Crohn’s disease in Hindi क्रोहन (क्रोन) रोग आँतों से सम्बंधित रोग है जो आंतों में सूजन का कारण बनता है। क्रोन बीमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह मुख्य रूप से युवाओं को 30 वर्ष की उम्र में अधिक प्रभावित करती है। क्रोहन (क्रोन) बीमारी अनेक प्रकार की गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, अतः इसका इलाज समय पर किया जाना आवश्यक हो जाता है। इस रोग के लक्षण समय के साथ अधिक गंभीर हो सकते हैं। तथा कुछ लोगों में यह जीवन की गंभीर चुनोतिओं का कारण बन सकते हैं। चूँकि इस बीमारी का कोई उचित इलाज नहीं है, अतः प्रत्येक व्यक्ति को क्रोहन (क्रोन) बीमारी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त होना आवश्यक हो जाता है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि, क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) क्या है, इसके प्रकार, कारण, लक्षण क्या हैं तथा इस बीमारी निदान, उपचार कैसे किया जा सकता है।
1. क्रोहन (क्रोन) रोग क्या है – What is Crohn’s disease in hindi
2. क्रोहन रोग के कारण – Crohn’s disease causes in hindi
3. क्रोहन रोग के लक्षण – Crohn’s disease symptoms in hindi
4. क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार – Crohn’s Disease Types in hindi
5. क्रोहन रोग के जोखिम कारक – Crohn’s disease Risk Factors in hindi
6. क्रोहन रोग की जटिलताएँ – Crohn’s disease complications in hindi
7. क्रोहन (क्रोन) रोग होने पर डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor in hindi
8. क्रोहन रोग का निदान – Crohn’s disease diagnosis in hindi
9. क्रोहन रोग का इलाज – Crohn’s disease treatment in hindi
10. क्रोहन रोग की रोकथाम – Crohn’s disease prevention in hindi
11. क्रोहन रोग के आहार – Crohn’s disease diet in hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग क्या है – What is Crohn’s disease in hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease), मानव आंत में सूजन से सम्बंधित रोग (inflammatory bowel disease) है। यह रोग पाचन तंत्र में सूजन का कारण बनता है, जो कि पेट दर्द, गंभीर दस्त, थकान, वजन घटाने और कुपोषण आदि लक्षणों को प्रगट कर सकता है। क्रोहन (क्रोन) रोग शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है, लेकिन मुख्य रूप से यह छोटी आंत (small intestine) और कोलन (colon) को अधिक प्रभावित करता है।
क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) के कारण उत्पन्न सूजन अक्सर प्रभावित आंत के ऊतकों (bowel tissue) में गहराई तक फैलती है। तथा अनेक प्रकार की जटिलताओं को उत्पन्न करती है। इस रोग से सम्बंधित व्यक्ति, कमजोरी और दर्द के लक्षणों से ग्रस्त हो जाता है और कभी-कभी जीवन-को खतरा उत्पन्न करने वाली जटिलताओं का भी कारण बन सकता है। हालांकि क्रोहन (क्रोन) रोग के लिए कोई उचित इलाज नहीं है, लेकिन उपचार प्रक्रिया इसके लक्षणों को बहुत कम कर सकती है।
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क्रोहन रोग के कारण – Crohn’s disease causes in hindi
क्रोहन (क्रोन) बीमारी (Crohn’s disease) के कारणों को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। अतः इसके सटीक कारण अभी भी अज्ञात है। इसे अक्सर ऑटोइम्यून डिसीसेस (स्व-प्रतिरक्षित रोग) के रूप में जाना जाता है। हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रोहन (क्रोन) बीमारी निम्नलिखित कारकों के कारण उत्पन्न हो सकती है:
प्रतिरक्षा प्रणाली की सामस्याएं – एक वायरस या बैक्टीरिया क्रोहन (क्रोन) रोग को ट्रिगर कर सकता है। जब प्रतिरक्षा प्रणाली इन आक्रमणकारी सूक्ष्मजीवों से लड़ने की कोशिश करती है, तो यह पाचन तंत्र में कोशिकाओं पर हमला कर बीमारी को उत्पन्न करने का कारण बन सकती है।
आनुवंशिकी स्थिति – क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) उन लोगों में अधिक सामान्य है, जिनके पास इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास मौजूद हो।
पर्यावरणीय कारक
इसके अतिरिक्त कुछ कारक लक्षणों को गंभीर बना सकते हैं। इसमें शामिल है:
- धूम्रपान
- उम्र
- बीमारी का लम्बे समय तक बना रहना
