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हर्पीस के कारण, लक्षण, दवा और उपचार – Herpes causes, symptoms and treatment in Hindi

हर्पीस के कारण, लक्षण, दवा और उपचार – Herpes causes, symptoms and treatment in Hindi

हर्पीस, एचएसवी (herpes simplex virus) के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह विषाणु शरीरके बाहरी अंग, जननांग, गुदा क्षेत्र, श्‍लेष्मिक सतहों और शरीर के अन्‍य अंगों की त्‍वचा को प्रभावित करता है। हर्पीस एक लंबी अवधि तक रहने वाला संक्रमण है। कुछ लोगों में इसके कोई भी लक्षण (symptoms) नहीं दिखते हैं, जबकि वे इससे प्रभावित रहते हैं। हर्पीस होने के सामान्‍य लक्षणों में छाले, अल्‍सर, पेशाब करते समय दर्द, मुंह के छाले और योनि निर्वहन (vaginal discharge) में दर्द शामिल हैं। यद्यपि हरपीज के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं और घरेलू उपचारों (Home remedies) का उपयोग करके इसे ठीक किया जा सकता है। इस लेख को पढ़ने से आप जानेगें कि हरपीस के लक्षण और कारण क्‍या हैं और इसका निदान किस प्रकार किया जा सकता है।

1. हर्पीस होने के कारण क्‍या है –What Causes herpes simplex in Hindi

2. हर्पीस के लक्षण –Herpes Symptoms in Hindi
3. प्राथमिक संक्रमण के लक्षण –Primary infection Symptoms in Hindi
4. बार – बार होनेवालेसंक्रमण के लक्षण –Recurrent infection symptoms in Hindi
5. हर्पीस का निदान कैसे किया जाता है –How is herpes simplex diagnosed in Hindi
6. हर्पीस का इलाज कैसे किया जाता है –How is herpes simplex treated in Hindi
7. हरपीज का घरेलू उपचार – Herpes Home remedies in Hindi
8. हर्पीस संक्रमण को रोकने के तरीके –Prevention tips forherpes in Hindi
9. हर्पीस में क्या खाना चाहिए – Best Foods for Managing Herpes in hindi
10. हर्पीस में परहेज- Foods to Avoid With Herpes

हर्पीस होने के कारण क्‍या है –What Causes herpes simplex in Hindi

यह एक प्रकार का संक्रमण होता है जो हर्पस सिम्‍प्‍लेक्‍स विषाणु के द्वारा फैलाया जाता है। जब एक संक्रमित व्‍यक्ति की त्‍वचा की सतह पर HSV मौजूद रहता है तो इसे मुंह, गुदा और जननांगों (anus and genitals) के माध्‍यम से किसी अन्‍य व्‍यक्ति को आसानी से प्रेषित किया जा सकता है। यह वायरस त्‍वचा के अन्‍य क्षेत्रों के साथ ही आंखों के माध्‍यम से किसी अन्‍य व्‍यक्ति को फैल सकता है। यह संक्रमण दो प्रकार का होता है पहला HSV-1 जो आमतौर पर मुंह के छालों (cold sores) का कारण बनता है। दूसरा HSV-2 यह संक्रमण अधिकतर जननांग में होने वाली हर्पीस (genital herpes) का कारण बनता है।

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HSV-1 संक्रमण के कारण:

यह संक्रमण निम्‍न कारणों से हो सकता है :

  • एक ही बर्तन से खाना खाने पर
  • होंठ में लगाने वाले बाम को साझा करने से
  • चुंबन करने पर

एक संक्रमित व्‍यक्ति में यह वायरस बहुत ही तेजी से फैलता है। वयस्‍क लोगों में इस प्रकार के संक्रमण की संभावना 30 से 90 प्रतिशत तक होती है। एचएसवी 1 से संक्रमित व्‍यक्ति को जननांग हर्पीस भी हो सकता है यदि वह मुंह के छालों (cold sores)  वाले किसी व्‍यक्ति के साथ उस समय मौखिक सेक्‍स करता है।

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HSV-2 संक्रमण के कारण:

