Gudmar Benefits in Hindi जिमनामा सिल्वेस्टर (Gymnema Sylvestre) जिसे हम और आप गुड़मार के नाम से जानते हैं। गुड़मार के फायदे बहुत अधिक होते हैं क्योंकि यह एक आयुर्वेदिक औषधीय पेड़ है। जिसका उपयोग सदियों से मधुमेह (diabetes) के उपचार के लिए आयुर्वेद में बड़ी मात्रा में किया जाता है। यह जड़ी बूटी उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाई जाती है। गुड़मार का उपयोग मूत्र संबंधी परेशानियों (urinary tract ), मोटापा, चयापचय, खांसी, सांस लेने की समस्या, आंखों की समस्या, अल्सर, पेट दर्द जैसी कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।
औषधीय उद्देश्य के लिए गुड़मार पेड़ की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। इसकी ताजा पत्तियों (Fresh leaves) को चबाने से कुछ समय के लिए आस्थाई रूप से आपको मीठे स्वाद का अनुभव नहीं होता है। यह प्रभाव पत्तियों में मौजूद सक्रिय तत्वों के सीधे संपर्क के कारण होता है। इस जड़ी बूटी को मधुनाशिनी या गुरमार या गुद्रा के रूप में जाना जाता है, इन सभी शब्दों का शाब्दिक अर्थ यह है कि यह चीनी को नष्ट कर देता है। शुगर के अतिरिक्त इस जड़ी बूटी का उपयोग अन्य बीमारियों के उपचार में भी किया जाता है।
विषय सूची
1. गुड़मार का पौधा – Gudmar Plant description in Hindi
2. गुड़मार के फायदे – Gudmar ke fayde in Hindi
3. गुड़मार के नुकसान – Gudmar ke Nuksan in Hindi
ये आयुर्वेदिक औषधीय पेड़ आकार में बहुत बड़े होते हैं और इनकी शाखाएं पतली और रूयेदार होती हैं। इसके पत्ते छोटे समतल होते हैं और इसके डंठल 0.6 से 1.2 सेमी. होते हैं। इनके पत्तों का आकार अंडाकार होता हैं। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसके बीज पीले और भूरे रंग के होते हैं।
जिमनामा सिल्वेस्टर (गुड़मार) के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। गुड़मार का उपयोग कई वर्षों से भारत में औषधी के रूप में किया जा रहा है। विशेष रूप से यह मीठे स्वाद को दबाने के लिए जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि गुड़मार में एंटी- एलर्जिक (Anti-allergic), एंटीवायलर और लिपिड को कम करने के गुण होते है। गुड़मार मधुमेह से पीड़ित लोगों को भी लाभ दिलाने में मदद करता है। इस लेख मे आप जानेगें गुड़मार किस प्रकार हमारे लिए फायदेमंद होता है।
इस आयुर्वेदिक पौधे में कुछ ऐसी एंटी-एथेरोस्क्लेरोटिक (anti-atherosclerotic) क्रियाएं होती हैं। जो हमें कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ दिलाने में मदद करती हैं। गुड़मार में हाइपोग्लइसेमिक क्रिया होती है जिसका मतलब यह है कि यह मानव शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। जिन लोगों को मधुमेह की समस्या होती है उन लोगों के लिए गुड़मार बहुत ही उपयोगी होता है। गुड़मार आपके रक्त प्रवाह में लिपिड (lipids) की मात्रा को भी कम करने में मदद करता है।
गुड़मार टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए भी बहुत ही उपयोगी होता है। आमतौर पर मधुमेह मेलिटस टाइप 2 इंसुलिन की कमी के कारण उच्च रक्त ग्लूकोज द्वारा वर्णित एक चयापचय (Metabolism) विकार है और अक्सर जीवन शैली और अनुवांशिक संयोजन के कारण होता है। गुड़मार की पत्तियों में ऐसे गुण होते हैं जो चीनी की मात्रा को कम करने मे मदद करते हैं और टाइप 2 मधुमेह रोगियों में हाइपरग्लिसिमिया को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं। इसलिए आप मधुमेह टाइप 2 रोग को कम के लिए गुड़मार का उपयोग कर सकते हैं जो आपके रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
नोट – इस प्रकार की किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का सेवन करने से पहले अपनी शुगर की जाँच अवश्य करें और डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही इसका सेवन करें।
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गुरमार गठिया जैसी समस्याओं के लिए एक पारंपरिक (Traditional) उपचार है। गठिया रोग के प्रारंभिक स्तर में यदि गुड़मार का उपयोग किया जाता है तो यह गठिया रोग को विकसित होने से पहले ही रोक देता है। इसमें एंटी-इंफ्लामैट्री (anti-inflammatory) गुण होते हैं जो गठिया के उपचार में मदद करता है। यह पानी के प्रतिधारण में भी मदद कर सकता है क्योंकि यह एक अच्छा मूत्रवर्धक (diuretic) होता है।
