Elephantiasis In Hindi फाइलेरिया रोग जिसे हाथी पांव या फील पांव (elephantiasis, lymphatic filariasis) कहा जाता है एक परजीवी संक्रमित बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह रोग शरीर के विभिन्न हिस्सों में असामान्य सूजन का कारण बनता है। जो प्रभावित व्यक्तियों में स्थायी अक्षमता का कारण बन सकता है। लिम्फैटिक फिलीरियासिस का सबसे सामान्य लक्षण एडीमा (Edema) है, जो शरीर के कुछ हिस्सों में तरल पदार्थ के असामान्य रूप से संचित या संग्रहीत होने का कारण बनता है। इस स्थिति में त्वचा में सूजन आ जाती है, तथा त्वचा हाथी की त्वचा के समान मोटी और कड़ी हो जाती है। यह रोग काफी गंभीर हो सकता है तथा अनेक प्रकार की जटिलताओं का कारण बनता है। गंभीर स्थितियों में इसके उपचार के लिए सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
आज के इस लेख में आप जानेंगे कि हाथी पांव या फील पांव (elephantiasis (lymphatic filariasis) फाइलेरिया रोग क्या है, इसके लक्षण, कारण, जटिलताएँ क्या हैं तथा इसके निदान,जांच इलाज और बचाव के लिए क्या उचित कदम उठाए जा सकते हैं।
हाथी पांव (फील पांव) को लिम्फैटिक फिलेरियासिस (lymphatic filariasis) भी कहा जाता है, यह बहुत दुर्लभ स्थिति है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से संबन्धित बीमारी है, जो परजीवी कृमि (parasitic worms) संक्रमण के कारण होती है, जिसका वाहक मच्छर होते हैं। हाथी पांव (फील पांव) मुख्य रूप से अंडकोश की थैली (scrotum), पैरों या स्तनों की सूजन का कारण बनता है।
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा मोटी और कड़ी हो जाती है, तथा हाथी की त्वचा जैसी दिखाई देती है। तथा बाहों और पैरों की सूजन में वृद्धि होती है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक मच्छर के काटने से फैलती है, संक्रमित व्यक्ति इसका वाहक नही होता है।
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फाइलेरिया रोग (हाथी पांव या फील पांव) के सबसे आम लक्षणों में शरीर के अंगों की सूजन को शामिल किया जाता है। इस रोग की स्थिति में सूजन मुख्य रूप से निम्न अंगों को प्रभावित करती है, जैसे:
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इस बीमारी में पैर सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। शरीर के अंगों में सूजन और विस्तार होने से यह रोग दर्द का कारण बन सकता है। हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) की स्थिति में लोगों के लसीका तंत्र (lymph system) को नुकसान पहुंचाने के कारण, प्रतिरक्षा संबंधी कार्य प्रभावित होते हैं।
इस स्थिति में प्रभावित त्वचा पर निम्न प्रकार के परिवर्तन देखे जा सकते हैं:
हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। अतः कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए संक्रमण का जोखिम अधिक होता है।
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हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) आमतौर पर परजीवी कृमि (parasitic worms) के कारण होता है, और मच्छर, इस परजीवी इसके वाहक होते हैं। इसमें तीन प्रकार के परजीवी कृमि शामिल हैं, जैसे:
जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो यह मच्छर राउंडवॉर्म लार्वा (roundworm larvae) या परजीवी कृमि से संक्रमित हो जाता है। इस तरह यह संक्रमित मच्छर लार्वा को व्यक्तियों में स्थानांतरित करने का कारण बनते हैं।
वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी कृमि (Wuchereria bancrofti worms) हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) के सभी मामलों में से 90 प्रतिशत मामलों का कारण बनता है। परजीवी कृमि शरीर में लसीका तंत्र (lymphatic system) को प्रभावित करते हैं। लसीका तंत्र शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को हटाने का कार्य करता है। यदि लसीका तंत्र अवरुद्ध हो जाता है, तो यह अपशिष्ट को ठीक तरह से हटा नहीं पाता है। जिस कारण से यह लसीका तंत्र, लिम्फैटिक तरल पदार्थ (lymphatic fluid) को जमा करने लगता है, और सूजन का कारण बनता है।
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फाइलेरिया रोग (हाथी पांव या फील पांव) किसी भी उम्र में व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। हाथी पांव के लिए सामान्य जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं:
हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) कई शारीरिक और मानसिक जटिलताओं का करना बन सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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हाथी पांव (फील पांव) (elephantiasis) का निदान करने के दौरान डॉक्टर मरीज के चिकित्सकीय इतिहास और लक्षणों की जानकारी लेने के लिए कुछ प्रश्न पूछेगा और शारीरिक परीक्षण करेगा। डॉक्टर हाथी पांव (फील पांव) की निदान प्रक्रिया में सहायता प्राप्त करने के लिए रक्त परीक्षण की भी सिफ़ारिश कर सकता है। रक्त परीक्षण रात में किया जाना उचित रहता है, क्योंकि तब ये परजीवी सक्रिय होते हैं, जिससे उचित परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। रक्त नमूने का प्रयोगशाला परीक्षण कर परजीवी की उपस्थिति की जांच की जा सकती है।
सूजन संबंधी जटिलताओं तथा लक्षणों की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर निदान प्रक्रिया में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग परीक्षणों को भी शामिल कर सकता है।
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हाथी पांव (फील पांव) का उपचार किए जाने पर, इसे ठीक होने में काफी समय लग सकता है। फाइलेरिया रोग के इलाज के लिए कुछ दवाएं प्रयोग में लाई जाती हैं। यह दवाएं मरीज के रक्त प्रवाह में सूक्ष्म परजीवी कृमि (worms) को मारने में सहायक होती हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ लक्षणों को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा एंटीहिस्टामिन (antihistamines), दर्दनाशक (analgesics) और एंटीबायोटिक्स (antibiotics) की भी सिफ़ारिश की जा सकती है। गंभीर मामलों में फाइलेरिया रोग (फील पांव) का इलाज करने के लिए डॉक्टर द्वारा, मरीज को सर्जरी की सिफ़ारिश की जा सकती है। सर्जरी के दौरान प्रभावित क्षेत्रों या प्रभावित लिम्फैटिक ऊतकों (lymphatic tissue) को हटाया जा सकता है।
डॉक्टर इलाज प्रक्रिया में सहायता प्राप्त करने के लिए मरीज को निम्न निर्देशों का पालन करने की सलाह दे सकता है, जैसे:
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फाइलेरिया रोग (हाथी पांव या फील पांव) की रोकथाम के लिए सबसे अच्छा तरीका, मच्छर के काटने से बचना है। अतः मच्छरों के काटने से बचने के लिए और इनकी पैदावार को रोकने के लिए निम्न तरीके अपनाना चाहिए:
इसके अतिरिक्त संक्रमण की रोकथाम के लिए निम्न कदम उठाये जा सकते हैं:
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फील पांव की स्थिति में एक उचित आहार का सेवन किया जाना फायदेमंद होता है। फैटी और मसालेदार युक्त खाद्य पदार्थों इस स्थिति को और अधिक ख़राब कर सकते हैं, अतः मरीज को इस प्रकार के आहार से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) में आहार के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है:
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