फंगल इन्फेक्शन होने के दौरान आहार की अहम भूमिका होती है। त्वचा में होने वाले संक्रमण मुख्य रूप से बैक्टीरिया के प्रभाव के कारण होते हैं। लेकिन इन संक्रामक बैक्टीरिया आदि के प्रभाव को दूर करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कुछ विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ फंगल इन्फेक्शन के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आपको फंगल इन्फेक्शन के दौरान खाने और न खाने वाले खाद्य पदार्थों की जानकारी होना चाहिए। आज इस लेख में आप फंगल इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
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परिष्कृत चीनी फंगल इन्फेक्शन के विकास को बढ़ा सकती है। इसलिए फंगल संक्रमण होने के दौरान रोगी को बहुत ही कम मात्रा में मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। परिष्कृत चीनी युक्त खाद्य पदार्थों में सफेद चीनी, ब्राउन शुगर, शहद, मेपल सिरप, कॉर्न सिरप, मेपल चीनी, गुड़, टर्बिनाडो, कच्ची चीनी, डेमेरारा आदि शामिल हैं। इसके अलावा आप बाजार से खरीदे हुए अन्य मीठे उत्पादों का उपयोग करने के दौरान भी उनके लेबल को ध्यान से पढ़ें क्योंकि इनमें चीनी के छिपे हुए रूप हो सकते हैं। लेबल को पढ़ते समय सूक्रोज, फ्रुक्टोज, माल्टोज, लैक्टोज, ग्लाइकोजन, ग्लूकोज, मैनिटोल, सोर्बिटोल, गैलेक्टोज, मोनोसैकराइड और पॉलीसेकेराइड आदि का विशेष ध्यान दें।
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फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। लेकिन फंगल संक्रमण होने के दौरान अधिक मात्रा में फलों का सेवन करना नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फलों को प्राकृतिक चीनी का स्रोत माना जाता है। जिसके कारण ये फल फंगल संक्रमण के विकास को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर ताजे फल, ठंडे किये हुए फल, जमा या डिब्बा बंद फल और सूखे फल आदि फंगल संक्रमण के लक्षणों को बढ़ाने में अहम योगदान दे सकते हैं। इसलिए जब तक आपको फंगल संक्रमण से पूरी तरह छुटकारा न मिल जाए आप इस तरह के उत्पादों का आवश्यक होने पर ही बहुत ही कम मात्रा में उपभोग करें।
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त्वचा में होने वाली खुजली और चकते आदि फंगल संक्रमण का एक रूप हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में रोगी को ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों में गेहूं, जौ और राई (barley and rye) आदि शामिल हैं। इसलिए इन उत्पादों से बने खाद्य पदार्थों का बहुत ही कम मात्रा में सेवन करना करना चाहिए। क्योंकि इनसे बने उत्पाद जैसे ब्रेड और पास्ता आदि फंगल इन्फेक्शन के प्रभाव को बढ़ा सकते हैं।
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इसमें सभी प्रकार के सिरका शामिल हैं जैसे कि सफेद सिरका, रेड वाइन सिरका, ऐप्पल साइडर सिरका, चावल का सिरका और सिरका का उपयोग करके बनाया गया किसी भी प्रकार का व्यंजन जैसे मेयोनेज, केचप, सॉस, स्टेक सॉस, सोया सॉस, सरसों, अचार, मसालेदार सब्जियां आदि। इस प्रकार के भोजन को करने से फंगल संक्रमण की स्थिति खराब हो सकती है। इसलिए फंगल इन्फेक्शन होने के दौरान आपको सिरका और इससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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मूंगफली, पिस्ता और पीनट बटर आदि को मोल्ड संदूषण (mold contamination) माना जाता है। यही कारण है कि फंगल संक्रमण होने के दौरान अधिकांश डॉक्टर इस प्रकार के उत्पादों से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचने की सलाह देते हैं। यदि आप भी फंगल इन्फेक्शन का उपचार करा रहे हैं तब ऐसी स्थिति में कुछ दिनों तक इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
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ऐसा माना जाता है कि शराब एक ऐसा मादक पदार्थ जो खमीर के विकास को उत्तेजित कर सकता है। इसलिए लगभग सभी प्रकार की शराब को फंगल संक्रमण के दौरान सेवन नहीं करना चाहिए। त्वचा संक्रमण जैसे खुजली या यीस्ट इन्फेक्शन के दौरान रेड वाइन, व्हाइट वाइन, बीयर, व्हिस्की, ब्रांडी, जिन, स्कॉच या कोई भी किण्वित शराब जैसे वोदका, रम आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
