कोई भी व्यक्ति अपने हाथों और पैरों में सुन्नता या संवेदना की कमी को महसूस कर सकता है। किसी अनुचित अवस्था में बैठने के कारण नसों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है, जिसके कारण रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हाथों और पैरों में सुन्नता या झनझनाहट उत्पन्न हो सकती है। हालांकि यह समस्या अस्थाई होती है। लेकिन लंबे समय तक चलने वाली और अस्पष्टीकृत सुन्नता की स्थिति कुछ अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है, जिसका निदान और इलाज किया जाना आवश्यक होता है। आज का यह लेख हाथ और पैरों के सुन्न होने से सम्बंधित है, इस लेख में आप हाथ और पैरों के सुन्न होने के कारण और घरेलू उपाय के बारे में जानेगें।
1. हाथ पैरों का सुन्न होना – Numbness in hands and legs in Hindi
2. हाथ पैर सुन्न होने के कारण – Numbness of hands and feet causes in Hindi
3. हाथ पैर के सुन्न होने की स्थिति में डॉक्टर को कब दिखाना है – When to see a doctor for Numbness in hands and feet in Hindi
4. हाथ पैर सुन्न होने के घरेलू उपाय – Numbness in hands and feet home remedy in Hindi
5. हाथ पैर को सुन्न होने से रोकने के लिए उपाय – Numbness in hands and feet prevention tips in Hindi
हाथ और पैरों में सुन्नता की स्थिति, उन क्षेत्रों में स्पर्श संवेदना (touch sensation) की कमी को व्यक्त करती है। हाथों और पैरों का सुन्न होना, हमेशा चिंता का कारण नहीं होता है। यह सुन्नता कुछ सामान्य स्थितियों जैसे- कार्पल टनल (carpal tunnel), पोषण की कमी या दवा के साइड इफेक्ट के फलस्वरूप उत्पन्न हो सकती है। लेकिन लंबे समय तक सुन्नता की स्थिति अनेक चिकित्सकीय स्थितियों जैसे- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस), मधुमेह, परिधीय धमनी रोग या फाइब्रोमायल्जिया आदि के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। अतः जब कुछ चिकित्सकीय स्थितियां हाथ पैरों में सुन्नता का कारण बनती है, तब सम्बंधित व्यक्ति द्वारा सुन्नता के साथ अन्य लक्षणों का भी अनुभव किया जा सकता है।
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हाथों और पैरों का सुन्न होना एक सामान्य समस्या है, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
आमतौर पर हाथों का सुन्न होना आपातकालीन स्थिति का संकेत नहीं होता है। लेकिन हाथ पैर सुन्न होने के साथ-साथ अन्य लक्षणों का भी अनुभव होता है, तो यह स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। स्ट्रोक की स्थिति में हाथ सुन्न होना के साथ-साथ निम्न लक्षणों का अनुभव किया जा सकता है, जैसे:
अतः यदि किसी व्यक्ति के पास हाथ पैर सुन्न होने के साथ-साथ अन्य लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए तथा उचित इलाज प्राप्त करना चाहिए।
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शरीर की तंत्रिकाओं (nerves) को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन बी12 की आवश्यकता होती है। जबकि विटामिन या खनिज की कमी दोनों हाथों और पैरों में सुन्नता या झुनझुनी को उत्पन्न कर सकती है।
पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन बी12 की कमी से उत्पन्न होने वाली सुन्नता के साथ-साथ अन्य लक्षणों को भी महसूस किया जा सकता है, जैसे:
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दवाओं के दुष्प्रभाव के फलस्वरूप न्यूरोपैथी रोग उत्पन्न हो सकता है। यह रोग तंत्रिका क्षति के साथ-साथ हाथ पैर सुन्न होने का कारण बन सकता है। सुन्नता का कारण बनने वाली कुछ दवाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
तंत्रिका क्षति को प्रेरित करने वाली दवाओं के साइड इफ़ेक्ट के कारण अन्य लक्षणों को भी महसूस किया जा सकता है, जैसे:
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रेनॉड रोग (Raynaud’s disease) या रेनॉड (Raynaud’s) की घटना तब उत्पन्न होती है, जब रक्त वाहिकाएं संकीर्ण हो जाती हैं, जिसके कारण हाथों और पैरों तक पर्याप्त रक्त का संचार नहीं हो पाता है। रक्त प्रवाह की कमी के कारण हांथों और पैरों की उंगलियों में सुन्नता, ठंडापन, पीलापन और अत्यधिक दर्द जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। ये सभी लक्षण आमतौर पर तब उत्पन्न होते हैं, जब व्यक्ति ठंड के संपर्क में आता है।