यह संक्रमण यौन संपर्क (sexual contact) के माध्‍यम से फैलता है। यह संक्रमण निम्‍न कारणों से फैलता है :

  • असुरक्षित योनि या गुदा सेक्‍स करने से
  • मुंह के छाले और घाव (cold sores) वाले व्‍यक्ति के साथ मौखिक यौन संबंध बनाने से
  • सेक्‍स खिलौने को साझा करने से
  • संक्रमित व्‍यक्ति के साथ जननांग संपर्क होने से

इन कारणों से संक्रमण के फैलने की संभावना सबसे अधिक होती है। यदि जन्‍म देने के दौरान मां को जननांग में हरपीज घाव होता है तो यह संभव है कि संक्रमण बच्‍चे को भी हो सकता है।

हर्पीस के लक्षण – Herpes Symptoms in Hindi

हर्पीस सिम्‍प्‍लेक्‍स वायरस के कारण हाने वाले संक्रमण को हर्पीस(Herpes) कहते हैं। यह संक्रमण मुंह पर घावों जैसे लक्षणों के साथ होता है।

अधिकांश लोगों को इससे ग्रसित होने के महिनों या सालों बाद तक इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कुछ लोगों को इस संक्रमण के लक्षण 4 या 5 दिनों में दिखाई देने लगते हैं। यह संक्रमण कई लोगों में बार बार (more frequently) हो सकता है। यदि यह संक्रमण एक बार किसी व्‍यक्ति को हो जाए तो इसकी पुनर्रावृति होने की संभावना अधिक होती है।

प्राथमिक संक्रमण के लक्षण –Primary infection Symptoms in Hindi

जननांगों में होने वाले संक्रमण के लिए प्राथमिक संक्रमण (primary infection) शब्‍द का उपयोग किया जाता है। यह तब होता है जब कोई व्‍यक्ति पहली बार संक्रमित होता है। इसके लक्षण काफी गंभीर हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं :

  • योनि, गर्भाशय या बाहृ जननांग पर फफोले और छाले का होना
  • योनि निर्वहन
  • दर्द और खुजली
  • अधिक तापमान (बुखार)
  • पेशाब करते समय दर्द
  • त्‍वचा पर लाल फफोले
  • मुंह के चारों ओर घाव (मुँह के छाले)

ज्‍यादातर मामलों में अल्‍सर (ulcer) या घाव ठीक हो जाते हैं और व्‍यक्ति के पास स्‍थाई रूप से कोई भी निशान नहीं बचता है।

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बार – बार होने वाले संक्रमण के लक्षण –Recurrent infection symptoms in Hindi

किसी बार-बार होने वाले संक्रमण (recurrent infection) मे होने वाले लक्षण कम गंभीर होते हैं आमतौर पर इनके लक्षण 10 दिनों से अधिक नहीं रहते हैं। इनके लक्षणों में शामिल हैं :

  • फफोले दिखाई देने से पहले जलन
  • महिलाओं में गर्भाशय में फफोले और अल्‍सर (blisters and ulceration) हो सकते हैं।
  • मुंह के चारों ओर घाव (मुँह के छाले)
  • लाल फफोले

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हर्पीस का निदान कैसे किया जाता है – How is herpes simplex diagnosed in Hindi

इस प्रकार के संक्रमण का आमतौर पर शारीरिक परिक्षणों (physical exam) के साथ निदान किया जाता है। आपके डॉक्‍टर घावों के लिए आपके शरीर की जांच कर सकता है और आपसे उन लक्षणों (symptoms) के बारे में पूछ सकता है जिन्‍हें आप महसूस करते हैं। आपका डॉक्‍टर एचएसवी परीक्षण भी करने को कह सकता है। यदि आपके जननांगों पर घाव हो तो यह निदान की पुष्टि करेगा। इस परिक्षण के दौरान, आपका डॉक्‍टर घाव से द्रव का एक नमूना ले सकता है और फिर इसे परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेज सकता है।

