Hepatitis C in Hindi हेपेटाइटिस सी एक तरह का संक्रामक और वायरल रोग है जो लीवर को प्रभावित करता है। इसे आम वोलचाल की भाषा में काला पीलिया भी कहा जाता है। यह भारत में सबसे आम रक्त-जनित (blood borne) बीमारियों में से एक है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हेपेटाइटिस सी वाले अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि उन्हें हेपेटाइटिस सी जैसी संक्रामक बीमारी है जिसके परिणाम बहुत गंभीर और भयानक हो सकते है।
यह बीमारी ज्यादातर रक्त-से-रक्त के संपर्क में आने से और मुख्य रूप से इंजेक्टेबल (injectable) दवाओं के उपयोग से फैलती है। हेपेटाइटिस ए और बी जैसी बीमारियों के लिए तो अभी विभिन्न प्रकार के टीकाकरण उपलब्ध हैं, परन्तु हेपेटाइटिस सी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस सी के संक्रमण को रोकने के लिए, हेपेटाइटिस सी वायरस (HCV) के संपर्क से बचना बहुत आवश्यक है।
यदि हेपेटाइटिस सी के वायरस की पहचान छह महीने के अंदर नहीं होती है, तो संक्रमण पुराना हो जाता है जिसे केवल दवाओं से ही ठीक किया जा सकता है। HCV के संक्रमण की वजह से काला पीलिया (kala piliya), स्कार्रिंग (scarring), सिरोसिस (cirrhosis),लीवर का कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते है और कुछ मामलों में HCV की वजह से मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि, कुछ दवाएं उपलब्ध हैं जो पुराने हो चुके हेपेटाइटिस सी संक्रमण को ठीक कर सकती हैं।
आज इस लेख में हम जानेंगे की हेपेटाइटिस सी क्या है, इसके लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव क्या है।
1. हेपेटाइटिस सी कैसे होता है – hepatitis c kya hota hai in hindi
2. हेपेटाइटिस सी के लक्षण – Hepatitis C ke lakshan in hindi
3. हेपेटाइटिस सी होने का कारण – Hepatitis C hone ka karan in hindi
4. हेपेटाइटिस सी के जोखिम कारक – Hepatitis C risk factors in hindi
5. हेपेटाइटिस सी से होने वाली जटिलताएं – Hepatitis C complications in hindi
6. हेपेटाइटिस सी की जांच – Hepatitis C ki janch in hindi
7. हेपेटाइटिस सी का इलाज – Hepatitis C Treatment in Hindi
8. हेपेटाइटिस सी का घरेलू इलाज – Hepatitis C home remedies in Hindi
9. हेपेटाइटिस सी की रोकथाम – Hepatitis C prevention in hindi
हेपेटाइटिस सी एक प्रकार की लीवर की सूजन होती है जो HCV वायरस की वजह से उत्पन्न होती है। कभी कभी हेपेटाइटिस सी की वजह से लीवर को गंभीर क्षति पहुँच सकती है। वायरल हेपेटाइटिस सी के विभिन्न प्रकार होते है जिसमें सबसे आम प्रकार है हेपेटाइटिस ए, बी, और सी। भारत में HCV सबसे ज्यादा व्यापक और होने वाली ब्लड बोर्न बीमारी है। यह वायरस लीवर में जाकर कोशिकाओं पर हमला करता है और लीवर में होने वाली सूजन (Liver inflammation) और शिथिलता का कारण बनता है।
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हेपेटाइटिस सी के लक्षण दो प्रकार से दिखाई देते है एक है तीव्र (acute) और दूसरा क्रोनिक (chronic), इन दो प्रकारों पर ही हेपेटाइटिस सी के लक्षण निर्भर करते है।
ज्यादातर मामलों में हेपेटाइटिस सी के तीव्र (acute) संक्रमण में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है जब तक की वह क्रोनिक संक्रमण में ना बदल जाये और गंभीर जटिलताएं ना उत्पन्न कर दें, परन्तु कुछ संभावित लक्षणों से तीव्र संक्रमण वाले हेपेटाइटिस सी के लक्षणों की पहचान की जा सकती है।
तीव्र हेपेटाइटिस सी के लक्षणों का बहुत ही मुश्किल से पता लगाया जा सकता है क्योंकि तीव्र हेपेटाइटिस सी के कोई लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते है इसलिए इसे मूक महामारी (silent epidemic) भी कहा जाता है। इसके संभावित लक्षणों को 4-15 हफ्तों के अंदर पता लगाया जा सकता है अगर कुछ लक्षणों पर ध्यान दिया जाये तो, इसके कुछ लक्षणों में शामिल है-
