Deep Vein Thrombosis (DVT) in Hindi जानिए डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या होता है, DVT का मतलब क्या है, डीवीटी के लक्षण क्या होते है, डीप वेन थ्रोम्बोसिस का इलाज कैसे किया जाता है, DVT का आयुर्वेदिक इलाज क्या है, और DVT के लिए योग के बारे में। डीवीटी तब होता है जब पैरों में या शरीर के अन्य अंगों में खून का थक्का (थ्रोम्बस) जम जाने के कारण अचानक सूजन आ जाती है यह डीप वेन थ्रोम्बोसिस हो सकता है आइये जानते है इसके बारे में।
1. डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है – what is Deep vein thrombosis (DVT) in Hindi
2. डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण – Deep vein thrombosis (DVT) Causes in Hindi
3. डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण – Deep vein thrombosis (DVT) symptoms in Hindi
4. डीप वेन थ्रोम्बोसिस का निदान – Deep vein thrombosis (DVT) Diagnosis in Hindi
5. डीप वेन थ्रोम्बोसिस का इलाज – Deep vein thrombosis (DVT) Treatment in Hindi
6. DVT का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurvedic treatment of DVT in hindi
7. डीप वेन थ्रोम्बोसिस से बचाव – Deep vein thrombosis (DVT) Prevention in Hindi
डीप वेन थ्रोम्बोसिस क्या है – what is Deep vein thrombosis (DVT) in Hindi
DVT डीप वेन थ्रोम्बोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के अंदर एक या इससे अधिक गहरी नसों (डीप वेन) में रक्त का थक्का बन जाता है। यह बीमारी आमतौर पर पैर के निचले हिस्से और जांघों (thigh) में होती है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकती है। डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT in hindi) के कारण पैरों में सूजन आ जाती है और दर्द का भी अनुभव होता है। यह बहुत गंभीर बीमारी है क्योंकि नसों में बना रक्त का थक्का टूट कर ब्लड स्ट्रीम के माध्यम से फेफड़ों में भी पहुंच सकता है और खून के प्रवाह को बाधित कर सकता है। यह बीमारी आमतौर पर तब होती है जब कोई व्यक्ति सर्जरी या किसी दुर्घटना (accident) के कारण लंबे समय तक बिस्तर पर ही पड़ा रहता है और चल फिर नहीं पाता है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण – Deep vein thrombosis (DVT) Causes in Hindi
डीप वेन थ्रोम्बोसिस एक गंभीर एवं जटिल बीमारी है और यह बीमारी निम्न कारणों से होती है।
उम्र के कारण DVT का होना
हालांकि यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 40 साल की उम्र के बाद यह बीमारी होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण अधिक देर तक बैठे रहना
जब कोई व्यक्ति अधिक समय तक बैठा रहता है तो उसके पैरों की मांसपेशियां ढीली (lax) पड़ जाती हैं जिससे ब्लड सर्कुलेशन में कठिनाई होती है। बेड रेस्ट, हवाई जहाज से लंबी दूरी की यात्रा एवं कार चलाने से यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
प्रेगनेंसी भी हो सकती है डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण
गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण के कारण पैरों एवं श्रोणि (pelvis) में नसों पर अधिक दबाव पड़ता है। बच्चे को जन्म देने के 6 माह बाद नसों में रक्त का थक्का बन सकता है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण हो सकता है मोटापा
जिन व्यक्तियों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 30 या इससे अधिक है उनमें डीप वेन थ्रोम्बोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी तुलना इस तरह से की जाती है कि व्यक्ति की लंबाई की तुलना में उसके शरीर का फैट कितना अधिक है।
गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी होती है डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण
आंत की बीमारी, कैंसर और हृदय रोगों (heart disease) के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।