HSV-1 और HSV-2 के लिए एंटीबॉडी की पहचान में रक्‍त परीक्षण भी इन संक्रमणों का निदान करने में मदद करते हैं। विशेष रूप से उस समय जब रोगी के पास किसी प्रकार के घाव नहीं होते हैं।

हर्पीस का इलाज कैसे किया जाता है – How is herpes simplex treated in Hindi

इस वायरस (Virus) के लिए वर्तमान में कोई इलाज नहीं है। उपचार के द्वारा घावों के प्रकोप को कम किया जा सकता है। उपचार के माध्‍यम से इसके वायरस को फैलने से रोका जा सकता है और इसके प्रभाव को कुछ हद तक कम भी किया जा सकता है। लेकिन उपचारों के माध्‍यम से हर्पस सिम्‍पलेक्‍स वायरस का इलाज नहीं किया जा सकता है।

हर्पिस उपचार की दवाएं : विषाणु –विरोधी (Antiviral) दवाएं आपके घावों के उपचार के समय को तेज करने और दर्द को कम करने में मदद कर सकती हैं। लक्षणों को कम करने के लिए दवाओं का उपयोग झुनझुनी (tingling), खुजली और अन्‍य लक्षणों के पहले संकेतों पर उपयोग किया जा सकता है। जिन लोगों को इस प्रकार का संक्रमण होता है उन्‍हें अन्‍य दवाओं का भी उपयोग करना चाहिए ताकि यह इंफैक्‍सन फिर से ना हो पाए।

हरपीज का घरेलू उपचार – Herpes Home remedies in Hindi

गर्म पानी में नहाना या नहाते समय हल्‍की सफाई करने वाले उपकरणों का उपयोग करें। संक्रमित क्षेत्र को साफ और सूखा रखें। प्रभावित अंग को आरामदायक रखने के लिए ढीले सूती के कपड़े पहनें। अन्‍य घरेलू उपचार इस प्रकार हैं

  • हल्‍के नमकीन पानी से (Lightly salted) स्‍नान हरपीज के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  • प्रभावित क्षेत्र में पैट्रोलियम जेली (petroleum jelly) लगाएं।
  • यौन गतिविधी से बचे जब तक की लक्षण खत्‍म न हो जाए।
  • यदि पेशाब करने में दर्द हो रहा हो तो मूत्रमार्ग में कुछ क्रीम और लोशन लगाएं।

हर्पीस संक्रमण को रोकने के तरीके –Prevention tips forherpes in Hindi

यद्यपि हर्पीस के लिए अभी तक कोई निश्चित इलाज संभव नहीं है, आप संक्रमण से बचने के लिए, या किसी अन्‍य व्‍यक्ति को एचएसवी फैलाने से रोकने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं।

यदि आप HSV- 1 संक्रमण का अनुभव कर रहे हैं, तो कुछ उपचारात्‍मक कदम इस प्रकार हैं :

  • अन्‍य लोगों के साथ सीधे सीधे शारीरिक संपर्क (direct physical contact) से बचने की कोशिश करें।
  • दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्‍तुओं को साझा न करें जैसे कि कपड़े, सौंदर्य उत्‍पाद, साबुन, होंठ बाम सोने चांदी के जेवर और अन्‍य ।
  • संक्रमण के दौरान मौखिक सेक्‍स (oral sex), चुंबन या किसी अन्‍य प्रकार की यौन गतिविधि में भाग न लें।
  • घावों के संपर्क को कम करने के लिए अपने हाथों को अच्‍छी तरह से धोएं और कॉटन की मदद से घावों में दवा लगाएं।

HSV- 2 संक्रमण वाले व्‍यक्तियों को संक्रमण के दौरान अन्‍य लोगों के साथ किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि से बचना चाहिए। यदि व्‍यक्ति को उपचार के बाद लक्षण दिखाई नहीं देते हैं तो भी उसे यौन संबंध बनाते समय कंडोम का उपयोग करना चाहिए।

  • यौन संबंध बनाने पर कंडोम (condom) का उपयोग जरूर करें।
  • मुंह के चारों ओर दर्द और घाव (cold sore) होने पर चुंबन नहीं करना चाहिए।
  • कई यौन साथी नहीं बनाना चाहिए।

