फंगल संक्रमण बहुत आम है और सामान्य रूप से यह तब होता है जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके अलावा जब कोई व्यक्ति अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक का सेवन करता है तब आम फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन सामान्य त्वचा संक्रमण या आम फंगल इन्फेक्शन के घरेलू उपाय भी किये जा सकते हैं। कैंसर और मधुमेह जैसी कुछ स्थितियां भी फंगल संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। सामान्य रूप से फंगल संक्रमण कवक या बैक्टीरिया के कारण होते हैं। आज इस आर्टिकल में आप फंगल इन्फेक्शन और उनके घरेलू उपचार संबंधी जानकारी प्राप्त करेंगे।
फंगल संक्रमण सामान्य रूप से एक प्रकार का त्वचा संक्रमण है जो कई कारणों से होता है। लेकिन आम फंगल संक्रमण के प्रकार के आधार पर ही इनका घरेलू उपचार किया जा सकता है। आइए जाने आम फंगल संक्रमण के प्रकार क्या हैं।
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इस प्रकार का संक्रमण छोटी उम्र के बच्चों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि दाद वयस्कों को नहीं हो सकती है। यह संक्रमण किसी कीड़े के काटने से नहीं बल्कि टीनिया नामक फफूंद (tinea fungus) के कारण होता है। इस प्रकार का कवक त्वचा, बाल और नाखूनों के मृत ऊतकों पर रहता है। यह फंल संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से जैसे सिर, हाथ-पैर, कमर या गुप्तांगों के आसपास हो सकता है। यह फंगल संक्रमण एक उभरे हुए गोलाकर चकते की तरह दिखाई देता है। यह बहुत ही तेजी से फैलने वाला संक्रमण है जो एक व्यक्ति या जानवर से दूसरे तक आसानी से फैल सकता है।
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पैरों में होने वाले संक्रमण में एथलीट फुट एक आम फंगल संक्रमण है। इस प्रकार के संक्रमण होने के दौरान पैरों की त्वचा का छिलना, दरार आना, पैर के छाले गंभीर रूप लेना, पैरों में खुजली होना आदि लक्षण होते हैं। यदि आप भी इन्हीं में से किसी लक्षणों के शिकार हैं तो संभव है कि आपको एथलीट फुट संक्रमण हो सकता है। इस प्रकार का संक्रमण भी बैक्टीरियल प्रभाव के कारण होता है। यह ट्राइकोफाइटन रूब्रम (trichophytonrubrum) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। एथलीट फुट संक्रमण तब होता है जब आप लंबे समय तक तंग या टाइट जूते पहनते हैं। इस दौरान पैरों को पर्याप्त मात्रा में खुली हवा नहीं मिलती है जिससे पसीने की अधिकता के कारण संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
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इस प्रकार का संक्रमण विशेष रूप से महिलाओं को होता है। खमीर संक्रमण महिलाओं के लिए कष्टप्रद होता है जो समय समय पर उन्हें परेशान करता है। हालांकि यह संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से की त्वचा को प्रभावित कर सकता है। इस फंगल संक्रमण के लिए सबसे अनुकूलित जगह शरीर के वे हिस्से होते हैं जो सामान्य रूप से गर्म और नमी युक्त होते हैं। खमीर संक्रमण कैंडिडा नामक कवक के कारण होता है जो त्वचा को परतदार और खुजलीदार चकते देता है। हालांकि यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के पास स्थानांतरित नहीं होता है। लेकिन इस संक्रमण की संभावना उन लोगों को अधिक होती है जो सामान्य से अधिक मोटे होते हैं।
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इस प्रकार का फंगल संक्रमण महिलाओं की योनि में होता है। योनि खमीर संक्रमण कैंडिडा अल्बिकन्स कवक (Candida albicans fungus) के कारण होता है। इस प्रकार का संक्रमण तब होता है जब योनि के पीएच स्तर में असंतुलन होता है इसके अलावा खराब स्वास्थ्य, मधुमेहऔर एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करना भी इस संक्रमण का कारण हो सकता है। वजाइनल ईस्ट इन्फेक्शन के लक्षणों में योनि की खुजली और सूजन आदि शामिल हैं। इसके अलावा पेशाब या सेक्स करने के दौरान योनि में दर्द होना, जलन होना और पानी निकलना आदि भी वजाइनल ईस्ट इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं।
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यदि आप फंगल इन्फेक्शन से परेशान हैं तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि बैक्टीरियल संक्रमण का आप घर पर ही इलाज कर सकते हैं। किसी भी फंगल संक्रमण का घरेलू इलाज करने करने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि यह फंगल संक्रमण क्या है। क्योंकि इनके प्रभाव और लक्षणों के आधार पर ही इनका इलाज प्रभावी हो सकता है। आइए जाने प्रकार के आधार पर आम फंगल संक्रमण के घरेलू उपाय और इलाज किस प्रकार किया जा सकता है।
