खराब लाइफस्टाइल और गलत खान पान के कारण इंसान आज ढेरों बीमारियों से घिरा हुआ है, हर्निया भी इन्ही में से एक है। यह एक गंभीर बीमारी है जिसका समय पर इलाज आवश्यक है। हर्निया की इलाज में देरी या लापरवाही आपकी जान के लिए खतरा साबित हो सकता है। इस बीमारी का इलाज संभव है। अगर हर्निया अपनी शुरूआती स्टेज में है तो बिना ऑपरेशन के भी इसे दवा या घरेलू उपचारों की मदद से ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर यह गंभीर रूप ले चुका है तो सर्जरी ही एकमात्र इलाज बचता है।
इस ब्लॉग में हम आपको हर्निया के कुछ खास घरेलू उपायों के बारे में बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप अपनी बीमारी को काफी आसानी से ठीक कर सकते हैं। लेकिन हर्निया के घरेलू उपचार के बारे में जानने से पहले आपके लिए हर्निया और इसके कारणों एवं लक्षणों के बारे में जानना आवश्यक है।
हर्निया एक शारीरिक बीमारी है जिससे पीड़ित होने कि स्थिति में शरीर का कोई भी हिस्सा या अंग अपने सामान्य आकार से अधिक बड़ा हो जाता है। यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में यह पेट में ही पाई जाती है। पेट की हर्निया में आंत का आकार सामान्य से अधिक बढ़कर अपनी थैली से बाहर आ जाता है। यह बीमारी पेट की मांसपेशियों के खराब होने के कारण होती है। कुछ मामलों में हर्निया के इलाज की जरूरत भी नहीं पड़ती है। क्योंकि कुछ समय के अंदर यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं है की आप इसे नजरअंदाज करें। ऐसा करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
हर्निया की समस्या कई कारणों से होती है लेकिन आमतौर पर यह मांसपेशियों में तनाव और कमजोरी के कारण होता है। मांसपेशियों में कमजोरी और तनाव कई कारणों से हो सकते हैं। जैसे की उम्र बढ़ना या बुढ़ापा होना, पुरानी खांसी से पीड़ित होना, चोट या सर्जरी के कारण दर्द होना, प्रेगनेंट होना, भारी सामान उठाना, पेट में पानी जमा होना और अचानक से वजन बढ़ जाना आदि। अगर आपको पहले से इन सभी कारणों के बारे में पता हो तो कुछ सावधानियों को बरतने के बाद आप बहुत ही आसानी से इस बीमारी की रोकथाम कर सकते हैं।
हर्निया के कुछ ख़ास लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप या आपके डॉक्टर इस बात का अंदाजा लगा पाते हैं की आपको हर्निया है। इन्ही लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपकी जांच और फिर इलाज करते हैं। हर्निया के लक्षणों में प्रभावित क्षेत्र में गांठ जैसा महसूस होना, पेट में दर्द की शिकायत होना, जलन, सूजन और सनसनाहट महसूस होना, सीने में जलन होना, चक्कर और बुखार आना आदि शामिल हैं।
हियातल हर्निया से पीड़ित होने की स्थिति में सीने में दर्द, जलन और खाना खाने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही उठते, बैठते, या अपने दैनिक जीवन के कामों को करते समय हर्निया से प्रभावित क्षेत्र में तेज दर्द हो सकता है। अगर यह दर्द एक दिन तक रहता है तो इसे हर्निया नहीं कह सकते हैं, लेकिन अगर यही दर्द लंबे समय तक परेशान करे तो यह हर्निया की तरफ इशारा करता है। अगर आप इन लक्षणों में से किसी भी लक्षण को खुद में महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर इस बारे में बात करनी चाहिए।
हर्निया का नाम सुनते ही हर किसी को यही लगता है की इसका इलाज मात्र सर्जरी के जरिए ही किया जा सकता है जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। हर्निया का इसके शुरूआती स्टेज में एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं एवं घरेलू उपायों की मदद से ठीक किया जा सकता है। हम आपको नीचे कुछ घरेलू उपायों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं जो हर्निया में आपकी मदद कर सकते हैं।
कैमोमाइल चाय हर्निया का इलाज प्रभावी तरीके से करता है क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। यह हर्निया के बेहतरीन घरेलू उपायों में एक माना जाता है। हर्निया से पीड़ित होने की स्थिति में आपके पेट में अधिक मात्रा में गैस बनने लगते हैं। इस स्थिति में कैमोमाइल चाय का सेवन करने से काफी आराम मिलता है। यह आपके पाचन तंत्र को ठीक करता है तथा गैस को बनने से रोकता है। कैमोमाइल का इस्तेमाल करने के लिए एक चम्मच सूखे कैमोमाइल को एक कप गर्म पानी में मिलाकर थोड़ी देर के लिए ढककर रख दें। इसके बाद अपने टेस्ट के मुताबिक़ शहद मिलाकर इसका सेवन करें। आप इस चाय को दिन भर में 4-5 बार पी सकते हैं।
