Teenage Girl Problems In Hindi किशोरावस्था से हर लड़की को गुजरना ही पड़ता है। वैसे लड़कियों में किशोरावस्था के समय को जीवन का बसंतकाल भी कहा जाता है। टीनएज जीवन की एक ऐसी स्टेज होती है, जब लड़कियों में शारीरिक के साथ मानसिक बदलाव दिखाई देते हैं। शरीर के अंगों में तमाम परिवर्तन होने के साथ उनके व्यवहार में भी अंतर आने लगता है। वैसे 13-19 साल तक की उम्र को टीनएज (लड़कियों में किशोरावस्था) की श्रेणी में रखा जाता है, क्योंकि इस उम्र के दौरान ही लड़कियों में सभी चीजों को लेकर रूचि पैदा होती है और इसी समय वे नई-नई बातों को अपनाने के लिए तैयार होती हैं।
हालांकि लड़कियां शरीर और उनके व्यवहार में हो रहे बदलावों को आसानी से स्वीकार नहीं कर पातीं और ये बदलाव उनके लिए एक बड़ी समस्या बन जाते हैं। उनकी कई समस्याओं का समाधान करना पैरेंट्स के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। तो अगर आपकी बेटी भी इस अवस्था से गुजर रही है तो जरूरी है कि आप लड़कियों में किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन के बारे में वो सब जान लें, ताकि हर मुश्किल घड़ी में आप उसका साथ दे पाएं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं लड़कियों में किशोरावस्था के लक्षण, लड़कियों में किशोरावस्था में होने वाली समस्याएं और उनके समाधान के बारे में। इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हो सकता है आप अपनी बेटी की समस्याओं से रूबरू हो पाएं और समाधान आसानी से कर पाएं।
विषय सूची
1. लड़कियों में किशोरावस्था के लक्षण – Characteristics of Adolescence in Girls in Hindi
2. लड़कियों में किशोरावस्था में होने वाली समस्या और उनके समाधान – Problems of adolescent age and its solution in Hindi
टीनएज अवस्था में लड़कियों के शरीर का विकास तेजी से होता है। इस स्थिति को ग्रोथ स्पर्ट कहा जाता है। इस अवस्था में सबसे पहले लड़कियों के तलवे और हाथों में अंतर दिखाई देता है। ये पहले से ज्यादा बड़े दिखने लगते हैं। इसके बाद आर्म और लैग बोन्स के लंबा होने से उनकी हाइट बढ़ती है। हालांकि लड़कियों के लिए ये बदलाव महसूस करना बहुत अजीब होता है, लेकिन जब शरीर के सभी अंगों में बदलाव पूरा होता है, तो सब स्थिर हो जाता है।
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अगर लड़कियों के ब्रेस्ट में बदलाव दिखने लगे तो समझ जाएं कि वह प्यूबर्टी यानि किशोरावस्था से गुजर रही है। ऐसे समय में लड़कियों का ब्रेस्ट साइज बढ़ जाता है, जिसके लिए उन्हें ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है। हालांकि लड़कियों का फुल ब्रेस्ट डवलपमेंट होने में 2 से 3 साल भी लग सकते हैं।
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छोटी उम्र में लड़कियों के शरीर में बाल बहुत कम होते हैं। लेकिन जब शरीर की कई जगहों पर नए बाल उगने लगे तो ये किशोरावस्था के लक्षण को दर्शाते हैं। खासतौर से लड़कियों के प्यूबिक एरिया में बालों की ग्रोथ होना शुरू हो जाती है। इसके कुछ महीने बाद आर्म्स में भी बाल उगना शुरू हो जाते हैं।
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किशोरावस्था में स्किन के छिद्र ज्यादा ऑयल प्रोड्यूस करते हैं। यही वजह है इस उम्र में लड़कियों के चेहरे पर पिंपल दिखने लगते हैं। इस समय लड़कियों को कई बार चेहरा धोने की सलाह दी जाती है।
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आपने सुना होगा कि लोग कहते हैं कि टीन एज में पहला पीरियड आने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि सभी लड़कियों के साथ ऐसा नहीं होता। पहला पीरियड कब आता है ये हर लड़की के बॉडी स्ट्रक्चर पर निर्भर करता है। हालांकि इस वक्त लड़कियां थोड़ा डर जाती हैं और पैरेंट्स में भी थोड़ी चिंता होती है, लेकिन एक से दो साल तक ये पीरियड रैगुलर नहीं रहते, इसलिए पीरियड आने से पहले मां की जिम्मेदारी है कि बेटी को इस बारे में थोड़ी सी नॉलेज जरूर दें।