यदि आप दाद या रिंगवाम जैसे फंगल संक्रमण से ग्रसित हैं तो घबराएं नहीं यह एक आम समस्या है। लेकिन समय रहते आपको इसका इलाज करना चाहिए। इसके लिए आप डॉक्टर के पास जा सकते हैं। लेकिन दाद को ठीक करने के कुछ आसान से घरेलू उपाय भी होते हैं। जिनकी मदद से आप घर पर ही दाद का उपचार कर सकते हैं। आइए जाने फंगल संक्रमण दाद के घरेलू उपचार क्या हैं।
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दाद या हर्पीज के लक्षणों को दूर करने के लिए लहसुन का उपयोग किया जा सकता है। लहसुन में एंटी-फंगल गुण होते हैं जो फंगल संक्रमण संबंधी बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं। दाद का घरेलू उपचार करने के लिए आप लहसुन का पेस्ट बनाएं और प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। लहसुन कैंडिडा (Candida), टॉरुलोप्सिस (Torulopsis), ट्राइकोफाइटन (Trichophyton) और क्रिप्टोकोकस (Cryptococcus) जैसे कई प्रकार के कवक बैक्टीरिया के विकास को रोक सकता है। दाद के घरेलू इलाज के लिए आप लहसुन के पेस्ट को नारियल या जैतून के तेल में मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। कुछ देर के बाद आप इसे सामान्य पानी से धो लें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से दिन में दो बार इस उपाय को करने से आप दाद को जड़ से दूर कर सकते हैं।
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यह देखने में आपको अजीब लग सकता है लेकिन यह दाद से छुटकारा पाने का सबसे आसान उपाय है। शरीर के अन्य भागों में इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आप रिंगवॉर्म प्रभावित क्षेत्र को साबुन से अच्छी तरह धोएं। नमी युक्त क्षेत्र कवक के पपने के लिए बहुत ही अनुकूल होते हैं इसलिए साबुन से प्रभावित क्षेत्र को धोने के बाद अच्छी तरह से सुखाएं। इसके लिए आप जीवाणुरोधी साबुनों का उपयोग करें जो आपके शरीर की त्वचा में मौजूद जीवाणुओं और कीटाणुओं को हटाने में सहायक होते हैं।
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एप्पल साइडर विनेगर में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। जिसके कारण यह दाद और इससे संबंधित लक्षणों को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। दाद का घर में इलाज करने के लिए आप एक कटोरी में सेब का सिरका लें। अब कपास की रूई को इसमें भिगोएं और प्रभावित क्षेत्र में इसे लगाएं। दिन में 2 से 3 बार इस उपाय को करने से आपको जल्दी ही दाद से राहत मिल सकती है।
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सूजन, लालिमा और खुजली एवं दाद को दूर करने में सरसों के बीज बहुत फायदेमंद होते हैं। सरसों के बीज को पानी मिलाकर अच्छी तरह पीसकर इसे प्रभावित हिस्से पर लगाने के बाद इसपर पट्टी बांध लें। सूखने के बाद इसे पानी से धो लें। दो हफ्तों तक यह प्रक्रिया दोहराएं जबतक कि दाद से राहत नहीं मिल जाती है।
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त्वचा के लिए एलोवेरा एक वरदान है। आप अपनी त्वचा संबंधी लगभग सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा में मौजूद औषधीय गुण त्वचा संबंधी फंगल इन्फेक्शन का प्रभावी इलाज कर सकते हैं। एलोवेरा में एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं जो कवक, बैक्टीरिया और वायरस आदि को कम करने में सहायक होते हैं। आप दाद के घरेलू उपचार में एलोवेरा जेल को प्रभावित क्षेत्र में दिन में कम से कम 3 से 4 बार लगाएं।
नारियल का तेल त्वचा संक्रमण के लिए प्राचीन समय से उपयोग किया जा रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि नारियल का तेल फंगल संक्रमण और कवक कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम है। दाद का घरेलू इलाज करने के लिए आप नारियल तेल को दाद प्रभावित क्षेत्र में कई बार लगाएं। यह फंगल संक्रमण के विकास को रोकने और इसके फैलने की संभावना को कम करता है।
