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पानी की कमी (निर्जलीकरण) क्या है, लक्षण, कारण और इलाज – Dehydration, Symptoms, Causes And Treatment In Hindi

Dehydration In Hindi पानी की कमी जिसे अंग्रेजी में डिहाइड्रेशन कहते हैं शरीर में खनिज और तरल पदार्थ का संतुलन बिगाड़ सकती है। मानव शरीर को सभी महत्वपूर्ण कार्य को करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। निर्जलीकरण आमतौर पर एक व्यक्ति में पर्याप्त तरल पदार्थ (पानी) की कमी को इंगित करता है। निर्जलीकरण के परिणामस्वरूप शरीर सामान्य रूप से कार्य करने की क्षमता को खो देता है और अनेक लक्षणों को प्रगट करता है। विशेष रूप से बुजुर्गों, शिशुओं और बच्चों को निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न होने का सबसे अधिक खतरा होता है। निर्जलीकरण की समस्या एक आम समस्या है, परन्तु यह अनेक बीमारियों का कारण बनने के साथ-साथ जानलेवा भी हो सकती है। अतः इस समस्या का निदान और इलाज जल्द से जल्द किया जाना आवश्यक होता है।

आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि पानी की कमी (निर्जलीकरण) क्या है, इसके लक्षण, कारण क्या हैं तथा इसका निदान, इलाज और रोकथाम के लिए क्या-क्या किया जा सकता है।

विषय सूची

1.निर्जलीकरण क्या है – What is dehydration in hindi
2. निर्जलीकरण के लक्षण – Dehydration symptoms in hindi
3. निर्जलीकरण के कारण –  Dehydration causes in hindi

4. पानी के कमी के जोखिम – Dehydration Risk factors in hindi
5. पानी की कमी (निर्जलीकरण) की जटिलताएं – Dehydration Complications in hindi
6. पानी की कमी होने पर डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for dehydration in hindi
7. निर्जलीकरण का निदान – Dehydration diagnosis in hindi
8. पानी की कमी का (निर्जलीकरण) का इलाज – Dehydration treatment in hindi
9. निर्जलीकरण की रोकथाम – Dehydration prevention in hindi
10. निर्जलीकरण के लिए घरेलू उपचार – Dehydration home treatment in hindi

निर्जलीकरण क्या है – What is dehydration in hindi

डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण या पानी की कमी तब होता है, जब शरीर द्वारा छोड़ी गई या बाहर निकाली गई पानी (तरल) की मात्रा, सेवन की जाने वाली पानी की मात्रा से अधिक होती है। अर्थात निर्जलीकरण की समस्या शरीर में आवश्यकता से कम पानी या तरल पदार्थ की उपस्थिति को इंगित करती है।

पानी शरीर का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जिसकी पर्याप्त मात्रा शरीर को उचित तरीके से कार्य करने की अनुमति प्रदान करती है। सम्पूर्ण शरीर के वजन का लगभग 60% भाग पानी होता है। शरीर में पानी की अधिकांश मात्रा कोशिकाओं (इंट्रासेल्युलर स्पेस) के भीतर पाई जाती है। तथा शेष मात्रा बाहरी जगह अर्थात रक्त वाहिकाओं और कोशिकाओं के बीच के रिक्त स्थान में पायी जाती है।

अधिकांश डॉक्टरों द्वारा निर्जलीकरण को तीन चरणों में विभाजित किया गया है:

1) माइल्ड डिहाइड्रेशन (mild Dehydration),

2) मॉडरेट डिहाइड्रेशन (moderate Dehydration)

3) सीवियर डिहाइड्रेशन (severe Dehydration) – सीवियर डिहाइड्रेशन शरीर में उपस्थित पानी (तरल) का लगभग 10 से 15 प्रतिशत का नुकसान का कारण बनता है। यह काफी गंभीर समस्या है तथा अनेक प्रकार के जोखिमों का भी कारण बनती है।

माइल्ड और मॉडरेट निर्जलीकरण की समस्या को तरल पदार्थ के अधिक सेवन द्वारा दूर किया जा सकता है। तरल पदार्थ के मौखिक सेवन से शरीर में तरल संतुलन को वापिस प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन यदि मध्यम (मॉडरेट) और गंभीर (सीवियर) निर्जलीकरण का निदान एवं उपचार समय पर न किया जाये तो, कुछ स्थितियों में यह समस्या मौत का कारण भी बन सकती है।

(और पढ़े – डिहाइड्रेशन से बचने के घरेलू उपाय, जानलेंगें तो कभी नहीं होगी पानी की कमी…)

निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) के लक्षण – Dehydration symptoms in Hindi

