Endometriosis in hindi एंडोमेट्रिओसिस महिलाओं के लिए एक बहुत दर्दनाक विकार है। एन्डोमीट्रीओसिस (Endometriosis) जैसी बीमारी होने पर माहवारी का दर्द असहनीय हो जाता है। इसे हिंदी में “गर्भकला-अस्थानता” कहा जाता है। एंडोमेट्रिओसिस होने पर गर्भाशय (एंडोमेट्रियम) के अंदर के ऊतक गर्भाशय (गर्भ) के बाहर बढ़ने लगते है। आज भी लाखों महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन महिलाएं एंडोमेट्रिओसिस के बारे में बहुत ज्यादा नहीं जानती। विशेषज्ञों के अनुसार, एंडोमेट्रिओसिस के लिए जिम्मेदार हार्मोन में होने वाला परिवर्तन है। यह बीमारी महिला के पेट के फैलोपियन ट्यूब और गर्भ को बुरी तरह प्रभावित करती है। इसलिए, इसके बारे में जानना और इसका इलाज करना आपके लिए बहुत जरूरी है। इस लेख में आप एन्डोमीट्रीओसिस के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और बचाव की जानकारी प्राप्त करेगीं।
एन्डोमीट्रीओसिस महिलाओं के पेट से जुड़ी बहुत ही गंभीर समस्या है। एक आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में एंडोमेट्रिओसिस से पीड़ित महिलाओं की संख्या 89 मिलियन है। दरअसल, एंडेमेट्रियोम बच्चेदानी के अंदर की लाइनिंग है, जो पीरियड्स के समय बाहर निकलती है। जब ये एंडोमेट्रियम आपके बच्चेदानी के अंदर होने के बावजूद पेट के अंदर कहीं और भी विकसित हो जाती है, तो इसे एंडोमेट्रिओसिस कहते हैं। इसके कारण महिलाओं को पीरियड्स में बहुत परेशानी आती है। इन दिनों में उन्हें पेट में दर्द के साथ बहुत ज्यादा ब्लीडिंग भी होती है। हालांकि, इस बीमारी का पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन घरेलू उपचारों की मदद से दर्द से छुटकारा जरूर पाया जा सकता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं, एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचारों के बारे में।
विषय सूची
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एन्डोमीट्रीओसिस एक दर्दनाक स्थिति है, जो महिलाओं को होती है। यह उनमें तब होती है, जब गर्भाशय की परत बनाने वाला ऊतक शरीर में कहीं और भी विकसित होने लगते है। यह आंतों के ऊपर, बच्चेदानी की दीवार पर पीछे की ओर, या फिर पेशाब की नलकिया या मूत्राशय और ओवरी में विकसित हो सकते है। एंडोमेट्रिओसिस के दौरान ऊतक टूट जाते हैं और रक्त बहने लगता है। इस समस्या के साथ महिलाओं को अक्सर बांझपन, निचले पेट में दर्द, मासिक धर्म में दर्द या संभोग के दौरान दर्द महसूस होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इनफर्टिलिटी वाली महिलाओं में 30-40 प्रतिशत एंडोमेट्रिओसिस की समस्या देखी जाती है।
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महिलाओं में हर महीने होने वाले हार्मोनल बदलाव गर्भ के अस्तर यानि लाइनिंग को मोटा कर देते हैं, जिससे महिलाएं गर्भावस्था के लिए खुद को तैयार कर सकें। लेकिन गर्भावस्था न होने की स्थिति में कोशिकाएं टूट जाती हैं और स्वभाविक रूप से मासिक धर्म के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, एंडोमेट्रिओसिस में गर्भाशय की लाइनिंग को बनाने वाली गर्भाशय कोशिकाएं या ऊतक शरीर के अन्य भागों जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय के बाहरी हिस्से, आंत्र या अन्य आंतरिक भागों में बढ़ते हैं। ये कोशिकाएं उसी मासिक चक्र से गुजरती हैं और इस दौरान टूट जाती हैं। ऐसे में गर्भ को लाइनिंग करने वाली कोशिकाओं के पास शरीर को छोड़ने के बाद कोई आउटलेट नहीं रहता। इससे सूजन और स्कार टिशू बन सकते हैं।