कुछ लोगों को लगता है कि तनाव, थके हुए, बीमारियाँ, सनबाथिंग हर्पीस के लक्षणों की पुनरावृत्ति को बढ़ा सकते हैं। इन कारणों को पहचान कर इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए।

गर्भवती और संक्रमित महिलाएं अपने नवजात शिशुओं (unborn babies) को संक्रमण से बचाने के लिए दवाओं का उपयोग कर सकती हैं।

(और पढ़े –  कंडोम को निकालने का सही तरीका)

हर्पीस में क्या खाना चाहिए – Best Foods for Managing Herpes in Hindi

लाइसिन (Lysine) समृद्ध खाद्य पदार्थ आपके प्रतिरक्षा तंत्र को वायरस से लड़ने और रोकने के लिए मजबूर करते हैं जो आपके स्वास्थ्य पर हो रहे बुरे असर को खत्म कर देता है। एल-लाइसिन एक एमिनो एसिड है जो बार-बार हर्पीस के होने की घटना, गंभीरता और अवधि को कम सकता है यहां कुछ लाइसिन से समृद्ध खाद्य पदार्थ  बताये जा रहे हैं:

  1. मीट: चूंकि एमिनो एसिड प्रोटीन के ब्लॉक से बने होते हैं, इसलिए वे मांस जैसे उच्च प्रोटीन स्रोतों में प्रचुर मात्रा में होंगे। मछली सबसे अच्छी मणि जाती है, फिर मुर्गी का मांस, और फिर बाकिमांस। Arginine की तुलना में सभी lysine में समृद्ध हैं।
  2. डेयरी: डेयरी उत्पादों में आर्जिनिन से दो से तीन गुना ज्यादा लाइसाइन हो सकता है! दही में सभी खाद्य पदार्थों की अधिकतम मात्रा में से एक है। सुनिश्चित करें कि आप दही खाते हैं। हर्पीस से बचने के लिए दही का सेवन लाभदायक होता है।
  3. फल: आम तौर पर, फलों में उच्च-प्रोटीन खाद्य पदार्थ जितना अधिक लाइसिन नहीं होता है। लेकिन आप कम arginine वाले फल को चुन सकते हैं। शरद ऋतु और ग्रीष्मकालीन फलों में लिसिन की अधिक मात्रा होती है। अपने आहार में पपीता, आम, खुबानी, सेब, अंजीर और नाशपाती को सामिल करें।
  4. सब्जियां: फूलगोभी और ब्रोकली एक हर्पीस प्रकोप को रोकने के लिए खाने के लिए सबसे अच्छे खाद्य पदार्थ हैं। सोयाबीन , बीट्स और आलू अन्य सब्ज़ियां लाइसाइन में समृद्ध हैं जिन्हें आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

(और पढ़े – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

हर्पीस में परहेज – Foods to Avoid With Herpes

Arginine हर्पस वायरस के विकास को बढ़ावा देता है, जबकि lysine इसे ख़त्म या कम करता है। यदि आपको हर्पीस हैं, तो आप आर्जिनिन में समृद्ध खाद्य पदार्थों का उपभोग कर सकते हैं बशर्ते आपकी आर्जिनिन-लाइसिन अनुपात लाइसाइन के पक्ष में अधिक हो। हर्पीस से बचने के लिए, कम-लाइसिन, उच्च-आर्जिनिन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें, जैसे कि:

  1. बीज और सूखे मेबे
  2. नारियल का मांस (नारियल का तेल ठीक है, क्योंकि इसमें कोई एमिनो एसिड नहीं है)
  3. संतरे का रस
  4. चॉकलेट
  5. गेहूं के उत्पादों
  6. जई
  7. मसूर की दाल
  8. प्रोटीन सप्लीमेंट

कुछ लोंगो का मानना हैं कि हर्पीस रोग होने पर कैफीन युक्त पेय लेने से बचना चाहिए, क्योंकि कैफीन आर्जिनिन के स्तर को बढ़ाता है।

(और पढ़े – कैफीन के फायदे, नुकसान और उपयोग)

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