Early Pregnancy Diet In Hindi: गर्भवती महिला के शुरुआती समय बेहद अहम होता है। क्योंकि इस दौरान महिला को न केवल अपने बल्कि होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य की चिंता अधिक होती है। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में महिलाओं को विशेष आहार की आवश्यकता होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान शुरुआती हफ्तों में प्रेग्नेंट महिला को आहार के प्रति काफी सजग रहने की जरूरत होती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान आपके आहार का आपके गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर काफी गहरा असर पड़ता है। इस दौरान महिलाओं का शरीर अत्यंत संवेदनशील होता है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती चरण में अतिरिक्त पोषक तत्व, विटामिन और खनिज पदार्थों की आवश्यकता होती है।
इन पोषक तत्वों की कमी के कारण गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में न केवल महिला कमजोर हो सकती है बल्कि के बच्चे के संपूर्ण विकास में भी बाधा आ सकती है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती समय में ही डायट-प्लान बनाना चाहिए। जिससे उनके और उनके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके। आज इस आर्टिकल में आप गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में लिये जाने वाले आहार संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें। गर्भावस्था के पहले कुछ हफ्तों में पौष्टिक आहार के लिए खाएं ये चीजें
विषय सूची
किसी भी गर्भवती महिलाओं को शुरुआत के कुछ हफ्तों में विशेष देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान आपके बढ़ते भ्रूण की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त प्रोटीन और कैल्शियम का उपभोग करने की आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए महिलाओं को डेयरी उत्पादों का सेवन करना चाहिए। डेयरी उत्पादों में दो प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं जिनमें कैसिन और मट्ठा शामिल हैं। इसके अलावा ये उत्पाद कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोत माने जाते हैं साथ ही इनमें फास्फोरस, विटामिन बी, मैग्नीशियम और जस्ता आदि की उच्च मात्रा होती है। गर्भावस्था के दौरान प्रोबायोटिक की खुराक लेने से गर्भवस्था के दौरान होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। जैसे कि प्रीक्लेम्पसिया, गर्भावधि मधुमेह, योनि संक्रमण और एलर्जी आदि।
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महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में ही डायट-प्लान तैयार कर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान महिलाओं के शरीर में अचानक से कई प्रकार के परिवर्तन होते हैं। जो कि शरीर में हार्मोन के उतार चढ़ाव के कारण भी होते हैं। लेकिन महिलाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तनों के होने का एक प्रमुख कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है। इन पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को फलियां और बीन्स जैसे आहारों का सेवन करना चाहिए। फलियां फाइबर, प्रोटीन, आयरन, फोलेट और कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से अपने भोजन में दाल, मटर, बीन्स, छोले, सोयाबीन और मूंगफली आदि को शामिल करना चाहिए। ये सभी खाद्य पदार्थ गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।
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जो महिलाएं गर्भवती होना चाहती हैं उन्हें गर्भावस्था के शुरुआती समय में शकरकंद या मीठे आलूओें का सेवन करना चाहिए। शकरकंद बीटा-कैरोटीन (beta-carotene) में बहुत ही समृद्ध होता है। यह एक पौधा आधारित यौगिक है जो आपके शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है। विटामिन ए कोशिकाओं और ऊतकों के विकास के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। गर्भवती महिलाओं के लिए आमतौर पर विटामिन ए आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन फिर भी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक मात्रा में विटामिन ए का सेवन करने से बचना चाहिए। शकरकंद बीटा कैरोटीन और विटामिन ए का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा शकरकंद में फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है जो पाचन समस्याओं, रक्त शर्करा के स्तर में कमी आदि को भी नियंत्रित करता है।
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साल्मन मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है। इस कारण ही महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती समय में साल्मन मछली का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड आवश्यक है, विशेष रूप से लंबी श्रृंखला ओमेगा-3 फैटी एसिड डीएचए और ईपीए के लिए। समुद्री भोजन में पाये जाने वाले ये पोषक तत्व आपके भ्रूण के मस्तिष्क और आंखों के विकास में मदद करते हैं। हालांकि समुद्री भोजन में पाई जाने वाली अशुद्धियों के कारण महिलाओं को केवल सप्ताह में 2 बार इन भोज्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा समुद्री मछलियों में विटामिन डी भी मौजूद होता है जो भ्रूण के मस्तिष्क विकास में अहम योगदान देता है। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में साल्मन और अन्य समुद्री आहार को नियंत्रित मात्रा में शामिल करना चाहिए।