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एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण पर अस्थाई रूप से रोक लग सकती है, वो भी तब जब आप मेनोपॉज की अवस्था में हों या फिर प्रेग्नेंट हों। लेकिन इससे पहले इसके लक्षणों के बारे में जानना जरूरी है।
चूंकि एंडोमेट्रियोसिस के कुछ लक्षण Irritable Bowel Syndrome (आईबीएस) के समान हैं, तीव्र एपेंडिसाइटिस, अंतरालीय सिस्टिटिस, या सीलिएक रोग, से इसके गलत निदान की संभावनाएं हैं। वास्तव में जिसे मूत्राशय और आंत्र एंडोमेट्रियोसिस के रूप में जाना जाता है, वह Irritable Bowel Syndrome या एपेंडिसाइटिस होने के लिए आसानी से गलत निदान कर सकता है।
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एन्डोमीट्रीओसिस के कारणों का तो अब तक सही तरह से पता नहीं चल पाया है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है, कि इम्यूनिटी सेल में अचानक बदलाव की वजह से गर्भाशय में ज्यादा कोशिकाएं का निर्माण होने से ऐसा होता है। खासतौर से, जिन महिलाओं की दिनचर्या व्यस्त होती है, यानि जो वर्किंग हैं, उनमें ये बीमारी ज्यादा देखी जाती है, जिसका कारण तनाव भी है। नीचे हम ऐसी कुछ सिद्धांतों के बारे में बता रहे हैं, जो एंडोमेट्रिओसिस का कारण हो सकते हैं।
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इसमें पीरियड्स के रक्त वाली एंडोमेट्रियल सेल्स बाहर जाने की जगह पेल्विक कैविटी में चले जाते हैं, जो पेल्विक के अंगों की सतहों और पेल्विक वॉल्स पर चिपक जाते हैं, जहां पीरियड्स के दौरान इनका मोटा होना शुरू हो जाता है।
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पेट में छोटे क्षेत्र एंडोमेट्रियल के परिवर्तित होने पर यह स्थिति बन सकती है। हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन भ्रूण कोशिका में परिवर्तन कर सकते हैं।
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इसमें रक्त वाहिकाएं, एंडोमेट्रिअल सेल्स को शरीर के अन्य भागों में ले जा सकती हैं।
प्रतिरक्षा प्रणाली में किसी प्रकार की समस्या हो, तो शरीर गर्भाशय के बाहर बढ़ने वाले एंडोमेट्रियल टिशू को खत्म करना या पहचानना असंभव हो जाता है।
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प्रतिगामी माहवारी लगभग सभी मासिक धर्म वाली महिलाओं (90% तक) में होती है और इसलिए इसे एक प्राकृतिक प्रक्रिया माना जाता है। मासिक धर्म तब होता है, जब मासिक धर्म के दौरान, रक्त योनि से बाहर निकलता है, लेकिन पीछे की ओर फैलोपियन ट्यूब के साथ श्रोणि में भी जाता है। अधिकांश महिलाओं में रक्त, जिसमें एंडोमेट्रियल कोशिकाएं होती हैं, को अवशोषित या टूट जाता है और कोई लक्षण नहीं होता है। हालांकि, समस्याएं तब पैदा होती हैं जब मासिक धर्म के तरल पदार्थ की बड़ी मात्रा श्रोणि गुहा तक पहुंच जाती है। यह तब होता है जब एंडोमेट्रियोसिस होता है।
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एंडोमेट्रिओसिस के तीन प्रकार होते हैं, जिसके बारे में आप नीचे जान सकते हैं।