निर्जलीकरण (Dehydration) या पानी की कमी के संकेत और लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में उम्र के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। शरीर में पानी का निम्न स्तर सिरदर्द, सुस्ती और कब्ज पैदा कर सकता है। सामान्यतः मूत्र का रंग किसी भी व्यक्ति के शरीर में तरल के स्तर का सबसे अच्छा सूचक होता है। साफ़ और स्पष्ट मूत्र, व्यक्ति के अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहने की और संकेत देता है और गहरा पीला मूत्र शरीर के निर्जलित होने की और संकेत करता है।

माइल्ड और मध्यम (मॉडरेट) डिहाइड्रेशन (moderate dehydration) के अंतर्गत निम्न लक्षणों को शामिल किया जा सकता है:

  • शुष्क मुँह
  • सुस्ती या थकान महसूस होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी आना
  • सरदर्द होना
  • सिर चकराना
  • अत्यधिक प्यास लगना
  • चिपचिपा मुँह
  • मूत्र उत्पादन में कमी आना
  • गहरे पीले रंग की पेशाब
  • सूखी और ठंडी त्वचा
  • मांसपेशियों में ऐंठन उत्पन्न होना, इत्यादि।

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गंभीर निर्जलीकरण (सीवियर डिहाइड्रेशन) की स्थिति में निम्न लक्षणों को देखा जा सकता है:

  • पसीने की कमी
  • सिकुड़ी हुई और शुष्क त्वचा
  • कम रक्त दबाव (low blood pressure)
  • बुखार आना
  • बेहोशी की हालत
  • पेशाब में कमी या बहुत गहरे पीले रंग की पेशाब जाना
  • चक्कर आना
  • दिल की धडकन तेज चलना
  • तेज गति से साँस लेने
  • आँखों का धसना
  • नींद न आना, ऊर्जा में कमी,
  • भ्रम या चिड़चिड़ापन की स्थिति उत्पन्न होना, इत्यादि।

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बच्चों या शिशुओं में पानी की कमी (निर्जलीकरण) के निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:

  • मुँह और जीभ का शुष्क होना
  • रोते समय आँसू न आना
  • चिड़चिड़ापन
  • तीन घंटे तक शिशुओं के डायपर का गीला न होना
  • सिर के शीर्ष पर धँसा हुआ नरम स्थान
  • नींद न आना
  • आँखें और गाल का धँसा हुआ दिखाई देना, इत्यादि।

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निर्जलीकरण के कारण –  Dehydration causes in Hindi

निर्जलीकरण (Dehydration) का प्रमुख कारण पर्याप्त मात्रा में तरल (पानी) का सेवन न करना है। कभी-कभी निर्जलीकरण की समस्या साधारण कारणों से भी उत्पन्न हो सकती जो तरल में कमी का कारण बनते हैं: जिसके अंतर्गत बीमारी, अत्यधिक व्यस्त होने के कारण पर्याप्त तरल का सेवन न कर पाना या लंबी पैदल यात्रा आदि को शामिल किया जा सकता है। निर्जलीकरण के अन्य कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

निर्जलीकरण के कारण उल्टी, दस्त – vomiting, Diarrhea Dehydration causes in Hindi

गंभीर और तीव्र दस्त, बहुत कम समय में शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स का अत्यधिक कमी का कारण बन सकता है। यदि दस्त के साथ-साथ उल्टी भी होती है, तो इससे शरीर में अधिक तरल पदार्थ और खनिज का नुकसान होने के कारण सीवियर डिहाइड्रेशन (severe Dehydration) उत्पन्न हो सकता है।

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पानी की कमी का कारण बुखार – Fever Dehydration causes in Hindi

सामान्य तौर पर, बुखार जितना अधिक होता है, शरीर के निर्जलित होने की प्रक्रिया उतनी ही अधिक होती है। बुखार, पसीने में वृद्धि का कारण बन सकता है और मरीज निर्जलित हो सकता है।

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निर्जलीकरण का कारण बहुत ज़्यादा पसीना आना – Excessive sweating Dehydration causes in Hindi

अत्यधिक पसीना आना, शरीर में पानी की कमी या डिहाइड्रेशन (Dehydration) की समस्या को उत्पन्न कर सकता है। जो व्यक्ति कठोर कार्य या गतिविधि को करते हैं और तरल पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं कर पाते हैं, तो वह व्यक्ति निर्जलित हो सकता हैं। गर्म, आर्द्र मौसम शरीर में पसीने की मात्रा और द्रव हानि को बढ़ावा देता है।

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पानी की कमी का कारण बार-बार पेशाब जाना – Frequent urination Dehydration causes in Hindi

बार-बार पेशाब जाने की समस्या निर्जलीकरण का शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकती है। अनियंत्रित मधुमेह और  कुछ दवाएं, जैसे कि मूत्रवर्धक, रक्तचाप (blood pressure) की दवाएं पेशाब में वृद्धि का कारण बन सकती हैं।