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कार्पल टनल (Carpal tunnel) एक संकीर्ण मार्ग है, जो कलाई (wrist) के केंद्र से होकर गुजरता है। इस टनल के केंद्र में माध्यिका तंत्रिका (median nerve) उपस्थित होती है। यह तंत्रिका अंगूठे, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका उंगलियों के सभी भाग में फीलिंग को सप्लाइ करती है।
टाइपिंग या समानुक्रम (assembly line) जैसी दोहरावदार गतिविधियों के कारण, माध्यिका तंत्रिका के चारों ओर उपस्थित रहने वाले ऊतकों में सूजन और तंत्रिका पर दबाव उत्पन्न हो सकता है। दबाव से प्रभावित होने वाले हाथ में झुनझुनी, दर्द और कमजोरी के साथ-साथ सुन्नता की स्थिति उत्पन्न होती है।
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मधुमेह की स्थिति में मानव शरीर, कोशिकाओं के अन्दर रक्तप्रवाह के माध्यम से शर्करा को स्थानांतरित करने में समर्थ नहीं होता है। अतः कोशिकाओं में लंबे समय तक रक्त शर्करा के उच्च स्तर बने रहने के कारण तंत्रिका क्षति को प्रेरित करते हैं। अतः मधुमेह वाले कुछ व्यक्तियों में तंत्रिका क्षति की स्थिति को डायबिटिक न्यूरोपैथी (Diabetic neuropathy) कहा जाता है। मधुमेह न्यूरोपैथी हाथ, पैरों और तलवों में सुन्नता, झुनझुनी और दर्द का कारण बन सकती है। डायबिटिक न्यूरोपैथी की स्थिति में व्यक्ति सुन्नता के साथ अन्य लक्षणों को भी महसूस कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) एक ऐसी स्थिति है, जो थकान और मांसपेशियों में दर्द का कारण बनती है। यह स्थिति कभी-कभी क्रोनिक थकान सिंड्रोम (chronic fatigue syndrome) के साथ भ्रमित कर सकती है, क्योंकि इन दोनों स्थितियों के लक्षण समान होते हैं। फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia) से पीड़ित व्यक्ति हाथ, पैर और चेहरे में सुन्नता तथा झुनझुनी को भी महसूस कर सकते हैं।
फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित व्यक्ति सुन्नता तथा झुनझुनी के अतिरिक्त अन्य लक्षणों को भी महसूस कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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अल्कोहल का कम मात्रा में सेवन सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन नसों (nerve) के साथ साथ शरीर के अन्य ऊतकों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। शराब का अत्यधिक सेवन, विटामिन बी के कम स्तर का कारण बनता है जिसके फलस्वरूप तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो सकती है। अतः जो व्यक्ति शराब का दुरुपयोग करते हैं, वे कभी-कभी हाथों और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी का अनुभव कर सकते हैं।
शराब के अत्यधिक सेवन से संबंधित न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति) के कारण निम्न लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:
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मल्टीपल स्केलेरोसिस से सम्बंधित व्यक्ति संवेदी तंत्रिका क्षति (sensory nerve damage) का अनुभव करते हैं, जिसके कारण उनके शरीर या अंगों के एक छोटे से हिस्से में सुन्नता का अनुभव हो सकता है। यद्यपि मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित व्यक्ति केवल कम समय के लिए ही सुन्नता का अनुभव कर सकते हैं।
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) या परिधीय धमनी रोग पैरों, हाथों और पेट में पेरिफेरल ब्लड आर्टरीज (peripheral blood arteries) को संकुचित कर देता है, जिससे रक्त प्रवाह कम हो जाता है। पैर पेरिफेरल आर्टरी डिजीज द्वारा प्रभावित शरीर के सबसे आम हिस्सों में से एक है। अतः परिधीय धमनी रोग (PAD) से पीड़ित अधिकांश व्यक्ति पैरों और कूल्हों में दर्द और ऐंठन का अनुभव करते हैं। जबकि कुछ व्यक्तियों में कमजोरी और पैर के सुन्न होने की स्थिति का अनुभव होता है। परिधीय धमनी रोग (पीएडी) के लक्षण आमतौर पर कुछ मिनटों तक आराम करने के बाद दूर हो जाते हैं।
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एक अंडरएक्टिव थायराइड या हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति, हाथों और पैरों में संवेदनाओं का संचरण करने वाली नसों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अतिरिक्त अनुपचारित हाइपोथायरायडिज्म अंततः परिधीय न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy) का कारण बनता है। जिसके फलस्वरूप हाथों और पैरों में सुन्नता, कमजोरी और झुनझुनी पैदा हो सकती है।
