हार्ट फेल होना आपको थोड़ा भ्रमित कर सकता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपके हृदय ने धड़कना बंद कर दिया है। दिल की विफलता या हार्ट फेल्योर से पीड़ित व्यक्तियों के शरीर में हृदय द्वारा पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप कर पाना कठिन होता है। शरीर में पर्याप्त रक्त का प्रवाह न होने से शरीर के सभी प्रमुख कार्य बाधित होते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसके लिए उपचार की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक उपचार प्राप्त कर व्यक्ति हार्ट फेलियर की जटिलताओं को कम कर लंबे समय स्वस्थ हृदय की संभावना को बढ़ा सकता है। यदि इस स्थिति का इलाज नहीं किया गया तो हार्ट फेल होने से सम्बंधित व्यक्ति की मौत हो जाती है।
इस लेख में आप जानेगें हार्ट फेल होना (हार्ट फेलियर) क्या है इसके कारण लक्षण प्रकार जाँच इलाज और बचाव के बारे में।
दिल की विफलता या हार्ट फेल्योर उस स्थिति को कहते हैं, जब हृदय शरीर में रक्त की पर्याप्त मात्रा को पंप करने में अक्षम या असमर्थ होता है। हार्ट फेल होना (हार्ट फेलियर) एक ऐसी स्थिति या लक्षणों का संग्रह है, जो आपके दिल को कमजोर करते हैं। यह स्थिति दिल के दाएं हिस्से या बाएं हिस्से या फिर दोनों हिस्से के कार्यों को एक ही समय में प्रभावित कर सकती है।
कुछ लोगों में यह स्थिति हृदय की मांसपेशियों के सख्त और कठोर होने के कारण उत्पन्न होती है, जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह कम या अवरुद्ध हो सकता है। हार्ट फेलियर या तो एक्यूट (अल्पकालिक) या क्रोनिक हो सकता है।
एक्यूट हार्ट फेलियर में, लक्षण अचानक प्रकट होते हैं, लेकिन काफी जल्दी चले जाते हैं। यह स्थिति अक्सर हार्ट अटैक (heart attack) के बाद उत्पन्न होती है। हार्ट फेल होना हृदय में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने वाले हृदय वाल्व की समस्या का भी परिणाम हो सकता है।
क्रोनिक हार्ट फेलियर में हालांकि लक्षण निरंतर बने रहते हैं और समय के साथ इन लक्षणों में सुधार नहीं होता है। हार्ट फेल होने के अधिकतर मामले क्रोनिक होते हैं।
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दिल की विफलता के कोई भी लक्षण प्रगट होने पर सम्बंधित व्यक्ति को तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हार्ट फेलियर से सम्बंधित व्यक्ति निम्न लक्षणों को महसूस कर सकता है:
हार्ट फेल होने की बीमारी या दिल की विफलता अक्सर अन्य आंतरिक समस्याओं से संबंधित होती है। हार्ट फेल्योर का सबसे आम कारण कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) है। सीएडी हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली धमनियों के संकुचन का कारण बनता है। हार्ट फेल होने के जोखिम को बढ़ाने वाली स्थितियों में शामिल हैं:
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हार्ट फेल होने की स्थिति या तो दिल के बाएं हिस्से या फिर दाएं हिस्से के फेल होने से उत्पन्न हो सकती है। इसके आलावा दिल के दोनों हिस्सों का एक ही समय पर फेल (विफल) होना भी संभव है। दिल की विफलता (हार्ट फेलियर) के विभिन्न प्रकार निम्न हैं:
यह हार्ट फेल होने का सबसे आम प्रकार लेफ्ट साइड हार्ट फेलियर है। हृदय के निचले बाएँ भाग में निलय (ventricle) स्थित होता है। यह आपके शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप करता है।
लेफ्ट साइड हार्ट फेलियर तब होता है जब बायां वेंट्रिकल या निलय कुशलता से पंप नहीं करता, या पंप करने की क्षमता को खो देता है। जिसके कारण शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त नहीं होता है। रक्त आपके फेफड़ों में वापस आ जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।
दायां निलय या दायां वेंट्रिकल रक्त को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए फेफड़ों में पंप करता है। इसलिए जब राइट साइड हार्ट फेलियर होता है, तो दिल का दाहिना हिस्सा प्रभावी ढंग से पंप करने की क्षमता खो देता है। जिसके कारण रक्त नसों (veins) में वापस आ जाता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति के पैर, एड़ियों और पेट में सूजन आ जाती हैं। फेफड़ों की बीमारी जैसी अन्य स्थितियों के परिणामस्वरूप भी राइट साइड हार्ट फेलियर हो सकता है।
डायस्टोलिक हार्ट फेलियर तब होती है जब हृदय की मांसपेशी सामान्य से अधिक सख्त या कठोर हो जाती है। आमतौर पर हृदय रोग के कारण हृदय की मांसपेशी कठोर हो सकती है। हृदय की कठोरता के कारण आपका हृदय आसानी से रक्त से नहीं भर पाता है। इसे डायस्टोलिक डिसफंक्शन (diastolic dysfunction) के रूप में जाना जाता है। डायस्टोलिक हार्ट फेलियर की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है।
शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त को पंप करने के लिए हृदय का संकुचन आवश्यक है। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर तब होती है, जब हृदय की मांसपेशी पर्याप्त बल के साथ सिकुड़ती नहीं हैं या सिकुड़ने की क्षमता खो देती है। इस समस्या को सिस्टोलिक डिसफंक्शन (systolic dysfunction) के रूप में जाना जाता है, यह समस्या आमतौर पर दिल की कमजोरी और दिल बड़ा होने के कारण विकसित होती है। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक आम है।
डायस्टोलिक और सिस्टोलिक दोनों प्रकार का हार्ट फेलियर, दिल के बाएं या दाएं हिस्से में हो सकती है।
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हार्ट फेलियर की जटिलताएं हृदय रोग की गंभीरता, मरीज के समग्र स्वास्थ्य और उम्र जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं। अनुपचारित हार्ट फेलियर की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को निम्न संभावित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
हार्ट फेल होने की स्थिति का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षणों की सिफारिश कर सकता है, इनमें शामिल है:
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दिल की विफलता (Heart failure) का इलाज बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। प्रारंभिक उपचार के माध्यम से लक्षणों में काफी तेजी से सुधार आता है, लेकिन मरीज को हर 3 से 6 महीने में नियमित टेस्ट करवाने की जरुरत होती है। हार्ट फेल की स्थिति में निम्न उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है, जैसे:
हार्ट फेलियर के शुरुआती चरणों में लक्षणों को दूर करने और स्वास्थ्य को खराब होने से रोकने में मदद करने के लिए दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है। डॉक्टर इलाज के दौरान निम्न दवाओं की सिफारिश कर सकता है, जैसे:
यदि आप हार्ट फेलियर की समस्या से ग्रस्त हैं तो किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें। कुछ दवाएं दिल की विफलता (हार्ट फेल) वाले लोगों के लिए पूरी तरह से वर्जित हैं, जिनमें नेप्रोक्सेन (एलेव, नेप्रोसिन) और इबुप्रोफेन (Advil, Midol) शामिल हैं।
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हार्ट फेल होने की समस्या से बचने का सबसे अच्छा उपाय इसके जोखिम कारकों को कम करना है। आप जीवनशैली में कुछ बदलाव कर और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का सेवन कर हृदय रोग के अनेक जोखिम कारकों को नियंत्रित या समाप्त कर सकते हैं, और हार्ट फेलियर से बच सकते हैं। हार्ट फेल्योर की समस्या से बचने के लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं, जैसे:
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