल यह भी सुनिश्चित करता है कि सरोगेट मदर और दंपति के रिश्तेदार के बीच धन का आदान-प्रदान नहीं होगा।
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क्या होगा सरोगेसी नियमन विधेयक, 2019 का असर
सरोगेसी नियमन विधेयक, 2019 भी देश में अवैध रूप से चल रहे आईवीएफ और सरोगेसी क्लीनिकों की संख्या को कम करने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाए जाएंगे कि जो जोड़े सरोगेट का उपयोग करना चाहते हैं, वे बच्चे को न छोड़ें।
अभी कमर्शियल सरोगेसी (किराए की कोख) सिर्फ कुछ चुनिंदा देशों जैसे यूक्रेन, रूस और अमेरिका के कैलीफोर्निया में ही वैध है। इस बिल के तहत कमर्शियल सरोगेसी (किराए की कोख) करने वाले लैब्स, क्लीनिक या फिर किराए की कोख का विज्ञापन देने वालों पर 10 साल की जेल और 10 लाख का जुर्माना हो सकता है।
सरोगेसी क्या है?
यह परिस्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई महिला किसी कारण से गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं होती। जैसे की महिला के गर्भाशय में संक्रमण हो, बच्चे को जन्म देने में कठिनाई आती हो, बार-बार गर्भपात हो रहा हो या फिर बार-बार आईवीएफ तकनीक फेल हो रही हो।
- सरोगेसी में एक अन्य महिला और दंपति के मध्य एक एग्रीमेंट होता है, जो दंपति अपना खुद का बच्चा चाहता है। अर्थात इसमें बच्चे के जन्म होने तक एक अन्य महिला के कोख को रेंट पर लिया जाता है।
- सरोगेसी यानी किराए की कोख, मेडिकल कारणों के कारण कपल बच्चे पैदा करने के लिए किसी महिला की कोख किराए पर लेते हैं। किराए की कोख देने वाली महिलाओं को सरोगेट मदर कहा जाता है।
- वहीं, अब सिर्फ रिश्तेदार में मौजूद महिला ही सरोगेसी के जरिए मां बन सकती है। जो भी महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्म देने को तैयार हो जाती है उसे ही ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है।
- आईवीएफ टेक्नोलॉजी के जरिए पति के स्पर्म (शुक्राणुओं) और पत्नी के एग्स (अंडे) से बना एंब्रियो को तीसरी महिला की कोख में डाल दिया जाता है। इससे जो बच्चा जन्म लेता है उसका डीएनए, सरोगेसी कराने वाले कपल का ही होता है।
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अब कौन नहीं ले सकेगा सरोगेसी का सहारा
अविवाहित पुरुष या महिला, सिंगल पैरेंट, लिव-इन रिलेश्नशिप में रहने वाले जोड़े और समलैंगिक जोड़े (होमोसेक्शुअल कपल्स) भी अब सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।
इस बिल के मुताबिक, ऐसे मामलों के लिए नेशनल सरोगेसी बोर्ड और स्टेट सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जायेगा। और इन्हीं के जरिए सरोगेसी को चलाया जाएगा। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस कपल्स को पहले से ही बच्चे हैं, वे सेरोगेसी नहीं करा सकते। हालांकि, उन्हें एक अलग कानून के तहत बच्चे को गोद लेने का अधिकार है।
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फैशन बनता जा रहा है सरोगेसी से बच्चे पैदा करना
सरोगेसी यानी की किराए की कोख, पिछले कुछ एक दशक में काफी फेमस हो गयी है। इसकी फेमस होने का मुख्य वजह को ‘फैशन सरोगेसी’ यानी सेलिब्रेटियों का सरोगेसी के जरिए मां-बाप बनना माना जाता है इसके अलावा विदेशी कपल के लिए भारत का ‘ कमर्शियल सरोगेसी हब’ बनना भी था। पिछले कुछ समय से सरोगेसी से बच्चे पैदा करना आम लोगों के अलावा बॉलीवुड सितारों के बीच भी काफी ट्रेंड में हैं। जिसमे कुछ नामी हस्तियां भी शामिल है जो सरोगेसी से बच्चे पैदा करवा चुकी है। जिसमे करण जोहर, तुषार कपूर से लेकर आमिर खान ने भी सेरोगेसी का लाभ लिया है। हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस लीजा रे की दो बेटियां सरोगेसी से हुईं। इससे पहले शाहरुख खान, करण जौहर, तुषार कपूर, सोहेल खान, आमिर खान, सनी लियोन और फरहा खान ने भी सरोगेसी कराई है।
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