Hepatitis E in Hindi हेपेटाइटिस ई एक संक्रामक वायरस है जो लीवर पर हमला करता है और लीवर में सूजन और क्षति का कारण बनता है। कुछ लोगों में, यह समय के साथ गंभीर जटिलताओं का कारण भी बन सकता है। हेपेटाइटिस ई का उपचार आमतौर पर सामान्य ही होता है, और हेपेटाइटिस ई के इलाज के लिए बहुत से लोगों को चिकित्सा की आवश्यकता भी नहीं होती है। हेपेटाइटिस ई कई तरह से फैल सकता है, हेपेटाइटिस ई की समस्या आमतौर पर खराब-गुणवत्ता वाला पीने के पानी के कारण और अधपका मांस खाने की वजह से हो सकती है। हेपेटाइटिस ई के लक्षण सभी लोगों में अलग-अलग होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में हेपेटाइटिस ई के लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं। हेपेटाइटिस ई के खिलाफ रोकथाम करना ही सबसे अच्छा उपाय है।
आज इस लेख में जानेंगे की हेपेटाइटिस ई कैसे होता है इसके लक्षण, कारण, जांच, इलाज और इसकी रोकथाम कैसे की जा सकती है।
हेपेटाइटिस ई एक प्रकार का वायरस है जो लीवर को संक्रमित करता है। हेपेटाइटिस ई की बीमारी हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के कारण होती है और यह हल्के रोग पैदा करता है। अन्य तरह के हेपेटाइटिस के प्रकार से अलग इसका वायरस ज्यादा लम्बे समय तक के लिए नहीं रहता है और ना ही लीवर को ज्यादा क्षति पहुँचता है। हेपेटाइटिस ई का वायरस मनुष्यों और जानवरों दोनों में फैलता है। हेपेटाइटिस ई के वायरस की वजह से लीवर फेलियर जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है या नहीं ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है परन्तु कुछ दुर्लभ मामलों में यह गंभीर हो सकता है जैसे गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस ई के लक्षण गंभीर स्थिति पैदा कर सकते है। वैसे तो हेपेटाइटिस ई वायरस का संक्रमण जल्दी ठीक हो जाता है परन्तु कभी कभी यह प्रतिरक्षा प्रणाली को धीमा करके लीवर में क्रोनिक सूजन पैदा कर सकता है।
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हेपेटाइटिस ई के लक्षण सभी लोगों में अलग अलग होते है और वैसे तो इसके लक्षण इतने सामान्य होते है की ज्यादातर लोगों को इसका एहसास ही नहीं होता है परन्तु इसके कुछ संभावित लक्षण होते है जो रोगी में 15-60 दिनों के अंदर दिखाई देते है।
हेपेटाइटिस ई के संभावित लक्षण हो सकते है-
यह सभी लक्षण हेपेटाइटिस ई के हो सकते है, परन्तु हेपेटाइटिस ई का संक्रमण ठीक होते ही यह सभी लक्षण गायब हो जाते हैं।
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हेपेटाइटिस ई के संक्रमण की वजह से जटिलताएं हो तो सकती है परन्तु ऐसा बहुत ही दुर्लभ मामलों में होता है।
हेपेटाइटिस ई के संक्रमण से उत्पन्न होने वाली जटिलताएं और कुछ जोखिम कारक में शामिल है-
इन आम जटिलताओं के आलावा गर्भवती महिलाओं में इसके संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है क्योकि यदि हेपेटाइटिस ई का संक्रमण माता या पिता दोनों में से किसी को भी है तो उनके अजन्मे बच्चे को भी हेपेटाइटिस ई के संक्रामण का खतरा रहेगा और गर्भवती महिलाओं में हेपेटाइटिस ई के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा गर्भवस्था की तीसरी तिमाही में रहता है।
हेपेटाइटिस ई उन लोगों में भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है जिन्हें किसी प्रकार का लीवर विकार या पुरानी लीवर की बीमारी रही हो। वह लोग जिन्होंने लीवर प्रत्यारोपण (liver transplant) करवाया हो और वह जो इम्यूनोसप्रेसेन्ट ड्रग्स (immunosuppressant drugs) लेते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस ई की जटिलताओं का अधिक खतरा रहता है।
इसलिए यह सभी जटिलताएं और जोखिम कारक रोगी के लिए संभावित रूप से घातक साबित हो सकते है।
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हेपेटाइटिस ई के निदान के लिए वर्तमान में कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं है। हेपेटाइटिस ई का ठीक से निदान करने के लिए, डॉक्टरों को वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी की पहचान के लिए कुछ परीक्षण करने होते है। डॉक्टर हेपेटाइटिस ई की जांच के लिए आपको हेपेटाइटिस ए, बी और सी सहित अन्य प्रकार के हेपेटाइटिस में उपयोग होने वाली रक्त की जांच की सलाह देते है।
यदि किसी व्यक्ति में इन सभी प्रकार के हेपेटाइटिस की जांच का नकारात्मक परिणाम आता है और फिर भी उसके शरीर में हेपेटाइटिस ई से लड़ने वाले एंटीबॉडी मौजूद होते हैं, तो इससे डॉक्टर आसानी से यह निर्धारित कर सकते हैं कि उस व्यक्ति को हेपेटाइटिस ई का संक्रमण है।
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हेपेटाइटिस ई के लिए किसी तरह के चिकित्सा उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, और हेपेटाइटिस ई के संक्रमण को शरीर बाहरी मदद के बिना भी ठीक कर सकता है।
हालांकि, डॉक्टर संक्रमण के ठीक होने के समय में शरीर को सहारा देने के लिए कुछ सुझाव देते है इसमें शामिल है-
संक्रमित लोगों को अपने चिकित्सक को नियमित रूप से दिखाना चाहिए क्योकि यदि आपके शरीर में किसी प्रकार का परिवर्तन हो रहा है तो डॉक्टर उसे ट्रैक कर सकते है और रक्त परीक्षण करवाने का कह सकते है यह देखने के लिए की शरीर संक्रमण को संभाल पा रहा है या नहीं और उससे कहीं कोई गंभीर स्थिति तो उत्पन्न नहीं हो रही है। कुछ मामलों में, डॉक्टर हेपेटाइटिस ई के लिए दवाईयां भी लिख सकते हैं यह उन लोगों के लिए अधिक सामान्य होता है जिन्हें विशेष रूप से कोई गंभीर संक्रमण हो।
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हेपेटाइटिस ई की रोकथाम करना ही इसके संक्रमण और इसके संभावित जटिलताओं से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
इन सभी बातों का पालन करके आप हेपेटाइटिस ई के वायरस से होने वाले संक्रमण की संभावना को कम कर सकते है और इससे सुरक्षित रह सकते है। इस लेख में हेपेटाइटिस ई के बारे में बताया गया है।
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