- क्रॉन बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों में बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक से आंतों के संक्रमण को विकसित करने की संभावना अधिक रहती है।
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क्रोहन रोग के लक्षण – Crohn’s disease symptoms in hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे विकसित होते हैं। तथा समय के साथ कुछ लक्षण बदल सकते हैं। क्रोहन (क्रोन) रोग के शुरुआती लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- वजन घटना
- दस्त (diarrhea)
- बुखार आना
- पेट में दर्द और सूजन
- मल में खून की उपस्थिति
- पेट में ऐंठन (abdominal cramps)
- मुँह के छाले (Mouth sores)
- थकान महसूस होना
- भूख में कमी
अतः इन लक्षणों को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, इनमें से कोई भी लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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इसके अलावा बीमारी बढ़ने के साथ-साथ लक्षण भी अधिक गंभीर हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- एक पेरियनल फिस्टुला (भगन्दर) (perianal fistula), यह गुदा के पास दर्द का कारण बनता है
- अल्सर (ulcers), यह शरीर में कहीं भी हो सकता है,
- त्वचा, आंखों और जोड़ों में सूजन उत्पन्न होना
- एनीमिया (anemia) की ख़राब स्थिति
- यकृत (liver) या पित्त नलिकाओं में सूजन की समस्या
- बच्चों की वृद्धि या यौन विकास में देरी होना
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क्रोहन (क्रोन) रोग के प्रकार – Crohn’s Disease Types in hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) मुख्य रूप से निम्न प्रकार का होता है:
गैस्ट्रोडोडेनल क्रॉन बीमारी (Gastroduodenal Crohn’s disease) – यह रोग मुख्य रूप से पेट और डुओडेनम (duodenum) को प्रभावित करती है। क्रॉन बीमारी से पीड़ित लगभग 5 प्रतिशत व्यक्ति को इसी प्रकार का रोग होता है।
जेजुनोयलिटिस (Jejunoileitis) – क्रॉन बीमारी (Crohn’s disease) का यह प्रकार छोटी आंत के ऊपरी हिस्से (jejunum) में सूजन से सम्बंधित है। इसके लक्षणों में हल्के और तीव्र पेट दर्द, भोजन के बाद पेट में ऐंठन और दस्त को शामिल किया जाता है।
आईलेइटिस (ileitis) – आईलेइटिस (ileitis) रोग का सम्बन्ध छोटी आंत के अंतिम भाग या इलियम (ileum) में सूजन से है। क्रोन बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों में से लगभग 30 प्रतिशत लोग आईलेइटिस (ileitis) से प्रभावित होते हैं।
इलेओकोलिटीस (ileocolitis) – यह क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) का एक सामान्य प्रकार है, यह छोटी आंत के अंतिम भाग (इलियम) और बड़ी आंत के अंतिम भाग (कोलन) को प्रभावित करता है। इस रोग में वजन घटाने एक प्रमुख लक्षण है।
क्रोहन कोलाइटिस (ग्रैनुलोमैटस) (Crohn’s colitis (granulomatous)) – क्रोहन (क्रोन) रोग का यह प्रकार केवल कोलन (colon) को प्रभावित करता है। इस रोग के लक्षणों में दस्त, रेक्टल रक्तस्राव (rectal bleeding) और गुदा के फोड़ा (abscess), फिस्टुला (fistulas), अल्सर (ulcers), आदि शामिल हैं।
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क्रोहन रोग के जोखिम कारक – Crohn’s disease Risk Factors in hindi
क्रोहन (क्रॉन) रोग (Crohn’s disease) के जोखिम कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
आयु: जबकि क्रोन की बीमारी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, यह मुख्य रूप से युवाओं की बीमारी है ज्यादातर लोगों का 30 साल से पहले निदान किया जाता है, लेकिन बीमारी 50, 60 के दशक, 70 के दशक में या बाद में जीवन में भी हो सकती है।
- परिवार के इतिहास
- धूम्रपान
- दवाएं (nonsteroidal anti-inflammatory drugs)
क्रोहन रोग की जटिलताएँ – Crohn’s disease complications in hindi
क्रोहन (क्रॉन) रोग (Crohn’s disease) निम्न प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकता है:
फिशर (Anal Fissure) – यह रोग आंत्र आंदोलनों के दौरान खून बहने का कारण बनता है।
- फिस्टुला (Fistula) या भगंदर
- कुपोषण (malnutrition) की समस्या
- एनीमिया (anemia)
- कोलन कैंसर (Colon cancer)
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आंख में सूजन की समस्याएं जैसे – एपिस्क्लेरिटिस (Episcleritis), स्क्लेराइटिस (Scleritis) और यूवाइटिस (Uveitis) (आंखों की सूजन) आदि।
