Postpartum Depression In Hindi डिलीवरी के बाद डिप्रेशन या प्रसव के बाद अवसाद यानि पोस्टपार्टम डिप्रेशन (PPD) एक प्रकार का अवसाद है जो शिशु को जन्म देने के बाद कुछ महिलाओं को प्रभावित करता है। अधिकांश नयी माताओं को प्रसव के बाद पोस्टपार्टम बेबी ब्लूज़ (baby blues) का अनुभव होता है, जिसमें आमतौर पर मूड स्विंग्स, रोना आना, चिंता और सोने में कठिनाई होना शामिल होता है। प्रसव के बाद बेबी ब्लूज़ आमतौर पर शुरुआत के दो से तीन दिनों के भीतर शुरू होते हैं, और लगभग दो सप्ताह तक चलते हैं। जबकि बेबी ब्लूज़ के लक्षणों में से कुछ लक्षण पोस्टपार्टम डिप्रेशन के समान हैं, लेकिन प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण बेबी ब्लूज़ से अलग होते है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार केवल माएं ही नहीं पिता भी होते है। एक अध्ययन में पाया गया है की 10 प्रतिशत पिता प्रसवपूर्व या प्रसव के बाद अवसाद का शिकार होते है। इस तरह के अवसाद के मामलें 3-6 महीने बाद ज्यादा देखने को मिलते है। आज इस लेख में हम जानेंगे की पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद) क्या है और इसके लक्षण कारण जांच जटिलताएं इलाज और बचाव क्या है।
विषय सूची
1. पोस्टपार्टम डिप्रेशन (प्रसवोत्तर अवसाद) क्या है – What is Postpartum depression in hindi
2. पोस्टपार्टम डिप्रेशन और बेबी ब्लूज में अंतर – Difference between postpartum depression and baby blues in Hindi
3. बेबी ब्लूज के लक्षण – Baby blues symptoms in Hindi
4.पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण – Postpartum depression symptoms in hindi
5. पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण – Postpartum depression causes in Hindi
6. पोस्टपार्टम डिप्रेशन के जोखिम कारक – Postpartum depression risk factors in Hindi
7. पोस्टपार्टम डिप्रेशन से होने वाली जटिलताएं – Postpartum depression complications in Hindi
8. पोस्टपार्टम डिप्रेशन की जांच – Postpartum depression diagnosis in hindi
9. पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज – Postpartum depression treatment in Hindi
10. पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचाव – Postpartum depression prevention in hindi
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression) जिसे प्रसवोत्तर अवसाद (prenatal depression) भी कहते है, यह उन महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है जिन्होंने अभी अभी बच्चे को जन्म दिया हो। पोस्टपार्टम डिप्रेशन बेबी ब्लूज से बिलकुल अलग होता है परन्तु इसके कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते है। जहां बेबी ब्लूज की वजह से महिलाओं को मूड स्विंग्स होते है, रोना आता है, बहुत चिंता होती है और थकान लगती है वहीं पोस्टपार्टम डिप्रेशन में कई गंभीर लक्षण दिखाई देते है जैसे बच्चे से चिढ़ होना और आत्महत्या करने का विचार आना आदि शामिल हैं। प्रसवोत्तर अवसाद कोई चरित्र दोष या कमजोरी नहीं है।
यह तो बस गर्भवती महिलाओं में कभी-कभी होने वाली परेशानी है जो सिर्फ बच्चे को जन्म देने की जटिलता की वजह से होती है। अगर आपको भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन है तो सही समय पर इलाज करवाकर आप अपने आप को और अपने बच्चे को इससे सुरक्षित रख सकती है।
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वैसे तो डिप्रेशन कई तरह के होते है परन्तु महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के बाद दो तरह के डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते है एक है पोस्टपार्टम डिप्रेशन और दूसरा बेबी ब्लूज। ये दोनों ही डिप्रेशन एक दूसरे से अलग होते है इनकी अवधि भी अलग होती है और इनके लक्षण भी परन्तु कभी कभी इनमे कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते है। जहां बेबी ब्लूज की अवधि 2 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक होती है वहीं पोस्टपार्टम डिप्रेशन लम्बे समय तक चलता है और इसके लक्षण और परिणाम भी काफी गंभीर होते है।
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बेबी ब्लूज के लक्षण और इसकी अवधि कुछ दिनों या हफ़्तों की होती है जिसमे कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते है, जिनमे शामिल है-
पोस्टपार्टम डिप्रेशन या प्रसव के बाद का अवसाद माता-पिता दोनों को कई अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है। जिसके कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिलते है, जैसे-
पोस्टपार्टम डिप्रेशन बेबी ब्लूज के सामान नहीं होता है जो माता पिता को सिर्फ कुछ दिन तक ही प्रभावित करें। अगर कार्यशीलता में कमी और मूड स्विंग्स लम्बे समय तक हो तो यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन की निशानी हो सकती है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की वजह से कुछ लोग अपने बच्चे को नुकसान पहुँचाने का भी सोचते है या उनके मन में कभी कभी आत्महत्या (suicide) और आत्मघात (self harming) के बुरे विचार भी आ सकते है। ज्यादातर मामलों में ना तो माता-पिता और ना ही शिशु को नुकसान होना पाया गया है, लेकिन ऐसे भयानक विचार आना भी किसी बड़ी अनहोनी का संकेत हो सकते है।
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प्रसवोत्तर अवसाद या पोस्टपार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) कई कारकों का परिणाम होता है। हालाँकि, इसके सही कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। अवसाद आमतौर पर भावनात्मक (emotional), तनावपूर्ण घटनाओं (stressful events), या जैविक परिवर्तन (biological change) के कारण होता है, जो मस्तिष्क रसायनों के असंतुलन को ट्रिगर करता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) में योगदान करने वाले कारकों में शामिल हो सकते हैं-
