Dizziness in hindi चक्कर आना एक आम समस्या है। वैसे तो चक्कर आने की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को सकती है लेकिन आमतौर पर 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति इस समस्या से अधिक पीड़ित होते हैं। यह समस्या अस्थायी (temporary) और दीर्घकालिक भी हो सकती है और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है। इस बीमारी से व्यक्ति के दैनिक कार्य भी प्रभावित होते हैं जिसके कारण उसे तनाव और डिप्रेशन की समस्या बढ़ सकती है। इस लेख में आप चक्कर आने के कारण, लक्षण, निदान और इलाज के बारे में जानेगें।
विषय सूची
1. चक्कर आना क्या है – What is dizziness in Hindi
2. चक्कर आने के लक्षण – Symptoms of dizziness in Hindi
3. चक्कर आने का कारण – Causes of dizziness in Hindi
4. चक्कर आने का निदान – Diagnosis of dizziness in Hindi
5. चक्कर आने का इलाज – Treatments for dizziness in Hindi
चक्कर आना एक ऐसा शब्द है जो कई तरह की संवेदनाओं (sensations) जैसे बेहोशी, धुंधलापन, कमजोरी और अस्थिर महसूस करने की श्रृंखला है। कभी-कभी व्यक्ति को खराब संवेदनाएं महसूस होती हैं और उसे अपने चारों ओर की वस्तुएं घूमती हुई दिखाई देती हैं, इस स्थिति को ही चक्कर आना कहते हैं। इसमें व्यक्ति के मस्तिष्क तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है जिसके कारण उसे अपने शरीर का भार महसूस नहीं होता है और आंखों से थोड़ी देर के लिए कुछ स्पष्ट दिखायी नहीं देता है। यह समस्या आमतौर पर वयस्कों को होती है। कभी-कभी इस समस्या से व्यक्ति जीवनभर पीड़ित रह सकता है लेकिन चक्कर आने के ज्यादातर मामले इलाज से ठीक हो जाते हैं।
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चक्कर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अपने आसपास की चीजें घूमती हुई एवं धुंधली दिखायी देती हैं। चक्कर आने से पहले कभी-कभी तेज घबराहट होती है और आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। चक्कर आने के मुख्य लक्षण निम्न हैं।
आमतौर पर चक्कर आने के कई कारण होते हैं लेकिन माइग्रेन, एल्कोहल एवं दवाओं का सेवन चक्कर आने का मुख्य कारण होता है। इसके अलावा कान के अंदर गंभीर समस्या होने पर भी व्यक्ति को चक्कर आता है। इसकेे अलावा मेनिएयर की बीमारी (Meniere’s disease) के कारण भी चक्कर आता है। इस बीमारी के होने पर कानों में तरल (fluid) पदार्थ बनने लगता है जिससे कान भर जाता है और व्यक्ति को सुनाई देना बंद हो जाता है। चक्कर आने का अन्य कारण न्यूरोमा है। यह एक नॉन कैंसर ट्यूमर है जो आमतौर पर उन तंत्रिकाओं में होता है जो कान के अंदरूनी (inner eye) हिस्से और दिमाग से जुड़ा होता है।
चक्कर आमतौर पर निम्न कारणों से आता है-
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चक्कर आने की समस्या होने पर डॉक्टर के पास जाने पर वह सबसे पहले मरीज से चक्कर आने से पहले महसूस होने वाले लक्षणों के बारे में पूछते हैं और फिर मरीज का शारीरिक परीक्षण (physical examination) करते हैं। यह परीक्षण करने के लिए डॉक्टर मरीज को टहलने के लिए कहते हैं और उसके शरीर का संतुलन देखते हैं और यह जांच करते हैं कि मरीज का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र किस तरीके से काम कर रहा है। चक्कर आने की समस्या के निदान के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट करते हैं।
इस टेस्ट में डॉक्टर मरीज के आंखों के सामने एक घूमती हुई वस्तु रखते हैं और आई मोशन टेस्ट करते हैं। इस टेस्ट को करने के लिए मरीज के कानों (ear canal) में गर्म या ठंडा पानी या हवा डालते हैं।
यह टेस्ट यह देखने के लिए किया जाता है कि मरीज अपने शरीर के किस हिस्से पर अधिक निर्भर है और किस हिस्से में समस्या आ रही है। मरीज को नंगे पांव खड़ा कराकर उसे विभिन्न स्थितियों में शरीर का संतुलन बनाने के लिए कहा जाता है।
इस टेस्ट के लिए मरीज को एक कंप्यूटर कंट्रोल्ड कुर्सी पर बैठाया जाता है जो धीरे-धीरे चारों ओर घुमता है। लेकिन तेज गति पर यह आगे-पीछे बहुत छोटे चाप (arc) में घूमता है।
इसके अलावा संक्रमन का पता लगाने के लिए मरीज का ब्लड टेस्ट भी किया जाता है और हृदय एवं रक्त वाहिनियों (blood vessel) की भी जांच की जाती है।
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चक्कर आने का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है। कुछ प्रकार के चक्कर बिना किसी इलाज के ही ठीक हो जाते हैं लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण आने वाले चक्कर को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा कुछ मामलों में चक्कर को घरेलू उपचार के जरिए भी ठीक किया जा सकता है। आइये जानते हैं चक्कर आने का इलाज क्या है।
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