Gular Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi गूलर के पेड़ से शायद आप सभी परिचित हों, हो सकता है आप इसे इस नाम से न जानकर अपनी क्षेत्रीय भाषा में कुछ और नाम से जानते हों। आप गूलर के फायदे और गूलर के नुकसान के बारे में भी कुछ न कुछ तो जानते ही होगें। लेकिन आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से गूलर के फायदे, स्वास्थ्य लाभ, औषधीय गुण और नुकसान पर विस्तृत जानकारी लेकर आए हैं। गूलर का वैज्ञानिक नाम फाइकस रेसमोसा (Ficus Racemosa) है। यह एक विचित्र और विशाल पेड़ होता है। भारत में इस पेड़ को पूज्यनीय माना जाता है। यह एक औषधीय पेड़ है, गूलर के वृक्ष के सभी भाग जैसे पत्ते, फल, छाल, जड़ और लकड़ी सभी का कुछ न कुछ औषधीय प्रयोजन के लिए उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं गूलर के पेड़ के बारे में।
विषय सूची
1. गूलर का पेड़ कैसा होता है – Gular Ke Ped In Hindi
2. गूलर के पोषक त्तव – Gular Ke Poshak Tatva In Hindi
3. गूलर के फायदे – Gular Ke Fayde In Hindi
4. गूलर के नुकसान – Gular ke Nuksan in Hindi
इस औषधीय वृक्ष का चिकित्सकीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। गूलर के पेड़ को भारत के कुछ हिस्सों में ऊंमर के नाम से भी जाना जाता है। गूलर का वृक्ष पर्णपाती पेड़ है, जिनकी ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। इस पेड़ के पत्ते घने और छायादार होते हैं। इसके पत्ते अंडाकार या गोलाकार (Ovate Or Elliptical) होते हैं जिनकी लंबाई 3 से 7 सेमी. होती है। इस पौधे की विशेषता यह है कि इसके फूल फल के अंदर होते हैं। इसके फल खाने के लिए उपयोग किये जाते हैं। इसके फल पेड़ के तनों और टहनियों में लगते हैं।
इस पेड़ की पत्तियों को तोड़ने से गाढ़ा सफेद दूध निकलता है जो कि बहुत सी दवाओं को बनाने में उपयोग किया जाता है। इस पेड़ की छाल और जड़ों का रंग भूरा होता है, छाल की मोटाई लगभग 8-10 मिमी. होती है। आइए जानते हैं गूलर के फायदे प्राप्त करने के लिए इसके पोषक तत्वों के बारे में।
खाने योग्य गूलर के फलों में 100 ग्राम के अनुसार पोषक तत्व इस प्रकार हैं :
प्रोटीन 1.3 ग्राम, पानी 81.9 ग्राम, वसा 0.6 ग्राम, राख 0.6 ग्राम, नाइट्रोजन 0.21 ग्राम होते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट नहीं पाया जाता है। साथ ही इसमें विटामिन बी2, 30.77 %, आयरन 16.25 %, कॉपर 11.11 %, पोटेशियम 10.81 %, मैग्नीशियम 8.335 %, कैल्शियम 7.20 % और फॉस्फोरस 6.71 % होता है।
गूलर का पेड़, औषधीय गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। गूलर में फाइटोकेमिकल्स (Phytochemicals) होते हैं जो रोगों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। गूलर का उपयोग मांसपेशीय दर्द, मुंह के स्वस्थ्य में, फोड़े ठीक करने में , घाव भरने , बवासीर के इलाज आदि में किया जाता है। गूलर में एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट
, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-अल्सर, एंटी-डायरियल और एंटी-पायरेरिक गुण होते हैं। इसके फलों के रस का उपयोग कर हिचकी (Hiccup) का इलाज किया जाता है। आइए विस्तार से जाने गूलर के फायदे और नुकसान के बारे में।(और पढ़े – टॉरेट सिंड्रोम (हिचकी या अन्य) के कारण, लक्षण और इलाज…)
मस्तिष्क को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए पोटेशियम (Potassium) की आवश्यकता होती है। पोटेशियम की उच्च मात्रा शरीर में तंत्रिका गतिविधियों को बढ़ाने और संज्ञानात्मक कार्यों (Cognitive Functions) को बढ़ा कर मस्तिष्क में ऑक्सीजन परिवहन करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क में स्ट्रोक को रोकने सहायक होता है। पोटेशियम की उचित मात्रा हमारे शरीर में एक वासोडिलेटर (छोटी रक्त वाहिकाओं को बड़ा करने वाली औषधि) की तरह काम करती है, जो रक्तवाहिकाओं (Blood vessels) को आराम देता है साथ ही रक्त के स्वतंत्र प्रवाह को भी बढ़ावा देता है। इस तरह गूलर के वृक्ष के उत्पादों का उपयोग कर आप स्ट्रोक (Stroke) से बच सकते हैं।
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हमारे आस-पास गूलर के पेड़ आसानी से देखे जा सकते हैं। जो कि हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। गूलर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण अच्छी मात्रा में होते हैं। यदि औषधी के रूप में इस वृक्ष से निकाले गये रस (extract) का सेवन किया जाता है तो इसके गुण कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में हमारी मदद कर सकते हैं। आप जानते हैं कि इस वृक्ष के फलों का सेवन किया जा सकता है। आपको जब भी इसके फल खाने का मौका मिले इन्हें छोड़िये मत क्योंकि यह आपके लिए किसी औषधी से कम नहीं है।
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यदि आप गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcers) से पीड़ित हैं, तो गूलर के फलों और पत्तियों से निकाले गए रस (Extract) का सेवन करें। इस रस मे अल्सर को ठीक करने वाले गुण होते हैं। आप नियमित रूप से इसके रस का सेवन करने का प्रयास करें। बहुत से अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि एंटी अल्सर (Anti-Ulcer) गुणों के कारण गूलर अल्सर का प्रभावी रूप से उपचार करने में फायदेमंद होता है।
