Indian Bdellium Benefits in Hindi गुग्गुल एक प्रकार की गोंद होती है जिसे कमिफोरा मुकुल (commiphora mukul) पेड़ से प्राप्त किया जाता है। गुग्गुल के फायदे बहुत अधिक होने के कारण इसका आयुर्वेद चिकित्सा में बहुत ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसे हिंदी में गुग्गुल, संस्कृत में गुगुलु (Guggulu) और अंग्रेजी में भारतीय बेदेलियम वृक्ष (Indian Bdellium Tree) के नाम से जाना जाता है। गुगुल भारत की पारंपरिक हर्बल दवाओं में प्रमुख भूमिका निभाता है, इसे अक्सर अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिला कर उपयोग किया जाता है इसका उपयोग गठिया (Arthritis), त्वचा रोग, तंत्रिका तंत्र की बीमारियों, मोटापा, पाचन समस्याओं, मुंह के संक्रमण, मासिक धर्म, मलेरिया, कामेच्छा बढ़ाने, हृदय रोग, फ्रैक्चर, नपुंसकता और मुंहासे आदि विभिन्न समस्याओं के उपचार में उपयोग किया जाता है।
विषय सूची
1. गुग्गुल का पेड़ – Guggul Tree in Hindi
2. गुग्गुल कैसे तैयार किया जाता है – How is Guggul made in Hindi
3. गुग्गुल में पाए जाने वाले पोषक तत्व – Nutrients Value for Guggul in Hindi
4. गुग्गुल के फायदे – Guggul ke fayde in Hindi
5. गुग्गुल से होने वाले नुकसान – Guggul ke Nuksan in Hindi
यह कांटेदार शाखाओं (spiny branches) वाला एक छोटा झाड़ीनुमा पेड़ होता है जो पूरे उत्तर भारत में पाया जाता है। इसकी छाल भुरभुरी और परतदार होती है। इस पौधे की छाल से ठंडी के मौसम में गुगुल गोंद (guggul gum) प्राप्त की जाती है। इस पौधे से प्राप्त होने वाली गोंद या राल का रंग पीला या भूरा होता है जिसमें विशेष सुगंध के साथ कड़वा स्वाद होता है। इसकी पत्तियां सामान्य, चिकनी और चमकदार होती हैं। इसके फूल उभलिंगी या द्वलिंगी (unisexual or bisexual) होते हैं जो कि समूह के रूप में पाए जाते हैं। गुग्गुल के फायदे इसलिए भी बहुत अधिक है क्योंकि इस पौधे के संपूर्ण भाग जैसे कि पत्तियां, तना (stem and leaves) और इससे प्राप्त होने वाली गोंद का उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
औषधीय प्रयोजनों (medicinal purposes) के लिए उपयोग करने वाला एक विशेष उत्पाद के रूप में गुग्गुल का उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न रोगों को दूर करने का सबसे अच्छा आयुर्वेदिक तरीका है। यह एक प्रकार की गोंद होती है जिसे विशेष रूप से सर्दियों (winter) के मौसम में निकाला जाता है। इस गोंद को पारंपरिक रूप से उपयोग करने से पहले शुद्ध किया जाता है। इसके लिए गोंद को मोटे-मोटे कपड़े के थैलों (bag of thick) में रखकर इसे शुद्ध पानी में उबाला जाता है जब तक की यह काढ़े के रूप में नरम न हो जाए। इसके बाद इसे लकड़ी के बोर्ड जिस पर घी की परत हो विशेष रूप से मक्खन लगा हो (clarified butter) उस पर खुली हवा में सुखाया जाता है और फिर इसे घी में फ्राई कर पाउडर बना लिया जाता है जिसे विभिन्न औषधियों में उपयोग किया जाता है।
