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मिर्गी के कारण, लक्षण, जाँच और इलाज – Epilepsy Causes Symptoms Treatment And Prevention In Hindi

मिर्गी के कारण, लक्षण, जाँच और इलाज - Epilepsy Causes Symptoms Treatment And Prevention In Hindi

mirgi in Hindi मिर्गी एक स्थायी और गंभीर बीमारी है जिसमें व्यक्ति अनुत्तेजित (unprovoked) हो जाता है और उसे तेजी से बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे व्यक्ति के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के टूट जाने के कारण पड़ते हैं। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है और इस बीमारी से पूरी दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। कोई भी व्यक्ति मिर्गी की चपेट में आ सकता है लेकिन आमतौर पर यह बीमारी बच्चों और वयस्कों में अधिक होती है। इस लेख में आप जानेगे मिर्गी के कारण, लक्षण, जाँच और इलाज – epilepsy causes symptoms treatment and prevention in Hindi के बारे में।

मिर्गी के दौरे दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार को सामान्यीकृत दौरा (Generalized seizures ) कहते हैं। इसमें पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है। दूसरे प्रकार के दौरे को फोकल या आंशिक दौरा (Focal, or partial seizures) कहते हैं, जिसमें कि मस्तिष्क का सिर्फ एक ही हिस्सा प्रभावित होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति अचेत हो जाता है और कुछ सेकेंड तक वह किसी को भी पहचानने की स्थिति में नहीं होता है।

  1. मिर्गी के कारण – causes of epilepsy in Hindi
  2. मिर्गी के लक्षण – symptoms of epilepsy in Hindi
  3. मिर्गी का निदान – epilepsy diagnosis in Hindi
  4. मिर्गी का इलाज – Epilepsy treatments in Hindi
  5. मिर्गी से बचाव – Epilepsy prevention in Hindi

मिर्गी के कारण – Causes Of Epilepsy in Hindi

अध्‍ययनों के अनुसार मिर्गी के 10 में से 6 रोगियों में इस रोग के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता है। मिर्गी के दौरे के पीछे कई कारण हो सकते हैं।

एप्‍लेप्‍सी (epilepsy) मिर्गी के संभावित कारण निम्न हैं-

  • मस्तिष्क में चोट लगना
  • मस्तिष्क में चोट लगने के बाद मस्तिष्क पर निशान पड़ना
  • गंभीर बीमारी या बहुत तेज बुखार
  • 35 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों में स्ट्रोक, मिर्गी का कारण हो सकता है।
  • अन्य संवहनी रोग (vascular diseases)
  • ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
  • डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग
  • मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी
  • प्रसव पूर्व चोट लगना, मस्तिष्क विकृति या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना।
  • एड्स या मेनिनजाइटिस (meningitis) जैसी संक्रामक बीमारियां (और पढ़े – HIV एड्स के शुरुआती लक्षण जो आपको पता होने चाहिए)
  • अनुवांशिक या तंत्रिका संबंधी रोग

कुछ प्रकार की मिर्गी में अनुवांशिकता इस बीमारी का मुख्य कारण होता है। आमतौर पर 20 वर्ष की उम्र से पहले किसी व्यक्ति को मिर्गी की समस्या होने की संभावना सिर्फ 1 प्रतिशत होती है। लेकिन यदि माता-पिता को पहले से ही मिर्गी की बीमारी हो तो 20 वर्ष से पहले की उम्र में किसी व्यक्ति को यह बीमारी होने की संभावना 2 से 5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

यह बीमारी दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में या 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिखायी देने की संभावना होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है लेकिन इसका निदान आमतौर पर बचपन में या 60 वर्ष के बाद होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज किस स्थिति का अनुभव करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के मस्तिष्क का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।

(और पढ़े – इंटरनेट की लत आपके मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करती है)

मिर्गी के लक्षण – Symptoms Of Epilepsy in Hindi

मिर्गी का मुख्य लक्षण बार-बार दौरा पड़ना है। यदि किसी व्यक्ति में नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई एक या इससे अधिक लक्षण मौजूद हों तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, विशेषरूप से तब जब उसमें यह लक्षण दोबारा दिखे।

मुख्‍य रूप से मिर्गी के लक्षण निम्न हैं-

  • बिना बुखार के शरीर में ऐंठन या कंपकंपी
  • याददाश्त कमजोर होना या भ्रमित स्मृति का होना
  • बेहोशी और शरीर लुढ़क या झुक जाना और इसके कारण ब्लैडर पर नियंत्रण न रहना औऱ अत्यधिक थकावट
  • कुछ देर तक व्यक्ति का अचेत अवस्था में रहना और किसी बात का जवाब न देना।
  • बिना किसी स्पष्ट कारण के व्यक्ति का अचानक जमीन पर गिर जाना।
  • बिना किसी कारण के अचेत अवस्था में होठों को चबाना
  • गंध (smell), स्पर्श और आवाज जैसे इंद्रियों (senses) में असाधारण परिवर्तन
  • बांहों, पैरों और शरीर में तेजी से झटके आना

किसी भी व्यक्ति में इनमें से कोई लक्षण दिखायी देने पर उसे मिर्गी (mirgi) का रोग होने की संभावना हो सकती है इसलिए उसे तुरंत अपनी जांच करानी चाहिए।

(और पढ़ें – बेहोशी के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव)