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नियमित रूप से चाय, कॉफी और अन्य प्रकार के निकोटिन युक्त पेय पदार्थ थकान को दूर करने में सहायक होते हैं। लेकिन फंगल संक्रमण होने की स्थिति में आपको इस तरह के पेय पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इन पदार्थों में मौजूद ग्लूकोज और निकोटिन की मात्रा फंगल संक्रमण के लक्षणों को बढ़ा सकती है। इसलिए जब तक आप फंगल इन्फेक्शन का पूरा इलाज नहीं कर लेते हैं तब तक इस प्रकार के पेय पदार्थों का कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।
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यह एक मिथक है कि रोटी एक प्रकार के खमीर का एक रूप है। इसलिए खमीर संक्रमण होने के दौरान रोटी खाने से बचना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि जब रोटी को उच्च तापमान पर पकाया जाता है तब गेहूं के आटे में मौजूद जीवित खमीर नष्ट हो जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ब्रेड और केक खाना सुरक्षित है क्योंकि इन्हें बनाने के दौरान इनमें खमीर को उत्पन्न किया जाता है साथ ही इनका सेवन करने पर यह टूट जाने पर चीनी का उत्पादन भी करते हैं। इसलिए आटे से बने इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
दूध, पनीर, दही और मट्ठा आदि सभी डेयरी उत्पाद हैं। फंगल संक्रमण के दौरान शरीर वसा को पूरी तरह से पचाने में अस्मर्थ होता है इसलिए फंगल इन्फेक्शन होने के दौरान डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन यदि आपको लगता है कि इन उत्पादों का उपयोग किये बिना नहीं रहा जा सकता है तो आप प्रोबायोटिक का सेवन कर सकते हैं। यह फंगल इन्फेक्शन के प्रभाव को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।
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स्किन में खुजली या अन्य प्रकार के संक्रमण होने के दौरान आपको सभी प्रकार के फलों का सेवन बंद कर देना चाहिए। क्योंकि इन फलों में प्राकृतिक चीनी या फ्रुक्टोज होते हैं। लेकिन सूखे या ड्राई फ्रुट्स में इसकी अधिक मात्रा होती है इसलिए फंगल इन्फेक्शन के दौरान आपको ड्राइफ फ्रूट्स का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार के खाद्य पदार्थ फंगल संक्रमण के उपचार गति को प्रभावित कर सकते हैं जिससे आपको इनका इलाज करने में असुविधा हो सकती है। इन प्रकार के फलों में सेब स्ट्रॉबेरी, तरबूज और सूखे अंगूर आदि शामिल हैं।
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इस प्रकार के संक्रमण के होने पर लगभग सभी प्रकार के नट्स और बीजों के सेवन से बचा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें उच्च कार्बोहाइड्रेट होता है जो कि संक्रमण और बैक्टीरिया के विकास को बढ़ा सकता है। इसके अलावा मूंगफली के तेल को बैक्टीरिया के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है। इसलिए फंगल इन्फेक्शन के दौरान रोगी को नट्स और सूखे बीज नहीं खाने चाहिए।
यीस्ट इन्फेक्शन होने के दौरान मशरूम खाना उचित है या नहीं यह निश्चित नहीं है। इस विषय पर बहुत से तर्क दिये गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि मशरूम भी एक कवक है इसलिए फंगल इन्फेक्शन के दौरान इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि मशरूम वास्तव में आपके फंगल संक्रमण के लिए इलाज में मदद कर सकता है। इसलिए आप किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह के अनुसार मशरूम का सेवन करें।
सही फंगल इन्फेक्शन के आहार की खोज में आपको कई मिथक और तथ्य मिलेंगे। इसके लिए इस महत्वपूर्ण तथ्य को जानना सबसे अच्छा है। की कोई भी खाद्य पदार्थ जिसमें चीनी या चीनी उत्पादक गुण होते हैं, को फंगल इन्फेक्शन होने पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
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