Dambel in Hindi दमबेल (दमबूटी) एक औषधीय पौधा है जिसका अंग्रेजी नाम टाइलोफोरा इंडिका (Tylophora Indica) है। आपके लिय यह नाम शायद जाना पहचाना हो लेकिन क्या आप दमबेल के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं। अपने औषधीय गुणों के कारण दमबेल का उपयोग पिछले कई दशकों से औषधीय उपचार के लिए किया जा रहा है। इसका उपयोग दमा, कफ, और अन्य श्वसन रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस पौधे में बहुत से विचित्र गुण और पोषक तत्व (Nutrients) मौजूद रहते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए दवा का काम करते हैं। आइए जाने दमबेल के फायदे और नुकसान (Dambel Ke fayde aur Nuksan in Hindi) के बारे में जो आपको आने वाली बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद करेगें।
विषय सूची
1. दमबेल पौघा – Dambel plant in hindi
2. दमबेल के फायदे – Dambel Ke Fayde in Hindi
3. दमबेल के अन्य फायदे – Dambel Ke Anny Fayde in Hindi
4. दमबेल का सेवन – Dambel Ka seven in Hindi
5. दमबेल के नुकसान – Dambel Ke Nuksan in Hindi
यह एक सदाबहार चढ़ने वाली झाड़ी (climbing shrub) है। इसे एक शाखाई पर्वतारोही या झाड़ी भी कहा जा सकता है जो कि 1.5 मीटर तक ऊंची हो सकती है। इसकी पत्तियां अंडाकार होती हैं जो 3-10 सेंमी लंबी और 1.5–7 सेमी चौड़ी होती है। इसकी जड़ें चिकनाई युक्त छाल के साथ लंबे समय तक मांसल रहती हैं। इसके फूल छोटे और छतरी की तरह होते हैं। इसके फल 7 सेमी तक लंबे होते हैं। आइए जाने दमबेल पौधा के फायदे क्या हैं।
इस औषधीय पौधे का उपयोग विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह औषधी विशेष रूप से श्वसन रोगों को दूर करने के लिए फायदेमंद होती है। फेफड़ों को स्वस्थ्य और साफ रखने के लिए अतिरिक्त श्लेष्म का उत्पादन करने में दमबेल मदद करती है। इसमें श्लेष्म और प्रत्यारोपण गुण होते हैं जो कि अस्थमा (Asthma) और ब्रोंकाइटिस के मामलों में उपयोगी होते है। आइए विस्तार से जाने दमबेल के फायदे और नुकसान के बारे में।
टाइलोफोरा इंडिका (दमबेल) की जड़ें पाचन को उत्तेजित करने के लिए उपयोग की जा सकती हैं। इस पौधे की सूखी पत्तियों को आमतौर पर एक उबकाई लाने वाले (emetic) के रूप में उपयोग किया जाता है इस कारण यह पेट के अपचन या अतिरक्षण को दूर करने में मदद करता है। इस जड़ी बूटी का उपयोग कर पेट की सामग्री को बाहर निकालने में मदद मिलती है जो शरीर को जहरीले पदार्थ से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसका उपयोग पेट से संबंधित अन्य समस्याओं जैसे दस्त, पेट में दर्द और पेचिस आदि के इलाज में भी किया जाता है।
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आप इस जड़ी बूटी का उपयोग कर न केवल अस्थमा का उपचार कर सकते हैं बल्कि यह आपके श्वसन पथ जैसे ब्रोंकाइटिस और काली खांसी (whooping cough) संक्रमण के इलाज के लिए भी उपयोगी होती है। एक अध्ययन में पाया गया कि दमबेल की ताजा पत्तियों को चबाने से श्वसन रोगों के लक्षणों से भी राहत मिलती है। इस उपचार को शुरु करने के 3 से 4 सप्ताह के भीतर ही लक्षणों में सुधार दिखने लगता है। इस जड़ी बूटी का उपयोग करने से रोगीयों की श्वसन नलिकाओं में श्लेष्म से छुटकारा मिलता है इस प्रकार यह गले और छाती में जमें हुए कफ को कम करने में मदद करती है।
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यह एक अद्वतीय औषधी है जो अस्थमा के इलाज में फायदेमंद है। इस पौधे की पत्तियां एक प्रत्यारोपण के रूप में काम करती हैं और फेफड़े के ऊतको में जमे हुए अतिरिक्त श्लेष्म (Excess mucous) से छुटकारा पाने में मदद करती है। यह एक जीवाणुराधी एजेंट के रूप में भी कार्य करता है और फेफड़ों के संक्रमण जो अस्थमा को बढ़ा सकते हैं उनसे से बचाता है। इस बीमारी से ग्रसित लोग नियमित रूप से प्रतिदिन 2 से 3 दमबेल की पत्तियों को चबा सकते हैं। इसकी पत्तियों की चाय बनाकर भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसकी पत्तियों को थोड़े से पानी में उबालकर इस पानी को सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए।
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अध्ययनों में पाया गया है कि दमबेल का नियमित सेवन करने से ऊर्जा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इसका उपयोग कर वयस्कों और बच्चों की सहन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही यह शारीरिक कार्यो को करने की क्षमता में भी वृद्धि करता है। आप भी दमबेल के पत्तों का सेवन कर अपनी शारीरिक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
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टाइलोफोरा इंडिका (Tylophora Indica) का सेवन करने के लिए किसी प्रकार की मात्रा निर्धारित नहीं की गई है। परंपरागत रूप से वयस्कों को प्रतिदिन दमबेल की एक पत्ती का सेवन करना चाहिए। अस्थमा रोगी को 12 दिनों तक दमबेल के 1 से 2 पत्ते का सेवन करने की सलाह दी जाती है। बच्चों के लिए दमबेल की कोई सिद्ध प्रभावी खुराक नहीं है।
यह एक आयुर्वेदि औषधी है जिसके फायदे अधिक और नुकसान कम होते हैं लेकिन फिर भी यदि इसे अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो इसके कुछ गंभीर परिणाम हो सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं :
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