इसके अलावा मिर्गी के अन्य लक्षण भी दिखायी देते हैं-

  • मिर्गी के लक्षण के साथ अधिक बुखार
  • नींद संबंधी विकार, बुरे सपने आना (और पढ़े – अनिद्रा के कारण, लक्षण और उपचार)
  • दुर्लभ मनोवैज्ञानिक बीमारी और दौरे पड़ना, अंगो का झुकाव
  • चक्कर आना, एकटक देखना
  • दौरे पड़ने पर मांसपेशियां कठोर हो जाना और अकड़ जाना
  • शरीर अकड़ जाना, शरीर में कंपकंपी होना
  • जीभ कट जाना, पेशाब से कपड़े गीले हो जाना

(और पढ़ें – चक्कर आने के कारण, लक्षण, निदान और इलाज)

मिर्गी का निदान – Epilepsy Diagnosis in Hindi

यदि आपको बार-बार दौरे का अनुभव हो रहा है तो आपको जितना जल्दी हो सके डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि यह दौरान किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं लक्षणों के आधार पर ही डॉक्टर यह तय करते हैं कि कौन सा टेस्ट इस बीमारी के निदान में सहायक होगा। आमतौर पर मस्तिष्क के मोटर की क्षमता (motor abilities) और मानसिक कार्यप्रणाली की जांच करने के लिए डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल परीक्षण करते हैं।
मिर्गी के निदान के लिए डॉक्टर मरीज के ब्लड की अच्छी तरह से जांच करते हैं।

डॉक्टर इन विकारों का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करते हैं-

  • संक्रामक रोगों के लक्षण
  • लिवर और किडनी की कार्य प्रणाली
  • ब्लड ग्लूकोज लेवल

इसके अलावा मिर्गी की जांच करने के लिए इलेक्ट्रोइंसिफैलोग्राम (EEG) टेस्ट किया जाता है। यह एक आम टेस्ट है। इस टेस्ट में एक पेस्ट के साथ इलेक्ट्रोड को खोपड़ी (scalp) से जोड़ा जाता है। यह टेस्ट दर्दरहित होता है। इसके बाद मरीज से कुछ विशेष क्रिया करने के लिए कहा जाता है। कुछ मामलों में यह टेस्ट सोने के दौरान किया जाता है। इलेक्ट्रोड मरीज के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर लेता है। मस्तिष्क के तरंग पैटर्न में परिवर्तन के आधार पर मिर्गी का निदान किया जाता है। इसके अलावा सीटी स्कैन (CT scan), एमआरआई (MRI) आदि टेस्ट किए जाते हैं।

मिर्गी का इलाज – Epilepsy Treatments in Hindi

मिर्गी का इलाज इस बीमारी की गंभीरता, लक्षण और मरीज के स्वास्थ्य के आधार पर किया जाता है। लेकिन वर्तमान में अधिकांश प्रकार के मिर्गी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि कुछ प्रकार के मिर्गी को सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है और कई मामलों में इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

इस बीमारी का निदान होने के बाद डॉक्टर मरीज को एंटी इपिलेप्टिक दवाएं देते हैं और यदि दवा काम न करे तो सर्जरी ही इस बीमारी के इलाज का अगला विकल्प होता है। मरीज को किस तरह के दौरे पड़ रहे हैं, इस आधार पर उसे एंटी-इपिलेप्टिक दवाएं मुंह से खिलाई जाती हैं। इस बीमारी के लगभग 70 प्रतिशत मामलों में ये दवाएं मिर्गी के दौरे को नियंत्रित कर देती हैं।

मिर्गी के रोगी को ये दवाएं (medicine) दी जाती हैं-

  • सोडियम वाल्पोरेट (sodium valproate)
  • कार्बामाजेपिन (carbamazepine)
  • लैमोट्रिजिन (lamotrigine)
  • लेवेटिरैसेटम (levetiracetam)

ये दवाएं कुछ मरीजों में मिर्गी के दौरे को रोक देती हैं लेकिन सभी में नहीं। मिर्गी के दवाओं का सही खुराक डॉक्टर के परामर्श से ही लेनी चाहिए।

मिर्गी से बचाव – Epilepsy Prevention in Hindi

आपको बता दें कि मिर्गी के लक्षणों को नियंत्रित करके काफी हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है।

  • मिर्गी का दौरा पड़ने से पहले व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, व्यावहारिक एवं पर्यावरणीय कारणों में बदलाव के लक्षण दिखाई देते हैं, इन लक्षणों पर ध्यान दें और इनसे बचने की कोशिश करें। जैसे कि दौरा पड़ने से पहले व्यक्ति को अधिक चिड़चिड़ाहट या गुस्सा आना। (और पढ़े – मानसिक तनाव के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय)
  • कुछ लोग लहसुन या गुलाब (rose) की गंध सूंघकर मिर्गी के दौरे से उबर जाते हैं। जब सिर भारी हो या चिड़चिड़ापन महसूस हो तो दवा की अतिरिक्त खुराक लेकर इससे बचा जा सकता है।
  • घर से बाहर निकलते समय सावधान रहें, यदि मिर्गी का कोई भी लक्षण महसूस हो तो घर से बाहर न निकलें। एल्कोहल का सेवन न करें और मिर्गी की समस्या हो तो वाहन न चलाएं।

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