यह समस्या तब होती है, जब कोशिकाएं गर्भाशय के अस्तर को शरीर के विभिन्न भागों में बनाती हैं और तब तक जमा होती हैं, जब तक की वे स्कार टिशू यानि निशान ऊतक नहीं बन जाते।
यह समस्या रंगीन धब्बों के रूप में शुरू होती है, जो अंडाशय में गहराई तक जा सकती है। जिसके परिणामस्वरूप यहां सिस्ट बन जाती है।
यह तब होता है, जब एंडोमेट्रियल ऊतक गर्भाशय की दीवार को नुकसान पहुंचाने वाली मांसपेशियों की परत में बढ़ता है। यह आमतौर पर 30 साल की उम्र से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करता है।
यह गर्भाशय और श्रोणि की हड्डियों की बीच लिगामेंट्स को प्रभावित करता है, जिससे आसंजन (adhesions) होते हैं।
एंडोमेट्रिओसिस के चार चरण होते हैं, जिसके बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं।
पहला चरण- न्यूनतम
पहले चरण में एंडोमेट्रिओसिस में आपके अंडाशय पर छोटे घाव या एंडोमेट्रियल इम्पलांट होते हैं। इसे कई बार सिस्ट या फिर ओवेरियन कैंसर मान लिया जाता है। यह इंप्लांट पेल्विक कैविटी यानि श्रोणि गुहा या इसके आसपास सूजन पैदा करता है।
दूसरा चरण- माइल्ड
माइल्ड एंडोमेट्रिओसिस में एक अंडाशय और श्रोणि अस्तर पर गहरे प्रत्यारोपण होते हैं। इसमें हल्के एंडोमेट्रिओसिस का निदान होता है। इसमें चिपकावों के ऊपर काले धब्बे नजर आते हैं, जिसकी वजह से ओव्यूलेशन के दौरान श्रोणि में दर्द होता है।
तीसरा चरण- मॉडरेट
यह मॉडरेट स्टेज होती है, जिसमें अंडाशय और श्रोणि अस्तर पर गहरे प्रत्यारोपण होते हैं। इसमें एंडीमेट्रियोमाज ( जिसे चॉकलेट अल्सर भी कहते हैं) नजर आने लगते हैं। इसमें घाव हो जाते हैं, पेट और श्रोणि में सूजन आ सकती है।
चौथा चरण- गंभीर
एंडोमेट्रिओसिस के सबसे गंभीर चरणों में आपके श्रोणि अस्तर और अंडाशय पर गहरे प्रत्यारोपण शामिल होते हैं। इससे आपके फैलोपियन ट्यूब और आंत्र पर घाव हो सकते हैं। इस स्टेज में एंडोमेट्रिओसिस अंगूर के दाने के बराबर यानि दो सेंटीमीटर का हो जाता है, जिसे हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इस स्टेज में महिलाओं को दर्दनाक मल त्याग, उल्टी, बैचेनी, कब्ज और पेट दर्द होता है। इस आखिरी चरण में महिलाओं में इंफर्टिलिटी की समस्या भी पैदा हो सकती है।
इस बीमारी का कोई पूर्ण उपचार नहीं है, लेकिन कुछ घरेलू उपचारों को आजमा कर आप दर्द और बैचेनी से छुटकारा पा सकते हैं।
एंडोमेट्रिओसिस के दर्द को दूर करने में अलसी बहुत प्रभावी घरेलू उपचार है। दरअसल, अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर बीमारी दूर करता है। इसके लिए अलसी के कुछ दाने रातभर पानी में भिगोए रखें और सुबह अलसी के पानी का सेवन करें। आप चाहें, तो अलसी के पाउडर का भी सेवन कर सकते हैं।
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शहद में मौजूद एंटीइंफ्लेमेट्री गुण दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए आप शहद का उपयोग चीनी के रूप में भी कर सकते हैं।
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हल्दी एंडोमेट्रिओसिस के दर्द में बेहद आराम दिलाती है। इसका सेवन करने के लिए सबसे पहले एक कटोरे में पानी उबालें और फिर इसमें एक चम्मच हल्दी डालें और नींबू का रस मिला दें। दिन में दो बार इसका सेवन करने से एंडोमेट्रिओसिस के दर्द में बहुत आराम मिलेगा।
