mirgi in Hindi मिर्गी एक स्थायी और गंभीर बीमारी है जिसमें व्यक्ति अनुत्तेजित (unprovoked) हो जाता है और उसे तेजी से बार-बार दौरे पड़ते हैं। ये दौरे व्यक्ति के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के टूट जाने के कारण पड़ते हैं। मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है और इस बीमारी से पूरी दुनिया में लाखों लोग प्रभावित हैं। कोई भी व्यक्ति मिर्गी की चपेट में आ सकता है लेकिन आमतौर पर यह बीमारी बच्चों और वयस्कों में अधिक होती है। इस लेख में आप जानेगे मिर्गी के कारण, लक्षण, जाँच और इलाज – epilepsy causes symptoms treatment and prevention in Hindi के बारे में।
मिर्गी के दौरे दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार को सामान्यीकृत दौरा (Generalized seizures ) कहते हैं। इसमें पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है। दूसरे प्रकार के दौरे को फोकल या आंशिक दौरा (Focal, or partial seizures) कहते हैं, जिसमें कि मस्तिष्क का सिर्फ एक ही हिस्सा प्रभावित होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर व्यक्ति अचेत हो जाता है और कुछ सेकेंड तक वह किसी को भी पहचानने की स्थिति में नहीं होता है।
अध्ययनों के अनुसार मिर्गी के 10 में से 6 रोगियों में इस रोग के वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता है। मिर्गी के दौरे के पीछे कई कारण हो सकते हैं।
एप्लेप्सी (epilepsy) मिर्गी के संभावित कारण निम्न हैं-
कुछ प्रकार की मिर्गी में अनुवांशिकता इस बीमारी का मुख्य कारण होता है। आमतौर पर 20 वर्ष की उम्र से पहले किसी व्यक्ति को मिर्गी की समस्या होने की संभावना सिर्फ 1 प्रतिशत होती है। लेकिन यदि माता-पिता को पहले से ही मिर्गी की बीमारी हो तो 20 वर्ष से पहले की उम्र में किसी व्यक्ति को यह बीमारी होने की संभावना 2 से 5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
यह बीमारी दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों में या 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिखायी देने की संभावना होती है। मिर्गी किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है लेकिन इसका निदान आमतौर पर बचपन में या 60 वर्ष के बाद होता है। मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज किस स्थिति का अनुभव करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति के मस्तिष्क का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।
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मिर्गी का मुख्य लक्षण बार-बार दौरा पड़ना है। यदि किसी व्यक्ति में नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई एक या इससे अधिक लक्षण मौजूद हों तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, विशेषरूप से तब जब उसमें यह लक्षण दोबारा दिखे।
मुख्य रूप से मिर्गी के लक्षण निम्न हैं-
किसी भी व्यक्ति में इनमें से कोई लक्षण दिखायी देने पर उसे मिर्गी (mirgi) का रोग होने की संभावना हो सकती है इसलिए उसे तुरंत अपनी जांच करानी चाहिए।
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इसके अलावा मिर्गी के अन्य लक्षण भी दिखायी देते हैं-
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यदि आपको बार-बार दौरे का अनुभव हो रहा है तो आपको जितना जल्दी हो सके डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि यह दौरान किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं लक्षणों के आधार पर ही डॉक्टर यह तय करते हैं कि कौन सा टेस्ट इस बीमारी के निदान में सहायक होगा। आमतौर पर मस्तिष्क के मोटर की क्षमता (motor abilities) और मानसिक कार्यप्रणाली की जांच करने के लिए डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल परीक्षण करते हैं।
मिर्गी के निदान के लिए डॉक्टर मरीज के ब्लड की अच्छी तरह से जांच करते हैं।
डॉक्टर इन विकारों का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करते हैं-
इसके अलावा मिर्गी की जांच करने के लिए इलेक्ट्रोइंसिफैलोग्राम (EEG) टेस्ट किया जाता है। यह एक आम टेस्ट है। इस टेस्ट में एक पेस्ट के साथ इलेक्ट्रोड को खोपड़ी (scalp) से जोड़ा जाता है। यह टेस्ट दर्दरहित होता है। इसके बाद मरीज से कुछ विशेष क्रिया करने के लिए कहा जाता है। कुछ मामलों में यह टेस्ट सोने के दौरान किया जाता है। इलेक्ट्रोड मरीज के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड कर लेता है। मस्तिष्क के तरंग पैटर्न में परिवर्तन के आधार पर मिर्गी का निदान किया जाता है। इसके अलावा सीटी स्कैन (CT scan), एमआरआई (MRI) आदि टेस्ट किए जाते हैं।
मिर्गी का इलाज इस बीमारी की गंभीरता, लक्षण और मरीज के स्वास्थ्य के आधार पर किया जाता है। लेकिन वर्तमान में अधिकांश प्रकार के मिर्गी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि कुछ प्रकार के मिर्गी को सर्जरी के जरिए ठीक किया जा सकता है और कई मामलों में इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बीमारी का निदान होने के बाद डॉक्टर मरीज को एंटी इपिलेप्टिक दवाएं देते हैं और यदि दवा काम न करे तो सर्जरी ही इस बीमारी के इलाज का अगला विकल्प होता है। मरीज को किस तरह के दौरे पड़ रहे हैं, इस आधार पर उसे एंटी-इपिलेप्टिक दवाएं मुंह से खिलाई जाती हैं। इस बीमारी के लगभग 70 प्रतिशत मामलों में ये दवाएं मिर्गी के दौरे को नियंत्रित कर देती हैं।
मिर्गी के रोगी को ये दवाएं (medicine) दी जाती हैं-
ये दवाएं कुछ मरीजों में मिर्गी के दौरे को रोक देती हैं लेकिन सभी में नहीं। मिर्गी के दवाओं का सही खुराक डॉक्टर के परामर्श से ही लेनी चाहिए।
आपको बता दें कि मिर्गी के लक्षणों को नियंत्रित करके काफी हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है।
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