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निर्जलीकरण का कारण डायबिटीज – Diabetes Dehydration causes in Hindi

​​हाई ब्लड शुगर (high blood sugar) के कारण पेशाब में वृद्धि और तरल पदार्थ में कमी आती है। अर्थात मधुमेह की समस्या शरीर में पानी की कमी या निर्जलीकरण की समस्या के जोखिमों को बढाती है।

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पानी के कमी के जोखिम – Dehydration Risk factors in Hindi

हालांकि निर्जलीकरण (Dehydration) की समस्या किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकती है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका अधिक जोखिम होता है। अर्थात निर्जलीकरण के जोखिम कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • शिशुओं और बच्चों को – सबसे अधिक दस्त और उल्टी के दौरान
  • वृद्ध वयस्कों को
  • पुरानी बीमारियों जैसे- मधुमेह, किडनी रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, शराब और अधिवृक्क ग्रंथि विकार से सम्बंधित व्यक्तियों को
  • एथलीट (Athletes) या खेल में प्रदर्शन करने वाले व्यक्तियों को, इत्यादि।

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पानी की कमी (निर्जलीकरण) की जटिलताएं – Dehydration Complications in Hindi

जो व्यक्ति लम्बे समय से निर्जलित हैं वे अनेक स्वास्थ्य स्थितियों को विकसित कर सकते हैं। अतः निर्जलीकरण (Dehydration) के परिणामस्वरुप निम्न प्रकार की गंभीर जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:

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पानी की कमी होने पर डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for dehydration in Hindi

पानी की कमी (निर्जलीकरण) से सम्बंधित लक्षणों के प्रगट होने सम्बंधित व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त निम्न स्थितियों में डॉक्टर को दिखाना सुनिश्चित करें, जैसे:

  • 24 घंटे या उससे अधिक समय से दस्त लगने पर
  • चिड़चिड़ा और सामान्य से अधिक निष्क्रिय या कम सक्रिय होने पर
  • खूनी या काला मल उत्पन्न होने पर।

निर्जलीकरण का निदान – Dehydration diagnosis in hindi

डॉक्टर निर्जलीकरण (Dehydration) का निदान करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के परीक्षणों का उपयोग कर सकता है। व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर निर्जलीकरण का निदान करने में सक्षम हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त निर्जलीकरण के कारणों का पता लगाने के के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षणों की सहायता ले सकता है:

मानसिक स्थिति परीक्षण –

  • थर्मामीटर के माध्यम से बुखार या शरीर के तापमान की जाँच
  • त्वचा की जाँच
  • शिशुओं के सर पर एक नरम स्थान (sunken fontanelle) की जाँच

रक्त परीक्षण (blood test) – रक्त परीक्षण की मदद से रक्त में इलेक्ट्रोलाइट ( जैसे- सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और कार्बन डाइऑक्साइड आदि) के स्तर की जाँच की जाती है। इलेक्ट्रोलाइट्स वे रसायन होते हैं जो शरीर में हाइड्रेशन (hydration) को नियंत्रित करते हैं तथा तंत्रिका और मांसपेशियों को कार्य करने के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं।

इसके अरितिक्त रक्त परीक्षण के तहत हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिका की गणना कर निर्जलीकरण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। निर्जलीकरण के तहत् पानी की हानि होने के साथ-साथ रक्त में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिका के स्तर उच्च हो सकते हैं।

किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney function tests) – किडनी फंक्शन टेस्ट के अंतर्गत BUN और क्रिएटिनिन के उच्च स्तर भी निर्जलीकरण की समस्या का निदान करने और गंभीरता को मापने में सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

मूत्र विश्लेषण (urine analysis) – मूत्र विश्लेषण या मूत्र परीक्षण, निर्जलीकरण के समस्या का निदान करने के लिए बहुत ही आवश्यक और मददगार परीक्षण है। निर्जलित व्यक्ति के मूत्र का रंग गहरा पीला और अधिक सांद्रित होता है – तथा इसमें निश्चित स्तर के यौगिक पाए जाते हैं, जिन्हें कीटोन्स (ketones) कहा जाता है। मूत्र परीक्षण, मधुमेह का निदान करने के लिए भी आवश्यक होता है।

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पानी की कमी का (निर्जलीकरण) का इलाज – Dehydration treatment in Hindi