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पीरियड आने से पहले इस अवस्था में लड़कियों में वाइट और यलो डिस्चार्ज शुरू हो जाता है। ये इस बात का संकेत देता है कि उनकी पीरियड 6 से 18 महीने में कभी भी शुरू हो सकता है।
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इस अवस्था में लड़कियों के स्वैट ग्लैंड से ज्यादा पसीना बहने लगता है। ये स्थिति लड़कियों में ब्रेस्ट डवलपमेंट के पहले ही शुरू हो जाती है। अगर ऐसा होता है तो लड़कियों की इस समय से पसीने की बदबू रोकने के लिए डियो यूज करना चाहिए।
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किशोरवस्था लड़कियों में परिवर्तन की उम्र है। इस उम्र में लड़कियों के शरीर में कई बदलाव होते हैं और कई नई समस्याएं भी उभरती हैं, जिन्हें डील करना लड़कियों और पैरेंट्स के लिए भी काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं किशोरावस्था से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधानों के बारे में।
किशोरावस्था में लड़कियों के हार्मोन में बदलाव होने लगते हैं। आवाज में परिवर्तन आना, चेहरे पर पिंपल्स होना, पीरियड आना, बालों का उगना ये ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे हर लड़की को गुजरना होता है। हालांकि लड़कियां इतनी जल्दी अपने शरीर में इन बदलावों को स्वीकार नहीं कर पातीं, इसलिए उनके लिए ये सभी बदलाव एक समस्या बन जाते हैं।
लड़कियों में किशोरावस्था में होने वाली समस्या का समाधान– इस समस्या को सुलझाने का बेहतर तरीका है लड़कियों को पहले से ही इस अवस्था के बारे में जागरूक किया जाए। उन्हें ये समझाया जाना चाहिए कि बॉडी में हो रहे ये बदलाव बहुत नॉर्मल हैं, उन्हें बिना किसी झिझक के इन बदलावों को स्वीकार करना चाहिए। साथ ही उन्हें समझाएं कि इस उम्र में हेल्दी और फिट रहने के लिए उन्हें न्यूट्रिशियस डाइट लेने के साथ एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। ये उनकी बॉडी में हो रहे विकास के लिए बहुत फायदेमंद है।
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टीनएज में हार्मोन्स लड़कियों को केवल शारीरिक तौर पर ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी असर डालते हैं। ये युवा और बचपन के बीच की उम्र होती है। इस दौरान लड़कियां काफी इमोशनल हो जाती हैं। उन्हें कब किस बात का बुरा लग जाए, गुस्सा आ जाए, कब वे खुश हों पता नहीं चलता। इस अवस्था में लड़कियों में मूड स्विंग होना आम बात है। इस दौरान लड़कियों में सेक्सुअल फीलिंग भी आने लगती हैं, जो उनके लिए बड़ी समस्या बनकर उभरती है।
लड़कियों में किशोरावस्था में होने वाली समस्या का समाधान– किशोरावस्था का समय वाकई हर लड़की के लिए काफी चुनौतीभरा होता है। उनके बिहेवियर में हो रहे बदलावों को न केवल वे बल्कि उनके आसपास मौजूद लोग भी स्वीकार नहीं कर पाते। लेकिन उनकी इस समस्या का समाधान आपको ढूंढना है। उन्हें समझाना है कि ऐसा होना आम है। इस समय उन्हें खुद को खुश रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए उन्हें एक्सरसाइज करनी चाहिए। एक मां होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि आप उनके साथ कुछ अपने अनुभव भी शेयर करें, ताकि उनके लिए ये उम्र समस्या ना बने।
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कहा जाता है किशोरावस्था कि ये उम्र बहकने वाली होती है। लड़का हो या लड़की अगर उन पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे जल्द ही बुरी आदतों में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर सकते हैं। इस उम्र में पीयर प्रेशर होना सबसे गंभीर समस्या है। इस उम्र में लड़कियां अपने पैरेंट्स पर भरोसा ना करते हुए अपने दोस्तों पर ज्यादा भरोसा करने लगती हैं, जिस कारण उनमें स्मोकिंग, ड्रिंकिंग जैसी गलत आदतें पड़ जाती हैं।
