Daruharidra in Hindi दारुहरिद्रा (वानस्पतिक नाम Berberis aristata) एक औषधीय जड़ी बूटी है। दारुहरिद्रा के फायदे जानकर आप हैरान हो जाएगें। इसे दारू हल्दी के नाम से भी जाना जाता हैं । यह मधुमेह की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो कई अस्वास्थ्यकर स्वास्थ्य समस्याएं को प्रभावी रूप से दूर कर सकती है। दारू हल्दी का पौधा भारत और नेपाल के पर्वतीय हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह श्रीलंका के कुछ स्थानों में भी पाया जाता है। दारुहरिद्रा के फायदे होने के साथ ही कुछ सामान्य नुकसान भी होते हैं। दारुहरिद्रा को इंडियन बारबेरी (Indian barberry) या ट्री हल्दी (tree turmeric) के नाम से भी जाना जाता है। यह बार्बरीदासी परिवार से संबंधित जड़ी बूटी है। इस जड़ी बूटी को प्राचीन समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में उपयोग किया जा रहा है।
दारुहरिद्रा के फायदे लीवर सिरोसिस, सूजन कम करने, पीलिया, दस्त का इलाज करने, मधुमेह को नियंत्रित करने, कैंसर को रोकने, बवासीर का इलाज करने, मासिक धर्म की समस्याओं को रोकने आदि में होते हैं। आज इस आर्टिकल में आप औषधीय जड़ी बूटी दारुहरिद्रा के फायदे, उपयोग और नुकसान (Daruharidra benefits and uses in Hindi) संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
विषय सूची
1. दारुहरिद्रा का पौधा – Daruharidra Plant in Hindi
2. दारुहरिद्रा की तासीर – Daruharidra ki taseer in Hindi
3. दारुहरिद्रा के अन्य नाम –Daruharidra other name in Hindi
4. दारुहरिद्रा के फायदे – Daruharidra ke fayde in hindi
5. दारुहरिद्रा के नुकसान – Daruharidra ke Nuksan in Hindi
दारुहरिद्रा एक बारहमासी झाड़ीनुमा पौधा होता है। इस पौधे की लंबाई लगभग 3.5 मीटर होती है। इस पौधे की छाल का रंग हल्का पीला होता है। इसकी पत्तियां 5-8 के समूह में होती हैं। इनकी पत्तियों का रंग हरा होता है जो उपरी सतह पर गहरा और निचली सतह पर हल्का हरा रंग लिए होती हैं। इस पौधे के फूल उभयलिंगी होतें जो कि पीले रंग के होते हैं। इसके फूल अप्रैल-मई के महिने में दिखाई देते हैं। इस पौधे के फल में विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है। इसके फल रसदार होते हैं जो कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें पर्याप्त मात्रा में चीनी होती है। इस फल में बीजों की संख्या 2-5 होती है।
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दारुहरिद्रा की तासीर गर्म होती है जिसके कारण यह हमारे पाचन तंत्र के अच्छे स्वास्थ्य में मदद करता है। इसके अलावा दारुहरिद्रा में अन्य पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की भी उच्च मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारे शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।
दारुहरिद्रा एक प्रभावी जड़ी बूटी है जिसे अलग-अलग स्थानों पर कई नामों से जाना जाता है। दारुहरिद्रा का वानस्पतिक नाम बर्बेरिस एरिस्टाटा डीसी (Berberis aristata Dc) है जो कि बरबरीदासी (Berberidaceae) परिवार से संबंधित है। दारुहरिद्रा के अन्य भाषाओं में नाम इस प्रकार हैं :
पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की उच्च मात्रा होने के कारण दारुहरिद्रा के फायदे हमारे बेहतर स्वास्थ्य के लिए होते हैं। यह ऐसी जड़ी बूटी है जो उपयोग करने पर कई जटिल स्वास्थ्य समस्याओं को आसानी से दूर कर सकती है। आइए विस्तार से समझें दारुहरिद्रा के स्वास्थ्य लाभ और उपयोग करने का तरीका क्या है।
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो दारुहरिद्रा जड़ी बूटी आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि इस पौधे के फलों में रक्त शर्करा को कम करने की क्षमता होती है। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके शरीर में चयापचय एंजाइमों को सक्रिय करता है। जिससे आपके रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। आप भी अपने आहार में दारुहरिद्रा और इसके फल को शामिल कर मधुमेह के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
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दारुहरिद्रा या रसौत के फायदे बवासीर के लिए भी होते हैं। बवासीर की समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही कष्टदायक होती है। इसके अलावा रोगी इस बीमारी के कारण बहुत ही कमजोर हो जाता है। क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में रक्त की कमी हो सकती है। लेकिन इस समस्या से बचने के लिए दारुहरिद्रा के फायदे होते हैं। दारुहरिद्रा में ब्लीडिंग पाइल्स का उपचार करने की क्षमता होती है। बवासीर रोगी को नियमित रूप से इस जड़ी बूटी को मक्खन के साथ 40-100 मिलीग्राम मात्रा का सेवन करना चाहिए। दारुहरिद्रा के यह लाभ इसमें मौजूद एंटीआक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुणों के कारण होते हैं। ये सभी गुण बवासीर के लक्षणों को कम करने और शरीर को अन्य प्रकार के संक्रमण से बचाने में सहायक होते हैं।