अदरक को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में से एक माना जाता है। इसमें ढेरों ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो पेट को गैस्ट्रिक एसिड से होने वाले नुकसान से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह हर्निया के कारण उत्पन्न दर्द को भी कम करने का काम करते हैं। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण बहुत ही प्रभावी रूप से हर्निया के लक्षणों को कम करने का काम करते हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप अदरक की जड़ को पीसकर उसे पानी में मिलाने के बाद उसका सेवन कर सकते हैं। आप चाहें तो कच्चे अदरक का भी सेवन कर सकते हैं। यह आपको हर तरह से हर्निया से आराम दिलाने में मदद करता है।
मुलेठी कफ और खांसी की समस्या को दूर करने के साथ साथ हर्निया का इलाज भी बहुत ही प्रभावशाली रूप से करता है। यह हर्निया के बेहतरीन घरेलू उपचारों में से एक माना जाता है। हर्निया से पीड़ित होने की स्थिति में आपके पेट की परत और अणुओं को बहुत नुकसान पहुंचता है, लेकिन मुलेठी के जड़ का इस्तेमाल आपके शरीर के इन हिस्सों का उपचार एक उत्तेजक के रूप में करता है। मुलेठी की चाय का सेवन करने से आपके क्षतिग्रस्त उत्तक बहुत ही तेजी से ठीक होते हैं। मुलेठी में एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं जो हर्निया के कारण उत्पन्न दर्द और सूजन को भी दूर करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
बर्फ की मदद से हर्निया का इलाज बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। यह बहुत ही पुराना, प्रचलित और आसान उपाय है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप बर्फ को एक सूती कपड़े में रखकर उसे हर्निया से प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा करने से आपको काफी आराम महसूस होता है तथा हर्निया के लक्षण जैसे की सूजन काफी हद तक कम हो जाता है। आप दिन भर में 2-3 बार इस तरह से बर्फ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सेब का सिरका हर्निया में काफी फायदेमंद माना जाता है। यह हर्निया के लक्षण जैसे की सीने में जलन और एसिडिटी को कम करने वाले सबसे बेहतरीन घरेलू उपायों में से एक है। सेब के सिरके में एसिडिक गुण मौजूद होता है जो आपके शरीर पर एक क्षारीय प्रभाव छोड़ता है। हर्निया से पीड़ित होने की स्थिति में जब कभी भी आपको एसिडिटी या सीने में जलन हो तो आप सेब के सिरके का इस्तेमाल कर अपनी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। एक से दो चम्मच सेब के सिरके को एक ग्लास गर्म पानी में मिलाकर उसे घूंट घूंट करके पीएं। कुछ दिनों तक लगातार ऐसा करने से हर्निया के लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
जब घरेलू उपायों या दवाओं की मदद से हर्निया में किसी तरह का बदलाव नहीं आता है तब सर्जरी ही एकमात्र इलाज बचता है। सर्जरी की मदद से हर्निया को हमेशा के लिए किया जा सकता है। हर्निया की सर्जरी दो तरह से की जाती है। एक ओपन सर्जरी और दूसरा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के द्वारा। ओपन सर्जरी के दौरान पेट में बड़ा सा कट लगता है, काफी ब्लीडिंग और दर्द भी होता है। साथ ही इंफेक्शन होने, जख्म और दाग बनने का खतरा भी अधिक होता है। ओपन सर्जरी के बाद मरीज को ठीक होने में महीनों तक का समय लग सकता है। जबकि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में ऐसी कोई भी बात नहीं है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक बहुत ही संक्षिप्त, सरल और सफल इलाज का तरीका है। हर्निया की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में 30-40 मिनट का समय लगता है। इस सर्जरी के दौरान आपको कम से कम ब्लीडिंग और लगभग न के बराबर दर्द होता है। सर्जरी के बाद आपको उसी दिन हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। सर्जरी के 48 घंटों के बाद आप अपने दैनिक जीवन के कामों को शुरू करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
अगर आप लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से हर्निया का इलाज कराना चाहते हैं तो प्रिस्टीन केयर से संपर्क कर सकते हैं। इनके पास देश के सबसे अनुभवी और कुशल सर्जन मौजूद हैं जिन्हे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी और हर्निया की गहरी समझ है। हर्निया से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए आप अभी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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