Fungal Infection In Hindi फंगल संक्रमण (fungal infections) एक आम प्रकार का संक्रमण है। मनुष्यों में, फंगल संक्रमण तब होता है जब कवक (fungus) शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते है और प्रतिरक्षा प्रणाली इनसे लड़ने में सक्षम नहीं होती है। इस लेख में, आप जानेंगे कि एक फंगल संक्रमण क्या होता है, फंगल इन्फेक्शन के प्रकार, यह किन कारणों से होता है ओर फंगल इन्फेक्शन के लक्षण क्या होते है, इसके निदान और उपचार क्या हैं।
कुछ कवक ऐसे भी हैं जो मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। अतः मानव शरीर में पाए जान वाले कवकों में कुछ उपयोगी कवक होते है और कुछ हानिकारक कवक होते हैं। जब हानिकारक कवक की अधिक मात्रा शरीर पर आक्रमण करती है, तो मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें नष्ट करने में सक्षम नहीं होती है। यह कवक पर्यावरण दशाओं के कारण जीवित रहते हैं और स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं।
1. फंगल इन्फेक्शन क्या है – What are Fungal Infections in Hindi
2. फंगल इन्फेक्शन के प्रकार – Types of Fungal Infections in Hindi
3. फंगल इन्फेक्शन के लक्षण – Fungal Infections Symptoms in Hindi
4. फंगल इन्फेक्शन के कारण – Causes of Fungal Infections in Hindi
5. फंगल इन्फेक्शन की जांच – Diagnosis of Fungal Infections in Hindi
6. फंगल इन्फेक्शन का उपचार – Fungal Infections Treatment in Hindi
7. फंगल इन्फेक्शन से बचाव – Prevention of Fungal Infections in Hindi
8. फंगल इन्फेक्शन का घरेलू उपचार – Fungal Infections Home Remedies in Hindi
फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections) मानव शरीर को प्रभावित करने वाला एक कवक संक्रमण है। यह तब होता है, जब कवक की अधिक मात्रा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देती है। जिससे कवक से प्रभावित त्वचा में लाला धब्बे, दाद, खुजली और त्वचा में घाव आदि लक्षण दिखाई देने लगते है।
ये कवक हवा, मिट्टी, पौधों और पानी किसी भी जगह में विकसित हो सकते है। तथा ये पर्यावरणीय दशाओं में अनियंत्रित वृद्धि कर सकते है।
हानिकारक कवक ही फंगल संक्रमण (Fungal Infections) का कारण बनते हैं। यदि इस संक्रमण का सही समय पर निदान और उपचार ना किया जाये, तो ये अधिक जोखिम दायक होते है। हालांकि, फंगल संक्रमण का इलाज किये जाने के बाद पुनः इसका संक्रमण चिंता दायक हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में कवक को मारना मुश्किल हो सकता है।
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फंगल संक्रमण के सभी सामान्य प्रकारों में निम्नलिखित स्थितियां शामिल हैं।
Athlete’s foot (एथलीट फुट) एक सामान्य फंगल संक्रमण (Fungal Infections) है, जिसमें कवक गर्म और नम वातावरण में अपनी वृद्धि करते है। इस प्रकार के संक्रमण को टिनिया पेडीस (Tinea pedis) के नाम से भी जाना जाता है, जो सामान्यतः व्यक्तियों के पैरों को प्रभावित करता है। यह इन्फेक्शन (Fungal Infections) पैर की उंगलियों के होता है।
एथलीट फुट (Athlete’s foot), आम तौर पर खेल और एथलीटों से सम्बंधित है क्योंकि कवक ज्यादातर गर्म, नम वातावरण जैसे – मोजे और जूते वाले क्षेत्र, खेल सामग्री और लॉकर रूम जैसी परिस्थिति में तेजी से बढ़ता है।
हालांकि एथलीट फुट (Athlete’s foot) प्रकार के फंगल संक्रमण से कोई भी व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। यह गर्म जलवायु और गर्मियों के महीनों में सबसे अधिक प्रभावित करता है।
इसके लक्षणों में, पैर के प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा से पपड़ी निकलना, लाली या छाले, खुजली और जलन आदि प्रमुख रूप से शामिल किये जाते है। एथलीट फुट के इलाज के लिए विषय-क्षेत्र-संबंधी एंटीफंगल मरहम (antifungal ointments) का उपयोग किया जा सकता है।
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दाद (Ringworm) एक फंगल इन्फेक्शन का ही प्रकार है। यह त्वचा संक्रमण जॉक इच (Jock itch) और एथलीट फुट का कारण बनता है।
