Glaucoma in Hindi ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) सामान्य तौर पर आँखों की बीमारी है। जिसे हम काला मोतियाबिंद भी कहते है। आधिक उम्र होने पर आँखों की समस्या अधिक देखी जाती है। पर हम हर आँखों की समस्या को ग्लूकोमा का कारण नहीं कह सकते है। आइये जानते है की ग्लूकोमा क्या है और किन कारणों से ग्लूकोमा हो सकता है, काला मोतियाबिंद की जांच और ग्लूकोमा से बचाव के उपाय के बारे में।
1. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या है – What Is Glaucoma In Hindi
2. ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) के प्रकार- Types Of Glaucoma In Hindi
- क्रोनिक ग्लूकोमा – Chronic Glaucoma In Hindi
- जन्मजात ग्लूकोमा – Congenital Glaucoma in Hindi
- एक्यूट ग्लूकोमा – Acute Glaucoma In Hindi
- सेकेंडरी ग्लूकोमा -Secondary Glaucoma in Hindi
- नार्मल टेंशन ग्लूकोमा – Normal Tension Glaucoma in Hindi
3. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के लक्ष्ण – Symptoms Of Glaucoma In Hindi
4. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के कारण – Cause Of Glaucoma In Hindi
5. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का खतरा किसे अधिक होता है – Who Is at Risk of Glaucoma in Hindi
6. ग्लूकोमा किस उम्र में हो सकता है – At what age can glaucoma be in Hindi
7. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की जांच – Test Of Glaucoma In Hindi
- टेस्ट तोनोमेट्री – Tonometry Test In Hindi
- पैचिमेट्री टेस्ट -Pachymetry Test In Hindi
- पेरीमेट्री टेस्ट -Perimetry Test In Hindi
- आप्टिकल नर्व तंत्र की स्थिति – Monitoring Your Optic Nerve in Hindi
8. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का इलाज – Glaucoma Treatment In Hindi
9. ग्लूकोमा के उपचार में की जाने वाली सर्जरी – Surgery Or Laser Therapy Treat Glaucoma In Hindi
- आर्गन लेजर त्रबेकुलोप्लास्टी – Argon Laser Trabeculoplasty (ALT) In Hindi
- सेलेक्टिव लेजर त्रबेकुलोप्लास्टी – Selective Laser Trabeculoplasty (SLT)in Hindi
- लेज़र पेरिफेरल इरिडोटोमी – Laser Peripheral Iridotomy (LPI)in Hindi
10. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) से बचाव – Prevention Of Glaucoma In Hindi
11. क्या ग्लूकोमा से व्यक्ति अंधा हो सकता है – Will a Person with Glaucoma Go Blind in Hindi
12. ग्लूकोमा की अवस्था में क्या खाना है – What Food We Do In Glaucoma In Hindi
13. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) में परहेज – What Food We Don’t Eat In Glaucoma In Hindi
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) क्या है – What Is Glaucoma In Hindi
ग्लूकोमा आँखों में होने वाली एक जटिल समस्या है। जो आँखों के आप्टिकल नर्ब पर अधिक प्रभाव पड़ने के कारण होता है। यह प्रभाव आप्टिकल नर्व को नुकसान पहुचता है, आप्टिकल नर्व वह होती है जो आँखों के संदेश को दिमाक तक ले जाने का कार्य करती है। आखो के सामने वाले हिस्से में एक द्रव्य पाया जाता है जो हमारी आँखों को पोषण प्रदान करता है। ये सफेद द्रव्य अधिक मात्र में बनने लगता है तथा लगातार आँखों से बाहर आता है। इस आवस्था में आखो पर अधिक पभाव पडता है, जिससे आँखों की रौशनी धीरे धीरे प्रभावित होने लगती है। डव्लू. एच .ओ .द्वारा हर साल ६ मार्च से १२ मार्च के बीच वर्ल्ड ग्लूकोमा डे के रूप में मनाया जाता है।
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ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) के प्रकार- Types Of Glaucoma In Hindi
ग्लूकोमा के पांच प्रमुख प्रकार मौजूद हैं। आइये जानते हैं ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) के प्रकार के बारे में
क्रोनिक ग्लूकोमा – Chronic Glaucoma In Hindi
