घरेलू उपाय

हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी: कौन है बेहतर – Heat Therapy vs Cold Therapy in Hindi

गठिया (arthritis) से लेकर खींची हुई मांसपेशियों की सूजन और दर्द जैसी अनेक स्थितियों में इलाज के दौरान आइस पैक या हीटिंग पैड का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है, जो कि बेहद लाभदायक होता है। लेकिन किन स्थितियों में हॉट कॉम्प्रेस का उपयोग करना और किन स्थितियों में कोल्ड कॉम्प्रेस, इसकी जानकारी होना अनिवार्य है। कभी-कभी कुछ स्थितियों में दोनों तरह के उपचार को शामिल किया जाता है। अतः आज का यह लेख कोल्ड कॉम्प्रेस और हॉट कॉम्प्रेस के बारे में जहाँ पर आप कोल्ड थेरेपी और हीट थेरेपी के फायदे और नुकसान तथा प्रयोग करने के तरीके के बारे में जानेगें।

चूँकि हीट थेरेपी (वार्म कॉम्प्रेस) और कोल्ड थेरेपी (कोल्ड कॉम्प्रेस) दोनों ही दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। दर्द के प्रकार और कारण के आधार पर इनका चुनाव किया जाता है। चोट या दर्द के साथ-साथ सूजन के इलाज के लिए बर्फ (आइस पैक) का उपयोग किया जाता है। तथा मांसपेशियों में दर्द या जकड़न के इलाज के लिए गर्मी (हीटिंग पैड) का प्रयोग किया जाता है। अब हम हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी क विस्तार से जानेगें।

हीट थेरेपी क्या है? – What is Heat therapy in Hindi

हीट थेरेपी (वार्म कंप्रेस), अधिक तापमान के कारण किसी विशेष क्षेत्र में परिसंचरण में सुधार करने और रक्त प्रवाह में वृद्धि करने का काम करता है। पुराने दर्द को ठीक करने के लिए आप हीट थेरेपी का प्रयोग कर सकते हैं। इस उपचार के द्वारा दर्द और सूजन से प्रभावित क्षेत्र का तापमान थोड़ा बढ़ाने से लक्षण कम हो सकते हैं और मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ सकता है। हीट थेरेपी मांसपेशियों को आराम पहुंचाकर या शांत कर क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक कर सकती है।

बेसिक हीट थेरेपी या थर्मोथेरेपी में खासकर गर्म पानी की बोतल, हीटिंग पैड जिन्हें माइक्रोवेव में गर्म किया जा सकता है या गर्म स्नान (warm bath) का उपयोग किया जा सकता है।

हीट थेरेपी के प्रकार – Types of Heat therapy in Hindi

हीट थेरेपी के दो अलग-अलग प्रकार हैं: सूखी गर्मी (dry heat) और नम गर्मी (moist heat)। दोनों प्रकार की हीट थेरेपी का लक्ष्य मांसपेशियों और ऊतकों को गर्मी प्रदान करना है।

सूखी गर्मी (dry heat) – ड्राई हीट (Dry heat) या “कंडक्टेड हीट थेरेपी” (conducted heat therapy) में हीटिंग पैड, ड्राई हीटिंग पैड और यहां तक ​​कि saunas जैसे स्रोत शामिल हैं। इस गर्मी को लगाना आसान है।

नम गर्मी (Moist heat) – नम गर्मी (Moist heat) या “संवहन गर्मी” (convection heat) में उबले नम हीटिंग पैक या गर्म स्नान (हॉट बाथ) जैसे स्रोत शामिल हैं। नम गर्मी, ड्राई हीट की अपेक्षा थोड़ी अधिक प्रभावी हो सकती है और समान परिणाम प्राप्त करने के लिए कम समय तक उपयोग करने की आवश्यकता होती है। यह उपचार प्रक्रिया अधिक गहराई तक ऊतकों को गर्मी प्रदान कर सकती है।

(और पढ़ें: घुटनों में दर्द के लक्षण, कारण, जाँच, इलाज और घरेलू उपचार..)

