Creative Ideas To Teach Your Kids In Hindi छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका: छोटे बच्चों को पढ़ाना क्या वाकई इतना आसान है। शायद नहीं। ये छोटे जरूर होते हैं, लेकिन इन्हें एक जगह बैठाकर पढ़ाना टीचर और पैरेंट्स दोनों के लिए ही एक बड़ा टास्क है। बच्चों की लर्निंग हैबिट्स को लेकर पैरेंट्स और टीचर्स के मन में एक ही सवाल होता है कि आखिर इन्हें पढ़ाया कैसे जाए। आपको बता दें कि बच्चों को कुछ देर भी चुपचाप बैठाकर पढ़ाना काफी टफ है, इसके लिए जरूरी है कि आप अपने पढ़ाने का तरीका बदल दें। बच्चों को ऐसे अनोखे तरीकों से पढ़ाएं कि उन्हें ये अहसास ही ना हो, कि वो पढ़ाई करने जैसा भारी काम कर रहे हैं।
अपने पढ़ाने के तरीके में जरा ट्विस्ट लाएं। उन्हें बातों-बातों में, खेल-खेल में और मस्ती के साथ पढ़ाना सिखाएं। उनमें एक्साइटमेंट पैदा करें। इससे पढ़ाई उन्हें बोझ नहीं लगेगी और वे जल्दी सबकुछ आसानी से सीख जाएंगे। अगर आपको भी अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर कुछ ऐसी ही शिकायत है तो हमारा ये आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। इसमें हम आपको बताएंगे बच्चों को पढ़ाने के अनोखे तरीकों के बारे में।
विषय सूची
अगर आप बच्चों को पढ़ाने का अनोखा तरीका खोज रहे हैं तो बच्चों को सिर्फ पढ़ाएं नहीं बल्कि उन्हें खेल-खेल में अलग अंदाज के साथ पढ़ाने की कोशिश करें। आप अपने बच्चों के साथ छोटे-छोटे खेलों में हिस्सा लेकर उन्हें कई चीजें याद करा सकते हैं। उतनी देर के लिए आपको अपने बच्चे के साथ खुद भी बच्चा बनना होगा।
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ये ते आप भी जानते होंगे कि बच्चे सुनने से ज्यादा देखने वाली चीज जल्दी याद करते हैं। बेहतर है कि उन्हें आप जो भी पढ़ाएं उसका एक वीडियो अपने कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाईल पर दिखाएं, यह बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका माना जाता है। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट हमेशा बच्चे को बिगाड़ते नहीं बल्कि उन्हें नई लर्निंग टेक्नीक्स सिखाने में आपकी मदद करते हैं। इन दिनों यूट्यूब पर बच्चों के लिए कई ऐसे लर्निंग वीडियोज हैं, जिन्हें देखकर आधी से ज्यादा चीजें वे खुद ही सीख जाएंगे। बच्चों को क्रिएटिव तरीके से पढ़ाने का ये बेस्ट तरीका है।
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छोटे बच्चों की दुनिया काफी रंगीन होती है। किड्स को पढ़ाने के तरीके में ब्लैक एंड व्हाइट के लिए कोई स्पेस ही नहीं है। शायद यही वजह है कि बच्चे ऐसी किताबों से पढ़ना नहीं चाहते, जिनमें चित्र कम हों या फिर ब्लैक एंड व्हाइट हों। इसलिए कोशिश करें कि जिन किताबों से आप बच्चों को पढ़ा रहे हैं, वो ज्यादा से ज्यादा कलरफुल हों। इससे बच्चों को पढ़ी हुई चीजें लंबे समय तक आसानी से याद रह सकती हैं।
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कई बार पढ़ते-पढ़ते बच्चे बीच में कई सवाल पूछने लगते हैं, जिसे पैरेंट्स अक्सर टाल देते हैं। वे उनके सवालों के जवाब देना जरूरी नहीं समझते। पर ऐसा करना सही नहीं है। बच्चे सवाल पूछें तो न केवल उनका जवाब दें, बल्कि उनसे भी पलट कर कुछ प्रश्र आप कर सकते हैं। इससे उन्हें भी पढऩे में मजा आएगा और कुछ सीखने का मौका मिलेगा।