क्रोनिक ग्लूकोमा को प्रायमरी ग्लूकोमा भी कहते है इस अवस्था में आँखों में पाया जाने वाला तरल सूकने लगता है। जिसके कारण आँखों की केनाल ब्लॉग हो जाती है और ओप्टिकल नर्व पर प्रभाव बढ़ जाता है। यह ग्लूकोमा का सबसे कॉमन प्रकार हैं।
जन्मजात ग्लूकोमा – Congenital Glaucoma in Hindi
जन्मजात ग्लूकोमा से पैदा होने वाले बच्चों में उनकी आंख के कोण में एक दोष होता है, जो सामान्य द्रव जल निकासी को धीमा कर देता है या रोकता है। जन्मजात ग्लूकोमा आमतौर पर लक्षणों के साथ पाया जाता है, जैसे क्लाउडी आईज, प्रकाश की संवेदनशीलता। जन्मजात ग्लूकोमा एक परिवार से दुसरे परिवार में जा सकता है।
एक्यूट ग्लूकोमा – Acute Glaucoma In Hindi
यह ग्लूकोमा की गंभीर अवस्था है इस अवस्था में आँखों को पोषण देने वाला सफेद द्रव्य बनना बंद हो जाता है, और आँखों में धुधला दिखाई देना या आँखों में दिखाई देना बंद हो जाता है। इस अवस्था में लक्ष्ण जैसे चककर आना, सर में दर्द, आखो का फूलजाना आदि दिखाई देने लगते है ।
सेकेंडरी ग्लूकोमा -Secondary Glaucoma in Hindi
यह ग्लूकोमा की सेकेंडरी अवस्था है ,इस अवस्था में ग्लूकोमा आँखों में घाव या सर्जरी या ट्यूमर के कारण होता है ।आँखों में गंभीर सक्रमण ग्लूकोमा का कारण बन जाता है ।
नार्मल टेंशन ग्लूकोमा – Normal Tension Glaucoma in Hindi
इसके अतिरिक्त सामान्य तनाव के कारण भी ग्लूकोमा होने का खतरा हो सकता है क्योंकि अधिक तनाव की अवस्था में आँखों पर अधिक प्रभाव पड़ता है । जिससे हमारी आँखों की आप्टिकल नर्व कमजोर हो जाते है ।
ग्लूकोमा आमतोर पर किसी भी उम्र में हो सकता है बच्चो में ग्लूकोमा अधिकतर आनुवंशिकता के करण होता है। या कुछ बच्चो में ग्लूकोमा जन्मजात भी देखा जाता है ।
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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के लक्ष्ण – Symptoms Of Glaucoma In Hindi
ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार प्राथमिक ओपन-एंगल ग्लूकोमा है। काला मोतियाबिंद होने पर धीरे-धीरे दृष्टि हानि को छोड़कर इसमें कोई विशेष संकेत या लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। इसी कारण से, यह महत्वपूर्ण है कि आप सालाना आँखों की जांच करायें ताकि आपके नेत्र रोग विशेषज्ञ, या आंख विशेषज्ञ, आपकी दृष्टि में किसी भी बदलाव की निगरानी कर सकें।
ग्लूकोमा के लक्ष्ण में शामिल है
- आँखों मे रौशनी का कम होना।
- आँखों में दर्द होना और उनका लाल बने रहना ।
- सर में दर्द बने रहना साथ ही आँखों में भी सूजन बने रहना ।
- जी मचलना या बिना किसी कारण के उल्टी होना ।
- आँखों में धुधलापन छाना व रौशनी के चारो और रंग बिरंगे छल्ले दिखाई देना ।
- आँखों में सूखापन महसूस होना।
- अचानक से कम दिखाई देने लगना।
- ग्लूकोमा बी.पी तथा शुगर और हार्ट की बीमारी की अवस्था में अधिक देखा जाता है।
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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के कारण – Cause Of Glaucoma In Hindi
- ग्लूकोमा आमतोर पर आँखों में आप्टिकल नर्व पर दबाव बढ़ने के कारण होता है ।
- ग्लूकोमा मुख्यता आँखों में घाव या किसी तरह की सर्जरी के कारण होता है, ट्यूमर के करण भी आँखों में ग्लूकोमा की अवस्था आ जाती है।
- आपकी आंखों में अवरुद्ध या प्रतिबंधित जल (द्रव्य) निकासी।
- आपके ऑप्टिक तंत्रिका में खराब या कम रक्त प्रवाह।
- उच्चरक्त चाप वाले व्यक्ति तथा शुगर की अवस्था में ग्लूकोमा की गंभीर अवस्था को देखा जाता है।
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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का खतरा किसे अधिक होता है – Who Is at Risk of Glaucoma in Hindi
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ग्लूकोमा दुनिया भर में अंधापन का दूसरा प्रमुख कारण है।
ग्लूकोमा के जोखिम कारकों में शामिल हैं:
आयु (Age) 60 साल से अधिक में लोगों को ग्लूकोमा का खतरा बढ़ रहा है और ग्लूकोमा का खतरा हर साल उम्र के साथ थोड़ा बढ़ता है। कुछ खास परिस्थितियों में काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की वृद्धि 40 वर्ष की उम्र में शुरू होती है।
आंख की समस्याएं (Eye Problems) पुरानी आंख की सूजन और पतली कॉर्निया आपकी आंखों में दबाव बढ़ा सकती है। आपकी आंखों में शारीरिक चोट या आघात, जैसे किसी के द्वारा आपकी आंखों में मारा जा रहा है, आपके आंखों के दबाव में भी वृद्धि कर सकता है।
परिवार के इतिहास (Family History) कुछ प्रकार के ग्लूकोमा परिवारों में चल सकते हैं। अगर आपके माता-पिता या दादाजी के पास खुले कोण ग्लूकोमा (open-angle glaucoma) था, तो आप इस स्थिति को विकसित करने के जोखिम में हैं।
चिकित्सा का इतिहास (Medical History) मधुमेह वाले लोगों और उच्च रक्तचाप और हृदय रोग वाले लोगों में ग्लूकोमा विकसित करने का जोखिम बढ़ गया है।
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ग्लूकोमा किस उम्र में हो सकता है – At what age can glaucoma be in Hindi
आधिकाश ग्लूकोमा 60 की उम्र में अधिक देखा जाता है। क्योंकी उम्र के साथ आँखों की रोशन पर प्रभाव पड़ने लगत है। बच्चो में ग्लूकोमा सामान्य आनुवांशिक या जन्मजात ही पाया जाता है ।
आइये जानते है ग्लूकोमा से बचाव के लिए किस उम्र में आँखों का परीक्षण किया जाना चाहिए:
- 35 वर्ष की उम्र के बाद हर साल या दो परीक्षण किया जाना चाहिए
- 40 साल से पहले, हर दो साल में एक बार तक।
- 40 साल से 54 वर्ष की उम्र तक, हर एक से तीन साल तक।
- 55 से 64 वर्ष की उम्र तक, हर एक से दो साल।
- 65 साल की उम्र के बाद, हर छह से 12 महीने।
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काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की जांच – Test Of Glaucoma In Hindi
टेस्ट तोनोमेट्री – Tonometry Test In Hindi
इस परिक्षण के आँखों पर पड़ने वाले आतिरिक्त दवाब को मापा जाता है। परिक्षण के द्वारा आँखों पर जो अधिक प्रभाव पड़ता है उससे ग्लूकोमा की स्थति का पता लगाया जाता है ।
पैचिमेट्री टेस्ट -Pachymetry Test In Hindi
यह परिक्षण आँखों के कोर्निया की स्थिति के बारे मे जानने के लिए ये टेस्ट किया जाता है। कुछ लोगो में आँखों के कोर्निया पतले होते है जिसके कारण ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
पेरीमेट्री टेस्ट -Perimetry Test In Hindi
यह परिक्षण आँखों की रोशनी देखने की क्षमता के लिए किया जाता है यह परिक्षण बताता है की हमारे देखने की क्षमता, आपकी केंद्रीय दृष्टि को कितना प्रभाव डालती है। जिसके कारण ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है।
आप्टिकल नर्व तंत्र की स्थिति – Monitoring Your Optic Nerve in Hindi
इस परिक्षण में आप्टिकल नर्व की स्थिति के बारे में जाना जाता है ।आप्टिकल नर्व की तस्बीरे ले कर उनकी स्थिति की तुलना की जाती है और आप्टिकल नर्व कि अवस्था की जानकारी ली जाती है ।
आर.एन.एफ.एल. जांच एक अत्यंत सहज, आरामदायक व जल्द हो जाने वाली जांच है। जो लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं, उन्हें प्रतिवर्ष इस जांच को कराना चाहिए।
(और पढ़ें – मोतियाबिंद के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव)
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) का इलाज – Glaucoma Treatment In Hindi
आंख में कम दबाव के लिए आपका डॉक्टर आंखों की ड्राप, लेजर सर्जरी, या माइक्रोसर्जरी का उपयोग कर सकता है।
ग्लकोमा के शुरुआती लक्षण को पहचाना नहीं जा सकता है, परन्तु कुछ शुरुआती लक्षण जैसे आँखों की रौशनी का कम होना, आँखों के चश्मे का नंबर बदलना, आंखों से बार –बार पानी आना, आदि।
आँखों की नियमित जाच करा कर ग्लूकोमा की अवस्था का पता लगाया जा सकता है ।
(और पढ़ें – आंखों की थकान दूर करने के घरेलू उपाय )
ग्लूकोमा के उपचार में की जाने वाली सर्जरी – Surgery Or Laser Therapy Treat Glaucoma In Hindi
