ECG in Hindi ईसीजी टेस्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) एक साधारण एवं दर्दरहित टेस्ट है जो हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधि की माप करता है। इस टेस्ट को ईसीजी या ईकेजी (EKG) भी कहा जाता है। हमारे हृदय की प्रत्येक धड़कन (heartbeat) इलेक्ट्रिकल सिग्नल के कारण ही चलती है जो हृदय के ऊपर से शुरू होकर नीचे तक जाती है। लेकिन हृदय में किसी तरह की समस्या उत्पन्न होने पर हृदय की इलेक्ट्रिकल गतिविधि प्रभावित हो जाती। अगर हृदय रोगों से संबंधित कोई लक्षण किसी व्यक्ति में दिखायी देते हैं तो डॉक्टर उसे ईसीजी (ECG) कराने की सलाह देते हैं। आज के इस लेख में हम ईसीजी टेस्ट के प्रकार और उसके तरीके के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
विषय सूची
1. ईसीजी क्या होता है? – What is ECG in Hindi
2. ईसीजी टेस्ट कराने के कारण – ECG (Electrocardiogram) Test Purpose in Hindi
3. ईसीजी टेस्ट के प्रकार – Types of ECG in Hindi
4. ईसीजी टेस्ट कराने से पहले की तैयारी – Preparation for ECG in Hindi
5. ईसीजी टेस्ट करने का तरीका – ECG Procedure in Hindi
6. ईसीजी टेस्ट से नुकसान – ECG side effects in Hindi
7. ईसीजी टेस्ट का रिजल्ट – ECG Results in Hindi
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी या ईकेजी ) त्वचा पर रखे इलेक्ट्रोड का उपयोग करके समय की अवधि में हृदय की विद्युत गतिविधि रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया है। ये इलेक्ट्रोड त्वचा पर छोटे विद्युतीय परिवर्तनों का पता लगाते हैं जो दिल की मांसपेशी के इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल पैटर्न से प्रत्येक दिल की धड़कन के दौरान विरूपण और पुनरुत्पादन के द्वारा उत्पन्न होते हैं। यह एक बहुत ही सामान्य रूप से किया जाने वाला कार्डियोलॉजी परीक्षण है।
आमतौर पर हृदय से जुड़ी निम्न समस्याओं के लिए डॉक्टर ईसीजी (ECG) कराने की सलाह देते हैं।
ईसीजी टेस्ट के जरिए डॉक्टर इन लक्षणों के उत्पन्न होने के कारणों (causes) का पता लगाते हैं और उसी के आधार पर तय करते हैं कि मरीज को किस तरह के इलाज की आवश्यकता है। आमतौर पर ईसीजी की कीमत 100 रूपये से 600 रूपये तक होती है। लेकिन प्रत्येक अस्पतालों और शहरों में ईसीजी की कीमत अलग-अलग निर्धारित है।
(और पढ़े – कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर)
जिस समय मरीज की जांच की जा रही होती है उस समय ईसीजी मरीज के हृदय के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के चित्र (image) को रिकॉर्ड कर लेता है। हालांकि हृदय संबंधी कुछ समस्याएं उत्पन्न होती हैं और फिर ठीक भी हो जाती हैं। इस स्थिति में मरीज को विशेष जांच की जरूरत होती है। आमतौर पर ईसीजी टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं।
हृदय से संबंधित कुछ समस्याएं सिर्फ व्यायाम (exercise) करते समय ही महसूस होती हैं। इसलिए एक्सरसाइज करते समय जब ईसीजी किया जाता है तो उसे स्ट्रेस टेस्टिंग कहते हैं। आमतौर पर यह टेस्ट ट्रेडमिल या स्थिर साइकिल (stationary bicycle) पर किया जाता है।
यह एक पोर्टेबल ईसीजी होता है जो 24 से 48 घंटों की हृदय की गतिविधि को रिकॉर्ड करता है। इस टेस्ट में इलेक्ट्रोड को छाती में जोड़ दिया जाता है और बैटरी से चलने वाले मॉनीटर को आप अपने जेब या बेल्ट में रख सकते हैं।