(और पढ़े – कैंसर क्या है कारण लक्षण और बचाव के उपाय)
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण हो सकता है अनुवांशिक रक्त विकार
यदि परिवार के लोगों में रक्त विकार की समस्या जैसे कि सामान्य ब्लड की अपेक्षा शरीर में खून का अधिक गाढ़ा या मोटा होना या अधिक थक्का जमना आदि कारणों से भी डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या हो सकती है।
नसों में चोट लगने के कारण DVT का होना
हड्डियां टूटना, सर्जरी या हड्डियों से जुड़ी किसी अन्य समस्याओं के कारण डीवीटी होने का खतरा रहता है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का कारण हो सकता है धूम्रपान
धूम्रपान करने से रक्त कोशिकाएं अधिक चिपचिपी हो जाती हैं जिसके कारण रक्त वाहिकाओं की परत को नुकसान पहुंचता है। इससे रक्त का थक्का तेजी से बनता है और डीवीटी होने का खतरा बढ़ जाता है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण – Deep vein thrombosis (DVT) symptoms in Hindi
डीप वेन थ्रोम्बोसिस से पीड़ित सिर्फ आधे लोगों में ही इस बीमारी के लक्षण दिखायी देते हैं।
dvt के सामान्य लक्षण निम्न हैं-
- पैर के निचले हिस्से एवं टखनों (ankle) में सूजन और आमतौर पर पैर में एक तरफ ही सूजन होना।
- पैरों एवं टखनों में गंभीर एवं तेज दर्द होना।
- शरीर के अन्य हिस्सों की अपेक्षा पैरों की त्वचा अधिक गर्म होना।
- पैरों की त्वचा पीला, लाल या नीला पड़ना।
- बिना किसी संकेत के पैरों में अचानक सूजन आ जाना।
- टहले एवं उठते समय पैरों में अत्यधिक दर्द होना।
- नसों का बढ़ जाना।
आमतौर पर इस बीमारी का पता तब तक नहीं चल पाता है जब तक कि मरीज पल्मोनरी इम्बोलिज्म (pulmonary embolism) की स्थिति में नहीं पहुंच जाता है। पल्मोनरी इम्बोलिज्म(PE), डीप वेन थ्रोम्बोसिस(DVT) से उत्पन्न एक जटिल स्थिति है जिसमें फेफड़ों की धमनियां अवरूद्ध हो जाती हैं। सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द विशेषरूप से तब जब आप गहरी सांस लेते हैं, कफ के साथ खून आना और हृदय गति का बढ़ना आदि पल्मोनरी इम्बोलिज्म के लक्षण हैं।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का निदान – Deep vein thrombosis (DVT) Diagnosis in Hindi
मरीज के स्वास्थ्य परीक्षण एवं लक्षणों के आधार पर डॉक्टर डीप वेन थ्रोम्बोसिस(DVT) का निदान करते हैं। आइये जानते हैं कि डीवीटी का निदान कैसे किया जाता है।
Dvt की जाँच अल्ट्रासाउंड द्वारा
डीवीटी के निदान के लिए अल्ट्रासाउंड एक बेहतर उपाय है। अल्ट्रासाउंड के जरिए टेक्निशियन यह जानने की कोशिश करता है कि रक्त का थक्का पैर, भुजाएं या शरीर के किस हिस्से में बन रहा है और यह कितना लंबा है। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह भी पता किया जाता है कि रक्त का थक्का नया है या पुराना। पैरों की नसों में रक्त के जमाव को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड एक बेहतर तरीका है।
(और पढ़े – अल्ट्रासाउंड क्या है और सोनोग्राफी की जानकारी)
डी-डिमर (D-dimer)
यह एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जिसमें यह पता किया जाता है कि रक्त का थक्का (blood clot) बना है या नहीं। डी-डिमर एक केमिकल है जो तब बनता है जब रक्त का थक्का शरीर में धीरे-धीरे घुलने लगता है। इस टेस्ट में पॉजीटिव एवं निगेटिव इंडिकेटर बना होता है। यदि टेस्ट निगेटिव है तो इसका अर्थ यह है कि रक्त का थक्का नहीं बन रहा है और यदि टेस्ट पॉजीटिव है तो इसका मतलब यह है कि व्यक्ति को डीप वेन थ्रोम्बोसिस है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का इलाज – Deep vein thrombosis (DVT) Treatment in Hindi
डीप वेन थ्रोम्बोसिस के इलाज में डॉक्टर सर्वप्रथम रक्त का थक्का बनने से रोकते हैं और इसे टूटकर फेफड़ों (lungs) में जाने से रोकते हैं। डीवीटी का इलाज तीन तरीकों से किया जाता है।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस की दवाएं – Medicines For Deep Vain Thrombosis in Hindi