यह कुछ संयोजन पोषण संबंधी उत्पादों का एक घटक है जिसे कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड्स के समान चयापचय को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है। इनके अन्य घटको में इनोसिटोल हैक्साइनासिनेट (inositol hexaniacinate), क्रोमियम, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार गुग्गुल को त्रिदोशिक माना जाता है क्योंकि यह शरीर में सभी तीनों दोषों को संतुलित करता है। वास्तव में शरीर के तीन दोष कफ या ऐनाबोलिक, पित्त या संश्लेषक और वायु या तंत्रिका तंत्र हैं। गुग्गल इन तीनों दोषों को संतुलित कर हमारे शरीर को स्वस्थ्य बनाने में मदद करता है। इन में से कोई भी दोष जब अधिक मात्रा में बढ़ जाता है तो यह बीमारी का रूप ले लेता है। गुग्गल पित्त को उत्तेजित करता है और इस प्रकार गर्मी, पाचन को मजबूत करना और प्रजनन प्रकियाओं को बढ़ाता है। गुग्गुल तंत्रिका बल (nerve force) और कफ को भी नियंत्रित करता है।
उच्च कोलेस्ट्रॉल के लिए गुगुलिपिड सप्लीमेंट्स (Guggulipid supplements) का उपयोग किया जाता है। शुरुआती अध्ययनों ने सुझाव दिया कि कुल कोलेस्ट्रॉल में से ट्राइग्लिसराइड्स और एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रोल) के स्तर को कम करने और एचडीएल (अच्छे कोलेस्ट्रोल ) (HDL cholesterol) के स्तर को बढ़ाने में गुगुलिपिड प्रभावी होता है। फिर भी इसमें कुछ विवादित परिणाम दिखाई देते हैं।
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शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि गुग्गुल गठिया के लक्षणों को कम करने में हमारी मदद कर सकता है। गुग्गुल में अन्य औषधीय जड़ी बूटीयों को मिला कर गठिया का उपचार किया जाता है। इसमें अन्य सामग्री जैसे कि थिरिकादुगम, त्रिफला पाउडर, अमलाकी, जीरा आदि को मिला कर उपयोग किया जाता है। यह मुख्य रूप से गठिया के दर्द, और सूजन (inflammation) का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह जोड़ों को मजबूत करने में मदद करता है और उन लोगों की भी मदद करता है जिनके जोड़ सख्त (stiff joints) होते हैं। लेंकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है इसलिए इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।
मूत्र पथ की सभी समस्याओं का इलाज करने के लिए गुग्गल बहुत उपयोगी होता है। विशेष रूप से डिसीरिया (dysurea) जिसके कारण मूत्र त्यागते समय कठिनाई होती है। इसे नगर्मोथा, थिरिकादूगम और त्रिफला सामग्री के साथ मिलाया जाता है। यह मिश्रण गुर्दे को मजबूत करता है और मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस मिश्रण का सेवन करने से किसी भी प्रकार के नुकसान नहीं होते हैं। लेकिंन फिर भी इसे चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही लिया जाना चाहिए।
पुराने समय से गुग्गुुल का उपयोग वजन कम करने वाले घटक (anti-obesity agent) के रूप में किया जा रहा है। यह शरीर से वसा के स्तर को कम करने में मदद करता है। गुग्गल वजन कम करने वाला पूरक है जो बिना किसी नुकसान के हमारे वजन को कम करने में मदद करता है। हमारी कमर, जांघों और पेट के आसपास जमा वसा को हटाने के लिए गुग्गुल का सेवन उपयोगी होता है। गुग्गल स्वाभाविक रूप से वजन को कम करने के लिए उपयोगी होता है। गुग्गुल अकेले ही शरीर से हानिकारक पदार्थों को नहीं हटा सकता है इसमें विभिन्न आयुर्वेदिक पूरकों (herbal supplements) का उपयोग किया जाता है जो हमें त्वरित लाभ प्रदान करने में मदद करते हैं।
यदि आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आप गुग्गुल का उपयोग कर सकते हैं या फिर बाजार में गुग्गुल कैप्सूल उपलब्ध हैं उनका भी उपयोग किया जा सकता है।
