दुनिया भर के 162 से अधिक देशों में कोरोना वायरस का संक्रमण देखा गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया है।
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोरोना वायरस को फेलने से रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं।
इसी बीच कोरोना वायरस को लेकर कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सभी लोग जानना चाहते हैं आइये जानतें हैं कोरोना वायरस के वो 10 सवाल जिनके जवाब आप तलाश रहे हैं-
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद लक्षण दिखने में पाँच दिन लगते हैं, लेकिन कुछ लोगों में इसके लक्षण दिखने में अधिक समय भी लग सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के लक्षण 14 दिनों तक रहते हैं। लेकिन कुछ शोधकर्ताओं की राय में, इसके लक्षण 24 दिनों तक रह सकते हैं।
ऐसे में इनक्यूबेशन पीरियड या बीमारी होने में लगने वाले समय को जानना और समझना महत्वपूर्ण है।
इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग को बेहतर और प्रभावी तरीके से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में मदद मिलती है।
वर्तमान में यह कहना जल्दबाजी होगी। क्योंकि इस वायरस का खुलासा दिसंबर में ही हुआ है।
वायरस संक्रमण के अन्य मामलों से संबंधित पिछले अनुभव बताते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता के माध्यम से बीमारी को रोका जा सकता है।
SARS और कोरोना परिवार के अन्य वायरस के बारे में हमारी राय यह है कि इससे दोबारा संक्रमित होने की बहुत कम संभावना है।
लेकिन चीन के कुछ आंकड़ों में यह कहा गया है कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी कुछ लोगों का परीक्षण पॉज़िटिव रहा है, लेकिन हम उन परीक्षणों के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कह सकते।
हालांकि, यह ध्यान देने की बाते ये है कि ऐसे लोगों से संक्रमण का कोई खतरा नहीं था।
कोरोना वायरस और फ्लू (बुखार और संक्रामक जुकाम) के कई लक्षण समान हैं। बिना मेडिकल टेस्ट के अंतर को समझना काफी मुश्किल है।
कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षण बुखार और सर्दी हैं। फ्लू में अक्सर अन्य लक्षण होते हैं जैसे गले में खराश।
जबकि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति सांस की तकलीफ की शिकायत करता है।
सेल्फ आइसोलेशन यानी खुद को एकांत में रखने का मतलब है 14 दिनों के लिए अपने आप को घर पर अकेले रखना, काम पर न जाना, स्कूल या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर न जाना और सार्वजनिक परिवहन और टैक्सियों से दूर रहना।
आपको घर के अंदर खुद को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रखना चाहिए।
अगर आपको घरेलू सामान की जरूरत है या कुछ दवा की जरूरत है या कुछ खरीदारी करनी है तो उनकी मदद लें, डिलीवरी के सामान को ले सकते हैं, लेकिन आप किसी को घर आने के लिए न कहें हैं।
आपको अपने पालतू जानवरों से भी दूर रहना चाहिए, लेकिन अगर यह संभव नहीं है, तो उन्हें छूने से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।
हमारे श्वसन तंत्र या सांस लेने की प्रणाली में किसी भी प्रकार का संक्रमण, भले ही यह कोरोना वायरस हो, अस्थमा के दर्द और तकलीफ को बढ़ा सकता है।
कोरोना वायरस के बारे में कुछ एहतियाती उपाय हैं जिसके बारे में अस्थमा के मरीज सोच सकते हैं। इसमें डॉ. डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इनहेलर का उपयोग भी शामिल है।
यह किसी भी कारण से अस्थमा के हमले के जोखिम को कम करता है, जिसमें कोरोना भी शामिल है।
ऐसा माना जाता है कि छींकने या खांसने के कारण कोरोना वायरस का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस किसी भी सतह पर मौजूद हो सकता है और वह भी संभवतः कई दिनों तक।
इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आपका फोन, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में, बह पूरी तरह से साफ हो। सभी प्रमुख मोबाइल फोन निर्माता फोन को अल्कोहल, हैंड सैनिटाइज़र या स्टरलाइज़ वाइप्स से साफ़ करने की चेतावनी देते हैं, क्योंकि इससे फ़ोन के कोटिंग को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है।
इस कोटिंग की परत को नुकसान होने के कारण मोबाइल फोन में से कीटाणुओं का फंसना आसान हो जाता है। आजकल कुछ मोबाइल फोन ऐसे भी आते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे वाटर रेजिस्टेंस होते हैं यानी वे पानी से कम असुरक्षित होते हैं।
अगर आपके पास ऐसा ही मोबाइल फोन है, तो आप इसे साबुन और पानी या पेपर टॉवल से साफ कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले यह देख लें कि आपका फोन वॉटर रेसिस्टेंट है या नहीं।
कोरोना वायरस से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें –
यदि कोई संक्रमित व्यक्ति छींकते समय मुंह पर हाथ रखता है और फिर उसी हाथ से किसी चीज को छूता है, तो वह सतह वायरल युक्त हो जाती है।
दरवाज़े के हैंडल ऐसी सतहों के अच्छे उदाहरण हैं जो दूसरों के लिए संक्रमण का खतरा पैदा कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस किसी भी सतह पर मौजूद हो सकता है और वह भी कई दिनों तक।
इसलिए, यह सबसे अच्छा होगा कि आप संक्रमण के जोखिम को कम करने और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए नियमित रूप से अपने हाथ धोते हैं।
हालांकि डॉक्टरों को हमेशा मास्क पहने देखा जाता है, लेकिन इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि आम लोगों के साधारण मास्क पहनने से चीजें बदल जाती हैं।
यूके के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बह मास्क पहनने की सलाह नहीं देता है।
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का कहना है कि अस्पताल के वातावरण के बाहर मास्क पहनने से किसी व्यापक लाभ का कोई सबूत नहीं है।
विशेषज्ञों की राय में, साफ-सफाई के लिए नियमित रूप से हाथ धोना अधिक प्रभावी है।
और पढ़ें- कोरोना वायरस में कब और कैसे मास्क का उपयोग करें!
चीन के आंकड़ों के अनुसार, बच्चे कोरोना संक्रमण से अभी तक बचे हुए हैं।
हालांकि, जिन बच्चों को फेफड़ों की बीमारी या अस्थमा है, उन्हें अधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि ऐसे मामलों में कोरोना वायरस हमला कर सकता है।
ज्यादातर बच्चों के लिए, यह एक आम श्वसन संक्रमण की तरह है और इसमें खतरे जैसा कुछ भी नहीं है।
वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकारों और प्रशासन के पास स्कूलों को बंद करने का अधिकार होता है। अगर वे चाहें तो ऐसा कर सकते हैं।
दुनिया के 14 देशों में स्कूल पहले ही बंद कर दिए गए हैं।
अगर संक्रमित व्यक्ति ने खाना बनाते समय साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा है, तो कोरोना वायरस के फैलने का खतरा होता है।
छींकने या खांसने की वजह से हाथ पर लगे कफ के एक छोटे से हिस्से के साथ कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। कीटाणुओं के प्रसार को रोकने के लिए, खाना खाने और यूज़ छूने से पहले हमेशा अपने हाथ धोने की सलाह दी जाती है।
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