हम में से ज्यादातर लोग कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) और हार्ट अटैक (heart attack) यानी दिल का दौरा को एक ही चीज समझते है। ये दोनों ही स्थित एक दूसरे की पर्याय लगती है लेकिन दोनों में मामूली सा फर्क होता है। आज के इस लेख में आप जानेगें कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर क्या होता है? जान जाने का खतरा किसमें ज्यादा होता है, कार्डियक अरेस्ट (हृदय गति रुकने) के संकेत क्या है? और कैसे इनसे बचा जा सकता है।
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कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर – Differences Between Cardiac Arrest And Heart Attack in Hindi
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) तब पड़ता है, जब कोरोनरी धमनियों में से एक धमनी अवरुद्ध हो जाती है जिससे हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। अगर अवरुद्ध या जाम हुए धमनी का तुरंत उपचार नहीं किया गया, तो पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण दिल का वह हिस्सा जहाँ ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुँच रहा है, वह मरने लगता है।
कार्डियक अरेस्ट अचानक और अक्सर बिना किसी चेतावनी के उत्पन्न होने वाली समस्या है। यह समस्या हृदय में विद्युत संकेत के अचानक पूरी तरह से अव्यवस्थित हो जाने के कारण उत्पन्न होती है, जिसकी बजह से अनियमित दिल की धड़कन (अतालता (arrhythmia)) संबंधी लक्षण प्रगट होते हैं। इस स्थिति के परिणामस्वरूप हृदय तेजी से और अव्यवस्थित रूप से धड़कता है, और कुछ मामलों में यह पूरी तरह से धड़कना बंद कर देता है, यानी यह “कार्डियक अरेस्ट” की स्थिति में चला जाता है। कार्डियक अरेस्ट के परिणाम हृदय की पंपिंग क्रिया बाधित होने से अचानक मौत हो सकती है।
हार्ट अटैक के लक्षण तत्काल, तीव्र हो सकते हैं या फिर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने से कुछ घंटों, दिनों या हफ्तों पहले तक दिखाई दे सकते हैं। अचानक कार्डियक अरेस्ट के विपरीत, हार्ट अटैक आने पर दिल आमतौर पर धड़कना बंद नहीं करता है।
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आइए जानते है कार्डियक अरेस्ट क्या है – What Is Cardiac Arrest in Hindi
कार्डियक अरेस्ट को अगर आसान भाषा में समझना है तो हम कह सकते है कि कार्डियक अरेस्ट के दौरान मरीज के दिल की धड़कन रूक जाती है। कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) तब होता है जब हृदय के विभिन्न भीतरी हिस्सों के बीच सूचनाओं का आपसी आदान-प्रदान बिगड़ जाता है, जिससे दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है। इस अवस्था में हृदय, शरीर में खून पंप करना बंद कर देता है जिसके कारण मरीज को सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि सांस न ले पाने की स्थित में मरीज बेहोश हो जाता है। ऐसे हालात में अगर कुछ ही देर में मरीज को डॉक्टर के पास नहीं ले जाया जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
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आइए जानते है क्या है हार्ट अटैक – What Is The Heart Attack in Hindi
हार्ट अटैक जिस मेडिकल टर्म में मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (myocardial infarction) भी कहते है। यह तब होता है, जब शरीर की कोरोनरी आर्टरी (धमनी) में अचानक अवरोध उत्पन्न हो जाता है। इस आर्टरी से हमारे हृदय की पेशियों तक खून पहुंचता है, और जब वहां तक खून पहुंचना बंद हो जाता है, तो वे निष्क्रिय हो जाती हैं, यानी हार्ट अटैक होने पर दिल के भीतर की कुछ पेशियां काम करना बंद कर देती हैं। धमनियों में आई इस तरह की ब्लॉकेज को दूर करने के लिए कई तरह के उपचार किए जाते हैं, जिनमें एंजियोप्लास्टी (Angioplasty), स्टंटिंग और दिल की सर्जरी (Heart Surgery) शामिल हैं, इन सब में कोशिश होती है कि दिल तक खून पहुंचना नियमित हो जाए।
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कार्डियक अरेस्ट के ये है संकेत – Cardiac Arrest Symptoms in Hindi
सीने के बीचों बीच अचानक से दर्द होना और कुछ देर बाद अपने आप दर्द का ठीक हो जाना कार्डियक अरेस्ट का संकेत है। इसके अलावा कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति निम्न लक्षणों का भी अनुभव कर सकता है, जैसे:
- सीने में दबाव या भारीपन महसूस होना।
- अचानक से हार्टबीट तेज़ हो जाना।
- अचानक से पसीना आना, गर्मी लगना और घबराहट होना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- हल्के-फुल्के काम से भी थकान महसूस होना।
- बिना किसी वजह के सिर में या पेट में उपर कि तरफ दर्द होना।
- पीठ या बांये हाथ, गर्दन या दांत में दर्द होना।
- उल्टी आना या जी मिचलाना।
- बेचैनी होना।
कार्डियक अरेस्ट के कारण – Cardiac Arrest Causes in Hindi
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों ही अलग-अलग हृदय की स्थितियों से सम्बंधित हैं। हार्ट अटैक आने के बाद या ठीक होने के दौरान अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। हार्ट अटैक आने से अचानक कार्डियक अरेस्ट होने का खतरा बढ़ जाता है। अचानक कार्डिएक अरेस्ट होने का सामन्य कारण हार्ट अटैक को माना जाता है। इसके अलावा हृदय की अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ भी हृदय की धड़कन को बाधित कर सकती हैं और अचानक हृदय गति रुकने (कार्डिएक अरेस्ट) का कारण बन सकती हैं। कार्डिएक अरेस्ट का कारण बनने वाली अन्य स्थितियों में शामिल हैं:
- हृदय की मांसपेशी मोटी हो जाना या कार्डियोमायोपैथी (cardiomyopathy)
- हार्ट फेलियर (heart failure)
- अनियमित दिल की धड़कन या हृदय अतालता (arrhythmias)
- वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन (ventricular fibrillation)
- लॉन्ग क्यू-टी सिंड्रोम (long Q-T syndrome), इत्यादि।
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कार्डियक अरेस्ट का इलाज – Cardiac Arrest Treatment in Hindi
आपको बता दें कि कई बार कार्डियक अरेस्ट अचानक भी आता है। अगर कार्डियक अरेस्ट के कुछ ही पलों के अंदर मरीज को डॉक्टर के पास ले जाया जाता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है। कार्डियक अरेस्ट के दौरान मरीज को कार्डियोपल्मनेरी रेसस्टिसेशन (CRP) दिया जाता है। इसकी मदद से उसकी दिल की धड़कन को नियमित करने का प्रयास किया जा सकता है। इस दौरान डिफाइब्रिलेटर उपकरण की मदद से मरीज को बिजली के झटके भी दिए जाते हैं जिससे दिल की धड़कन दोबारा शुरु हो जाए।
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ऊपर लेख में आपने जाना की कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर क्या होता है और जान जाने का खतरा किस्मे ज्यादा होता है, कार्डियक अरेस्ट के संकेत क्या है और कैसे इनसे बचा जा सकता है। जिस व्यक्ति को दिल की बीमारी होती है उसे कार्डियक अरेस्ट आने का खतरा अधिक होता है साथ ही साथ जिस व्यक्ति को पहले कभी हार्ट अटैक आ चुका हो तो उस व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट आने की सम्भावना बढ़ जाती है इसलिए यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी है तो आपको भी सावधान रहना चाहिए और समय समय पर अपनी जाँच कराते रहना चाहिए।
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