यह सभी लक्षण तीव्र हेपेटाइटिस सी के हो सकते है, क्योकि अगर आपको कोई अन्य वायरल सिंड्रोम है तब भी तीव्र हेपेटाइटिस सी के लक्षण बदलते नहीं है इसलिए इनमे से कोई भी लक्षण महसूस होने पर तुरन्त अपने डॉक्टर से संपर्क करे और हेपेटाइटिस सी की जांच करवाएं।
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तीव्र संक्रमण के होने पर भी यदि इसका पता ना चले और यह वायरस छह महीने तक रक्त में ही रहे तो हेपेटाइटिस सी का संक्रमण क्रॉनिक हो जाता है। क्रोनिक संक्रमण का पता करने के लिए कम से कम दो बार परीक्षण करवाकर एचसीवी वायरस की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता है, और यदि परीक्षण में यह साफ हो जाता है की संक्रमण क्रोनिक है तो फिर दवाईयों के बिना क्रोनिक हेपेटाइटिस सी के संक्रमण का समाधान संभव नहीं है।
अधिकांश लोगों को क्रोनिक हेपेटाइटिस सी संक्रमण में किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसलिए ज्यादातर संक्रमित व्यक्ति को पेट में दर्द, लगातार थकान और जोड़ों में दर्द के सामान्य लक्षण ही अनुभव होते है जिसे वह सामान्य ही मानते है।
25 से 30 वर्षों के बाद, इस तरह के क्रोनिक हेपेटाइटिस सी संक्रमण के परिणामस्वरूप यह होता है की लीवर पर स्कार्रिंग (scarring), या फाइब्रोसिस (fibrosis) उत्पन्न हो जाते हैं और यदि इस संक्रमण की वजह से पूरा लीवर क्षत-विक्षत या ख़राब हो जाता है, तो यह सिरोसिस की समस्या, लीवर फेलियर और मुख्य रूप से लीवर कैंसर जैसे गंभीर समस्या पैदा कर सकता है।
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हेपेटाइटिस सी होने का सबसे बड़ा कारण है एचसीवी (HCV) वायरस। यह एचसीवी वायरस रक्त-से-रक्त के द्वारा संपर्क के माध्यम से फैलता है।
यह वायरस तब तक निष्क्रिय (inactive) होते हैं जब तक वे किसी होस्ट के जीवित कक्ष (living cell) में प्रवेश नहीं कर लेते हैं। फिर यह वायरस स्वयं की प्रतियां बनाने के लिए सेल के हार्डवेयर को हाईजैक कर लेते है। क्रोनिक हेपेटाइटिस सी संक्रमण में एचसीवी वायरस की लाखों या अरबों प्रतियां शरीर के भीतर घूमती रहती है। जिसकी वजह से यह संक्रमण शरीर को गंभीर रूप से बीमार कर देता है।
रक्त-से-रक्त के द्वारा संक्रमण होने के लिए, संक्रमित व्यक्ति का रक्त उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करना चाहिए जो पहले से स्वस्थ हो। एचसीवी से संक्रमित होने का सबसे बड़ा जोखिम कारक है दवाओं को इंजेक्ट करने के लिए उपयोग की जाने वाली सुइयां या उपकरण। संक्रमित व्यक्ति के खून में यह वायरस इतना सूक्ष्म होता है और इतनी तेजी से फैलता है की संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की हुई सुईयों या उपकरणों को शराब, पानी या साबुन से धोने पर भी यह एचसीवी वायरस के संक्रमण को कम नहीं किया जा सकता है।
एचसीवी का संक्रमण आकस्मिक संपर्क, भोजन साझा करने, गले मिलने या मच्छर के काटने से नहीं फैलता है।
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रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) ने हेपेटाइटिस सी के वायरस के कुछ मुख्य जोखिम कारकों की पहचान की है, इसमें शामिल है-
इन सभी जोखिम कारकों को नजरअंदाज करने से आप को हेपेटाइटिस सी के वायरस से संक्रमण का खतरा हो सकता है जो लीवर की कई गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न कर सकता है और जानलेवा हो सकता है।
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हेपेटाइटिस सी का संक्रमण अगर लम्बे समय तक चलता है तो वह अन्य गंभीर जटिलताओं को भी उत्पन्न कर सकता है, जैसे-
लीवर पर स्कार्रिंग (cirrhosis) – यदि हेपेटाइटिस सी के संक्रमण की अवधि 20-30 वर्ष तक हो गयी तो हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से आपको सिरोसिस (cirrhosis) की समस्या हो सकती है। सिरोसिस की समस्या उत्पन्न होने पर आपका लीवर सही से काम नहीं कर पाता है।
लीवर कैंसर (liver cancer) – हेपेटाइटिस सी से संक्रमित कुछ लोगों में लीवर कैंसर की समस्या भी हो सकती है।
लीवर फेलियर (liver failure)- यदि सिरोसिस का संक्रमण उच्च स्तर पर पहुँच जाता है तब लीवर फेलियर की समस्या हो सकती है जिसमें लीवर पूरी तरह काम करना बंद कर देता है।