हीट थेरेपी का उपयोग कैसे करें – How to use Heat therapy in Hindi

आप किसी स्थानीय, क्षेत्र विशेष या पूरे शरीर का उपचार करने के लिए हीट थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं। स्थानीय चिकित्सा (Local therapy) दर्द के छोटे क्षेत्रों जैसे एक कठोर मांसपेशी (stiff muscle) के लिए सर्वोत्तम फायदेमंद होती है। यदि आप किसी स्थान विशेष में लगी चोट का इलाज करना चाहते हैं तो आप छोटे गर्म जेल पैक (heated gel packs) या गर्म पानी की बोतल का उपयोग कर सिकाई कर सकते हैं। दर्द या जकड़न के लिए अधिक व्यापक क्षेत्र का उपचार करने के लिए स्टीम्ड टॉवल (steamed towel), बड़े हीटिंग पैड या हीट रैप (heat wraps) का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा पूरे शरीर के उपचार में गर्म स्नान बेहद अच्छा विकल्प है।

दर्द और सूजन प्रभावित क्षेत्र पर सुरक्षित तरीके से गर्म सिकाई करने के लिए इलेक्ट्रिक हीटिंग पैड, गर्म पानी की बोतलें और गर्म सेक (hot compress) का इस्तेमाल किया जा सकता है।

गर्म स्नान (हॉट बाथ) के लिए 92 से 100 डिग्री फ़ारेनहाइट या 33 से 37.7 डिग्री सेल्सियस के बीच गर्म पानी से प्रभावित क्षेत्र को भिगोना या स्नान करना चाहिए।

शरीर के किसी हिस्से में मामूली जकड़न या तनाव को दूर करने के लिए केवल 15 से 20 मिनट की हीट थेरेपी को अपनाया जा सकता है।

मध्यम से गंभीर दर्द की स्थिति में 30 मिनट से लेकर दो घंटे तक का गर्म स्नान से तुरंत लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

यदि आपको कोल्ड थेरेपी का उपयोग करना वर्जित है या फिर कोल्ड थेरेपी के उपयोग से अन्य समस्याओं के उत्पन्न होने का खतरा है तो आप इसके स्थान पर हीट थेरेपी का उपयोग करना अधिक फायदेमंद होगा।

हीट थेरेपी के फायदे – Heat therapy Benefits in Hindi

गठिया के कारण होने वाले मांसपेशियों या जोड़ों के पुराने दर्द के इलाज में हीट थेरेपी आमतौर पर कोल्ड थेरेपी की तुलना में अधिक प्रभावी होती है। पुरानी चोट और दर्द के उपचार के लिए हीट थेरेपी का प्रयोग किया जाना फायदेमंद होता है। इसके अलावा निम्न स्थितियों में घरेलू उपचार के दौरान हीट थेरेपी का उपयोग करना फायदेमंद होता है, जैसे:

(और पढ़ें: स्टीम बॉथ के इन बड़े फायदों को जानते हैं आप…)

हीट थेरेपी का उपयोग कब  नहीं करना चाहिए – When should you not use Heat therapy in Hindi

ऐसे कुछ मामले हैं जहां हीट थेरेपी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यदि तुरंत लगी चोट या सूजन (या दोनों) की स्थिति में कोल्ड थेरेपी का उपयोग करना बेहतर हो सकता है। खुले घाव वाले क्षेत्र में हीट थेरेपी लागू नहीं की जानी चाहिए।

कुछ स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित व्यक्ति को गर्म सेंक (हॉट कॉम्प्रेस) का उपयोग करने से जलने या अन्य जटिलताओं के उत्पन्न होने का उच्च जोखिम होता है, जिसके कारण उन व्यक्तियों को हीट थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए। इन स्वास्थ्य स्थितियों में शामिल हैं:

  • परिधीय न्यूरोपैथी या मधुमेह (diabetes)
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis (MS))
  • डर्मेटाइटिस (dermatitis)
  • संवहनी रोग (vascular diseases)
  • डीप वेन थ्रोम्बोसिस (deep vein thrombosis)
  • कोई भी चोट जो पहले से ही गर्म है (जैसे- संक्रमण, जलन या ताजा चोट), तब उसपर गर्म सेक अप्लाई नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा यदि आप हृदय रोग या उच्च रक्तचाप जैसे स्थितियों से पीड़ित हैं, या फिट आप गर्भवती हैं तो हीट थेरेपी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