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हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंअी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। जिसके कारण यह त्वचा में होने वाले फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज कर सकती है। यदि आप भी दाद से प्रभावित हैं तो हल्दी का पेस्ट बनाएं और इसे दाद पर लगाएं। पेस्ट बनाने के लिए आप पानी या नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं। इस मिश्रण का उपयोग करने पर आपको कुछ ही दिनों में दाद से राहत मिल जाती है।
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दाद का घरेलू उपचार करने का यह आसान और प्रभावी तरीका है। आप मुलेठी पाउडर और पानी के मिश्रण से एक पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को दाद प्रभावित भाग में लगाएं। ऐसा करने से प्रभावित क्षेत्र की सूजन और खुजली जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। साथ ही मुलेठी के औषधीय गुण फंगल संक्रमण को कम करने में भी सहायक होते हैं।
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फंगल संक्रमण के इलाज के लिए प्राचीन उपचार विधियों में टी ट्री ऑइल का उपयोग किया गया है। इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। इस तेल को अन्य वाहक तेल (Carrier oil) के साथ मिलाकर प्रभावित त्वचा में लगाएं। यह दाद और दाद के लक्षणों को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
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नींम में एंटीफंगल एवं एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जिसके कारण दाद के इलाज में नीम का तेलया नीम की पत्तियों के पेस्ट का उपयोग किया जाता है। आधे चम्मच नीम के पत्ते के पावडर में एक चम्मच गर्म पानी मिलाकर पेस्ट बना लीजिए और इसे दाद पर लगाने से इससे निजात मिलती है।
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि त्वचा या फंगल संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होते हैं। जिनका घरेलू उपचार करना भी आसान है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि घरेलू उपचार उस दौरान किया जाना चाहिए जब संक्रमण गंभीर स्थिति में न हो। यदि संक्रमण गंभीर स्थिति में है तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। आइए जाने फंगल संक्रमण एथलीट फुट के घरेलू उपाय क्या हैं।
क्या आप एथलीट फुट संक्रमण से परेशान हैं। यदि ऐसा है तो इसके घरेलू उपचार के लिए टी ट्री ऑइल का उपयोग किया जा सकता है। आप एक छोटे टब में पानी भरें और इसमें टी ट्री ऑइल की 30 से 40 बूंदें मिलाएं। इसके बाद अपने पैरों को इस टब में डुबोएं या पानी से पैरों को अच्छी तरह से गीला करें। इसके बाद पैरों को पानी से बाहर निकालें और सुखाने के बाद टी ट्री ऑइल से पैरों की हल्की मालिश करें। ऐसा करने से आपको फंगल इन्फेक्शन एथलीट फुट के लक्षणों को दूर करने में मदद मिलेगी।
पैर में होने वाले फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए आप सेब के सिरका का उपयोग करें। इसके लिए आप सेब साइडर बिनेगर, हिमालयन क्रिस्टल नमक और पानी के मिश्रण में पैरों को भिगोएं। इस मिश्रण में एंटी-फंगल गुण होते हैं। 10 मिनिट तक पैरों को इस पानी में भिगोने के बाद पैरों को अच्छी तरह से सुखाएं और इसी घोल से अपने जूते के अंदरूनी भाग को अच्छी तरह से पोंछ लें। इस तरह से आप अपने घर पर एथलीट फुट फंगल इन्फेक्शन का इलाज कर सकते हैं।
पैरों में होने वाले फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए आप अपने जूतों में बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करें। ऐसा करना आपके जूते पहने के बाद आने वाली नमी को सोख लेगा। जिसके कारण एथलीट फुट के संक्रमण के प्रसार और विकास को रोकने में मदद मिलती है।
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हाइड्रोजन पेरोक्साइड एथलीट फुट संक्रमण के लिए अद्भुद इलाज है। यह बैक्टीरिया और कवक दोनों को प्रभावी रूप से मारता है। एथलीट फुट संक्रमण के उपचार के लिए आप पानी में हाइड्रोजन पेरोक्साइड को मिलाएं और इस मिश्रण से पैरों को भिगोएं।
लहसुन में एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। इन गुणों के कारण लहसुन एथलीट फुट जैसे फंगल इन्फेक्शन का प्रभावी रूप से इलाज कर सकता है। जिस तरह से आप दाद का इलाज करने के लिए लहसुन का उपयोग करते हैं। ठीक उसी तरह उपयोग करने पर यह एथलीट फुट संक्रमण का भी इलाज कर सकता है। आप जैतून या नारियल तेल के साथ लहसुन के पेस्ट को मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। लगभग 30 मिनिट के बाद आप अपने पैरों को सामान्य पानी से धो लें। नियमित रूप से इस उपाय को दिन में 2 से 3 बार दोहना चाहिए।