डीवीटी का इलाज करने के लिए रक्त का पतला करने के लिए मरीज को दवा दी जाती है। डीवीटी का यह एक सामान्य उपचार है। दवा के प्रयोग से रक्त का थक्का बनने की क्षमता कम हो जाती है। इसके लिए मरीज को लगभग 6 महीनों तक दवा लेनी पड़ती है।
इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी) फिल्टर – Inferior veena cava (IVC) filter in Hindi
यदि किसी मरीज का खून पतला नहीं हो पा रहा है तो डॉक्टर एक छोटा एवं शंकु के आकार का फिल्टर मरीज के इनफिरियर वेना कावा में डालते हैं। यह शरीर में सबसे लंबी नस(largest vein) होती है। फिल्टर डालने पर यह रक्त के थक्के को फेफड़े में जाने से रोकता है।
कम्प्रेशन स्टॉकिंग के द्वारा डीप वेन थ्रोम्बोसिस का इलाज – Compression stockings Deep vein thrombosis (DVT) Treatment in Hindi
यह घुटने तक पहना जाने वाला एक विशेष मोजा होता है। यह टखने (ankle) पर बहुत चुस्त एवं घुटने पर ढीला होता है। यह नसों में ब्लड को इकट्ठा होने से रोकता है।
DVT का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurvedic treatment of DVT in hindi
यह एक नेचुरल चूर्ण है, इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। तो इसे लेने से पहले आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। अब आइये जानते हैं कि यह चूर्ण कैसे बनाया जाता है और इसे कैसे लेना चाहिये।
जरूरी सामग्री – Material needed in hindi
- दाल चीनी – 1 ग्राम
- काली मिर्च साबुत – 10 ग्राम
- तेज पत्ता – 10 ग्राम
- मगज – 10 ग्राम
- मिश्री डला – 10 ग्राम
- अखरोट गिरी – 10 ग्राम
- अलसी – 10 ग्राम
औषधी बनाने की विधि- Method of making medicines in hindi
इन सभी सामग्रियों को किसी मिक्सर जार में डाल कर महीन पीस लें। जब यह पाउडर बन जाए तब इसकी दस पेकेट बना लें। लीजिये आपकी देसी दवाई तैयार है।
औषधी लेने का तरीका – How to take medicines in hindi
आपको एक पेकेट हर रोज़ खाली पेट सादे पानी के साथ लेनी होगी। दवाई खाने के एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।
इस दवाई को लेने से आपके शरीर की बंद नसें खुल जाएंगी।
नोट : अगर आप इस बीमारी से सम्बन्धित कोई भी दवा ले रहे है तो इस चूर्ण को लेने से पहले आपने डॉक्टर से जरूर बात करें।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस से बचाव – Deep vein thrombosis (DVT) Prevention in Hindi
सामान्य जीवनशैली में परिवर्तन लाकर डीप वेन थ्रोम्बोसिस सहित कई बीमारियों से बचा जा सकता है। आइये जानते हैं कि डीवीटी से बचने के उपाय क्या हैं।
शरीर को अधिक एक्टिव रखें, धूम्रपान न करें और अपने वजन को भी नियंत्रित रखें।
(और पढ़े-आयुर्वेदिक तरीके से मोटापा कम करने के उपाय)
प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण (regular check up) कराएं एवं यदि डॉक्टर आपको कोई दवा देते हैं तो उसे डॉक्टर के बताये अनुसार ही खाएं।
अधिक देर तक एक ही जगह पर न बैठे रहें और यदि आप 4 घंटे से बैठकर यात्रा कर रहे हों तो पैर के निचले हिस्से को झटक लें या फैला लें इससे मांसपेशियों को राहत मिलती है। ढीले कपड़े पहनें और अधिक से अधिक पानी पीयें।
यदि सर्जरी कराने जा रहे हों तो अपने डॉक्टर से पूछ लें कि सर्जरी के बाद डीवीटी की समस्या से कैसे बचा जाए। डॉक्टर आपको कम्प्रेशन स्टॉकिंग (compression stockings) पहनने की सलाह दे सकते हैं या ब्लड को पतला (thinning) करने का सुझाव दे सकते हैं। इन उपायों से डीवीटी (DVT) से बचा जा सकता है।
जो लोग लंबे समय तक बैठकर काम करते रहते हैं या लगातार यात्राएं करते रहते हैं उन्हें नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए। इससे रक्त का थक्का बनने की संभावना कम हो जाती है।
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