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प्लेटलेट के चिपचिपापन (Platelet stickiness) को गुग्गुल के उपयोग से कम किया जाता है, जो कोरोनरी धमनी रोग के खतरे को बढ़ाता है। गुग्गुल फाइब्रिनोलिसिस (fibrinolysis) रक्त के थक्के को जमने से रोकने का काम करता है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी कार्य करता है। गुग्गुल का सेवन करने से स्ट्रोक और एंबोलिज्म (embolisms) जैसी समस्याओं की भी रोकथाम की जाती है।
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अध्ययनों के अनुसार गुग्गुल का उपयोग कर मुंहासों का उपचार किया जा सकता है। अध्ययन बताते हैं कि मुंहासों पर गुग्गुल के प्रभाव एंटीबायोटिक टेट्रासाइक्लिन के समान होते हैं। यह सूजन को कम करता है और मुंहासों को पुन: आने से रोकने का काम भी करता है। ऐसा माना जाता है कि गुग्गुल में बंधन कारी (astringent), एंटीसेप्टिक और एंटीसूपपुएटिव ( मवाद को बनने से रोकना ) आदि गुण होते हैं। इन गुणों की उपस्थिति के कारण गुग्गुल मुंहासों के उपचार में आपकी मदद करता है।
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बुखार को कम करने के लिए गुग्गुल एंटीप्रेट्रिक (antipyretic) के रूप में भी कार्य करता है और शरीर की रोग के कारण त्वचा की क्षरण क्रिया (secretions) को भी कम करता है। इसमें एंटी-इंफ्लामैंट्री जड़ी बूटी जैसे टिनसपोरा (गुडुची), इचिनेशिया और गोल्डनसील आदि को पूरक (supplementary) के रूप में मिला कर उपयोग किया जाता है।
तंत्रिका से संबंधित समस्याओं का उपचार करने के लिए गुग्गुल बहुत ही उपयोगी होता है। यह गठिया के दर्द के इलाज और बवासीर के लिए भी उपयोगी होता है। इसका सेवन बच्चे बूढ़े महिलाएं सभी कर सकते हैं। लेकिन इसका सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना फायदेमंद होता है।
जोड़ों के दर्द और फ्रैक्चर का उपचार करने के लिए गुग्गुल बहुत ही उपयोगी होता है। इनके उपचार के लिए गुग्गुल में अन्य आयुर्वेदिक उत्पादों को मिलाया जाता है जैसे कि अश्वगंधा । गुग्गुल और अश्वगंधा के मिश्रण का उपयोग करने से यह हड्डीयों के घनत्व को बढ़ाता है। ओस्टियोपोरोसिस से पीडित व्यक्तियों द्वारा इसका सेवन करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस दवा को चिकित्सक के मार्गदर्शन के अनुसार ही लेना चाहिए। अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपके पेट में जलन हो सकती है।
पोषक तत्वों और गुणों के अनुसार गुग्गुल के अन्य स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं :
निश्चित मात्रा में सेवन करने पर सभी प्रकार की दवाओं या जड़ी बूटीयों का अच्छा प्रभाव पड़ता है। लेकिन यदि अधिक मात्रा या अनियंत्रित मात्रा में इनका सेवन किया जाए तो यह नुकसान पहुंचा सकती है। गुग्गुल की चिकित्सकीय खुराक प्रतिदिन 75 से 150 मिली ग्राम तक है। यह मात्रा गुग्गुल की शुद्धता पर निर्भर करती है। आम आदमी द्वारा शुद्ध गुग्गुल प्रतिदिन 25 मिली ग्राम तीन बार तक सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन अधिकतम 6 माह तक किया जाता है।
सामान्य खुराक के साथ गुग्गुल का सेवन करने पर यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है। फिर भी इसके कुछ नुकसान हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं :
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