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कोई भी महिला जो अभी अभी माँ बनी हो उसमे डिलीवरी के बाद डिप्रेशन (Postpartum depression) की समस्या का विकास हो सकता है। आपके जोखिम को बढ़ाने वाले कारक हो सकते हैं-
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नोट- यदि आपको इनमें से कोई भी जोखिम कारकों के लक्षण महसूस हो रहे हो तो तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करे और इलाज करवाएं क्योकि ये आपके और आपके बच्चे के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है।
यदि पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज सही समय पर नहीं करवाया जाये तो इसकी वजह से माँ और बच्चे के बीच के बंधन में बाधा उत्पन्न हो सकती है और बहुत सी पारिवारिक परेशानी भी हो सकती है, जैसे-
प्रसव के बाद होने वाले अवसाद (Postpartum depression) का अगर समय से इलाज ना कराया जाये तो यह कई महीनों या उससे अधिक समय तक रह सकता है, कभी-कभी यह एक गंभीर अवसादग्रस्तता विकार (chronic depressive disorder) बन जाता है। यहां तक कि जब तक इसका इलाज किया जाता है, तब तक अवसादग्रस्त महिला के अंदर प्रमुख अवसाद (major depression) के भविष्य के खतरनाक लक्षण पनपने लगते है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का असर पिताओं पर भी होता है जिससे नए बच्चे की तरफ भी उनका तनाव बढ़ सकता है। यदि माँ में अवसाद और उदासी बढ़ती है, तो बच्चे के पिता में भी अवसाद का खतरा बढ़ सकता है। और शोध में तो यह पहले ही साबित हो चुका है की नए पिता पहले से ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो सकते है चाहें उनके साथी में इसके लक्षण हो या ना हो।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ग्रस्त माताओं की संतान को भी भावनात्मक और व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती है, जैसे नींद आने और खाना खाने में कठिनाई, अत्यधिक रोना आना, और भाषा के विकास में देरी की संभावना हो सकती है।
डिलीवरी के बाद डिप्रेशन या पोस्टपार्टम डिप्रेशन और पोस्टपार्टम बेबी ब्लूज के बीच का अंतर समझने और आपको दोनों में से कौन से तरह का अवसाद है यह जानने के लिए आपका डॉक्टर आपसे आपकी भावनाओं, विचारों और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात कर सकता है। इसलिए डॉक्टर को कुछ भी बताने में शर्मिंदगी महसूस ना करें क्योकि पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक आम समस्या है और आपके बताये हुए लक्षणों के द्वारा ही डॉक्टर आपका उचित इलाज कर पायेगा। आपको किस तरह का डिप्रेशन है इसकी जांच करने के लिए डॉक्टर कुछ तरीके अपना सकते है, जैसे-
प्रसवोत्तर अवसाद या डिलीवरी के बाद डिप्रेशन में इलाज और रिकवरी में समय लग सकता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज आपके अवसाद की गंभीरता और व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ मेडिकेशन दे सकता है और आपको किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (mental health professional) से मिलने का भी कह सकता है। अगर आपको बेबी ब्लूज डिप्रेशन के लक्षण है तो इसके इलाज के लिए डॉक्टर निम्न उपाय कर सकता है, जैसे-
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लिए इलाज के निम्न तरीके अपनाये जा सकते हैं- पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लिए डॉक्टर अक्सर मनोचिकित्सा जिसे टॉक थेरेपी या मानसिक स्वास्थ्य परामर्श (talk therapy or mental health counseling) भी कहा जाता है और दवाओं या दोनों का उपयोग करते है। इसमें शामिल है-
डिलीवरी के बाद डिप्रेशन के इलाज के लिए मनोचिकित्सा (Psychotherapy)- इस प्रक्रिया में एक मनोचिकित्सक (psychiatrist), मनोवैज्ञानिक (psychologist) या अन्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (mental health professional) आपकी चिंताओं के माध्यम से बात करने में आपकी मदद कर सकते है। इस थेरेपी के माध्यम से, आप अपनी भावनाओं के साथ सामना करने, समस्याओं को हल करने, यथार्थवादी लक्ष्य (realistic goals) निर्धारित करने और स्थितियों का सकारात्मक तरीके से जवाब देने के लिए बेहतर तरीके पा सकते हैं। कभी-कभी पोस्टपार्टम डिप्रेशन में परिवार या संबंध चिकित्सा (family or relationship therapy) भी मदद करती है।
प्रसवोत्तर अवसाद के इलाज के लिए एंटीडिप्रेसन्ट (Antidepressants)- आपका डॉक्टर आपको एंटीडिप्रेसेंट लेने की सलाह भी दे सकता है। यदि आप बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो आपके द्वारा ली गई कोई भी दवा आपके स्तन के दूध में प्रवेश कर सकती है। हालांकि, ज्यादातर एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का उपयोग स्तनपान के दौरान किया जा सकता है परन्तु इसके थोड़े से साइड इफेक्ट आपके बच्चे पर हो सकते है पर इनके जोखिम कम रहते है। विशिष्ट एंटीडिपेंटेंट्स के संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में अपने डॉक्टर से पूरी जानकारी लें।
वास्तव में डिलीवरी के बाद डिप्रेशन की पूरी रोकथाम संभव नहीं है। फिर भी, कुछ कारक आपको प्रसवोत्तर अवसाद (prenatal depression) से ग्रस्त कर सकते हैं, इसलिए आप अवसाद के जोखिम को कम करने के लिए कुछ उपाय अपना सकती है, जैसे-
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