Cholesterol in Hindi आजकल ज्यादातर लोगों में उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या बढ़ गयी है। खराब जीवनशैली और उचित खान पान पर ध्यान न देने एवं काम के अधिक बोझ के कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ना एक सामान्य बात है। भोजन करने के बाद भोजन का कोलेस्ट्रॉल छोटी आंत द्वारा अवशोषित होता है एवं लिवर में इसका उपापचय होता है और यह वहीं पर जमा भी होता है। इसके कारण हृदय रोग एवं स्ट्रोक जैसी बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस समस्या से बचने के लिए डॉक्टर रूटीन चेकअप की भी सलाह देते हैं। आइये जानते है कोलेस्ट्रॉल क्या होता है और अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल के बारे में।
विषय सूची
यह कोलेस्ट्रॉल एक मोम या वसा जैसा पदार्थ है जो पूरे शरीर में कोशिकाओं की दीवारों या झिल्ली में मौजूद होता है। हमारा शरीर कोलेस्ट्रॉल का उपयोग एस्ट्रोजन एवं टेस्टोस्टेरोन सहित कई तरह के हार्मोन, विटामिन डी और पित्त अम्ल को उत्पन्न करने में करता है जो वसा को पचाने में मदद करते हैं। पूरे शरीर का लगभग 80 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल लिवर उत्पन्न करता है जबकि बचा हिस्सा खाद्य पदार्थों जैसे मीट, अंडे, मछली, और डेयरी उत्पादों के सेवन से उत्पन्न होता है।
कोलेस्ट्रॉल ब्लडस्ट्रीम में स्वतंत्र रूप से यात्रा नहीं करता है। यह लाइपोप्रोटीन से जुड़ा होता है और उसी के माध्यम से यात्रा करता है। कोलेस्ट्रॉल आमतौर पर तीन प्रकार का होता है।
इसका पूरा नाम लो डेन्सिटी लाइपोप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। इसे खराब कोलेस्ट्रॉल (bad cholesterol) कहा जाता है। एलडीएल लाइपोप्रोटीन का स्तर बढ़ने पर हृदय रोग, स्ट्रोक और धमनियों से जुड़े रोगों की संभावना बढ़ जाती है,क्योंकि कोलेस्ट्रॉल धमनियों के दीवारों के अंदर प्लेक बना लेता है। जैसे-जैसे प्लेक बढ़ता जाता है धमनियां संकरी होती जाती हैं और रक्त का प्रवाह कम होने लगता है। जब यह प्लेक टूटता है तो रक्त का थक्का (blood clot ) बना लेता है और खून का प्रवाह नहीं होने देता है। यदि हृदय की किसी एक भी कोरोनरी धमनी में खून जम जाता है तो इसके कारण व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाता है।
इसका पूरा नाम हाई डेन्सिटी लाइपोप्रोटीन है। इसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल (good cholesterol) कहा जाता है। यह प्रोटीन की उच्च मात्रा और कोलेस्ट्रॉल की निम्न मात्रा से मिलकर बना होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एचडीएल कोलेस्ट्रॉल धमनियों से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को दूर करता है और वापस लिवर में भेज देता है। वहां यह टूटकर शरीर से गुजरता है। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल माना जाता है जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाव करता है।
ट्राइग्लिसराइड शरीर में सबसे सामान्य प्रकार का वसा है। यह भोजन से अधिक से अधिक ऊर्जा स्टोर करने का काम करता है। उच्च मात्रा में ट्राइग्लिसराइड, निम्न मात्रा में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल और उच्च मात्रा में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल मिलकर धमनियों की दीवारों को वसायुक्त बनाते हैं जिसके कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण शरीर में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखायी देता है। लेकिन शरीर के अंदर धमनियां (arteries) संकरी हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। ब्लड टेस्ट के जरिए व्यक्ति अपने शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर का पता करके और जीवनशैली एवं खानपान में बदलाव करके हृदय रोगों से बचाव कर सकता है।
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शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण उच्च वसायुक्त भोजन और कम शारीरिक परिश्रम होता है। कभी-कभी आनुवांशिक कारणों से भी लिवर में कोलेस्ट्रॉल अधिक बनने लगता है जिसके कारण कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। आइये जानते हैं कि किन कारणों से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।