योनि में होने वाले संक्रमण में योनि यीस्ट इन्फेक्शन या वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन भी शामिल है। यदि आप बस एक एंटिफंगल क्रीम या डॉक्टर के द्वारा बताये गए उपचार के अतिरिक्त कोई अन्य यीस्ट इंफेक्शन के घरेलू उपाय खोज रहे हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपचार के बारे में बताएँगे जिससे आप योनि में यीस्ट संक्रमण से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जाने योनि में यीस्ट इन्फेक्शन के घरेलू उपाय और इलाज क्या हैं।
योनि में होने वाले बैक्टीरियल इंफेक्शन का उपचार करने के लिए नारियल तेल का उपयोग फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नारियल तेल में एंटीवायरल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं।नारियल तेल का उपयोग करके एक योनि यीस्ट संक्रमण का इलाज करने के लिए आप इस प्रभावित क्षेत्र को अच्छी तरह से धोएं और एक मुलायम कपड़े का उपयोग करके इसे अच्छे से सुखाएं। अध्ययनों के अनुसार नारियल का तेल सी. अल्बिकन्स (C. albicans) नामक बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करने में असरदार होता है।
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महिलाएं वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन से ग्रसित हैं उन्हें एप्सम साल्ट वाथ लेना चाहिए। एप्सॉम साल्ट में मैग्नीशियम मुख्य घटक के रूप में मौजूद रहता है। यह घटक यीस्ट को मारने और संक्रमण को फैलने से रोकने में प्रभावी होता है। योनि यीस्ट संक्रमण को दूर करने के लिए आप अपने नहाने के गुनगुने पानी में 2 कप सेंधा नमक मिलाएं और इससे योनि को अच्छी तरह से धोएं। इस प्रकार के फंगल इन्फेक्शन को दूर करने के लिए आप इस उपाय को सप्ताह में 2 से 3 बार दोहरा सकते हैं।
ग्रीक योगर्ट प्रोबायोटिक का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। जिसके कारण यह सी अल्बिकन्स (C. albicans) कवक को रोकने में प्रभावी होता है। इसके अलावा फंगल संक्रमण में ग्रीक दही का उपयोग अन्य जीवित हानिकारक बैक्टीरिया को भी नष्ट करता है। इस तरह से महिलाएं अपनी योनि के संक्रमण या फंगल इंफ्केशन के घरेलू इलाज में दही का इस्तेमाल कर सकती हैं।
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यह आवश्यक तेल खमीर संक्रमण के इलाज के लिए एक सहायक के रूप में काम करता है। लेकिन इस तेल का उपयोग करने से पहले आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह तेल बहुत ही शक्तिशाली होता है। इसलिए इसे हमेशा अन्य दूसरे तेल जैसे बादाम, नारियल या जैतून तेल आदि के साथ मिलाकर उपयोग करना चाहिए।
सेब का सिरका कई स्वास्थ्य समस्याओं के दौरान उपयोग किया जाता है। आप इसका उपयोग आंतरिक और बाहृ रूप से कर सकते हैं। योनि यीस्ट संक्रमण होने के दौरान आप पानी में सेब के सिरका को मिलाएं और इस मिश्रण से योनि को धुलें। इसके अलावा आप नियमित रूप से प्रतिदिन 1 गिलास पानी में 2 छोटे चम्मच सेब का सिरका मिलाएं और इसका सेवन करें।
महिलाएं वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन का घरेलू इलाज करने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकती हैं। एलोवेरा जेल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, जीवाणुरोधी, एंटी-इंफ्लामेटरी और त्वचा को आराम दिलाने वाले गुण होते हैं। योनि यीस्ट संक्रमण का इलाज करने के लिए आप ताजा एलोवेरा की पत्तियां लें और इसकी जेल निकालें। इस जेल को सीधे ही योनि में लगाएं और कुछ देर के बाद गुनगुने पानी से धो लें। कुछ दिनों तक दिन में 2 से 3 बार उपयोग करने पर आपको लाभ मिलेगा।
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शरीर या त्वचा में संक्रमण होने का प्रमुख कारण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना है। इसलिए जो लोग फंगल संक्रमण से प्रभावित हैं उन्हें विटामिन सी के पूरक और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। विटामिन सी में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो महिलाओं में होने वाले कैंडिडा प्रजाति के संक्रमण को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। वजाइनल यीस्ट इन्फेक्शन होने पर महिलाओं को अपने नियमित आहार में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
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