हेपेटाइटिस सी से उत्पन्न होने जटिलताएं आपके लिए गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है इसलिए हेपेटाइटिस सी की जल्दी से जल्दी जांच और उचित इलाज करवाना बहुत जरुरी है।
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हेपेटाइटिस सी की जांच के लिए कई तरीके उपलब्ध है जैसे-
ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि यदि आप हेपेटाइटिस सी के वायरस के संपर्क में आये है तो आपको हेपेटाइटिस सी संक्रमण की जांच के लिए सामान्य रक्त परीक्षण करवाना चाहिए।
अन्य रक्त परीक्षण
यदि प्रारंभिक रक्त परीक्षण से यह पता चलता है कि आपको हेपेटाइटिस सी है, तो आपको अतिरिक्त रक्त परीक्षण करवाना होगा, जैसे-
हेपेटाइटिस सी की जांच के लिए वायरल लोड टेस्ट– इस तरह के टेस्ट में डॉक्टर आपके रक्त में हेपेटाइटिस सी वायरस की मात्रा को नापते है।
हेपेटाइटिस सी की जांच के लिए जीनोटाइप टेस्ट – जीनोटाइप टेस्ट में हेपेटाइटिस सी के वायरस के जीनोटाइप की पहचान की जाती है।
लीवर डैमेज के लिए जांच– क्रोनिक हेपेटाइटिस सी की वजह से लीवर में हुई क्षति की जांच करने के लिए डॉक्टर निम्न परीक्षणों का उपयोग करते हैं, जैसे –
MRE टेस्ट में चुंबकीय तरंगों के साथ संयोजन करके ध्वनि तरंगों द्वारा एक तरह का पैटर्न तैयार किया जाता है जिसमे लीवर में कुछ अलग अलग तरह के मानचित्र बनते है जो पूरे लीवर की कठोरता (stiffness) के ग्रेडिएंट (gradient) दिखाते हैं। क्रोनिक लीवर टिशू से यह पता चलता है की क्रोनिक हेपेटाइटिस सी की वजह से फाइब्रोसिस या लिवर में जख्म की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
क्षणिक इलास्टोग्राफी (transient elastography) एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है जो लीवर में कंपन पैदा करता है और लीवर टिश्यू के माध्यम से उनके फैलाव की गति को नापता है जिससे लीवर की कठोरता का अनुमान लगाया जाता है।
इस परीक्षण में पेट की दीवार के माध्यम से एक पतली सुई डालकर लीवर टिश्यू का एक छोटा सा नमूना निकाला जाता है जिसे प्रयोगशाला परीक्षण के लिए भेजा जाता है। इन सभी तरह की जांचो से हेपेटाइटिस सी के संक्रमणों की जांच करा सकते है और एक उचित इलाज ले सकते है।
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हेपेटाइटिस सी का इलाज विभिन्न तरह से किया जा सकता है जिससे आपको दर्द और परेशानी में राहत मिलती है। हेपेटाइटिस सी के कुछ ट्रीटमेंट इस प्रकार है-
हेपेटाइटिस सी संक्रमण का उपचार एंटीवायरल दवाओं के द्वारा किया जा सकता है। हेपेटाइटिस सी के इलाज का उद्देश्य आपके शरीर से वायरस को साफ करना होता है। एंटीवायरल दवाईयों द्वारा हेपेटाइटिस सी के उपचार का लक्ष्य यही होता की कम से कम 12 सप्ताह बाद तो आपके शरीर में हेपेटाइटिस सी वायरस का कोई भी संक्रमण ना बचा हो। शोधकर्ताओं ने हाल ही में हेपेटाइटिस सी के उपचार में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमे पहले से चल रही दवाईयों के साथ साथ यह एंटी-वायरल दवाओं का उपयोग भी कर सकते है, जिसका नतीजा यह है की लोगों को एंटीवायरल दवाईयों के बेहतर परिणाम मिल रहे है और इसके साइड इफेक्ट्स भी कम है और इससे राहत भी मिल रही है और सबसे अच्छी बात यह है की इसकी अवधि केवल 8 हफ्ते की ही है।
परन्तु एंटीवायरल दवाईयों का इलाज लेने के लिए पहले दवाएं देने का तरीका और उपचार की लंबाई के साथ साथ हेपेटाइटिस सी जीनोटाइप, मौजूदा लीवर डैमेज की स्थिति, अन्य चिकित्सा स्थितियां और पूर्व उपचार की जांच करनी जरुरी है क्योकि उसके बाद का इलाज इसी पर निर्भर करता है।
यदि आपका हेपेटाइटिस सी संक्रमण क्रोनिक स्तर तक पहुँच गया है तो डॉक्टर आपको लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह भी दे सकते हैं, क्योकि आज के समय में लीवर ट्रांसप्लांट भी एक बहुत अच्छा विकल्प है हेपेटाइटिस सी संक्रमण को ठीक करने के लिए। लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में ख़राब लीवर को निकाल कर नए स्वस्थ लीवर को लगाया जाता है, ज्यादातर नया लीवर मृत व्यक्तियों का लिया जाता है परन्तु कुछ जीवित लोग भी अपने लीवर का कुछ हिस्सा देने को तैयार हो जाते है। इस तरह लीवर ट्रांसप्लांट करके क्रोनिक हेपेटाइटिस सी के संक्रमण को कम किया जा सकता है।
