जब किसी व्यक्ति की मांसपेशियों में दर्द या कमजोर से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते हैं तो इसके कारणों का पता लगाने के लिए कुछ परीक्षण की मदद ली जा सकती है, जिसमें इलेक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी) और दूसरा तंत्रिका चालन अध्ययन (nerve conduction study (NCS)) शामिल है। है। ये दोनों ही परीक्षण अक्सर एक ही समय में किए जाते हैं। डॉक्टर इन परीक्षणों के परिणामों का उपयोग कर मांसपेशियों की समस्या या तंत्रिका संबंधी समस्या का पता लगा सकते हैं। आज इस लेख में इलेक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी) क्या है?, यह परीक्षण कब और कैसे किया जाता है? ईएमजी (EMG) टेस्ट से पहले, टेस्ट के दौरान और टेस्ट के बाद की जानकारी और परिणाम के बारे में आप विस्तार से जानेगें।
विषय सूची
इलेक्ट्रोमायोग्राफी क्या है? – What is electromyography in Hindi
इलेक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी) एक नैदानिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मांसपेशियों और उन्हें नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इन तंत्रिका कोशिकाओं को मोटर न्यूरॉन्स (motor neurons) के रूप में जाना जाता है। मोटर न्यूरॉन्स विद्युत संकेतों को प्रसारित करते हैं, जो मांसपेशियों के संकुचित होने और आराम करने का कारण बनते हैं।
ईएमजी के दौरान, एक सुई इलेक्ट्रोड को सीधे मांसपेशी (muscle) में डाला जाता है, जो उस मांसपेशी में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता है।
मस्तिष्क, शरीर की मांसपेशियों को तंत्रिका संकेत भेजकर उन्हें काम करने के लिए प्रेरित करता है। इलेक्ट्रोमायोग्राफी परीक्षण की मदद से यह मापा जाता है कि आपकी मांसपेशियां इन तंत्रिका संकेतों पर कितनी अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करती हैं।
तंत्रिका चालन अध्ययन (nerve conduction study (NCS टेस्ट)), ईएमजी का एक अन्य भाग है, जिसमें दो या दो से अधिक बिंदुओं के बीच यात्रा करने वाले इलेक्ट्रिकल संकेतों की गति और शक्ति को मापने के लिए त्वचा पर इलेक्ट्रोड स्टिकर (Electrode Stickers) लगाए जाते हैं।
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EMG टेस्ट कब और क्यों किया जाता है – When and why is the EMG test done in Hindi
जब किसी व्यक्ति में मांसपेशियों या तंत्रिका विकार से सम्बंधित लक्षण प्रगट होते हैं, तो डॉक्टर आमतौर पर ईएमजी का आदेश देता है। इन लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- शरीर के अंगों में झुनझुनी आना
- अंगों का सुन्न होना
- मांसपेशी में अस्पष्टीकृत कमज़ोरी
- मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन होना
इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट के परिणाम की मदद से डॉक्टर निम्न रोगों का निदान कर सकता है, जैसे-
- मांसपेशी विकार (muscle disorders), जैसे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (muscular dystrophy) या पॉलीमायोसिटिस (polymyositis)।
- नर्व और मांसपेशियों के बीच संबंध को प्रभावित करने वाले विकार जैसे कि मायस्थेनिया ग्रेविस (myasthenia gravis)।
- रीढ़ की हड्डी की बाहरी नसों या परिधीय तंत्रिकाओं (peripheral nerves) के विकार, जैसे कार्पल टनल सिंड्रोम (carpal tunnel syndrome) या परिधीय न्यूरोपैथी (peripheral neuropathies)।
- मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में मोटर न्यूरॉन्स (motor neurons) को प्रभावित करने वाले विकार, जैसे कि एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (amyotrophic lateral sclerosis) या पोलियो (polio)।
- तंत्रिका जड़ (nerve root) को प्रभावित करने वाले विकार, जैसे रीढ़ की हड्डी में हर्नियेटेड डिस्क (herniated disk)।
- एक्यूट फ्लेसिड मायलाइटिस (Acute flaccid myelitis (AFM))।
- एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (Amyotrophic lateral sclerosis (ALS))।
- पीठ दर्द (Back pain), इत्यादि।
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ईएमजी टेस्ट टेस्ट की तैयारी – How to prepare EMG Test in Hindi
इस टेस्ट से पहले मरीज को कुछ खास तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। परीक्षण से पहले निम्न बातों को ध्यान में रखने की सिफारिश की जा सकती है जैसे
- परीक्षण से पहले आप स्नान करें, लेकिन कोई लोशन या मॉइस्चराइजर न लगाएं।
- ईएमजी टेस्ट से कम से कम 2 या 3 घंटे पहले कैफीन और शर्करा युक्त पेय के सेवन से बचें।
- इस परीक्षण से कम से कम तीन घंटे पहले धूम्रपान से बचें।
- यदि आप किसी प्रकार की दवाएं ले रहें हैं, तो ईएमजी परीक्षण से पहले डॉक्टर को दवाओं के सेवन की जानकारी देनी चाहिए। क्योंकि परीक्षण से पहले कुछ दवाओं के सेवन पर रोक लगाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- यदि कोई व्यक्ति पेसमेकर का उपयोग कर रहा है, तो एनसीएस या ईएमजी परीक्षण से पहले आपको इसकी जानकारी डॉक्टर से साझा करनी चाहिए।
इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट के दौरान – During an Electromyography in Hindi
ईएमजी टेस्ट आमतौर पर अस्पताल या कार्यालय में किया जाता है। इलेक्ट्रोमायोग्राफी टेस्ट के दौरान आपको परीक्षण मेज पर लेटने या झुकी हुई कुर्सी पर बैठने की सिफारिश की जाती है। यह परीक्षण दो हिस्सों में किया जाता है:
- तंत्रिका चालन अध्ययन (nerve conduction study)
- सुई ईएमजी (needle EMG)।
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नर्व कंडक्शन स्टडी टेस्ट – Nerve Conduction Study (NCS test) in Hindi
तंत्रिका चालन अध्ययन (nerve conduction study) या NCS टेस्ट, ईएमजी प्रक्रिया का पहला भाग है। इसमें विद्युत संकेतों को भेजने के लिए मोटर न्यूरॉन्स (motor neurons) की क्षमता का अध्ययन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान त्वचा पर सरफेस इलेक्ट्रोड नामक छोटे सेंसर लगाए जाते हैं।
तंत्रिका चालन अध्ययन प्रक्रिया के दौरान, डॉक्टर मरीज के उस क्षेत्र की त्वचा की सतह पर अनेक इलेक्ट्रोड लगाता है, जहां पर तंत्रिका विकार संबंधी लक्षण अनुभव होते हैं। यह इलेक्ट्रोड मोटर न्यूरॉन्स और मांसपेशियों के बीच विद्युत आवेग की प्रतिक्रिया रिकॉर्ड करता है। एक बार परीक्षण पूरा हो जाने के बाद, इलेक्ट्रोड को त्वचा से हटा दिया जाता है।
नीडल ईएमजी टेस्ट – Needle EMG test in Hindi
ईएमजी प्रक्रिया का दूसरा भाग, जिसे नीडल ईएमजी के रूप में जाना जाता है, जिसमें विद्युत संकेतों का मूल्यांकन करने के लिए सेंसर का उपयोग किया जाता है। सेंसर को नीडल इलेक्ट्रोड कहा जाता है, जिसे मांसपेशियों की गतिविधि का मूल्यांकन करने के लिए, सीधे मांसपेशियों के ऊतकों में डाला जाता है।