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आप अपनी आंखों को स्वस्थ्य रखने और देखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए दारु हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर दारुहरिद्रा को आंखों के संक्रमण दूर करने में प्रभावी पाया गया। इसके लिए आप दारुहरिद्रा को मक्खन, दही या चूने के साथ मिलाएं और आंखों की ऊपरी क्षेत्र में बाहृ रूप से लगाएं। यह आंखों की बहुत सी समस्याओं को दूर कर सकता है। यदि आप आंख आना या कंजंक्टिवाइटिस से परेशान हैं तो दूध के साथ इस जड़ी बूटी को मिलकार लगाएं। यह आंख के संक्रमण को प्रभावी रूप से दूर कर नेत्रश्लेष्म को कम करने में मदद करती है।
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)आयुर्वेद और अध्ययनों दोनों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि दारुहरिद्रा जड़ी बूटी दस्त जैसी गंभीर समस्या का निदान कर सकती है। शोध के अनुसार इस जड़ी बूटी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट में मौजूद संक्रामक जीवाणुओं के विकास और प्रभाव को कम करते हैं। जिससे दस्त और पेचिश जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। आप सभी जानते हैं कि दूषित भोजन और दूषित पानी पीने के कारण ही दस्त और पेचिश जैसी समस्याएं होती है। लेकिन इन समस्याओं से बचने के लिए दारुहरिद्रा जड़ी बूटी फायदेमंद होती है। दस्त का उपचार करने के लिए इस जड़ी बूटी को पीसकर शहद के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए।
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जब शरीर का तापमान अधिक होता है या बुखार की संभावना होती है तो दारुहरिद्रा का उपयोग लाभकारी होता है। इस दौरान इस जड़ी बूटी का सेवन करने से शरीर के तापमान को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह शरीर में पसीने को प्रेरित भी करता है। पसीना निकलना शरीर में तापमान को अनुकूलित करने का एक तरीका होता है। साथ ही पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद संक्रमण और विषाक्तता को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। इस तरह से दारुहरिद्रा का उपयोग बुखार को ठीक करने में मदद करता है। रोगी को दारुहरिद्रा के पौधे की छाल और जड़ की छाल को मिलाकर एक काढ़ा तैयार करें। इस काढ़े को नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करें। यह बुखार को कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका हो सकता है।
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अध्ययनों से पता चलता है कि दारुहरिद्रा में त्वचा समस्याओं को दूर करने की क्षमता भी होती है। आप अपनी त्वचा समस्याओं जैसे मुंहासे, घाव, अल्सर आदि का इलाज करने के लिए दारुहरिद्रा जड़ी बूटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसी स्थितियों का उपचार करने के लिए आप इस पौधे की जड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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दारुहरिद्रा या रसौत में कैंसर कोशिकाओं को रोकने और नष्ट करने की क्षमता होती है। क्योंकि यह जड़ी बूटी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। कैंसर का उपचार अब तक संभव नहीं है लेकिन आप इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं। कैंसर के मरीज को नियमित रूप से दारुहरिद्रा और हल्दी के मिश्रण का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इन दोनो ही उत्पादों में कैंसर विरोधी गुण होते हैं। जो ट्यूमर के विकास को रोकने में सहायक होते हैं। इस तरह से दारुहरिद्रा का सेवन करने के फायदे कैंसर के लिए प्रभावी उपचार होते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए दारुहरिद्रा फायदेमंद होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जड़ी बूटी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिनके कारण यह सूजन और इससे होने वाले दर्द को प्रभावी रूप से कम कर सकता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि यह गठिया की सूजन को दूर करने में सक्षम होता है। सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप दारू हल्दी का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको सूजन और दर्द से राहत मिल सकती है।
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ऊपर बताए गए लाभों के अलावा भी इस जड़ी बूटी के अन्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं :
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सामान्य रूप से दारुहारिद्रा एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसका उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। लेकिन यदि अधिक मात्रा में इसका सेवन किया जाता है तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती है। दारुहरिद्रा के नुकसान से बचने के लिए अधिकांश डॉक्टर दारुहरिद्रा को या तो काढ़े, पाउडर या अर्क के रूप में सेवन करने की सलाह देते हैं।
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