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अदरक में एंटीइंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं। इसलिए एंडोमेट्रिओसिस के दर्द होने पर अदरक का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। इसके लिए पहले अदरक को टुकड़ों में काटकर इसकी चाय बना लें और रोजाना इसका सेवन करें। दर्द से राहत मिलेगी।
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अगर आपको बहुत दर्द हो, तो आप पेट पर गर्म पानी का सेक सकते हैं। इसके लिए एक तौलिया को गर्म पानी में डुबोकर निचोड़ लें और पेट पर रख लें। इससे आपका दर्द कम हो जाएगा।
नियमित रूप से व्यायाम करने से एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है, जो दर्द को कम कर सकता है। एक्सरसाइज से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम करने और एंडोमेट्रिओसिस के लक्षणों में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
एन्डोमीट्रीओसिस से राहत पाने के लिए आपको अपने आहार में बदलाव करने होंगे। हम आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन आप इस समस्या से बचने के लिए कर सकते हैं।
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आपको कभी एंडोमेट्रिओसिस की परेशानी न हो, इसके लिए कुछ चीजों से आपको परहेज भी करना होगा।
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एंडोमेट्रिओसिस से आपका जीवन तो खत्म नहीं होता, लेकिन हां, ये जीवनभर आपके साथ रहने वाली बीमारी है। इसके कई रिस्क फैक्टर हैं, इसलिए समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए, तो इस समस्या को बढऩे से रोका जा सकता है। जानिए इससे जुड़े जोखिम कारकों के बारे में।
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एंडोमेट्रिओसिस की स्थिति दर्दनाक हो सकती है, अगर इसका सही समय पर उपचार न किया जाए। इससे जुड़ी जटिलताओं के बारे में नीचे जान सकते हैं।
एंडोमेट्रिओसिस के इलाज के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास जाया जा सकता है। इसके लिए ट्रांसवेजाइनल एंट्री सोनोग्राफी बहुत जरूरी होती है। एंडोमेट्रिओसिस में ओवरीज में एंडीमेट्रियोमा यानि सिस्ट बन जाती हैं, जिसमें चॉकलेट कलर का तरल पदार्थ भरा रहता है, जिसे चॉकलेट सिस्ट भी कहते हैं। इसके अलावा आपके डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री पूछेंगे और फिर आपको लक्षणों के बारे में बताना होगा। वह सिस्ट जैसी असमानताओं के लिए आपका मैन्युल रूप से एक पेल्विक टेस्ट करेंगे। जो टेस्ट इस दौरान किए जाते हैं, उनमें शामिल हैं-
अल्ट्रासाउंड- इसमें आपको ओवेरियन सिस्ट का पता चल सकता हैं।
लेप्रोस्कोपी- इसमें एंडोमेट्रियोसिस में छोटे-छोटे स्पॉट को देख सकते हैं।
ब्लैडर एंडोमेट्रिओसिस के लिए डॉक्टर एक बायोप्सी की सलाह दे सकते हैं। जहां एंडोमेट्रियल इंप्लांट के एक हिस्से को मूत्राशय के अंदर से सैंपल के रूप में लिया जाता है। यह मूत्राशय के अन्य कारणों व लक्षणों जैसे मूत्राशय का कैंसर को नियंत्रित करेगा। जबिक बॉवल एंडोमेट्रिओसिस में डॉक्टर प्रोक्टोस्कोपी , लैप्रोस्कोपी या फिर पेट के सिटी स्कैन का सुझाव दे सकते हैं। अगर एंडोमेट्रिओसिस दूसरे हिस्से में होते हैं, जैसे रेक्टोवैजाइनल सैप्टम की या फिर रैक्टम या ब्लैडर की, तो एमआरआई व सीटी स्कैन से भी इसके निदान में मदद मिल सकती है। वैसे, लेप्रोस्कॉपी एंडोमेट्रिओसिस का सबसे अच्छा तरीका है। इसमें दवाओं की मदद से दर्द कम किया जा सकता है। लेकिन जब कोई महिला कंसीव न कर पा रही हो, तो ऐसी स्थिति में दवा असर नहीं करती।