त्वचा की समस्याएं (Skin problems) जैसे – एरिथेमा नोडोसम (Erythema nodosum), पायोडर्मा गैंग्रेनोसम (Pyoderma gangrenosum), स्किन टैग (Skin tags), मुंह के अल्सर (Mouth ulcers) आदि।
हड्डियों को नुकसान (Bone loss)।
इसके अतिरिक्त क्रोन बीमारी (Crohn’s disease) शरीर के अन्य हिस्सों में भी समस्याएं पैदा कर सकती है। इन समस्याओं में से ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), गठिया (arthritis) और पित्ताशय की थैली (gallbladder) या जिगर की बीमारी (liver disease) है।
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क्रोहन (क्रोन) रोग होने पर डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor in hindi
क्रोन बीमारी (Crohn’s disease) से सम्बंधित निम्न लक्षणों के प्रगट होने पर तुरंत डॉक्टर की सिफारिश लेनी चाहिए, जैसे:
- पेट में दर्द
- अस्पष्ट रूप से वजन में कमी आने पर
- मल में रक्त की उपस्थिति
- उपचार के बाद भी लगातार दस्त के समस्या
- एक या दो दिन से अधिक समय तक अस्पष्ट बुखार रहने पर।
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क्रोहन रोग का निदान – Crohn’s disease diagnosis in hindi
क्रोहन (क्रोन) रोग (Crohn’s disease) का निदान करने का कोई उचित टेस्ट या परीक्षण नहीं है। इस रोग से सम्बंधित लक्षणों का निदान करने के लिए डॉक्टर विभिन्न प्रकार के परीक्षण, प्रयोगशाला परीक्षणों और इमेजिंग अध्ययनों का सहारा ले सकता है। ये परीक्षण सूजन, संक्रमण, आंतरिक रक्तस्राव और आयरन, प्रोटीन या अन्य खनिज पदार्थों के स्तरों की जांच करने के लिए किये जा सकते हैं।
क्रोहन रोग की जांच (टेस्ट) – Crohn’s disease test in hindi
क्रोहन रोग (Crohn’s disease) टेस्ट के अंतर्गत निम्न रक्त परीक्षणों (blood tests) को शामिल किया जा सकता हैं:
एंटीबॉडी परीक्षण – डॉक्टर द्वारा एंटीबॉडी परीक्षण, क्रोन (Crohn’s) या अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) रोग का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
परिन्यूक्लियर एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट (Perinuclear anti-neutrophil cytoplasmic antibody test) (PANCA) – मानव शरीर में इस प्रोटीन की उपस्थिति, संबंधित व्यक्ति में अल्सरेटिव कोलाइटिस होने की संभावना को व्यक्ति करती है।
पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) – पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी) का प्रयोग एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या) और संक्रमण की स्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है।
सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट (C-reactive protein test) – मानव रक्त में सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-reactive protein) की उपस्थिति सूजन की और संकेत देती है।
इलेक्ट्रोलाइट पैनल (Electrolyte panel) – यदि किसी व्यक्ति को क्रोहन रोग से संबंधित दस्त की समस्या है तो इस टेस्ट के अंतर्गत शरीर में खनिजों जैसे- पोटेशियम, सोओ सकती है।
एरिथ्रोसाइट सेंडिमेंटेशन रेट (Erythrocyte sedimentation rate) – यह एक सामान्य रक्त परीक्षण है, जिसकी मदद से व्यक्ति के रक्त को एक विशेष ट्यूब में लेकर ब्लड के नीचे गिरने की दर या समय मापा जाता है। यह टेस्ट मानव शरीर में सूजन की उपस्थिति की जानकारी प्रदान कर सकता है।
लिवर समारोह टेस्ट (Liver function test) – यह बीमारी व्यक्ति के यकृत (liver) और पित्त नलिका (bile duct) को प्रभावित कर सकती है। अतः एक लिवर फंक्शन टेस्ट क्रोहन रोग (Crohn’s disease) की संभावनाओं को प्रगट कर सकता है।
इमेजिंग टेस्ट – Imaging tests in hindi
डॉक्टर क्रोहन रोग (Crohn’s disease) की निदान प्रक्रिया में एक या अनेक प्रकार के इमेजिंग परीक्षणों का उपयोग कर सकता है इसके अंतर्गत निम्न परीक्षणों को शामिल किया जा सकता है:
कैप्सूल एंडोस्कोपी (Capsule endoscopy) – इस परीक्षण व्यक्ति द्वारा एक कैप्सूल को निगला जाता है, जिसमें एक छोटा सा कैमरा होता है। कैमरा छोटी आंत (small intestine) की तस्वीरें बेल्ट पर लगे रिकॉर्डर को प्रेषित करता है। तथा इन छवियों को मॉनिटर पर अवलोकन कर क्रोहन (क्रॉन) बीमारी के संकेतों का पता लगाया जाता है। कैमरा मल के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।
कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) – कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) मानव शरीर के अन्दर आंतों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए उपयोग में लाये जाने वाला एक इमेजिंग परीक्षण है। इसमें एक लचीली, पतली ट्यूब, जिसके सिरे पर एक छोटा विडियो कैमरा लगा होता है, का उपयोग कर कोलन (colon) और अन्य आंतरिक आँतों का परीक्षण करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान प्रयोगशाला परीक्षण के लिए ऊतक का छोटा नमूना (बायोप्सी) भी लिया जा सकता है, जो क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के निदान की पुष्टि करने के लिए आवश्यक होता है।
कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी स्कैन (Computerized tomography (CT)) – इस परीक्षण के द्वारा आंतरिक अंगों की विस्तृत छवियों को प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से एक्स-रे किरणों का उपयोगकिया जाता है। यह परीक्षण पूरे आंत्र सिस्टम के साथ-साथ आंत्र के बाहर स्थित ऊतकों की भी जानकारी प्रदान कर सकता है।
चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic resonance imaging (MRI)) – एक एमआरआई (MRI) स्कैनर द्वारा शरीर के अंगों और ऊतकों की स्पष्ट छवियों को प्राप्त करने के लिए एक चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। एमआरआई (MRI) परीक्षण मुख्य रूप से गुदा क्षेत्र (anal area) या छोटी आंत (small intestine) के आसपास के क्षेत्र में एक फिस्टुला (fistula) या भगन्दर की जाँच करने के लिए उपयोगी होता है।
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क्रोहन रोग का इलाज – Crohn’s disease treatment in hindi
क्रोन बीमारी (Crohn’s disease) के लिए कोई एक विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है। उपचार के दौरान विभिन्न प्रकार के लक्षणों और उनकी गंभीरता को कम किया जा सकता है।
दवाएं (drugs)
क्रॉन बीमारी (Crohn’s disease) के इलाज के लिए, इसकी निदान प्रक्रिया में प्राप्त कारणों के आधार पर निम्न दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। सूजन और आंत्र रोग के उपचार में एंटी-इन्फ्लामेंट्री दवाएं (Anti-inflammatory drugs) शामिल की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न नैदानिक कारणों के आधार पर इम्यूनोस्पेप्रेसेंट दवाओं, एंटीबायोटिक्स (फिस्टुला और फोड़े के लिए) या अन्य दवाओं को भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
पोषण चिकित्सा (Nutrition therapy)
क्रोहन बीमारी (Crohn’s disease) के इलाज के लिए एक फीडिंग ट्यूब (feeding tube) या पोषक तत्वों को नसों में इंजेक्ट करने की सिफारिश की जा सकती है। यह पोषण, आंत को आराम देने और आंत की सूजन को कम करने के लिए प्रभावी हो सकता है। डॉक्टर द्वारा पोषण चिकित्सा को अल्पावधि के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
सर्जरी (Surgery)
क्रोहन बीमारी (Crohn’s disease) वाले 66% से 75% लोगों को इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है। जब दवाएं इस बीमारी की जटिलताओं को कम करने के लिए प्रभावी नहीं होती हैं, तब डॉक्टर द्वारा इलाज करने के लिए सर्जरी की सिफारिश की जाती है। सर्जरी की सामान्य प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
एनास्टोमोसिस (Anastomosis)
इस सर्जरी के दौरान सर्जन आंत्र के रोगग्रस्त हिस्से को हटाकर, दोनों स्वस्थ सिरों को एक साथ जोड़ा जाता है। यह सर्जरी लोगों को अनेक वर्षों तक इसके लक्षणों के छुटकारा दिला सकती है, लेकिन यह उचित इलाज नहीं है। क्योंकि क्रोहन (क्रोन) बीमारी (Crohn’s disease) वापस आ सकती है।
आइल्योस्टोमी (ileostomy)
यह सर्जरी तब उपयोग में लाई जाती है, जब गुदा (rectum) रोगग्रस्त होता है और एनास्टोमोसिस (Anastomosis) सर्जरी का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में आंत (intestine) को धड़ (torso) की त्वचा से जोड़ा जाता है। इसके परिणाम स्वरुप एक विशेष प्रकार के खाली थैली में अपशिष्ट उत्पादों को एकत्र किया जा सकता है।
क्रोहन रोग की रोकथाम – Crohn’s disease prevention in hindi