किशोरावस्था की समस्या का समाधान – इस समय जरूरी है कि आप अपने बच्चे की सभी गतिविधियों पर नजर रखें। उन्हें सच बोलना सिखाएं और बताएं कि उनकी समस्या सुलझाने के लिए आप हमेशा उनके साथ हैं।
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इस उम्र में लड़कियों के बीमार होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। टीनएज में उनका शेड्यूल काफी टाइट हो जाता है, जिस कारण वे न तो अच्छी डाइट ले पाती हैं साथ ही उनकी नींद में भी कमी आ जाती है। टीनएज गर्ल इस दौरान अपने वजन को लेकर ज्यादा सर्तक हो जाती हैं। कई बार इसी चिंता में उनमें एनोरेक्सिया डिसऑर्डर डवलप हो जाता है।
किशोरावस्था की समस्या का समाधान समाधान– इन सभी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बाहर निकालना पैरेंट्स की जिम्मेदारी है। आप उन्हें खाने के साथ कुछ हेल्दी खाने की सलाह दें। इमोशनली और फिजिकली उनके साथ रहें, ताकि वे किसी भी डिसऑर्डर का सामना अच्छे से कर सकें।
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टीनएज में लड़कियां काफी सेक्सुअली एक्टिव हो जाती हैं। बॉयफ्रेंड बनाना, किस करना उनके लिए इस उम्र में नया अनुभव होता है। बिना किसी प्रॉपर गाइडेंस के वे सेक्सुअली एक्टिव हो जाती हैं, फिर भले ही वे इसके लिए पूरी तरह से तैयार ना हों। इसी वजह से कम उम्र में टीनएज प्रेगनेंसी के तमाम किस्से सुनने को मिलते हैं। अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी सबसे बड़ा रिस्क है, जिसका सामना ज्यादातर टीनएज गर्ल्स को करना होता है।
टीनएज गर्ल की समस्या का समाधान – पैरेंट होने के नाते आपका फर्ज है कि आप उन्हें सेफ सेक्स के महत्व को समझाएं। उन्हें बताएं कि ऐसा करना उनकी लाइफ बर्बाद कर सकता है। किशोरावस्था में अर्ली प्रेग्नेंसीज को रोकने के लिए अपने बच्चे को इससे जागरूक करना ही एक बेहतर तरीका है।
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टीनएज एक ऐसी अजीब सी उम्र होती है, जब बच्चे अपोजिट सेक्स की तरफ अटे्रेक्ट होते हैं। यही वजह है कि आज कम उम्र में ही बच्चे डेटिंग शुरू करने लगे हैं। कॉम्पीटीशन भी उनकी सोशल लाइफ का एक बड़ा एस्पेक्ट है। इस उम्र में उनमें भावना आने लगती है कि उनके दोस्तों के पास क्या है और उनके पास क्या नहीं। यहां की बॉयफ्रेंड्स को लेकर भी ये भावना उन्हें परेशान करती है।
लड़कियों में किशोरावस्था की समस्या का समाधान – डेटिंग, रोमांस और सेक्स ये सब ऐसी बातें हैं, जिन पर बात करने में बच्चा कंफर्टेबल फील नहीं करेगा। इसलिए उसे पैरेंट की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह समझाएं। उनके साथ अपने डेटिंग के किस्से शेयर करें, ताकि वे आपसे बात करने में झिझकें नहीं और अपनी हर समस्या आपके साथ शेयर कर सकें।
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एक रिसर्च के अनुसार किशोरों में 50 प्रतिशत मेंडल डिसऑर्डर की समस्या 14 की उम्र से शुरू हो जाती है। यहां तक की एक तिहाई टीनएजर्स इस उम्र में डिप्रेशन के कारण सुसाइड के शिकार हो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये एक आम लेकिन बहुत गंभीर समस्या है। इस समय टीनएजर के मन में सुपीरियॉरिटी की भावना आ जाती है। किसी भी चीज में बेकार प्रदर्शन उन्हें होपलैस बना देता है। स्ट्रेस और प्रेशर उनमें एनजाइटी (चिंता) का कारण बनते हैं।
महिला की युवावस्था की समस्या का समाधान– उन्हें इन सभी समस्याओं से उभारने के लिए उनके लिए हेल्दी लाइफस्टाइल बनाना बहुत जरूरी है। पैरेंट्स के नाते आप उनकी समस्याओं पर उनसे बात करें और समाधान भी बताएं। डांटने-फटकारने के बजाए प्यार से बात करें। उनकी फीलिंग का मजाक न बनाएं, बल्कि उन्हें समझने की कोशिश करें कि वे क्या महसूस कर रहे हैं।
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