पहली बार गर्भवती होना महिला के जीवन का एक रोमांचक या सुखद एहसास हो सकता है, लेकिन यह सम्बंधित महिला को नर्वस करने वाला समय भी होता है। गर्भवती होना सभी के लिए आसान और सरल नहीं होता है। जो महिलाएं पहली बार प्रेग्नेंट होती हैं, उनके लिए गर्भावस्था के बारे में सब कुछ जानना आवश्यक होता है, जिससे कि गर्भावस्था के दौरान और बाद में एक स्वस्थ और सुखदायक जीवन जी सकें।
आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ रखने में मदद करने के लिए कुछ चीजें हैं जो आपको फर्स्ट टाइम प्रेगनेंसी में जानना आवश्यक है। आपके पहले बच्चे के बारे में, शरीर में होने वाले परिवर्तन के बारे में तथा पहली बार गर्भवती होने के बारे में आपको जो कुछ भी जानने की जरूरत होती है, उसे आप इस लेख के माध्यम से जान सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान और बाद में महिला के शरीर में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैं, जो कि स्पष्ट और सुप्रसिद्ध हैं, जैसे- पेट का बड़ा होना, एड़ियों में सूजन आना और बार बार पेशाब जाना। लेकिन आपको यह जानने की जरूरत है कि कौन से लक्षण सामान्य है और चिंता का विषय नहीं है।
गर्भवती महिलाएं अपनी और अपने बच्चे की देखभाल को लेकर घबराहट महसूस करती है। हालांकि यह सामान्य है, लेकिन ध्यान रखें कि आपको बहुत अधिक चिंता नहीं करनी है। आप पहली बार गर्भवती होने के अनुभव का आनंद लें। जब भी आप गर्भावस्था को लेकर चिंतित हों तो अपने डॉक्टर से बात करें। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में दिखाई देने वाल कुछ सामान्य शारीरिक परिवर्तन, जिनके बारे में आपको घबराने की आवश्कता नहीं है, निम्न हैं:
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जी मिचलाना और संभवतः उल्टी होना गर्भावस्था के सबसे प्रसिद्ध लक्षणों में से एक है। इस लक्षण के तहत महिला को पता चलता है कि वह गर्भवती है, क्योंकि उन्हें मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) का अनुभव होने लगता है। हालांकि मतली और उल्टी सुबह उठने के बाद तक ही सीमित नहीं होती है। कुछ महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान लगातार मतली का अनुभव होता है, लेकिन उल्टी नहीं होती है। दूसरी ओर कुछ गर्भवती महिलाओं को पहले कुछ हफ्तों तक ही कभी कभी उल्टी हो सकती है, इसके बाद भावना फीकी पड़ जाती है।
जब कोई महिला गर्भवती होती हैं तो उसके शरीर में हार्मोन का उत्पादन अधिक होने लगता है, जो मतली की भावना के विकसित होने का कारण बनता है। यदि आप पहली बार गर्भवती होती हैं, तो मतली की समस्या उत्पन्न होना आवश्यक है आमतौर पर यह समस्या पहली तिमाही के बाद दूर भी हो जाती है। हालांकि मतली को दूर करने के बहुत से घरेलू उपाय मौजूद हैं, जिनमें अदरक की चाय लोकप्रिय है।
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पहली बार प्रेग्नेंट होने के दौरान महिला अपने स्तनों में संवेदनशीलता और सूजन को महसूस कर सकती है। जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपके स्तन दूध पैदा करने और आपके बच्चे को दूध पिलाने की तैयारी कर रहे होते हैं। सूजन के साथ-साथ आपके स्तन भारी होते जाते हैं, जिसका कारण द्रव प्रतिधारण (fluid retention) और रक्त प्रवाह में वृद्धि है। अक्सर प्रेगनेंसी के चौथे और छठें हफ्ते से स्तन का आकार बढ़ने लगता है। शरीर में हार्मोन के बदलाव के कारण भी स्तन में सूजन आ सकती है। लेकिन जैसे ही शरीर में हार्मोन का समायोजन होने लगता है यह सूजन खत्म हो जाती है।
गर्भावस्था के दौरन स्तन में सूजन, दर्द और संवेदनशीलता को दूर करने में मदद करने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाए जा सकते है, जिसमें अधिक सहायक ब्रा और ढीले-ढाले कपड़े पहनना सबसे अच्छा उपाय है। एक ठंडा सेक (cold compress) भी सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
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बार बार पेशाब जाना, गर्भावस्था का एक सामान्य लक्षण है, जो आमतौर पर बच्चे के बड़े होने और मूत्राशय पर दबाव डालने के कारण बाद के महीनों से जुड़ा होता है। यह लक्षण मुख्यतः पहली तिमाही के दौरान और बाद के महीनों में अधिक विकसित होता है।
