स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के निर्माण में सहायक होता है। खाने के मौजूद पोषक तत्व आपके शरीर को तभी मिल सकते हैं जब पेट में खाना ठीक से पचता हैं। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि पेट में खाना पचता है या सड़ता रहता है। अगर सड़ता है तो फिर भले ही डाइट चार्ट बनाकर खाया जा रहा हो, सब बेकार है। अधिक खाना, अनियमित खाना, देर रात तक जागना, ये सारी स्थितियां आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि पाचन शक्ति को दुर्बल होने से बचाएं।
हमने खाना भोजन के रूप मे ग्रहण किया जो हमें उर्जा देता है | और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है | पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है “अमाशय” उसी स्थान का संस्कृत नाम है “जठर”| उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है Stomach ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान है हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है| पेट में खाना पचने की प्रक्रिया समझने से पहले हमें इसी को समझना होगा
आमाशय एक पेशीय, खोखला, पोषण नली का फैला हुआ भाग है जो पाचन नली के प्रमुख अंग के रूप में कार्य करता है। यह चबाने के बाद, पाचन के दूसरे चरण में शामिल होता है। आमाशय, ग्रास नली और छोटी आंत के बीच में स्थित होता है। यह छोटी आंतों में आंशिक रूप से पचे भोजन (अम्लान्न) को भेजने से पहले, अबाध पेशी ऐंठन के माध्यम से भोजन के पाचन में सहायता के लिए प्रोटीन-पाचक एन्ज़ाइम और तेज़ अम्लों को स्रावित करता है जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है,
खाना सबसे पहले इसी में आता है। रोटी, दाल सब्जी, दही लस्सी, दूध, छाछ, फल आदि, यह सब कुछ भोजन के रूप में ग्रहण करने के बाद हमें एनर्जी मिलती है। और पेट इस एनर्जी को आगे ट्रांसफर करता है।
आमाशय में प्रदीप्त होने वाली अग्नि को जठराग्नि कहते है। जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल होता है ऐसा ही पेट में भी होता है, जैसे ही हम खाना खाते है तो जठराग्नि (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) तुरंत प्रदीप्त हो । यानी यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। ये अग्नि तब तक जलती है, जब तक आपके द्वारा खाना पच नहीं जाता है।
कई लोगों को खाना खाने के बाद पानी पीने की आदत होती है, लेकिन जब आप खाना खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते है, खासकर खूब ठंडा पानी तो जठराग्नि (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) में जलने वाली अग्नि बुझ जाती है। और आग के बुझ जाने पर खाने की पचने की क्रिया भी रुक जाती है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में पानी मिलने से उसका असर खत्म हो क्जता है जिससे खाना सही से नहीं पचता है
पेट में दो ही क्रिया होती है, एक जिसे हम पाचन कहते हैं और दूसरा फर्मेंटेशन जिसका मतलब खाने का सड़ना होता है। आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा। और रस बनने से मांस, बोन मेरो, ब्लड, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र और अस्थि बनेंगे और सबसे अंत मे फैट बनता है। ये तभी होगा जब खाना पचेगा।
अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..? यह जानना भी जरूरी है। खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर यूरिक एसिड के रूप में बनता है। कई बार हम घुटने या कंधे-कमर में दर्द के लिए डॉक्टर के पास जाते है। तब डॉक्टर हमें बताता हैं कि यह दर्द यूरिक एसिड के कारण है। यूरिक एसिड के अलावा दूसरा विष एलडीएल है, यानी खराब कोलेस्ट्रॉल। और कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर हाई बीपी की समस्या होती है। साथ ही सबसे खतरनाक विष यानी वीएलडीएल भी खाने के सड़ने के कारण बनता है।
(और पढ़े: हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) लक्षण, कारण और बचाव के उपाय)
यूरिक एसिड सहित ऐसे 103 विष खाने के सड़ने से बनते हैं। खाना पचने पर मांस, बोन मेरो, ब्लड, वीर्य, हड्डियां, मल, मूत्र और अस्थि बनते हैं और न पचने पर यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल आदि विष बनने लगते हैं। जिस कारण शरीर रोगों का घर बन जाता है। (और पढ़े: कब्ज के कारण और दूर करने के घरलू उपाय )
पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर ब्लड में आता है तो ब्लड दिल की नाड़ियों में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा-थोड़ा फैट जो खून मे आता है वह इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है। और इसकी ब्लॉक नाड़ी को हार्ट अटैक कहते हैं। इसलिए खाने का सही से पचना बेहद जरूरी है। इसलिए हमें इस बात पर ध्यान देना है कि हमारे द्वारा लिया जाने वाला खाना शरीर में ठीक से पच रहा है या नहीं। इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए। क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं है और खाना पकता भी नहीं है। (और पढ़े: हार्ट अटेक कारण और बचाव)
सबसे पहले यह जान लें कि खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है। इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पीएं। साथ ही यह जानना भी जरूरी हैं कि कितनी देर के बाद पानी पीना चाहिए। जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं।पेट तक पहुचने में ही इसे आधा घंटा लग जाता है पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक पौने दो घंटे का समय लगता है। पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये। और हाँ दिन में जादा पानी पीना चाहिए और रत में कम|
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