हीट थेरेपी के जोखिम – Risks of heat therapy in Hindi

हीट थेरेपी के दौरान सामान्य “गर्म” तापमान का उपयोग करना चाहिए। यदि आप अत्यधिक गर्म तापमान का उपयोग करते हैं, तो इससे त्वचा जलने

और झुलसने का खतरा रहता है।

यदि आप किसी प्रकार के संक्रमण से पीड़ित हैं और हीट थेरेपी का उपयोग करते हैं, तो हीट थेरेपी से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ने की अधिक संभावना होती है।

विशेष स्थानीय क्षेत्र पर सीधे हीटिंग पैड से गर्म सिकाई करने के दौरान एक बार में 20 मिनट से अधिक समय तक सिकाई नहीं की जानी चाहिए। यदि अधिक समय तक सिकाई की जाती हैं तो त्वचा पर लालिमा, फफोले और जलन उत्पन्न हो सकती है।

यदि हीट थेरेपी का उपयोग करने से आप सूजन में वृद्धि का अनुभव करते हैं, तो तुरंत इस उपचार को बंद कर दें।

यदि हीट थेरेपी अपनाने के एक सप्ताह बाद दर्द या परेशानी कम नहीं होती है, या दर्द कुछ दिनों के भीतर बढ़ जाता है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

(और पढ़े – मांसपेशियों में खिंचाव (दर्द) के कारण और उपचार…)

कोल्ड थेरेपी क्या है – What is Cold therapy in Hindi

कोल्ड कॉम्प्रेस या कोल्ड थेरेपी को क्रायोथेरेपी (cryotherapy) के रूप में भी जाना जाता है। यह उपचार चोट प्रभावित क्षेत्र में रक्त प्रवाह को कम करके सूजन और दर्द से राहत दिला सकता है। इसके साथ यह घाव के ऊतकों को सुन्न कर, संवेदनाहारी के रूप में कार्य करता है और मस्तिष्क को प्रेषित होने वाले दर्द संदेशों को धीमा कर देता है। अतः यह थेरेपी अस्थायी रूप से तंत्रिका गतिविधि को कम कर दर्द से राहत दिला सकती है।

चोट लगने के 48 घंटे के भीतर कोल्ड कॉम्प्रेस या कोल्ड थेरेपी को अपनाया जाना चाहिए। कभी भी बर्फ को सीधे तौर पर त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए।

(और पढ़ें: कोल्ड वाटर बॉथ थेरेपी क्या है, इसके फायदे और सावधानियां..)

कोल्ड थेरेपी के प्रकार – Types of cold therapy in Hindi

प्रभावित क्षेत्र में कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करने के कई अलग-अलग तरीके हो सकते हैं। कोल्ड थेरेपी की उपचार प्रक्रिया में निम्न विकल्पों को शामिल किया जाता है, जैसे:

  • आइस पैक या फ्रोजन जेल पैक
  • शीतलक स्प्रे (coolant sprays)
  • बर्फ की मालिश (ice massage)
  • आइस बाथ (ice baths), इत्यादि।

कोल्ड थेरेपी का उपयोग कैसे करें – How to use cold therapy in Hindi

घरेलू उपचार के तहत कोल्ड थेरेपी या क्रायोथेरेपी अपनाने के लिए ठंडे पानी से भरी पानी की बोतल, फ्रीजर में ठंडा किया गया पैड, तौलिये में लपेटकर रखा गया बर्फ या ठंडे पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको कभी भी जमी हुई वस्तु को सीधे त्वचा पर नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे त्वचा और ऊतकों को नुकसान पहुँच सकता है।

कोल्ड थेरेपी का उपयोग करने के कुछ तरीकों में शामिल हैं:

  • एक कोल्ड कॉम्प्रेस या कूलिंग पैड को सूजन वाले क्षेत्र पर 10 से 15 मिनट के लिए, हर 4 से 6 घंटे बाद लगाना चाहिए, इस उपचार को आप दर्द दूर करने के लिए लगातार 3 दिनों के लिए अपना सकते हैं।
  • बर्फ को तौलिये में लपेटकर दर्द प्रभावित क्षेत्र पर रखें। दिन में दो से पांच बार,आइस पैक का इस्तेमाल करते समय अधिकतम 5 मिनट के लिए, दर्द प्रभावित क्षेत्र की गोलाकार गति में मालिश करें। एक प्लास्टिक बैग को जमी हुई बर्फ से भरकर, सूखे कपड़े में लपेटकर कोल्ड कंप्रेस बनाया जा सकता है।
  • आइस बाथ या कोल्ड बाथ के लिए 10 से 15 डिग्री सेल्सियस ठंडे पानी में 5 से 15 मिनट तक स्नान कर सकते हैं।

(और पढ़ें: नेचुरोपैथी (प्राकृतिक चिकित्सा) क्या है और इसके फायदे..)

कोल्ड थेरेपी के फायदे – Benefits of cold therapy in Hindi

हाल ही में लगी चोटों पर बर्फ या आइस पैक का इस्तेमाल सबसे अधिक लाभदायक होता है। चोट लगने के बाद जल्द से जल्द कोल्ड थेरेपी को अपनाया जाना चाहिए। इसके अलावा निम्न स्थितियों में कोल्ड कॉम्प्रेस या कोल्ड थेरेपी फायदेमंद होती है जैसे:

कोल्ड थेरेपी का प्रयोग थोड़े समय के लिए, दिन में कई बार करना चाहिए। कोल्ड थेरेपी अधिकतम 10 से 15 मिनट तक अपनानी चाहिए। तंत्रिका, ऊतक और त्वचा को क्षतिग्रस्त होने से रोकने के लिए एक बार में 20 मिनट से अधिक समय तक कोल्ड थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए थेरेपी के दौरान प्रभावित क्षेत्र को ऊपर उठा सकते हैं।

बारी-बारी से ठंडी और गर्म सिकाई से व्यायाम-प्रेरित मांसपेशियों के दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।

कोल्ड थेरेपी का उपयोग कब नहीं करना चाहिए – When should you not use cold therapy in Hindi

संवेदी विकार (sensory disorders) से पीड़ित लोग, जिन्हें कुछ संवेदनाएं महसूस नहीं होती हैं, उन्हें घर पर कोल्ड थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि यदि वह कोल्ड थेरेपी का उपयोग करते हैं तो उन्हें इससे होने वाले नुकसान को महसूस करने में कठिनाई हो सकती है। उदाहरण के लिए मधुमेह की स्थिति में तंत्रिका क्षति के कारण पीड़ित व्यक्ति की संवेदनशीलता कम हो सकती है, इस स्थिति में कोल्ड कॉम्प्रेस का उपयोग करना नुकसानदायक हो सकता है।

इसके अलावा कठोर मांसपेशियों (stiff muscles) या जोड़ों के पुराने दर्द को दूर करने के लिए कोल्ड थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

पीठ दर्द के लिए यह उपचार कम असरदायक होता है। पीठ दर्द अक्सर मांसपेशियों में तनाव बढ़ने के कारण होता है, इस स्थिति में आइस पैक का उपयोग करना दर्द बढ़ने का कारण बन सकता है।

रक्त परिसंचरण में खराबी (poor circulation) से पीड़ित व्यक्ति को भी कोल्ड थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

ठंड के प्रति अतिसंवेदनशील व्यक्ति  को कोल्ड थेरेपी नहीं अपनानी चाहिए।

कोल्ड थेरेपी के जोखिम – Risks of cold therapy in Hindi

यदि आप बहुत लंबे समय तक कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप त्वचा, ऊतक या तंत्रिका, इत्यादि क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

कोई व्यक्ति यदि हृदय रोग से पीड़ित है, तो कोल्ड थेरेपी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

यदि कोल्ड थेरेपी अपनाने से 48 घंटों के भीतर चोट या सूजन कम नहीं होती हैं तो डॉक्टर को जरुर दिखाएं।

(और पढ़े – गर्म पानी से नहाना सही या ठंडे पानी से, जानिए विज्ञान क्या कहता है…)

हीट थेरेपी और कोल्ड थेरेपी: कौन है बेहतर (Heat Therapy vs Cold Therapy in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।

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