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यदि आपको किसी प्रकार का घाव है, और वह जल्दी ठीक नहीं हो रहा है तो आप गूलर के पेड़ की मदद ले सकते हैं। गूलर के फल, पत्ते, जड़, तना या छाल सभी में घावों (wound) को जल्दी ठीक करने की क्षमता होती है। यही कारण है कि इस पेड़ के किसी भी हिस्से का काढ़ा घावों के इलाज में प्रभावी काम करता है। इसके लिए आप इसकी पत्तियों या छाल का काढ़ा (Decoction) तैयार कर सकते हैं।
रक्त शर्करा हमारे शरीर के लिए आवश्यक होता है लेकिन इसकी अधिक मात्रा शरीर के लिए घातक हो सकती है। गूलर के पेड़ में रक्त शर्करा को कम करने वाले गुण होते हैं। इसके लिए आप गूलर के पेड़ की छाल का काढ़ा उपयोग कर सकते हैं। गूलर की छाल रक्त शर्करा को कम करने में फायदेमंद हो सकता है।
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हृदय की अनियमित धड़कनों को नियंत्रित करने के लिए मैग्नीशियम बहुत ही लाभकारी होता है। अनियमित धड़कन मांसपेशीय तनाव और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण हो सकती हैं। मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा गूलर के फलों में मौजूद रहती है। जो इन सभी लक्षणों को दूर करने साथ-साथ आपके पाचन (Digestion) को भी ठीक रखता है।
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मैग्नीशियम का उचित मात्रा में सेवन कर आप ऐंठन, उल्टी, पेट दर्द, पेट फूलना और कब्ज (Constipation) जैसी समस्याओं को रोक सकते हैं। यदि आपके शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आप अपने शरीर में मैग्नीशियम (Magnesium) की कमी को पूरा करने के लिए विकल्प के रूप गूलर का उपयोग कर सकते हैं।
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हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक (Immunity) क्षमता को बढ़ाने के लिए कॉपर आवश्यक होता है। कॉपर हमें संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है साथ ही यह घावों के उपचार में भी मदद करता है। गूलर के वृक्ष में कॉपर अच्छी मात्रा में होता है जो एनिमिया से बचने में हमारी मदद करता है। यह हमारे शरीर में एंजाइमेटिक (Enzymatic) प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है जो एंडोथेलियल (Endothelial) विकास या ऊतक उपचार प्रक्रिया में मदद करता है।
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पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होने के कारण गूलर के पेड़ के फायदे हमारे लिए बहुत अधिक होते हैं। यह हमें स्वास्थ्य लाभ दिलाने के साथ-साथ हमे अच्छी नींद लेने में भी मदद करता है। गूलर के पेड़ में आयरन भरपूर मात्रा में होता है जो अनिद्रा (Insomnia) का इलाज करने और सर्कडियन लय (Circadian Rhythms) को विनियमित करके नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। रक्तचाप में उतार-चढ़ाव, रात में जागने (awakening) का कारण हो सकता है। आयरन का उचित मात्रा में सेवन करने से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है जो कि रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित करने में मदद करता है।
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पीली पेशाब (Yellow Urination) के मामले में आप गूलर के सूखे हुए फलो के छिल्के लें और इन्हें पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर में बराबर मात्रा में चीनी कैंडी मिलाएं। गाए के दूध के साथ इस पाउडर को 6-6 ग्राम दिन में दो बार रोगी को दें। यह आपकी मूत्र से संबंधित समस्याओं (Urinary Disorders) को दूर करने में मदद कर सकता है।
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बवासीर रोग में राहत पाने के लिए गूलर के सूखे फलों को पीसकर, छानकर उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन खाने से खूनी बवासीर रोग से मुक्त हो जाते हैंl
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बुखार (Fever), हमारे शरीर के लिए पीड़ादायक स्थिति होती है, लेकिन गूलर की जड़ का उपयोग कर हम इससे छुटकारा पा सकते हैं। गूलर में ज्वरनाशक और एंटी-इन्फ्मेट्री (Anti-inflammatory) गुण होते हैं, जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए गूलर की ताजा जड़ लें और इसका रस निकालें। इस रस 10 ग्राम मात्रा को दिन में दो बार सुबह-शाम चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। साथ ही आप इसकी छाल का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए 10 से 20 ग्राम छाल लें और इसे 400 ग्राम पानी में भिगों दें और 4-6 घंटों के लिए छोड़ दें। सुबह और शाम इस जलसेक (infusion) की 50 मिली ग्राम मात्रा का सेवन करें।
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यह एक आयुर्वेदिक पेड़ है जो कि हमें बहुत से स्वास्थ्य लाभ दिलाने में मदद करता है। लेकिन यह कुछ विशेष लोगों के लिए नुकसानप्रद भी हो सकता है। साथ ही इसका सेवन औषधी के रूप में करना चाहिए मतलब अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से नुकसान भी हो सकते हैं।
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