लेजर थेरेपी Laser therapy in Hindi : ग्लूकोमा की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर लेजर थेरेपी द्वारा उपचार की सलाह देते है। लेजर थेरेपी सब से सरल और कम समय में किये जाने वाला उपचार है लेजर थेरेपी में आखों को सुन्न किया जाता है, लेजर के माध्यम से आँखों के ऑप्टिकल नर्व को पुनः अपनी अवस्था में लाया जाता है ।
आर्गन लेजर त्रबेकुलोप्लास्टी – Argon Laser Trabeculoplasty (ALT) In Hindi
एक लेजर बीम का उपयोग छिद्रित जल निकासी नालियों को खोलने के लिए किया जाता है यह आँखों के अतिरिक्त पानी को बहार निकालने का कार्य करती है और साथ ही आँखों की ओ.पी.(OP) कम करती है । ये थेरेपी ७५%ग्लूकोमा के इलाज में कारगर है, इस लेजर ट्रीटमेंट को 2 से 3 बार लेना होता है।
सेलेक्टिव लेजर त्रबेकुलोप्लास्टी – Selective Laser Trabeculoplasty (SLT)in Hindi
लेजर ट्रीटमेंट लो एनर्जी पर कम करती है ,यहाँ भी त्र्बेक्युलर पर वर्क करती है कम एनर्जी के कारण ये थेरेपी कम उपयोग में आती है। ये एंट्रओक्युलर दवाब को कम करती है,तथा बायोकेमिकल परिवर्तन करती है जिससे आँखों में बनने वाला अतिरिक्त द्रव बहार निकल जाता है ।
लेज़र पेरिफेरल इरिडोटोमी – Laser Peripheral Iridotomy (LPI)in Hindi
यह लेजर आँखों के आइरिस को खोलने का कम करती है जिसे आँखों के पीछे का हिस्सा पुनः कार्य करने लगता है।
सर्जरी होने के बाद आँखों का नियमित देखभाल, आँखों को धुल मिट्टी से बचाना, आँखों को मसलना व रगड़ना नहीं चाहिए।
संतुलित आहार से ग्लूकोमा की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। एंटीऑक्सीडेंट व विटामिन को आपने आहार में शामिल करे जैसे हरी सब्जिया, फल, दाले ,डेरी उत्पाद ,अंडे ,सोया आदि।
(और पढ़ें – आंखों में सूखापन के कारण लक्षण और घरेलू उपाय)
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) से बचाव – Prevention Of Glaucoma In Hindi
ग्लूकोमा को रोका तो नहीं जा सकता है, पर ग्लूकोमा के लक्षण जानकर सही समय पर उपचार किया जा सकता है। साथ ही हम आपनी आँखों की नियमित देख भाल व आँखों के नियमित जाच करा कर ग्लूकोमा से बच सकते हैं। डॉक्टर द्वारा दिए गए ट्रीटमेंट को समय के साथ पूरा करना, आँखों में किसकी तरह का घाव होने पर या सर्जरी की आवस्था में आखो की सफाई कर संक्रमण को फेलने से रोकें, साथ ही हमे अपनी आँखों के लिए कुछ नियमित व्यायाम भी करने चाहिए जिससे हम आपने आँखों की रौशनी को बढ़ा सके।
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क्या ग्लूकोमा से व्यक्ति अंधा हो सकता है – Will a Person with Glaucoma Go Blind in Hindi
यदि आपकी बढ़ी हुई आईओपी को रोका जा सकता है और दबाव सामान्य हो जाता है, तो दृष्टि हानि धीमी या बंद भी हो सकती है। हालांकि, क्योंकि ग्लूकोमा के लिए कोई खास वाचाव के उपाय नहीं है, इसलिए आपको अपने आईओपी को नियंत्रित करने के लिए अपने पूरे जीवन के लिए इलाज की आवश्यकता होगी। दुर्भाग्य से, ग्लूकोमा के परिणामस्वरूप हुई दृष्टि हानि को फिर से बहाल नहीं किया जा सकता है।
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ग्लूकोमा की अवस्था में क्या खाना है – What Food We Do In Glaucoma In Hindi
काला मोतियाबिंद की आवस्था में खाने में परहेज कर ग्लूकोमा से कुछ हद तक निजाद पायी जा सकती है। ग्लूकोमा की आवस्थ में हमारे बॉडी में विटामिन की आवश्यकता बढ़ जाती है, इस अवस्था में हमे विटामिन ए, सी, बी तथा विटामिन ई का सेवन करना फायदे मंद होता है। हरी सब्जी, खट्टे फल ,डेरी उत्पाद, अंडे आदि का सेवन करना ग्लूकोमा की अवस्था में सुधार लता है।
काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) में परहेज – What Food We Don’t Eat In Glaucoma In Hindi
ग्लूकोमा की अवस्था में परहेज कर हम ग्लूकोमा को बढ़ने से कुछ हद तक रोक सकते है।
अधिक मसाले, तेलयुक्त आहार का सेवन न करे, शराब, तम्बाकू व नशीले पदार्थो के सेवनसे बचे, आहार में अधिक मात्र में मास के सेवन से बचे, बाहर के खाने से परहेज करे।
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