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गुरमार आपकी बढ़ती उम्र को रोकने (anti-aging) में बेहद मदद करता है। यह ऑस्मोटिक लेंस को क्षति से बचाने में भी मदद करता है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। इसके अतिरिक्त गुड़मार कोलाइटिस के प्रभावों में सुधार करने में मदद करते हैं। जब गुड़मार का एंटीऑक्सीडेंट के रूप सेवन किया जाता है तो यह मधुमेह मेलिटस (diabetes mellitus) के निदान के कारण रक्त ग्लूकोज और लिपिड पेरोक्साइडेशन स्तर को कम कर सकता है जो आमतौर पर वृद्धावस्था का कारण होता है
एंटीबैक्टीरियल (Antibacterial) गुणों की अच्छी मात्रा गुड़मार की पत्तियों में पाई जाती है जिनका उपयोग त्वचा विकारों और संक्रमणों के इलाज में किया जाता है। यह त्वचा में ल्यूकोडरर्मा (leucoderma) के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में जाना जाता है। गुड़मार पौधे का उपयोग अक्सर त्वचा सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है।
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यकृत पेट के दाहिने ओर होता है जो एक बड़ा मांसल अंग (meaty organ) है। यह लगभग 3 पाउंड वजन का होता है और यह लाल या भूरे रंग का होता है जिसे स्पर्श करने पर यह रबर की तरह महसूस हो सकता है। लेकिंन आप इसे छू नहीं सकते क्योंकि यह आपके शरीर के अंदर पसलियों के बीच होता है।
गुड़मार के पूरक पदार्थों में हेपेट्रोप्रोटेक्टीव (hepatoprotective) गुण होते हैं जो आपके यकृत के लिए टॉनिक का काम करते हैं। शायद आपको पता हो कि भारतीय सिरुमालाई पहाड़ियों में रहने वाली जनजातियां गुड़मार के हेपेट्रोप्रोटेक्टीव गुणों के कारण इसका उपयोग पीलिया (जॉडिंस) के उपचार में किया करती हैं।
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मल त्याग करना पाचन तंत्र का आखिरी पड़ाव होता है, जो मानव के गुदा अंग के माध्यम से बाहर निकलता है। आपका पाचन तंत्र ( छोटी आंत, पेट और कोलन से बना होता है ) आपके द्वारा जो भी खाया जाता है या पिया जाता है उससे पोषक तत्वों (Nutrients) और तरल पदार्थों को आंत से अवशोषित किया जाता है और बचे हुए अपशिष्ट पदार्थों को गुदा आंगों की सहायता से बाहर निकालते हैं। गुड़मार के जिमनेमिक एसिड (Gymnemic acid) होता है जो मल त्याग करने में होने वाली परेशानियों को कम करने में मदद करते हैं जो कब्ज और अपच का कारण बनते हैं।
एक स्वस्थ्य और पौष्टिक आहार में गुड़मार को शामिल कर आप शरीर के लिए आवश्यकम पोषक तत्वों को प्राप्त कर सकते हैं।
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उच्च रक्तचाप या जिसे आप हाइपरटेंशन (Hypertension) के नाम से जानते हैं, भारत में लगभग 20 प्रतिशत से अधिक वयस्क लोग इससे ग्रसित हैं। हाई ब्लडप्रेशर ऐसी स्थिति है जिसके कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा (heart attack), कोरोनरी हृदय रोग, दिल की विफलता, गुर्दे की विफलता और अन्य गंभीर बीमारीयां हो सकती हैं। उच्च रक्तचाप के सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, मतली, उल्टी, द्रष्टि परिवर्तन और नाक से खून आना शामिल हैं। (और पढ़े – हाइ ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करगे ये आयुर्वेदिक हर्ब्स…)
ऐसी परिस्थितियों में रक्तचाप पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह बहुत से लोगों को प्रभावित करता है। गुड़मार में जिमनामिक एसिड मानव शरीर में उपस्थित एक प्रोटीन एंजियोटेंसिन ll (angiotensin II) जो रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है, उसकी गतिविधियों को रोकने में मदद करता है और उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
यदि आप उच्च रक्तचाप (high blood pressure) से पीड़ित हैं तो गुड़मार का सेवन करें यह आपके रक्तचाप को नियंत्रित करने में आपकी सहायता करेगा।