भोजन में अधिक मात्रा में रेड मीट, अधिक वसा युक्त डेयरी उत्पाद, संतृप्त वसा (saturated fats), ट्रांस फैट और संसाधित खाद्य पदार्थ (processed foods) शामिल करने से मोटापा बढ़ता है जिसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। इसके अलावा यदि पुरुषों के कमर की साइज 40 इंच और महिलाओं के कमर की साइज 35 इंच से अधिक है तो उन्हें भी हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।
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एक स्टडी में पाया गया है कि धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में आमतौर पर कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल होता है। लेकिन धूम्रपान छोड़ने पर एचडीएल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा एक्सरसाइज की कमी, खराब जीवनशैली, अधिक तनाव लेने और आवश्यकता से अधिक भोजन करने के कारण भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। कुछ मामलों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या आनुवांशिक होती है। इस समस्या को फेमिलिएल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (FH) कहते हैं।
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शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट एकमात्र तरीका है जो रक्त के प्रति डेसीलीटर में कोलेस्ट्रॉल को मिलीग्राम में मापता है। आप अपने कोलेस्ट्रॉल नंबर की जांच इस तरह से कर सकते हैं।
इसमें एचडीएल, एलडीएल और कुल ट्राइग्लिसराइड का 20 प्रतिशत होता है।
इसकी संख्या 15 मिली/डेसीलीटर होती है। ट्राइग्लिसराइड वसा का एक सामान्य प्रकार है। यदि ट्राइग्लिसराइड का स्तर अधिक होगा तो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल भी अधिक एवं एचडीएच कोलेस्ट्रॉल कम होगा, जिससे हृदय रोगों की संभावना होती है।
इसकी अधिक मात्रा अच्छी मानी जाती है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल महिलाओं में 55 मिली/डेसीलीटर से अधिक होना चाहिए जबकि पुरूषों में 45 मिली/डेसीलीटर से अधिक होना चाहिए।
इसकी संख्या जितना कम हो, स्वास्थ्य के लिए यह उतना ही बेहतर माना जाता है। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 130 मिली/डेसीलीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए अन्यथा हृदय रोग, रक्त वाहिनियों में रोग और डायबिटीज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि आपको इनमें से कोई भी बीमारी है तो आपका कोलेस्ट्रॉल 100 मिली/ डेसीलीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
शरीर को अधिक एक्टिव रखकर अर्थात् प्रतिदिन एक्सरसाइज करने, उचित भोजन लेने से कोलेस्ट्रॉल की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए कुछ दवाएं भी दी जाती हैं। आइये जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल का इलाज क्या है।
यह दवा लिवर में कोलेस्ट्राल बनाने वाले पदार्थ को ब्लॉक कर देता है। जिसके कारण खून के माध्यम से लिवर से कोलेस्ट्रॉल हट जाता है। इसके अलावा यह दवा शरीर को धमनियों के दीवारों से भी कोलेस्ट्रॉल को दोबारा अवशोषित करने में मदद करती है और धमनी के रोगों से सुरक्षा प्रदान करती है। कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए एटोरवास्टेटिन (atorvastatin), फ्लूवास्टेटिन (fluvastatin), लोवा स्टेटिन (lovastatin) जैसी कई दवाओं का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ये दवाएं व्यक्ति की उम्र और शऱीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर के अनुसार दी जाती हैं।
कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए कुछ ऐसी दवाएं हैं जिन्हें इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। ये दवाएं लिवर को अधिक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल अवशोषित करने में मदद करती हैं जो कि रक्त के प्रवाह में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। जिन लोगों को आनुवांशिक उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है उन्हें एलिरोकुमाब (Alirocumab), इवोलोकुमाब (evolocumab) जैसी दवाएं दी जाती हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना आपको किसी भी प्रकार की दवा नहीं लेनी चाहिए बरना इसके घातक परिणाम हो सकते है।
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