पेशाब की आवृत्ति में वृद्धि का मुख्य कारण ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) हार्मोन की बजह से रक्त के प्रवाह में होने वाली वृद्धि है, जो पेट के निचले हिस्से पर दबाव डालती है जिससे आपको बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है।
एचसीजी हार्मोन किडनी में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है जिससे विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए किडनी अधिक कुशलता से कार्य करती है। इसलिए, यदि आपको प्रेगनेंसी के दौरान हर 2 से 3 मिनिट बाद पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो, तो घबराएं नहीं। यह आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए शरीर की प्रतिक्रया है।
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शुरुआत में गर्भवती महिलाओं को थकान महसूस होना आम बात है। गर्भावस्था आपके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान थकान महसूस होने के कई कारण होते हैं। गर्भ में बच्चे को विकसित करने के लिए शरीर द्वारा बहुत अधिक ऊर्जा का उपयोग करना, थकान का प्रमुख कारण है। गर्भावस्था की थकान आमतौर पर पहली और तीसरी तिमाही के दौरान अधिक प्रभावी होती है।
पहली प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंट महिला के शरीर में प्रोजेस्टीरॉन का लेवल बढ़ जाता है, जिसकी वजह से उसे थकान महसूस होती है यह हार्मोन मूड, ऊर्जा के स्तर, रक्त प्रवाह, नींद के पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था में आराम करने का मतलब यह नहीं है कि आप कामकाज छोड़कर अधिक समय सोने पर ध्यान दें। यदि आपका शरीर थका हुआ महसूस करता है, तो थोड़ी देर बैठें या अपने कार्यों को धीमी गति से और अधिक ध्यान पूर्वक करने का प्रयास करें।
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गर्भावस्था के दौरान अधिक भूख लगना स्वभाविक है। भोजन की लालसा आमतौर पर गर्भावस्था की पहली तिमाही में लगभग पांच सप्ताह बाद महसूस हो सकती है, दूसरी तिमाही के दौरान भोजन की लालसा अधिक मजबूत हो जाती है, और अंततः तीसरी तिमाही के दौरान दूर हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान भोजन की लालसा में वृद्धि अभी भी शोध का विषय है।
एक गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान खाने के लिए मनगढ़ंत चीजों की मांग कर सकती है। गर्भावस्था में भोजन की लालसा के दौरान ऐसी चीज का सेवन न करें जो आपके और आपके बच्चे के लिए जोखिम दायक हो।
कब्ज गर्भावस्था का एक बहुत ही सामान्य दुष्प्रभाव है। यदि आप कब्ज की समस्या से चिंतित है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान कब्ज बेहद आम है और इसे आसानी से घरेलू उपाय अपनाकर ठीक किया जा सकता है।
कब्ज को कम करने का सबसे अच्छा तरीका, अपने आहार में अधिक फाइबर युक्त आहार शामिल करना है। अगर आप आयरन की गोलियां ले रहे हैं, तो यह कब्ज का कारण बन सकती हैं। अतः किसी भी प्रकार की दवाओं और सप्लीमेंट्स का सेवन करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।
पहली बार प्रेग्नेंट होने पर आपको मूड स्विंग होने की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जिसका कारण शरीर में हार्मोन असुंतलन होता है। प्रेगनेंसी के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टीरॉन का लेवल अधिक बढ़ जाता है। इसकी वजह से आपका मूड प्रभावित हो सकता है और महिलाऐं अपने आपको ज्यादा इमोशनल महसूस कर सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान मूड खराब होना सामान्य लक्षण है। इसकी वजह से डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, चिंता और कभी-कभी अधिक उत्साह का भी अनुभव हो सकता है।
यदि आप पहली बार प्रेग्नेंट हुई हैं और अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं, तो आपको अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ के सेवन से परहेज करनी की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ पदार्थों को “जस्ट इन केस” के आधार पर न लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उनमें संभावित रूप से खतरनाक तत्व या बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो गर्भावस्था के लिए नुकसानदायक होते हैं। इन पदार्थों में निम्न को शामिल किया जाता है:
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गर्भवती होने पर आपको थकान महसूस होना एक आम बात है, लेकिन थकान दूर करने के लिए यह ध्यान रखें कि कैफीन का सेवन न करें। गर्भावस्था के दौरान, आपका शरीर कैफीन को तोड़ने में अधिक समय लेता है जिसके कारण इसका कुछ हिस्सा भ्रूण तक पहुंच सकता है। अतः थकान के समय शरीर को ऊर्जा देने के अन्य तरीके मौजूद है, जिनमें कैफीन शामिल नहीं है। यदि आवश्यक हो तो आप दिन में एक बार बहुत थोड़ी कॉफी पी सकते हैं।
किंग मैकेरल, मार्लिन, ऑरेंज रफ़ी, शार्क, स्वोर्डफ़िश, टाइलफ़िश और अही टूना इत्यादि मछलियों में मरकरी (पारा) पाया जा सकता है। अतः गर्भवती होंने के अलावा अन्य व्यक्तियों को इन मछलियों के सेवन से परहेज करना चाहिए। इन मछलियों के अधिक सेवन से शरीर में पारा विषाक्तता (mercury poisoning) हो सकती है, जो तंत्रिका तंत्र, फेफड़े, किडनी, पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है तथा अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है।
मछली ओमेगा -3 वसा और आयरन का एक अच्छा स्रोत होती है, जिसके कारण अन्य मछलियों का सेवन किया जा सकता है। लेकिन गर्भवती होने पर, इन मछलियों से पूरी तरह बचना ही सबसे अच्छा है।
बहुत लोग अंडा खाने के बहुत शौकीन होते हैं, जबकि कुछ कच्चे केक या कुकी बैटर (cookie batter) के माध्यम से सिर्फ स्वाद और बनावट का आनंद लेते हैं। लेकिन गर्भवती होने की स्थिति में कच्चे अंडे का सेवन जोखिमदायक होता है। कच्चे अंडे में साल्मोनेला बैक्टीरिया हो सकता है जो आपको और आपके होने वाले बच्चे के बीमार होने का कारण बन सकता है। इसलिए हमेशा अच्छी तरह से पके हुए अंडे का ही सेवन करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे से सेवन से परहेज करने की सलाह देते हैं।
कुछ लोग स्वच्छ भोजन और कच्चे खाद्य आहार में बिना पाश्चुरीकृत दूध अर्थात कच्चा दूध के सेवन पर जोर देते हैं। लेकिन कच्चा दूध गर्भावस्था और अन्य स्थितियों में आपके लिए हानिकारक हो सकता है। कच्चा दूध वह दूध होता है जिसे पाश्चुरीकरण प्रक्रिया से नहीं गुजरा जाता है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया दूर नहीं होते है। कच्चा दूध फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है और आपको बहुत बीमार कर सकता है। अतः यदि आप पहली बार गर्भवती हुई हैं, तो आपको कच्चे दूध के सेवन से परहेज करना चाहिए।
पहली बार प्रेग्नेंट होने पर महिला को पूरी तरह से शराब पीने से बचने की सलाह दी जाती है। शराब पीने से आपके बच्चे और उनके विकास पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यदि आप शराब पीने की लत से पीड़ित हैं तो बहुत सारे अल्कोहल-फ्री बियर, वाइन और स्प्रिट उपलब्ध हैं, जिनका सेवन किया जा सकता है।
गर्भावस्था और उसके बाद आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए यहां कुछ अतिरिक्त टिप्स दी गई हैं।
गर्भावस्था के समय एक अच्छे आहार का सेवन सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में प्रभावशाली होता है। पहली प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सारे फल और सब्जियों के सेवन पर जोर देना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि भोजन आनंददायक हो और जब भूख लगे तब ही खाएं। प्रेगनेंसी के दौरान जंक फूड के सेवन से बचें।
गर्भवती होने पर व्यायाम करना कठिन और थका देने वाला हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है आप आराम करें। पहली बार गर्भवती होने पर हल्का व्यायाम और आसन एक्सरसाइज करना आपके और आपके बच्चे के लिए फायदेमंद होता है। शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहने के लिए अपने शरीर को गतिशील रखना महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप रोज टहलने जाएं और योग करें। गर्भवती होने पर आपको किसी भी तरह की ज़ोरदार या भारी एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान बहुत सारे तरल पदार्थ का सेवन करना बेहद जरुरी होता है। पानी का पर्याप्त सेवन आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद करेगा और आपको गर्भावस्था के जोखिम से बचाएगा। पानी का पर्याप्त सेवन तब ज्यादा जरुरी हो जाता है जब आप हर पांच मिनट में पेशाब नहीं जाते हैं। पानी के अलावा आप तरल पदार्थ के अंतर्गत हर्बल चाय और ताजे फलों के रस का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन इन्हें कम मात्रा में पीना चाहिए। कैफीनयुक्त पेय पदार्थों के सेवन से परहेज करना जरुरी होता हैं।