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गुड़मार के पेड़ भारतीय उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाते हैं, जिनकी पत्तियों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है। इनमें एंटी-इंफ्लामैट्री (Anti-Inflammatory) गुण होते हैं जो शरीर को हानिकारक कणों से बचाने का काम करते हैं और हमारे शरीर को सुरक्षा दिलाने में मदद करते हैं। इसका उपयोग अस्थमा, आंखों की परेशानियों, आस्टियोपोरोसिस, हाइपरकोलेस्टेरोलिया (hypercholesterolemia), कार्डियोपैथी (हृदय के रोग), कब्ज, माइक्रोबियल संक्रमण अपचन आदि के इलाज में किया जाता है।
2012 मे किये गए अध्ययनों से पता चलता है कि गुड़मार का उपयोग कर बढ़े हुए वजन को कम किया जा सकता है। 8 सप्ताह के दौरान शोधकर्ताओं ने मोटापे के लिए चूहों पर अध्ययन किया। जिसमें पाया गया कि गुड़मार के पूरक पदार्थों (Supplemental) का सेवन करने से चूहों के वजन में कमी हुई। अध्ययन के परिणाम उल्लेखनी थे क्योंकि जिमनेमा ने शरीर के वजन, खाद्य खपत, ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides), कुल कोलेस्ट्रोल, एलडीए कोलेस्ट्रोल, वीएलडीएल कोलेस्ट्रोल और रक्त शर्करा में काफी कमी की। गुडमार का सेवन करने से एचडीएल कोलेस्ट्रोल (HDL cholesterol) के स्तर को भी बढ़ाया जा सकता है।
यदि आपको लगता है कि आपका वजन (weight) बढ़ रहा है तो आप इसे नियंत्रित करने के गुड़मार का उपयोग कर सकते हैं।
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मधुमेह प्रकार 1 की बीमारी में कोशिका अग्नाशय में इंसुलिन उत्पन्न नहीं करती हैं इस प्रकार रक्त और मूत्र में ग्लूकोज स्तर में वृद्धि हो जाती है क्योंकि चीनी को शरीर के द्वारा अवशोषित नहीं किया जा सकता है। यह वसा और प्रोटीन के चयापचय (metabolism) को भी प्रभावित करता है और अन्य संवहनी रोग का खतरा बढ़ा देता है।
गुड़मार में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो आमतौर पर लैंगरहैंस (Langerhans) के आइलेट्स को उत्तेजित करते हैं। यह इंसुलिन को छिद्रित कोशिकाओं की झिल्ली पारगम्यता को भी बढ़ाता है। गुडमार की पत्तियों का सेवन करने से इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेलिटस के रोगीयों का इलाज होता है। और टाइप 1 के उपचार में इसका संभावित उपयोग इसे रोकने और इलाज करने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटीयों (Herbs) द्वारा तैयार की जाने वाली हर्बल चाय की तरह गुड़मार के पत्तों की चाय का भी उपयोग किया जा सकता है। यह स्पष्ट है कि गुड़मार की चाय का सेवन कर आप चीनी के स्वाद को दबा सकते हैं।
एक कप चाय बनाने के लिए चाय के बर्तन में गुड़मार की पत्तियों को ड़ालें और इसमें गर्म पानी मिलाएं। आप इसमें अन्य चाय जैसे कि हर्बल टी या ग्रीन टी आदि को भी मिला सकते हैं जो आपके वजन को कम करने में मदद करती हैं। भोजन करने से पहले इस चाय का एक कप सेवन किया जाना अच्छा होता है। खास तौर पर जब आप कुछ मीठा खाते हैं ऐसे समय में इस चाय का सेवन जरूर करना चाहिए।
आप चाहें तो गुड़मार की चाय को दिन में 3 बार तक ले सकते हैं। लेकिन इससे अधिक मात्रा में सेवन करने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।
कोलेस्ट्रोल एक मोम पदार्थ (waxy substance) है जो शरीर में यकृत द्वारा बनाया जाता है लेकिन यह कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। यह हर कोशिकाओं के लिए महात्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसमें उपस्थित विटामिन डी, कुछ हार्मोन और पाचन के लिए पित्त बनाने में भी मदद करता है। हालांकि रक्त में बहुत अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल का होना दिल और परिसंचरण (Circulation) रोगों के खतरे को बढ़ा सकता है।
गुड़मार में कुछ एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) गुण होते हैं जो हानिकारक कोलेस्ट्रोल और आंत में ट्राइग्लिसराइड्स के अवशोषण से बचाते हैं और कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करते हैं। गुड़मार की एंथैथोस्क्लेरोटिक क्षमता हृदय धमनियों में कोलेस्ट्रोल के द्वारा अवरोध को कम करने के लिए प्रयोग की जाती है।
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सुरक्षित मात्रा में गुड़मार का सेवन करने पर यह वयस्कों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। लेकिन यदि जरूरत से ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं।
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