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बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं के शुरुआती समय में स्वस्थ और पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। ऐसे ही आहार में अंडे भी शामिल हैं। क्योंकि इनमें लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्वों की कुछ न कुछ मात्रा मौजूद होती है। एक अंडे में लगभग 77 कैलोरी होती है साथ ही उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन और वसा भी होता है। इसके अलावा अंडे में कई विटामिन और खनिज पदार्थ भी होते हैं। अंडे कोलीन (choline) का एक बड़ा स्रोत होता है जो कि मस्तिष्क विकास और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कोलीन की की तंत्रिका ट्यूब दोषों की संभावना को बढ़ा सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से अपने आहार में अंडे को शामिल करना चाहिए। क्योंकि यह महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ ही भ्रूण के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
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गर्भावस्था के शुरुआती समय में महिलाओं को अपने आहार में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस दौरान महिलाओं को ब्रोकोली और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे काले और पालक आदि का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। इन हरी पत्तेदार सब्जियों में कई पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं जिनकी आवश्यकता गर्भवती महिलाओं को शुरुआती समय में होती है। इन हरी पत्तेदार सब्जियों में फाइबर, विटामिन सी, विटामिन K विटामिन A, कैल्शियम, आयरन, फोलेट और पोटेशियम आदि होते हैं। इसके अलावा इस प्रकार की सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। फाइबर की उच्च मात्रा होने के कारण यह गर्भावस्था के दौरान कब्ज से बचाते हैं जो कि गर्भावस्था के दौरान एक आम समस्या है। हरी पत्तेदार सब्जियों का पर्याप्त सेवन कम वजन के जन्म की संभावना को भी कम करता है।
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फिश ऑइल मछली के लिवर से बनया जाता है जो कि महिला स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। मछली के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड की उच्च मात्रा होती है जो भ्रूण के मस्तिष्क और आंखों के विकास में सहायक होता है। गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में महिलाओं को मछली के तेल का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। क्योंकि यह विटामिन डी का भी एक अच्छा स्रोत माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) के खतरे को बढ़ा सकता है। जिसके कारण महिलाओं को उच्च रक्तचाप, हाथ और पैर की सूजन या मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला द्वारा पर्याप्त मात्रा में मछली के तेल का सेवन करने से उच्च वजन वाले बच्चे के जन्म की संभावना अधिक होती है। जिससे बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ और सुंदर होता है।
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महिलाओं को गर्भावस्था के पहले कुछ महीनों में पैष्टिक चीजें खाना चाहिए। बेरीज भी इन्हीं खाद्य पदार्थों में से एक हैं। क्योंकि ये पानी, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं। इनमें मौजूद विटामिन सी शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत भी करता है। इस प्रकार के फल अपेक्षाकृत कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले होते हैं। इसलिए ये रक्त शर्करा के स्तर को अधिक प्रभावित नहीं करते हैं। इस लिए महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती समय में इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
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गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में भ्रूण के उचित विकास के लिए महिलाओं को पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। साबुत अनाज खाने से गर्भवती महिलाओं को आवश्यक अतिरिक्त कैलोरी की पूर्ति करने में मदद मिलती है। विशेष रूप से गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में। परिष्कृत अनाज के विपरीत साबुत अनाज फाइबर विटामिन और पौधे आधारित यौगिकों से भरे होते हैं। ओट्स और क्विनोआ में भी उचित मात्रा में प्रोटीन होता है जो गर्भावस्था के दौरान बहुत ही आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं को शुरुआती समय में साबुत अजानों का पर्याप्त सेवन करना चाहिए। क्योंकि इनमें विटामिन बी, फाइबर और मैग्नीशियम आदि की अच्छी मात्रा होती है। इन सभी पोषक तत्वों की अक्सर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में देखी जाती है।
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एवोकाडो एक विशेष फल है क्योंकि इनमें बहुत से मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड की उच्च मात्रा होती है। इसके अलावा एवोकाडो फाइबर, विटामिन बी, विटामिन K, पोटेशियम, तांबा, विटामिन ई और विटामिन सी आदि से भरपूर होता है। स्वस्थ वसा, फोलेट और पोटेशियम की अपनी उच्च सामग्री के कारण एवोकाडो गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे अच्छे आहार में से एक है। यह भ्रूण की त्वचा, मस्तिष्क और ऊतकों के विकास में सहायक होते है। पोटेशियम और फोलेट तंत्रिका ट्यूब दोष को कम करने और महिलाओं को ऐंठन की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों में भ्रूण के उचित विकास के लिए एवोकाडो का नियमित सेवन करना चाहिए।
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