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लाइम की बीमारी, बोरेलिया बर्गडोरफी (Borrelia burgdorferi) नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रमण है। जो लोग लाइम रोग से पीड़ित होते हैं, वे फ्लू जैसे संकेतों जैसे लक्षणों को उत्पन्न करते हैं। इसके अतिरिक्त लाइम की बीमारी निम्न लक्षणों को भी उत्पन्न करती है, जैसे:
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ल्यूपस (Lupus) एक ऑटोइम्यून बीमारी है। यह कई अंगों और ऊतकों में सूजन का कारण बनती है। ल्यूपस के लक्षण अस्थाई होते हैं, और शरीर के प्रभावित हिस्से पर निर्भर करते हैं।
सूजन के परिणामस्वरूप नसों में दबाव उत्पन्न हो सकता है, और हाथों में सुन्नता या झुनझुनी उत्पन्न हो सकती है। इसके अतिरिक्त ल्यूपस की स्थिति में अन्य सामान्य लक्षणों को भी देखा जा सकता है, जैसे:
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आप को पता होना चाहिए कि, मल्टीपल स्क्लेरोसिस एक ऑटोइम्यून रोग है। इस स्थिति में व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंतुओं की सुरक्षात्मक कोटिंग पर हमला करके उन्हें क्षतिग्रस्त कर देती है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस की स्थिति में हाथ, चेहरा या पैर में सुन्नता और झुनझुनी जैसे लक्षणों का महसूस होना आम है। सुन्नता आमतौर पर शरीर के प्रभावित अंग या शरीर के केवल एक तरफ उत्पन्न होती है।
मल्टीपल स्क्लेरोसिस के अन्य लक्षणों में निम्न को शामिल किया जाता है, जैसे:
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यदि किसी व्यक्ति के हाथ पैर की सुन्नता कुछ दिनों के भीतर ठीक नहीं होती है या फिर सुन्नता शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हाथ पैर के सुन्न होने के साथ-साथ निम्न लक्षणों के विकसित होने पर भी तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, इन लक्षणों में शामिल हैं:
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हाथों और पैरों के सुन्नपन की स्थिति में कोई भी व्यक्ति घरेलू उपचार के दौरान निम्न उपाय अपना सकता है, जैसे कि:
हाथों और पैरों में सुन्नता से छुटकारा पाने के लिए सबसे असरदार उपाय प्रभावित क्षेत्र पर गर्म सेक लगाना है। गर्म सिकाई, शरीर के सुन्नता प्रभावित हिस्से में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह उपाय सुन्नता से प्रभावित क्षेत्र में मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को आराम प्रदान करता है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि, पीड़ित व्यक्ति को सुन्न पैरों और हाथों की अधिक गर्म सिकाई करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे सूजन बढ़ने के साथ-साथ दर्द और सुन्नता में भी वृद्धि हो सकती है। सुन्नता से राहत प्राप्त करने के लिए गर्म स्नान या हीटिंग पैड का उपयोग किया जा सकता है।
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सुन्न पैरों और हाथों की मालिश करने से रक्त प्रवाह में सुधार होता है और लक्षणों को कम करने में भी मदद मिलती है। अतः हाथों या पैरों के सुन्न हो जाने पर, उनकी अच्छी तरह से मालिश करना चाहिए। यह उपाय सुन्नता कम करने के लिए उस हिस्से में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। इसके अलावा, कम से कम 5 मिनट के लिए मसाज करने से तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को उत्तेजित कर, उनके कामकाज में सुधार लाने में मदद मिलती है। मालिश करने के लिए हल्का गर्म जैतून तेल, नारियल तेल या सरसों का तेल लिया जा सकता है।
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व्यायाम शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन और रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकता है, तथा सुन्नता और झुनझुनी जैसी संवेदनाओं को रोकने में मदद करता है। इसके अलावा, नियमित व्यायाम करने से शरीर की गतिशीलता में सुधार आता है और अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। अतः हाथ पैर के सुन्न होने की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को प्रतिदिन सुबह 15 मिनट के लिए हाथ और पैर से सम्बंधित साधारण व्यायाम करना चाहिए। इससे सम्बंधित निम्न एक्सरसाइज को अपनाया जा सकता है, जैसे:
नोट: हाथ या पैर की उंगलियों में सुन्नता के स्थितियों में उच्च-प्रभाव वाले व्यायाम से बचें।
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खराब रक्त परिसंचरण के कारण भी हाथ और पैरों में सुन्नता उत्पन्न हो सकती है। अतः इसे कम करने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए प्रभावित क्षेत्र को कुछ मिनट तक ऊंचा रखने की सलाह दी जाती है। इस उपाय से प्रभावित क्षेत्र में रक्त का प्रवाह सामान्य हो सकता है, और सुन्नता दूर हो सकती है।
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हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन (Curcumin) नामक एक यौगिक, जो पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है, एवं इसके एंटी इंफ्लेमेटरी गुण प्रभावित क्षेत्र में दर्द और अन्य परेशानी को कम करने में मदद करते हैं।
अतः सुन्नपन का इलाज करने के लिए 1 कप दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलाकर, हल्का गर्म करें, एवं इसमें थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना सेवन करें। इससे शरीर के विभिन्न भागों में रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त हल्दी पाउडर में पानी मिलाकर पेस्ट तैयार करें और हल्का गर्म कर कुछ मिनट के लिए प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें।
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गर्म पानी के टब में थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर, उसमें सुन्न हाथ और पैरों को भिगोकर रखने से सुन्नता कम करने में मदद मिलती है। सेंधा नमक को रासायनिक रूप से मैग्नीशियम सल्फेट क्रिस्टल के रूप में जाना जाता है। अतः सेंधा नमक शरीर में मैग्नीशियम के स्तर में वृद्धि करने और रक्त प्रवाह में सुधार करने में मदद कर सकता है। परिणामस्वरूप उचित रक्त परिसंचरण सुन्नता को कम करने और इसकी पुनरावृत्ति को रोकने में मदद कर सकता है।
नोट: ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह उपाय मधुमेह या गुर्दे की समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति को नहीं अपनाना चाहिए।
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दालचीनी में अनेक रसायन और पोषक तत्व जैसे- मैंगनीज और पोटेशियम के साथ-साथ महत्वपूर्ण विटामिन बी, इत्यादि मौजूद होते हैं। इसके पोषण सम्बन्धी गुण हाथ और पैर में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं, जिसके कारण दालचीनी का उपयोग हाथ और पैरों में सुन्नता का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना 2 से 4 ग्राम दालचीनी पाउडर का सेवन करना सेहत के लिए लाभदायक होता है। अतः हाथ पैर के सुन्न होने की स्थिति में 1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त दालचीनी पाउडर और शहद के एक-एक चम्मच को आपस में मिलाकर, हर सुबह कुछ हफ्तों तक सेवन किया जा सकता है।
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गिंको (जिन्कगो) बाइलोबा को हाथ पैर की सुन्नता का आयुर्वेद इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, जो रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। अतः हाथों और पैरों के सुन्न होने की समस्या को कम करने और सुन्नता को रोकने में मदद करने के लिए गिंको बाइलोबा सप्लीमेंट (Ginkgo Biloba supplement) का सेवन किया जा सकता है। इस सप्लीमेंट का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए।
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हाथों और पैरों में सुन्नता और झुनझुनी जैसी संवेदनाओं को रोकने के लिए, बी विटामिन से परिपूर्ण खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। विशेष रूप से विटामिन बी6 और विटामिन बी12 में उच्च खाद्य पदार्थ स्वस्थ तंत्रिका कामकाज के लिए आवश्यक होते हैं। विटामिन बी6 और बी12 में उच्च खाद्य पदार्थ में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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यदि कोई व्यक्ति हाथ या पैर में सुन्नता का अनुभव करता है, तो हाथ पैर सुन्न होने के बचाव सम्बन्धी उपाय में निम्न को भी शामिल किया जा सकता है जैसे:
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