टिनिया कॉर्पोरेट (Tinea corporis) या दाद (ringworm) एक त्वचा संक्रमण है जो मृत ऊतकों जैसे त्वचा, बाल और नाखूनों पर कवक के पाये जाने के कारण होता है।
दाद (Ringworm) को, देखकर आसानी से जाना जा सकता है। इसमें लाल गोलकर चकते जो खुजली या रूखी त्वचा का कारण बनते है, अक्सर समय के साथ त्वचा पर अंगूठी के आकार में दिखाई देते है।
दाद (रिंगवॉर्म) अत्यधिक संक्रामक है, और यह त्वचा से त्वचा संपर्क और वस्तुओं जैसे- तौलिए, कपड़े और ब्रश आदि के संपर्क से भी फैल सकती है।
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यीस्ट संक्रमण, कैंडिडा अल्बिकन्स (Candida albicans) नामक यीस्ट के कारण होता है। यह एक सामान्य योनि यीस्ट संक्रमण है।
यह संक्रमण योनि में कैंडिडा के बढ़ने से बैक्टीरिया और कुछ यीस्ट (खमीर) के संतुलन में परिवर्तन होने के कारण उत्पन्न होता है, इस स्थिति में खमीर कोशिकाएं आपस में वृद्धि करती हैं। यह संक्रमण योनी में तीव्र खुजली, सूजन और जलन का कारण बनता है। यह संक्रमण कुछ एंटीबायोटिक्स (antibiotics), तनाव और हार्मोन असंतुलन या खराब खाने के कारण हो सकता है।
एक यीस्ट इन्फेक्शन (खमीर संक्रमण) सामान्यतः फंगल टोनेल संक्रमण (fungal toenail infections) का भी कारण बन सकता है।
खमीर संक्रमण का उपचार इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ नैदानिक परीक्षण और क्रीम, टैबलेट या सपोजिटरी (सिरप) (suppositories) इसके उपचार में शामिल हैं,
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Jock itch (जॉक इच) जिसे आमतौर पर टीनिया क्रूरिस (Tinea cruris) के रूप में जाना जाता है, एक सामान्य फंगल त्वचा संक्रमण है। यह कवक गर्म और नम वातावरण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और शरीर के नम क्षेत्रों में जैसे- पेट और जांध के बीच का भाग (groin), कूल्हे और आंतरिक जांघ (inner thighs) में अधिक तेजी से बढ़ते हैं। गर्मी के समय या गर्म वातावरण में, आर्द्र क्षेत्रों में जॉक इच (खुजली) बहुत गम्भीर हो सकती है।
जॉक खुजली (Jock itch) संक्रामक व्यक्तियों के सीधे संपर्क से और वस्तु या कपड़ों के साथ सीधे संपर्क से फैलती है।
संक्रमित क्षेत्र में लाल गोलाकार चकते, जलन, खुजली या क्रैकिंग इस प्रकार के संक्रमण के प्रमुख लक्षण हैं। जॉक खुजली (Jock itch) का इलाज आमतौर पर विशेष एंटीफंगल मरहम और उचित स्वच्छता के साथ किया जाना चाहिए।
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नाखून कवक (Nail Fungus) मुख्य रूप से विकृत, भंगुर (टूटने योग्य) और मोटे नाखून के रूप में जाना जाता है। यह हाथ के नाखूनों या पैर के नाखूनों को प्रभावित करने वाला फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections) है। यह इन्फेक्शन सामान्यतः अधिक उम्र के व्यक्तियों या बुजुर्ग व्यक्तियों में आम है।
सूखे मोजे पहनकर, हाथों व पैरों को साफ रखकर और इन्हें सूखा रखकर नाखून कवक को रोका जा सकता है।
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फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections) के लक्षणों में निम्न कारक शामिल हैं:
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चूंकि फंगल संक्रमण (Fungal Infections) एक पर्यावरणीय दशाओं के कारण होने वाला रोग है। अतः इसका मुख्य कारण मिट्टी, हवा और पर्यावरण में मौजूद कवक (fungus) होते हैं। इसलिए कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की समस्याओं को ग्रहण कर सकता है। फंगल संक्रमण (Fungal Infections) अक्सर फेफड़ों या त्वचा पर मुख्य रूप से अपना प्रभाव डालते है। इसके अतिरिक्त ओर भी ऐसे कारण है जो फंगल इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं जैसे:
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फंगल संक्रमण (Fungal Infections) से पीड़ित व्यक्ति किसी भी चिकित्सक या त्वचा विशेषज्ञ से परामर्श ले सकते हैं। डॉक्टर आमतौर शारीरिक परीक्षण कर, पीड़ित व्यक्ति की त्वचा का अवलोकन करके और कवक की जानकारी के लिए माइक्रोस्कोप (microscope) के तहत निरीक्षण करके इस संक्रमण (Fungal Infections) का निदान करते हैं। फंगल इन्फेक्शन के कारणों को स्पष्ट करने के लिए चिकित्सक, मरीज के चिकित्सा इतिहास एवं पारिवारिक इतिहास की जानकारी भी ले सकते हैं।