निर्जलीकरण (Dehydration) का इलाज, इसके कारणों पर निर्भर करता है।  यदि बुखार निर्जलीकरण का कारण बनता है, तो इसके इलाज के लिए एसिटामिनोफेन (acetaminophen) या इबुप्रोफेन (ibuprofen) दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। यदि मरीज उल्टी कर रहा है, तो अंतःशिरा (Intravenous) तरल पदार्थ और इंट्रावेनस मेडिसिन, जिसमें इलेक्ट्रोलाइट्स या अन्य दवाएं शामिल होती हैं, के माध्यम से पानी की कमी की पूर्ति की जा सकती है। संक्रमण के कारण निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न होने पर, इलाज प्रक्रिया के तहत इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स की सिफारिश की जा सकती है।

शिशुओं और बच्चों में दस्त, उल्टी या बुखार के परिणामस्वरूप उत्पन्न निर्जलीकरण की समस्या का इलाज करने के लिए ओवर-द-काउंटर मौखिक तरल और इलेक्ट्रोलाइट्स दोनों को एक विशिष्ट अनुपात में मिलाकर अन्तःशिरा या मौखिक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है।

यदि रोगी गंभीर रूप से निर्जलित है तथा  भ्रम, बुखार और महत्वपूर्ण लक्षण या संक्रमण के संकेत प्रगट करता है, तो इस स्थिति में मरीज को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता होती है।

(और पढ़े – क्या आप जानतें है आपको रोज कितना पानी पीना चाहिए…)

निर्जलीकरण की रोकथाम – Dehydration prevention in Hindi

निर्जलीकरण (Dehydration) की रोकथाम बहुत महत्वपूर्ण है। बहुत अधिक मात्रा में तरल पदार्थों और खाद्य पदार्थों (जैसे कि फल और सब्जियां), जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है, का सेवन कर निर्जलीकरण की समस्या को रोकने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त पानी की कमी या निर्जलीकरण की रोकथाम के लिए निम्न उपाय अपनाने चाहिए, जैसे:

  • गर्म या शुष्क मौसम में अतिरिक्त पानी का सेवन करें।
  • उल्टी या दस्त से सम्बंधित प्रारंभिक लक्षण प्रगट होने पर अतिरिक्त पानी या तरल के सेवन पर ध्यान दें।
  • अत्यधिक गर्मी या दिन के समय (धूप) अत्यधिक पसीने के रूप में तरल की हानि न होने दें।
  • गर्मी में कठोर गतिविधियों और अत्यधिक व्यायाम करने से बचें।
  • शराब के सेवन से बचें, क्योंकि शराब पानी की कमी (निर्जलीकरण) को बढ़ावा देती है और निर्जलीकरण से जुड़े शुरुआती संकेतों और लक्षणों को महसूस करने की क्षमता को नुकसान पहुँचाती है।
  • बुजुर्गों और बहुत कम उम्र के बच्चों को निर्जलित होने की समस्या से बचने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
  • निर्जलित होने की स्थिति में व्यक्तियों को कॉफी, चाय और सोडा जैसे कैफीन युक्त पेय के सेवन से बचना चाहिए।

(और पढ़े – पानी पीने का सही समय जानें और पानी पीने के लिए खुद को प्रेरित कैसे करें…)

निर्जलीकरण के लिए घरेलू उपचार – Dehydration home treatment in Hindi

निर्जलीकरण (Dehydration) का घर पर उपचार करने के लिए मुख्य रूप से बहुत अधिक मात्रा में तरल पदार्थ और पर्याप्त पानी युक्त फलों तथा सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त पानी की कमी को दूर करने के लिए प्रतेक व्यक्ति निम्न घरेलु उपचार को अपना सकता है:

  • हमेशा पानी की थोड़ी थोड़ी मात्रा पीयें तथा मुंह को शुष्क न होने दें
  • कार्बोहाइड्रेट / इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय पदार्थ का सेवन करें
  • शरीर के तापमान को संतुलित करने और शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करें,
  • ढीले और हलके कपड़ों को पहनें
  • गर्मी से प्रभावित व्यक्ति के शारीरिक तापमान को सामान्य करने के लिए वातानुकूलित स्थान का चयन करें
  • त्वचा को अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने से बचाएं, जैसे कि आइस पैक या बर्फ का पानी। अत्यधिक ठण्ड के संपर्क में आने से त्वचा की रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं और गर्मी में कमी आने की बजाय वृद्धि होती है। अतः अत्यधिक ठंड के संपर्क में आने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन (dehydration) के लक्षण और अधिक गंभीर हो सकते हैं।
  • गर्म या आर्द्र मौसम में काम करने वाले या व्यायाम करने वाले व्यक्तियों को ठन्डे पानी का अधिक सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रोलाइट्स और कार्बोहाइड्रेट विलयन वाले स्पोर्ट्स ड्रिंक (Sports drinks) हाइड्रेटेड रहने में फायदेमंद हो सकता है।

(और पढ़े – ठंडा पानी पीने के फायदे और नुकसान…)

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