नोट: आपको बता दें, कि सबका ट्रीटमेंट अलग-अलग होता है। इसका ड्रग से मैनेजमेंट कर सकते हैं, लेकिन ओवेरियन एंडोमेट्रियोमा बड़े साइज का जैसे 4 सेमी या उससे ज्यादा का है, तो इसे सर्जरी की मदद से निकाला जा सकता है। इसके लिए आपके डॉक्टर आपको सलाह देंगे।
वर्तमान में एंडोमेट्रिओसिस का कोई खास इलाज नहीं है। आपकी स्थिति की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर दवा लिख सकते हैं। जिसमें दर्द निवारक, एंटी डिप्रेसेंट्स, कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स के साथ हार्मोन थैरेपी का ऑप्शन भी शामिल है। मामला अगर ज्यादा गंभीर हो, तो डॉक्टर लेप्रोस्कोपी, बॉवल सर्जरी, हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव दे सकते हैं।
एंडोमेट्रिओसिस की पूरी जानकारी न होने के कारण अक्सर लोगों के मन में कई प्रश्न आते हैं। कुछ सामान्य से प्रश्न और उनके जवाब इस प्रकार हैं।
यह तब होता है, जब एंडोमेट्रियल जैसी कोशिकाएं मूत्राशय की दीवारों पर बढ़ती हैं। इसके लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, यूरिनेरी रिटेंशन, मूत्र में खून आना शामिल है।
बॉवल एंडोमेट्रिओसिस तब होता है, जब यह इलियम (छोटी आंत का हिस्सा) को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में पेट के दाहिनो ओर दर्द होना, कब्ज रहना, मलाशय में दर्द और रक्तस्त्राव होना शामिल है।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि कुछ महिलाओं में एंडोमेट्रिओसिस का खतरा अन्य की तुलना में ज्यादा होता है। इनमें वे महिलाएं शामिल हैं, जो
जिन्हें रेट्रोग्रेड मेंस्टुरेशन हो। प्रतिगामी माहवारी लगभग सभी मासिक धर्म वाली महिलाओं में होती है, इसलिए यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। रेट्रोग्रेड मासिक धर्म तब होता है, जब मासिक धर्म के दौरान खून योनि से बाहर बहता है, लेकिन पीछे की ओर फैलोपियन ट्यूब के साथ श्रोणि में भी जाता है।
नहीं, एंडोमेट्रिओसिस कैंसर नहीं है और न ही यह आपके लिए घातक है। इसके होने से आपकी लाइफ खत्म नहीं होती। हालांकि, इसका कोई खास इलाज भी नहीं है, ये जिन्दगी भी आपके साथ रहेगा, क्योंकि बाहर विकसित हुए टिशू को निकालना बहुत मुश्किल होता है। हां, मेनोपॉज की स्थिति में यह बंद हो सकता है।
उपचार में देरी होने पर एंडोमेट्रियोसिस की जटिलताओं में शामिल हैं:
एंडोमेट्रिओसिस एक क्रॉनिक कंडीशन है, जो लाखों महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती है। इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन पेन मैनेजमेंट प्रोग्राम की मदद से इसके लक्षणों से राहत पाई जा सकती है। जबकि ऊपर सूचीबद्ध घरेलू उपचार अक्सर उपयोगी होते हैं, इसके अलावा दर्द को कम करने के लिए हार्मोन थैरेपी बहुत फायदेमंद साबित होती है।
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