यदि डॉक्टर असमंजस में हैं, तो वे इसका निरीक्षण करने और कारण को स्पष्ट करने के लिए त्वचा का नमूना ले सकते हैं।
इसके अतिरिक्त रक्त परीक्षण, सीटी स्कैन (CT scan) और एक्स-रे का उपयोग फेफड़ो में संक्रमण, मधुमेह और कैंसर जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह समस्याएँ फंगल इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं।
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फंगल संक्रमण (Fungal Infections) के केस में, डॉक्टर इसके प्रकार, गंभीरता और प्रभावित क्षेत्र के आधार पर इलाज प्रक्रिया प्रारम्भ करता है। डॉक्टर इसके उपचार में विशेष एंटी-फंगल (anti-fungal) दवा और मौखिक दवाओं का निर्धारण कर सकते हैं।
हालांकि सम्पूर्ण स्वच्छता फंगल संक्रमण (Fungal Infections) के इलाज और रोकथाम में काफी मदद कर सकती है। त्वचा को साफ और सूखा रखने से संक्रमण से बचने में मदद मिलती है।
गंभीर मामलों के लिए हालांकि डॉक्टर को अतिरिक्त तरीकों की आवश्यकता हो सकती है।
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फंगल संक्रमण (Fungal Infections) की रोकथाम या संक्रमण से बचाव के लिए निम्न तरीके अपनाएं जा सकते है।
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फंगल संक्रमण (Fungal Infections) के उपचार के लिए कुछ घरेलू इलाज भी उपलब्ध है, जिनकी सहायता से फंगल संक्रमण के लक्षणों को कम किया जा सकता है। एवं इन घरेलू उपचारों का उपयोग कर भविष्य के खतरों को भी कम किया जा सकता है।
दही को प्रोबियोटिक (probiotic) माना जा सकता है क्योंकि इसमें लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) नामक बैक्टीरिया पाया जाता है। जो योनि में स्वस्थ वातावरण बनाने के लिए अति आवश्यक है। दही शरीर में असंतुलन के कारण उत्पन्न समस्याओं का इलाज करने में मदद कर सकता हैं।
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नारियल का तेल एक फैटी तेल (fatty oil) है। जिसमें एंटीफंगल गुणों सहित कई स्वास्थ्य लाभ पाए जाते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि नारियल का तेल कैंडिडा अल्बिकन्स (Candida albicans) के लिए प्रभावी उपचार है। नारियल के तेल का उपयोग करके योनि खमीर संक्रमण का इलाज करने में बेहद मदद मिलती है। इसे सीधे तरीके से प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं।
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टी ट्री ऑइल का उपयोग कवक, बैक्टीरिया और वायरस को मारने के लिए किया जाता है। शोध से पता चलता है कि टी ट्री ऑइल में योनि संक्रमण या यीस्ट संक्रमण का इलाज करने के गुण पाए जाते है।
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लहसुन को कैंडिडा (Candida) बैक्टीरिया को नष्ट करने के रूप में जाना जाता है। खमीर संक्रमण के इलाज के लिए अपने आहार में अधिक लहसुन का प्रयोग किया जाना उचित होगा। लेकिन योनि में लहसुन लगाने का तरीका खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
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विटामिन सी एक प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर सकता है। एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को संतुलन करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है। विटामिन सी में एंटीमिक्राबियल (antimicrobial) घटक होते हैं, जो खमीर संक्रमण के इलाज में अपना योगदान देते है।
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यदि आपको त्वचा संक्रमण है, तो सम्बंधित क्षेत्र को साफ़ और स्वच्छ रखने की आवश्यकता होती है। यह फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infections) को फैलने से रोकने और नियंत्रण करने में मदद करता है। अतः अन्य घरेलू उपचार शुरू करने से पहले प्रभावित क्षेत्र को साफ पानी और जीवाणुरोधी साबुन से धो लेना चाहिए।
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