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.)यदि आप सोचा रहें हैं की बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए तो पोयम सुनाकर उन्हें पढ़ना सबसे आसान होता है छोटे बच्चों को कुछ भी याद कराना बहुत मुश्किल है। कभी-कभी तो पैरेंट्स खुद चिड़चिड़ा जाते हैं। पर सच तो ये है कि वे खुद नहीं जानते कि वे क्या पढ़ रहे हैं, इसलिए उन्हें याद कराने की सारी मेहनत आपको ही करनी होगी। खासतौर से बच्चों को अगर स्पेलिंग या कोई स्टोरी याद करानी है तो जिंगल्स या पोयम बनाकर याद कराएं। हो सके तो गाना बनाकर भी स्पेलिंग याद करा सकते हैं। बच्चों को स्टोरी याद कराने का सबसे अच्छा तरीका है उनके सामने उसकी एक्टिंग करना। एक्टिंग करके देखने से बच्चों को जल्दी सबकुछ याद हो जाता है।
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कई पैरेंट्स में पेशंस की बहुत कमी होती है। बच्चे ने अगर एक बार कुछ याद न किया तो उन्हें जबरदस्ती डांट फटकार लगाकर या कभी-कभी तो याद कराने के लिए उन पर जोर देते हैं और जरूरत पड़ने पर उन पर हाथ तक उठा देते हैं। ऐसा करना न केवल आपके लिए नुकसानदायक है बल्कि आपके बच्चे के लिए भी उतना ही कष्टदायक है। विशेषज्ञ कहते हैं कि मारने-डाटने से बच्चों में पढ़ाई के प्रति रोष पैदा होता है और मार के डर से उसे जितना भी याद है वो भी भूल जाता है। ऐसे में बच्चों को प्यार से ही पढ़ाने की कोशिश करें।
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छोटे बच्चों को पढ़ाते समय थोड़ा लालच देना जरूरी होता है। उन्हें कहें कि अगर वे पढ़ेंगे तो उन्हें ईनाम मिलेगा। अगर वे अपना कोई टास्क पूरा कर लें, तो उनकी कॉपी पर गुड, स्टार, स्माइली जैसी चीजें बनाकर उन्हें प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से बच्चे खुश हो जाते हैं और आगे भी आसानी से पढ़ने के लिए तैयार रहते हैं।
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वैसे तो बच्चों को पढ़ाने का कोई समय सही या गलत नहीं होता। ये आपके बच्चे पर निर्भर करता है कि कब उसका दिमाग एक्टिव है। बावजूद इसके शाम का समय बच्चों को सही तरीके से पढ़ाने के लिए बेहतर माना जाता है। इसके कई फायदे भी हैं। पहले तो इस समय तक बच्चे का माइंड रिलेक्स हो चुका होता है और वह आसानी से पढ़ाई में मन लगा सकता है। शाम के समय अगर वह नेचुरल लाइट में पढ़ेगा, तो उसकी आंखों पर ज्यादा जोर नहीं पड़ेगा।
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कई टीचर्स मानते हैं कि छोटे बच्चों पर पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर ना डाला जाए। क्योंकि इस समय उनका माइंड डेवलप हो रहा है, ऐसे में वे जितना पढ़ें उन्हें उतना ही पढ़ाना चाहिए। अपने प्यारे छोटे बच्चों को दिनभर में पढ़ाने के लिए सिर्फ एक घंटा ही काफी है। इस दौरान ध्यान रहे कि शोर-शराबा ना हों। इससे ज्यादा देर पढ़ाएंगे, तो हो सकता है कि याद किया हुआ भी सब भूल जाएं। इसलिए एक घंटे के बीच में भी 5 -5 सैकंड का ब्रेक ले लें।
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कुछ पैरेंट्स बच्चों को घर के किसी भी हिस्से में बैठकर पढ़ा लेते हैं। कभी गार्डन में, कभी ड्राइंग रूम में, कभी छत पर तो कभी किचन में ही बैठा लिया। आपके लिए भले ही बच्चों को पढ़ाने की ये जगह सही हों, लेकिन बच्चा इन जगहों पर पढऩे से कंफर्टेबल फील नहीं करता। उसके पढ़ने के लिए माहौल बनाएं। स्टडी रूम या फिर बेडरूम में शांत वातावरण में बैठकर बच्चों को पढ़ाना बेस्ट तरीका है। अगर आप बच्चे को रोज इन्हीं जगहों पर पढ़ाएंगे, तो वे हमेशा इसी जगह पर पढ़ना पसंद करेंगे और उनका कंसन्ट्रेशन भी इन्हीं जगहों पर बनेगा। इसलिए बच्चों के पढ़ाने के लिए हर घर में एक स्पेशल स्पेस होना जरूरी है।
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