पहली बार गर्भवती होने की स्थिति में आपका पूरा शरीर थका हुआ महसूस हो सकता है और शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द भी उत्पन्न हो सकता है। अतः शरीर की मालिश करना प्रेगनेंसी के दौरान लाभदायक होता है।
मालिश दर्द को कम करने का एक शानदार तरीका है। आप गर्भवती महिलाओं की मालिश करने में माहिर स्पा (spas) और मालिश करने वाले की सहायता ले सकते हैं, ताकि मालिश पूरी तरह से सुरक्षित हो। याद रखें कि एक गर्भवती महिला को यथासंभव लाड़-प्यार की आवश्यकता होती है।
यदि आप गर्भवती हैं तो आपको आराम और नींद की पर्याप्त जरुरत होती है। हालांकि ज्यादा नींद लेना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। अतः आप नींद का एक पैटर्न बनाएं, काम करने के बाद आराम करें तथा ज्यादा रात तक जागें नहीं।
(और पढ़ें: गर्भावस्था के दौरान सोते हुए इन 7 बातों का रखें ध्यान..)
जितनी महत्वपूर्ण गर्भावस्था के दौरान शारीरिक देखभाल होती है उतना ही महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना होता है। गर्भवती महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का असर उसके होने वाले बच्चे पर पड़ता है। अतः शारीरिक देखभाल के साथ साथ आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य की भी देखभाल करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के निम्न तरीके अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहने के लिए थेरेपी सबसे अच्छे उपायों में से एक है। यदि आपको गर्भवती होने, बच्चे को जन्म देने या बच्चे की परवरिश करने से सम्बंधित किसी भी प्रकार का डर या चिंता है, तो थेरेपी आपके डर या चिंताओं का समाधान हो सकता है। आप अपनी स्थिति के बारे में जितना अधिक बात करेगें, उतनी ही जल्दी आपकी चिंता दूर होगी, और उतनी ही आसानी से आप गर्भावस्था के अनुभव को समझ पायेगें।
यदि आप गर्भावस्था को लेकर परेशान है तो माता-पिता या अपने मित्र की मदद ले सकते हैं, उनसे इस बारे में बात कर सकते हैं। इसके अलावा जो पहले गर्भावस्था और प्रसव से गुजर चुके हैं, उनकी सहायता लेना फायदेमंद होगा।
योग और ध्यान तनाव से राहत और आपके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने की सदियों पुरानी तकनीक हैं। योग आपको शारीरिक रूप से सक्रिय रहने में मदद कर सकता है और सांस लेने वाले अभ्यास आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान मेडिटेशन आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी चमत्कार से कम नही हैं यह आपको तनाव और चिंता से मुक्त रखेगा तथा मानसिक शांति दिलाएगा। अतः पहली बार प्रेग्नेंट होने पर आपको उचित योग और मेडिटेशन करने पर ध्यान देना चाहिए।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और उसका लोगों के बीच रहना आवश्यक होता है। सामाजिक दूरी बनाने से व्यक्ति चिंताओं से ग्रस्त हो जाता है अनेक प्रकार की मानसिक विकार उत्पन्न होने लगते हैं सामाजिक परिवेश में रहना तथा अपने दोस्तों के साथ समय बिताना आपको अच्छे निर्णय लेने और विचारों में सकारात्मकता लाने और परेशानियों को दूर करने में मदद करता है। अतः यदि आप गर्भवती हैं तो आप अपने दोस्तों और परिवारजनों तथा रिश्तेदारों के साथ रहें। इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
यदि आप मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं या आपको लगता है कि गर्भवती होने पर आपको कोई बीमारी हो गई है, तो आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। चूँकि गर्भावस्था के दौरान मानसिक बीमारियों के होने का अधिक जोखिम होता है, जैसे- प्रसवोत्तर डिप्रेशन (Postpartum depression), जेस्टेशनल डायबिटीज इत्यादि। इसलिए जरूरत पड़ने पर मदद के लिए डॉक्टर की सिफारिश अवश्य लें।
(और पढ़ें: गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) में होने वाली समस्याएं और उनके उपाय…)
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