हृदय रोगों से संबंधित कुछ लक्षण (sign) जल्दी दिखायी नहीं देते हैं। इन्हीं लक्षणों के निदान (diagnosis) के लिए इवेंट रिकॉर्डर का इस्तेमाल किया जाता है। यह भी होल्टर मॉनीटर की तरह होता है लेकिन जैसे ही हृदय रोगों (heart disease)से संबंधित लक्षण दिखायी देते हैं, यह तुरंत हृदय की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर लेता है। अन्य प्रकार के इवेंट रिकॉर्डर में हृदय रोगों के लक्षणों का अनुभव होने पर एक बटन दबाकर (push) इन्हें रिकॉर्ड किया जाता है। फिर इस सूचना को आप फोन के माध्यम से भी डॉक्टर को बता सकते हैं।
ECG कराने से पहले या उस दिन शरीर पर कोई चिकना (greasy) क्रीम या लोशन न लगाएं क्योंकि त्वचा पर चिकनाहट आने से इलेक्ट्रोड त्वचा के संपर्क में नहीं आ पाते हैं।
ECG कराने से पहले पैरों में मोजे न पहनें क्योंकि इलेक्ट्रोड को सीधे पैरों के ऊपर ही लगाया जाता है।
ऐसे शर्ट या कपड़े पहनें जिसे आसानी से उतारा जा सके क्योंकि इलेक्ट्रोड सीने (chest) पर भी लगाया जाता है।
ईसीजी कराने से पहले ठंडा पानी न पीयें और एक्सरसाइज भी न करें क्योंकि ठंडे पानी के कारण टेस्ट रिकॉर्ड करने में इलेक्ट्रिकल पैटर्न में परिवर्तन आ सकता है। एक्सरसाइज करने से हृदय गति बढ़ सकती है और टेस्ट रिजल्ट प्रभावित हो सकता है।
ECG पीड़ा रहित, सुरक्षित एवं त्वरित प्रक्रिया वाला टेस्ट है। ईसीजी टेस्ट करने के लिए टेक्निशियन जेल (gel) की सहायता से 12 से 15 मुलायम इलेक्ट्रोड को छाती, बांहों और पैरों पर चिपका देते हैं। शरीर के इन हिस्सों की त्वचा (body skin) पर इलेक्ट्रोड को सही तरीके से चिपकाने के लिए टेक्निशियन त्वचा के कुछ हिस्सों के बाल भी हटा देते हैं। सभी इलेक्ट्रोड (electrode) समान आकार के होते हैं। इन इलेक्ट्रोडों को इलेक्ट्रिकल तार से जोड़ा जाता है और फिर इसे ईसीजी मशीन से जोड़ा दिया जाता है।
टेस्ट के दौरान मरीज को एक टेबल पर सीधे लिटा दिया जाता है और ईसीजी मशीन हृदय के इलेक्ट्रिकल सिग्नल को रिकॉर्ड करके सूचना को एक ग्राफ के माध्यम से प्रदर्शित करती है। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति लेटे हुए सामान्य तरीके से सांस ले सकता है लेकिन बातचीत नहीं कर सकता है। टेस्ट के बाद इलेक्ट्रोड को निकाल लिया जाता है। ईसीजी की इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 10 मिनट का समय लगता है।
आमतौर पर ईसीजी कराने से शरीर को कोई नुकसान (side effects) नहीं होता है। लेकिन शरीर के जिन भागों में इलेक्ट्रोड लगाये जाते हैं उसे निकालने के बाद वहां सूजन और चकत्ते पड़ सकते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट के दौरान हृदय की गति बढ़ने और दिल का दौरा (heart attack) पड़ने का खतरा रहता है लेकिन यह एक्सरसाइज से जुड़ा होता है न कि ईसीजी से।
यदि आप रोजाना इलेक्ट्रोड को नहीं निकालते हैं तो होल्टर मॉनीटर के कारण त्वचा में जलन हो सकती है।
ECG टेस्ट के बाद डॉक्टर रिपोर्ट में हृदय गति की दर और लय देखते हैं, जो कि सामान्यरूप से 50 से 100 बीट्स प्रति मिनट होता है। लेकिन यदि हार्टबीट तेज, धीमा और अनियमित हो तो यह हृदय के स्वास्थ्य के बारे में संकेत देता है। ईसीजी रिपोर्ट निम्न चीजों के बारे में बताती है।
ईसीजी रिपोर्ट यह बताती है कि किसी व्यक्ति के हृदय गति की दर धीमी है या अधिक है। इससे डॉक्टर बीमारी का पता करते हैं।
ECG रिपोर्ट से यह पता चलता है कि हृदय का कौन सा हिस्सा क्षतिग्रस्त (damage) हुआ है और कितना हुआ है। इससे हार्ट अटैक के कारणों का पता चलता है।
ईसीजी के जरिए ही हृदय के दीवारों या चेंबरों के बढ़ जाने के विषय में जानकारी मिलती है जिससे हृदय रोगों का पता लगाया जा सकता है।
हृदय की मांसपेशियों में सही तरीके से खून की सप्ताई नहीं होने के कारण सीने में दर्द की समस्या शुरू हो जाती है। इसका पता भी ईसीजी रिपोर्ट से ही चलता है।
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