आपको बता दें क्रोहन रोग (Crohn’s disease) की रोकथाम और इसके लक्षणों को कम करने के लिए एक स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाना काफी जरुरी होता है। असंतुलित भोजन, मादक पदार्थों का सेवन, अधिक वजन और मानसिक तनाव आदि स्थितियां क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के विकास में योगदान दे सकती हैं। अतः जहाँ तक हो इन स्थितियों से बचना चाहिए। क्रोहन रोग (Crohn’s disease) की रोकथाम के लिए निम्न उपाय शामिल किये जा सकते हैं:
- अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए।
- धूम्रपान क्रोन बीमारी के विकास के जोखिमों को बढ़ाता है। अतः धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
- हालांकि तनाव, क्रोन बीमारी (Crohn’s disease) का कारण नहीं बनता है, लेकिन यह इस रोग के लक्षणों को गंभीर बना सकता है। अतः तनाव को कम करने के लिए निरंतर प्रयाश करना चाहिए।
- आमतौर पर हल्का व्यायाम तनाव को कम करने, अवसाद (depression) से छुटकारा पाने और आंत्र समारोह को सामान्य करने में मदद कर सकता है। अतः नियमित व्यायाम क्रोहन रोग की रोकथाम में एक प्रभावी माध्यम हो सकता है।
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क्रोहन रोग के आहार – Crohn’s disease diet in Hindi
यह नहीं कहा जा सकता कि आहार, सूजन और आंत्र रोग का कारण बनता है। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ ऐसे हैं, जो क्रोहन रोग (Crohn’s disease) के लक्षणों में वृद्धि कर सकते हैं। क्रोहन रोग की स्थिति में निम्न आहार को अपनाया जाना चाहिए।
डेयरी उत्पादों को सीमित करें
आंत्र में सूजन रोग से पीड़ित व्यक्ति का शरीर डेयरी खाद्य पदार्थों में उपस्थित मिल्क शुगर (lactose) (लैक्टोज) को पच नहीं सकता है। जिससे अन्य स्वस्थ्य समस्याए पैदा हो सकती हैं अतः क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से संबंधित व्यक्ति को डेयरी उत्पादों का सीमित उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन
जो व्यक्ति क्रोन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित हैं, तो वे सामान्य रूप से वसा को पचाने या अवशोषित करने में सक्षम नहीं होते हैं। जिसके कारण वसा आंत के माध्यम से गुजरता है और दस्त तथा अन्य समस्याओं का कारण बनता है। अतः इस स्थिति में मक्खन, मार्जरीन (margarine), क्रीम सॉस (cream sauces) और तला हुआ भोजन (fried foods) से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
फाइबर सीमित आहार
क्रोहन रोग (Crohn’s disease) से पीड़ित व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले ताजा फल, सब्जियां और साबुत अनाज (whole grains) जैसे उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ, लक्षणों को ओर अधिक खराब कर सकते हैं। अतः कच्चे फल और सब्जियां जहाँ तक हो सके पकाकर ही खाएं।
थोड़ा-थोड़ा भोजन करें (Eat small meals)
आंत रोग की स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को दिन में दो या तीन बार भोजन करने की बजाय दिन में पांच या छह बार थोडा-थोड़ा भोजन करने की सलाह दी जाती है।
तरल पदार्थ का सेवन करें
क्रोहन रोग (Crohn’s disease) की स्थिति में प्रतिदिन बहुत अधिक तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। इस हेतु पानी सबसे अच्छा पेय पदार्थ है। अल्कोहल और अन्य कैफीन युक्त पेय पदार्थ आंत सम्बंधित सामस्याओं को ओर बढ़ा देते हैं और कार्बोनेटेड पेय (carbonated drinks) अक्सर गैस की समस्या उत्पन्न करते हैं।
मल्टीविटामिन के सेवन पर विचार करें (Consider multivitamins)
चूंकि क्रोन बीमारी (Crohn’s disease) मानव शरीर द्वारा पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता में कमी कर सकती है।अतः इस समस्या के लक्षणों को कम करने के लिए मल्टीविटामिन की खुराक उपयोगी हो सकती है। किसी भी विटामिन या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर लेनी चाहिए।
आमतौर पर क्रोहन (क्रोन) रोग में गोभी परिवार(cabbage family), जैसे – ब्रोकोली (broccoli) और फूलगोभी (cauliflower) और नट्स, बीज, मकई (corn) और पॉपकॉर्न (popcorn) आदि खाद्य पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती हैं।
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