परन्तु यह भी जान लें की यह जरुरी नहीं है की लीवर ट्रांसप्लांट होने बाद हेपेटाइटिस सी का संक्रमण वापस ना आये, हेपेटाइटिस सी संक्रमण के वापस आने की संभावना तब भी बनी रह सकती है इसलिए हेपेटाइटिस सी का संक्रमण वापस ना आये इसके लिए एंटीवायरल दवाईयों का सहारा लेकर अच्छे से नए लीवर की देखभाल करना जरुरी है। शोध में यह पता चला है की यह एंटीवायरल दवाईयां पोस्ट ट्रांसप्लांट हेपेटाइटिस सी को ठीक करने में प्रभावी है और कुछ लोगों में लीवर ट्रांसप्लांट से पहले एंटी वायरल दवाईयां लेने से भी फायदा हुआ है।
वैसे तो अभी तक हेपेटाइटिस सी के संक्रमण के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है इसलिए डॉक्टर हेपेटाइटिस सी से बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण करवाने की सलाह देते है क्योकि इन दोनों टीकाकरण से आप कुछ हद तक हेपेटाइटिस सी के लक्षणों की संभावना को कम कर सकते है।
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आप अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करके और कुछ घरेलू उपचार अपनाकर हेपेटाइटिस सी के संक्रमण को कुछ हद तक कम कर सकते है और स्वस्थ रह सकते है, हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय है-
शराब का सेवन ना करें – यदि आप हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से बचना चाहते है तो हेपेटाइटिस सी संक्रमण से बचाव का एक ही सबसे अच्छा घरेलू इलाज है आप शराब का सेवन करना छोड़ दें क्योकि शराब पीने से लीवर की बीमारी के संक्रमण में तेजी आती है और लीवर जल्दी ख़राब हो जाता है।
ऐसी दवाईयों से बचें जो लीवर को नुकसान पहुँचाती है – हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से बचने के लिए यह भी एक अच्छा देसी इलाज है की कोई भी दवाईयां लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरुर बात करें क्योकि कुछ ओवर द काउंटर दवाईयां और हर्बल एवं डाइट सप्लीमेंट आपके लीवर को नुकसान पहुंचा सकते है जिसे लेने के लिए डॉक्टर माना कर सकता है।
दूसरों को अपने खून के संपर्क में आने से बचाएँ – यदि आप हेपेटाइटिस सी के वायरस से संक्रमित है तो अपना टूथब्रश और रेज़र किसी से साझा ना करें और यदि आपको कोई घाव हो गया है तो उसे हमेशा ढंककर रखे। कभी भी खून दान करने से पहले और कोई ऑर्गन डोनेट करने से पहले डॉक्टर को जरुर बताये की आपको हेपेटाइटिस सी का संक्रमण है। अपने साथी के साथ सम्भोग करने से पहले हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें। इन सभी घरेलू उपचारों को अपनाकर आप अपने आप को और अपने आसपास के लोगों को हेपेटाइटिस सी के संक्रमण से बचा सकते है और सुरक्षित रख सकते हैं।
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हेपेटाइटिस सी वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है की HCV वायरस फैलाने वाले साधनों को सिमित करें क्योकि हेपेटाइटिस सी का वायरस सबसे ज्यादा रक्त से रक्त के द्वारा फैलता है इसलिए एक दूसरे को लगायी हुई सुइयां साझा करने से बचें और किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को हेपेटाइटिस सी से संक्रमित व्यक्ति का रक्त ना चढ़ाये। यदि आप हेपेटाइटिस सी के वायरस से संक्रमित है तो अपने डॉक्टर से सलाह लेकर हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाये जिससे लीवर में उत्पन्न होने वाले संक्रमण को रोका जा सकता है, इसी के साथ आप अपनी जीवनशैली में भी बदलाव करके अपने आप को स्वस्थ और संक्रमण से दूर रख सकते है। इन सभी हेपेटाइटिस सी के संक्रमण के निवारण से आप अपने आप को और दूसरो को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन दे सकते है।
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