हमेशा तंत्रिका चालन अध्ययन के बाद, डॉक्टर नीडल ईएमजी करता है। नीडल ईएमजी के दौरान डॉक्टर पहले मरीज के प्रभावित क्षेत्र को एंटीसेप्टिक से साफ करेगा। फिर, डॉक्टर या तकनीशियन, मरीज की मांसपेशियों के ऊतकों में इलेक्ट्रोड डालने के लिए एक पतली सुई का उपयोग करता है। इलेक्ट्रोड डालते समय आपको थोड़ी सी बेचैनी या दर्द महसूस हो सकता है। यह “नीडल इलेक्ट्रोड” संकुचन और आराम के दौरान मांसपेशियों की विद्युत गतिविधि का मूल्यांकन करता है। परीक्षण समाप्त होने के बाद इन इलेक्ट्रोडों को हटा दिया जाता है।
ईएमजी की दोनों प्रक्रियों के दौरान, इलेक्ट्रोड के माध्यम से नसों (nerves) को छोटे विद्युत संकेत (tiny electrical signals) दिए जाते हैं। तथा एक कंप्यूटर के माध्यम से इन संकेतों का रेखांकन या संख्यात्मक मानों में अनुवाद किया जाता है, जिसकी व्याख्या डॉक्टर द्वारा की जा सकती है। इस सम्पूर्ण टेस्ट प्रक्रिया में 30 से 60 मिनट का समय लगता है।
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इलेक्ट्रोमायोग्राफी के जोखिम – EMG test side effects in Hindi
EMG टेस्ट बहुत ही कम जोखिम वाला परीक्षण है। हालाँकि, शरीर के उस क्षेत्र में दर्द महसूस हो सकता है जिसका परीक्षण किया गया था। यह दर्द कुछ दिनों तक रह सकता है तथा ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक के सेवन से दर्द से राहत प्राप्त की जा सकती है।
बहुत दुर्लभ मामलों में, परीक्षण कराने वाला व्यक्ति सुई डालने वाली जगहों पर झुनझुनी और सूजन का अनुभव कर सकता है।
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इलेक्ट्रोमायोग्राफी रिजल्ट – Electromyography results in Hindi
ईएमजी (EMG) प्रक्रिया के ठीक बाद डॉक्टर इस परीक्षण के परिणामों की समीक्षा करता है। यदि ईएमजी परीक्षण में आराम करने वाली मांसपेशी (resting muscle) में किसी तरह की कोई विद्युत गतिविधि दिखाई देती है, तो उत्पन्न होने वाले लक्षण निम्न समस्याओं का संकेत हो सकते हैं, जैसे:
- एक मांसपेशी विकार (muscle disorder)
- मांसपेशियों से जुड़ने वाली नसों को प्रभावित करने वाला विकार
- चोट के कारण सूजन
यदि ईएमजी मांसपेशियों के संकुचन पर असामान्य विद्युत गतिविधि (abnormal electrical activity) दिखाता है, तो उस मरीज को हर्नियेटेड डिस्क (herniated disc) या तंत्रिका विकार (nerve disorder) जैसे: एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) या कार्पल टनल सिंड्रोम (carpal tunnel syndrome) हो सकता है।
यदि ईएमजी से रिजल्ट से पता चलता है कि आपकी मांसपेशियां, तंत्रिका संकेतों पर अच्छी प्रतिक्रिया दे रहीं हैं, तो डॉक्टर मांसपेशियों में दर्द या कमजोरी के अन्य कारणों जैसे: मांसपेशियों की फिटनेस में कमी, संक्रमण (जैसे फ्लू), परिसंचरण समस्याएं, मधुमेह या एनीमिया जैसी बीमारी का निदान करने के लिए अन्य परीक्षण की सिफारिश कर सकता है।
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ईएमजी टेस्ट की कीमत – EMG test cost in Hindi
भारत में इलेक्ट्रोमायोग्राफी की कीमत 1000 रूपये से लेकर 5000 रूपये या इससे अधिक हो सकती है।
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इलेक्ट्रोमायोग्राफी क्या है, कीमत, प्रक्रिया और ईएमजी टेस्ट रिजल्ट (Electromyography (EMG) test in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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